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प्रेग्नेंट होने का यह मतलब नहीं है, कि आपको अपने रोज के एक्सरसाइज को छोड़ना पड़ेगा। बल्कि कई स्टडीज से यह पता चला है, कि प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने से शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्वास्थ्य अच्छा रहता है। अगर आप की प्रेगनेंसी अच्छी जा रही है और आपका शिशु भी स्वस्थ है, तो कुछ हल्के एक्सरसाइज को छोड़ने की जरूरत नहीं है। एक्सरसाइज करने से एब्डोमेन और पेल्विक रीजन की मांसपेशियों में ताकत आती है और इनके फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है, जिससे कि लेबर पेन और डिलीवरी आसान हो सकती है। इन एक्सरसाइज में सिटअप्स या एब्डोमिनल क्रंच सबसे जरूरी माने जाते हैं, जो आपके मसल्स को मजबूत बनाते हैं। यह लेख आपको प्रेगनेंसी के दौरान सिटअप्स करने के सही तरीके, इसके फायदे और साथ ही संभव नुकसानों को समझने में मदद करेगा।
पहली तिमाही के दौरान क्रंच करना आसान भी है और सुरक्षित भी होता है। बल्कि आपकी प्रेगनेंसी के शुरू के 4 महीनों में संतुलित मात्रा में इन की सलाह भी दी जाती है। हालांकि, यह बहुत जरूरी है, कि आप इन एक्सरसाइज को करते समय सही सावधानी बरतें। एक्सरसाइज करने के लिए एक आरामदायक जगह ढूंढें। किसी प्रकार के शारीरिक या मानसिक बदलाव के प्रति सजग रहें और अगर आपको किसी तरह का दर्द या ऐसी कोई और तकलीफ महसूस हो, तो इसे तुरंत बंद कर दें।
दूसरी और तीसरी तिमाही में सिटअप्स को जारी रखने से आपको कुछ समस्याएं नजर आ सकती हैं, जैसे – त्वचा में बदलाव, उल्टी, बेहोशी, चक्कर आना या ऐसी ही कोई और समस्या। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पेट के अंदरूनी हिस्से में फीटस का बढ़ता हुआ आकार पेट के अंदरूनी हिस्से में दर्द पैदा कर सकता है, या फिर वेना कावा पर भी दबाव पड़ सकता है, यह एक बड़ी नस है, जो कि ऑक्सीजन रहित खून को हृदय तक पहुंचाती है, क्योंकि दिल की ओर जाने वाला वाले ब्लड सरकुलेशन की धीमी गति के कारण आप परेशानी का अनुभव कर सकती हैं। अगर ऐसा होता है, तो ऐसी स्थिति में बाईं करवट होकर लेट जाएं, इससे ब्लड सरकुलेशन दिल तक आसानी से जाएगा, या फिर आप कोई दूसरा कोई योगाभ्यास कर सकते हैं।
जिस भी काम से आपकी प्रेग्नेंसी पर असर पड़ सकता है, उसे कुछ भी करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करना सही होता है। अगर आप हमेशा से रेगुलर एक्सरसाइज करती रही हैं और आपकी प्रेग्नेंसी में नहीं के बराबर कॉम्प्लिकेशन है, तो आपका डॉक्टर आपको एक्सरसाइज जारी रखने की परमिशन दे सकता है। पर यह हमेशा याद रखें, कि जिन एक्सरसाइज से आपके शरीर पर अनावश्यक दबाव पड़ता है, उनसे आपको दिक्कतें आ सकती हैं। इसलिए हमेशा हल्के-फुल्के एक्सरसाइज करने चाहिए।
सिटअप्स को एब्डोमिनल क्रंचेस के नाम से भी जाना जाता है। इनमें किसी इक्विपमेंट या जिम में जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। आप इसे अपने कमरे में आराम से कर सकती हैं।
नीचे दी गई लिस्ट में प्रेगनेंसी के दौरान सिटअप्स करते समय याद रखने वाली बातें दी गई हैं।
क्रंचेस आपके पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, इसका मतलब यह है, कि आपके रेक्टस एब्डोमिनिस मसल्स में कसावट आती है और लचीलापन भी बढ़ता है।
प्रेगनेंसी के दौरान क्रंचेस बंद करने के पांच कारण यहां दिए गए हैं।
जैसा कि पहले भी बताया गया है, दूसरी और तीसरी तिमाही में सिटअप्स करने से बचना चाहिए। इसके कुछ कारण नीचे दिए गए हैं:
यह आम धारणा है, कि सिटअप्स करने से बच्चे के ऊपर दबाव पड़ता है, जो कि गलत है। बल्कि असल में प्रेगनेंसी के दौरान स्वस्थ और सफल डिलीवरी के लिए पेट के अंदरूनी हिस्से की ताकत को बढ़ाना बहुत जरूरी है। हालांकि, इस संबंध में किया जा सकने वाला यह अकेला एक्सरसाइज नहीं है। इसमें प्लैंक, एक्सरसाइज बॉल वर्कआउट, ब्रीदिंग एक्सरसाइज एवं और भी कई एक्सरसाइज शामिल हैं। अपने रोज के रूटीन में कुछ न कुछ बदलाव करते रहें, जिससे आपको बोरियत ना हो।
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