प्रेगनेंसी के दौरान सिट-अप्स या एब्डोमिनल क्रंचेस करना – क्या यह सुरक्षित है?

प्रेगनेंसी के दौरान सिट-अप्स या एब्डोमिनल क्रंचेस करना

प्रेग्नेंट होने का यह मतलब नहीं है, कि आपको अपने रोज के एक्सरसाइज को छोड़ना पड़ेगा। बल्कि कई स्टडीज से यह पता चला है, कि प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने से शारीरिक और मानसिक दोनों ही स्वास्थ्य अच्छा रहता है। अगर आप की प्रेगनेंसी अच्छी जा रही है और आपका शिशु भी स्वस्थ है, तो कुछ हल्के एक्सरसाइज को छोड़ने की जरूरत नहीं है। एक्सरसाइज करने से एब्डोमेन और पेल्विक रीजन की मांसपेशियों में ताकत आती है और इनके फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है, जिससे कि लेबर पेन और डिलीवरी आसान हो सकती है। इन एक्सरसाइज में सिटअप्स या एब्डोमिनल क्रंच सबसे जरूरी माने जाते हैं, जो आपके मसल्स को मजबूत बनाते हैं। यह लेख आपको प्रेगनेंसी के दौरान सिटअप्स करने के सही तरीके, इसके फायदे और साथ ही संभव नुकसानों को समझने में मदद करेगा। 

क्या प्रेग्नेंट महिलाएं सिटअप्स या क्रंचेस कर सकती हैं?

पहली तिमाही के दौरान क्रंच करना आसान भी है और सुरक्षित भी होता है। बल्कि आपकी प्रेगनेंसी के शुरू के 4 महीनों में संतुलित मात्रा में इन की सलाह भी दी जाती है। हालांकि, यह बहुत जरूरी है, कि आप इन एक्सरसाइज को करते समय सही सावधानी बरतें। एक्सरसाइज करने के लिए एक आरामदायक जगह ढूंढें। किसी प्रकार के शारीरिक या मानसिक बदलाव के प्रति सजग रहें और अगर आपको किसी तरह का दर्द या ऐसी कोई और तकलीफ महसूस हो, तो इसे तुरंत बंद कर दें। 

दूसरी और तीसरी तिमाही में सिटअप्स को जारी रखने से आपको कुछ समस्याएं नजर आ सकती हैं, जैसे – त्वचा में बदलाव, उल्टी, बेहोशी, चक्कर आना या ऐसी ही कोई और समस्या। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पेट के अंदरूनी हिस्से में फीटस का बढ़ता हुआ आकार पेट के अंदरूनी हिस्से में दर्द पैदा कर सकता है, या फिर वेना कावा पर भी दबाव पड़ सकता है, यह एक बड़ी नस है, जो कि ऑक्सीजन रहित खून को हृदय तक पहुंचाती है, क्योंकि दिल की ओर जाने वाला वाले ब्लड सरकुलेशन की धीमी गति के कारण आप परेशानी का अनुभव कर सकती हैं। अगर ऐसा होता है, तो ऐसी स्थिति में बाईं करवट होकर लेट जाएं, इससे ब्लड सरकुलेशन दिल तक आसानी से जाएगा, या फिर आप कोई दूसरा कोई योगाभ्यास कर सकते हैं। 

क्या एक्सरसाइज शुरू करने से पहले आपको डॉक्टर से चेकअप कराना चाहिए?

जिस भी काम से आपकी प्रेग्नेंसी पर असर पड़ सकता है, उसे कुछ भी करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करना सही होता है। अगर आप हमेशा से रेगुलर एक्सरसाइज करती रही हैं और आपकी प्रेग्नेंसी में नहीं के बराबर कॉम्प्लिकेशन है, तो आपका डॉक्टर आपको एक्सरसाइज जारी रखने की परमिशन दे सकता है। पर यह हमेशा याद रखें, कि जिन एक्सरसाइज से आपके शरीर पर अनावश्यक दबाव पड़ता है, उनसे आपको दिक्कतें आ सकती हैं। इसलिए हमेशा हल्के-फुल्के एक्सरसाइज करने चाहिए।

सिटअप्स कैसे किए जाने चाहिए?

सिटअप्स को एब्डोमिनल क्रंचेस के नाम से भी जाना जाता है। इनमें किसी इक्विपमेंट या जिम में जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। आप इसे अपने कमरे में आराम से कर सकती हैं। 

  1. फर्श पर एक मैट लगा लें और अपने पीठ के बल पर लेट जाएं। 
  2. अपने पैरों को घुटनों पर से मोड़ें और अपने तलवों को फर्श पर लगाए रखें। 
  3. अपने हाथों को सिर के पीछे रखें और शुरू करें। 
  4. सबसे पहले सांस छोड़ें और अपने कमर तक के हिस्से को उठाकर घुटनों की ओर ले जाएं। 
  5. सांस लेते हुए अपने शुरुआती पोजीशन पर वापस आ जाएं। यह एक रिपिटीशन पूरा हुआ। 
  6. इस एक्सरसाइज को 10 रिपिटीशन के तीन सेट में करें। 
  7. याद रखें कि बीच में कोई भी आराम करने का समय नहीं है, पर हर सेट के पहले 2 मिनट का ब्रेक लिया जा सकता है। 
  8. समय के साथ आप सिटअप्स के नंबर बढ़ा सकते हैं। 

प्रेगनेंसी में सिटअप्स करने के दौरान ध्यान रखने वाली बातें

नीचे दी गई लिस्ट में प्रेगनेंसी के दौरान सिटअप्स करते समय याद रखने वाली बातें दी गई हैं। 

  • नियम के अनुसार किसी प्रकार की शारीरिक कमजोरी या मांसपेशियों के दर्द से बचने के लिए खूब पानी पिए और संतुलित भोजन लें। 
  • ऐसे कपड़े ना पहनें जिससे ब्लड सरकुलेशन में रुकावट आए या सांस लेने में तकलीफ हो। 
  • हो सके तो तेज धूप से बचते हुए घर के अंदर एक्सरसाइज करें। 
  • याद रखें कि प्रेगनेंसी के दौरान आपको अपने एक्सरसाइज के रूटीन के प्रति ज्यादा स्ट्रिक्ट होने की जरूरत नहीं है, इसे जरूरत के अनुसार छोड़ा जा सकता है। 
  • अपने एक्सरसाइज को हल्का रखें, ताकि आपके शरीर का तापमान बहुत ज्यादा ना बढ़े, क्योंकि इससे समस्याएं हो सकती हैं। 
  • अगर आप बीमार हैं या थकी हुई हैं या कोई कुछ अलग लक्षण महसूस कर रही हैं, तो ऐसे में एक्सरसाइज न करें। 
  • एक्सरसाइज तभी करें जब आपको सही लगे, यह बताने के लिए आपका शरीर सबसे बेहतरीन जज है, उसे समझे और उसकी सुनें। 
  • अगर आपके गर्भ में जुड़वां बच्चे हैं, तो आपको एब्डोमिनल क्रंचेस बिल्कुल नहीं करने चाहिए, इसलिए इसे ना करें। 
  • एक सेट में 20 से ज्यादा रिपीटेशन करने से बचें। 

प्रेगनेंसी की पहली तिमाही के दौरान सिटअप्स करने के फायदे

क्रंचेस आपके पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, इसका मतलब यह है, कि आपके रेक्टस एब्डोमिनिस मसल्स में कसावट आती है और लचीलापन भी बढ़ता है। 

  • इससे अंदरूनी हिस्सा मजबूत बनता है और ताकत भी आती है। 
  • इससे कमर के निचले हिस्से के दर्द में कमी आती है या इसके खतरे कम हो सकते हैं जो कि प्रेगनेंसी का एक आम लक्षण है। 
  • इससे कमर की मांसपेशियों को सपोर्ट मिलता है, जो कि बढ़ते हुए पेट के कारण बहुत तकलीफ में होते हैं। 
  • इससे बेहतर बैलेंस और पोस्चर को बनाने और बनाए रखने में मदद मिलती है। 
  • इससे पेलविक मसल्स को सपोर्ट मिलता है, जिससे आसान लेबर की संभावना बढ़ जाती है। 
  • यह एब्डोमिनल क्षेत्रों का आकार बनाए रखता है, जिससे डिलीवरी के बाद जल्दी रिकवरी हो जाती है। 
  • यह नॉर्मल डिलीवरी को बहुत आसान बनाता है। 

प्रेगनेंसी के दौरान सिटअप्स करना बंद कब करना चाहिए?

प्रेगनेंसी के दौरान क्रंचेस बंद करने के पांच कारण यहां दिए गए हैं। 

  •  अगर आप को चक्कर आ रहे हों या सिर में हल्कापन महसूस हो रहा हो। 
  •  अगर आपको किसी प्रकार का सिर दर्द हो रहा हो। 
  •  अगर आपको पेट में कोई अजीब सा दर्द या तकलीफ हो रही हो। 
  •  अगर आप को सांस लेने में तकलीफ हो रही हो। 
  •  अगर आपको वजाइना से ब्लीडिंग या किसी तरह का डिस्चार्ज हो रहा हो। 

दूसरी और तीसरी तिमाही में सिटअप्स करने से क्यों बचना चाहिए?

जैसा कि पहले भी बताया गया है, दूसरी और तीसरी तिमाही में सिटअप्स करने से बचना चाहिए। इसके कुछ कारण नीचे दिए गए हैं: 

  • बच्चे का वजन फीटस की ओर खून के संचार को रोक सकता है, जिससे पोषक तत्व और ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। 
  • पोजीशन में आने के दौरान बैलेंस बिगड़ कर गिरने की संभावना बढ़ जाती है। 
  • प्रेगनेंसी के बाद के महीनों में सिटअप्स करने से हर्निया की समस्या हो सकती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आपके ऐब्स में जरूरत से ज्यादा स्ट्रेच हो सकते हैं और वे पतले हो सकते हैं। 

यह आम धारणा है, कि सिटअप्स करने से बच्चे के ऊपर दबाव पड़ता है, जो कि गलत है। बल्कि असल में प्रेगनेंसी के दौरान स्वस्थ और सफल डिलीवरी के लिए पेट के अंदरूनी हिस्से की ताकत को बढ़ाना बहुत जरूरी है। हालांकि, इस संबंध में किया जा सकने वाला यह अकेला एक्सरसाइज नहीं है। इसमें प्लैंक, एक्सरसाइज बॉल वर्कआउट, ब्रीदिंग एक्सरसाइज एवं और भी कई एक्सरसाइज शामिल हैं। अपने रोज के रूटीन में कुछ न कुछ बदलाव करते रहें, जिससे आपको बोरियत ना हो। 

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