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जब आप गर्भवती होती हैं, तो आप चाहती हैं कि आपका बच्चा हेल्दी रहे और आपकी प्रेगनेंसी के दौरान किसी प्रकार के कोई कॉम्प्लिकेशन न रहे, क्यों आप भी ऐसा ही चाहती हैं न? लेकिन गर्भावस्था का यह सफर आसान नहीं होता है। इस दौरान होने वाली कुछ ऐसी कंडीशन भी हैं, जिनके बारे में किसी को जानकारी नहीं होती है, लेकिन वे होती हैं। फिफ्थ डिजीज एक ऐसी ही कंडीशन है, जो गर्भावस्था के दौरान एक महिला को प्रभावित कर सकती है। आइए इस कंडीशन पर विस्तार से जानते हैं।
फिफ्थ डिजीज एक वायरल इन्फेक्शन है, जो गर्भावस्था के दौरान पर्वो वायरस बी19 के कारण होता है या बचपन में होता है। इस बीमारी से प्रभावित महिलाओं को अपनी बाहों, पैरों या गालों पर हल्के रैशेज दिखाई दे सकते हैं । इसे आमतौर पर ‘स्लैपड चीक’ भी कहा जाता है। यह बचपन में होने वाली एक कॉमन बीमारी है, जो बॉडी फ्लूइड, खांसी, या छींकने के माध्यम से ट्रांसफर हो सकती है। हालांकि इससे बचपन में कोई प्रॉब्लम नहीं होती है, लेकिन अगर यह बीमारी गर्भवती महिला को हो जाए और इसका समय पर इलाज न किया जाए तो इससे बच्चे को खतरा हो सकता है।
फिफ्थ डिजीज पर्वो वायरस बी19 के कारण होता है। यह एक फैलने वाला रोग है और इन्फेक्टेड व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैल सकता है। इस वायरस से संक्रमित होने के बाद 4 से 14 दिनों के बीच फिफ्थ डिजीज डेवलप होने लगता है।
फिफ्थ डिजीज की पुष्टि करने वाले लक्षण और संकेत आपको नीचे दिए गए हैं:
ज्यादातर, बच्चों में रेड रैशेस दिखाई देते हैं, जबकि बड़ों में अन्य लक्षणों का अनुभव होता है।
अगर ऊपर बताए लक्षणों से आपको फिफ्थ डिजीज होने का संदेह है, क्योंकि आप संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आई थी, तो पहली चिंता यह होती है कि आपका बच्चा इससे प्रभावित न हो। जैसे ही आप लक्षणों को नोटिस करती हैं, आपको तुरंत मेडिकल एक्सपर्ट के पास जाना चाहिए। वो फिफ्थ डिजीज के बारे में जानने के लिए ब्लड टेस्ट करेंगे। पर्वो वायरस बी19 की जांच करने के लिए स्कैन किया जा सकता है, जिससे आपको नीचे बताई गई चीजों का पता चलता है:
यह पता लगाने के लिए कि आपको गर्भावस्था के दौरान फिफ्थ डिजीज है या नहीं, आपके डॉक्टर आपको अपनी गर्भावस्था के 8-12 सप्ताह के दौरान एक्स्ट्रा अल्ट्रासाउंड करने के लिए कह सकते हैं, ताकि वह गर्भावस्था के दौरान होने वाले किसी भी कॉम्प्लिकेशन पर नजर रख सके। अगर अल्ट्रासाउंड में आपके बच्चे को इन्फेक्शन होने संकेत मिलते हैं, तो आपके डॉक्टर बीमारी की पुष्टि करने और उसकी गंभीरता का पता लगाने के लिए एक कॉर्डोसेंटेसिस या एमनियोसेंटेसिस का सुझाव देंगे।
5% संभावना है कि फिफ्थ डिजीज के कारण गर्भावस्था के दौरान कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं। यदि गर्भावस्था के दौरान आप में फिफ्थ डिजीज पाया जाता है, तो आपका बच्चा एनीमिया से पीड़ित हो सकता है। एनीमिया हेल्दी रेड ब्लड सेल्स की कमी के कारण होता है। पर्वो वायरस बी19 बच्चे के रेड ब्लड सेल्स को प्रभावित कर सकता है और इस प्रकार बच्चा एनीमिक हो सकता है। नीचे गर्भावस्था के दौरान फिफ्थ डिजीज से जुड़े कुछ जोखिम दिए गए हैं। यदि बच्चा गर्भ में इस वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो इससे कुछ कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं:
गर्भावस्था के दौरान इसे ठीक करने के लिए कोई ट्रीटमेंट या मेडिसिन मौजूद नहीं है। फिफ्थ डिजीज के अधिकांश मामले गंभीर नहीं होते हैं और खुद ब खुद ठीक हो जाते हैं। हालांकि, अगर इस बात का पता चलता है कि आपका बच्चा भी इससे संक्रमित है, तो इसके लिए कई ट्रीटमेंट कोर्स हैं:
जैसा कि वर्तमान समय में फिफ्थ डिजीज के लिए कोई ट्रीटमेंट या टीका नहीं है, इसे रोकने का सबसे अच्छा तरीका है पहले से ही बचाव करना। ठीक से सावधानी बरतने से इस बीमारी से निपटा जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान इस बीमारी से इन्फेक्टेड होने से बचने के लिए आप नीचे बताए गए तरीके अपना सकती हैं:
अच्छी बात यह है कि ये सभी मेथड फिफ्थ डिजीज से इन्फेक्टेड होने से रोकने का काम करते हैं और बैक्टीरिया व अन्य वायरस इन्फेक्शन से बचने में आपकी मदद करते हैं।
गर्भावस्था के दौरान, यदि आपको लगता है कि आप किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आए हैं, जिसे फिफ्थ डिजीज है या उसमें इसके लक्षण दिखाई देना शुरू हो गए हैं और लगातार बने हुए हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यदि आपको रैशेज हो रहे हैं साथ ही अन्य लक्षण भी दिखाई दे रहे हैं, तो आपके डॉक्टर इसकी पुष्टि करने के लिए ब्लड टेस्ट करवा सकते हैं। इसके बाद आपके बच्चे की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाएगा। डॉक्टर बच्चे से संबंधित रिस्क के बारे में आपसे बात करेंगे और उसके अनुसार आपको मेडिकल ट्रीटमेंट भी बताएंगे।
आपको गर्भावस्था के दौरान इस रोग के संपर्क में आने का खतरा अधिक हो सकता है, अगर आपको पहले से ही कोई बीमारी है जिसकी वजह से आपकी इम्युनिटी कमजोर है, जैसे कैंसर, ल्यूकेमिया, एचआईवी या ऑर्गन ट्रांसप्लांट। हालांकि, फिफ्थ डिजीज के बारे में अच्छी बात यह है कि यह गंभीर रूप से नहीं होती है और आमतौर पर अपने आप चली जाती है। केवल दुर्लभ मामलों में यह आपके बच्चे को प्रभावित करती है और इसके बावजूद अगर ठीक से ध्यान रखा जाए तो आप एक हेल्दी बच्चे को जन्म दे सकती हैं। एक बार फिफ्थ डिजीज होने के बाद यह बीमारी दोबारा नहीं होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक बार जब आप पर्वो वायरस बी19 इन्फेक्शन से ठीक हो जाती हैं, तो आपका शरीर इससे इम्युनिटी विकसित कर लेता है और भविष्य में फिर इस बीमारी से इन्फेक्टेड होने से बचाता है। इसलिए निश्चिंत रहें, जागरूक रहें और अपनी गर्भावस्था के इन अहम पलों को खूब एंजॉय करें!
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