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डॉक्टर भी मानते हैं कि यदि गर्भावस्था में कोई कॉम्प्लीकेशंस नहीं हैं तो महिलाएं हवाई जहाज से सफर कर सकती हैं। गर्भवती महिलाओं को दूसरी तिमाही में तब सफर करना चाहिए जब पहली तिमाही की मॉर्निंग सिकनेस खत्म हो जाती है और अभी तीसरी तिमाही आने में समय है जब आपको बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।
क्या गर्भवती महिलाएं एयर ट्रैवल कर सकती हैं? हाँ, यदि गर्भावस्था में कोई कॉम्प्लीकेशंस नहीं हैं तो वे एयर ट्रैवल कर सकती हैं। एक गर्भवती महिला 36 सप्ताह तक भी सफर कर सकती है। हालांकि हवाई जहाज में सफर करने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए और यदि आपका पहले भी मिसकैरेज हुआ है, बच्चे की मृत्यु हुई है या प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई है तो आपको सफर नहीं करना चाहिए। यदि आपको स्पॉटिंग, जेस्टेशनल डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और प्लेसेंटा में क्षति जैसी समस्याएं हैं जिससे खतरा हो सकता है तो आपको हवाई जहाज से सफर करने के बारे में पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
आप गर्भावस्था की दूसरी तिमाही लगभग 14 से 27वें सप्ताह में हवाई जहाज से सफर कर सकती हैं। गर्भावस्था के इस समय में महिला को बहुत अच्छा महसूस होता है। इस समय उसकी एनर्जी ज्यादा होती है और मिसकैरेज या प्रीमैच्योर का खतरा कम होता है। पहली तिमाही में ज्यादातर महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस होती है और मिसकैरेज होने का खतरा भी अधिक होता है इसलिए इस समय डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को सफर करने की सलाह नहीं देते हैं।
यदि गर्भावस्था में कोई भी कॉम्प्लीकेशंस नहीं हैं तो तीसरी तिमाही में कोई भी खतरा नहीं होगा। ज्यादातर एयरलाइन्स गर्भवती महिलाओं को बिना कोई सवाल किए 28वें सप्ताह तक सफर करने की इजाजत देती है। 7वें महीने में हवाई जहाज से सफर करने पर आपको डॉक्टर से एक कंसेंट साइन करवाना पड़ सकता है जिसमें आपकी नियत तारीख लिखी होनी चाहिए और साथ में यह भी लिखा होता है कि फ्लाइट में आपका लेबर नहीं होना चाहिए।
यदि गर्भावस्था के दौरान आप हवाई जहाज से सफर कर रही हैं तो निम्नलिखित जोखिम हो सकते हैं, आइए जानें;
फ्लाइट में लंबे समय तक बैठकर सफर करने से पैरों और पेल्विक क्षेत्र का ब्लड सर्कुलेशन धीमा होता है। इससे वेन्स में ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बढ़ता है जो गर्भावस्था के दौरान एरोप्लेन में सफर करने का मुख्य जोखिम है। यदि क्लॉट किसी महत्वपूर्ण अंग में चला जाता है, जैसे लंग्स या दिल तो इससे जीवन का खतरा भी हो सकता है। यदि गर्भावस्था के दौरान विशेषकर महिला ओवरवेट हो जाती है या उसे पहले भी डीवीटी हुआ है तो इससे अधिक खतरा हो सकता है और इसे डीप वेन थ्रोम्बोसिस भी कहते हैं।
यदि लगातार आपको नाक बंद होने की समस्या है या प्रेशर के बदलाव के प्रति आप सेंसिटिव हैं तो केबिन प्रेशर और यहाँ पर लाए एयर कंडीशनर की वजह से आपको नाक व कान में कंजेशन हो सकता है।
आसमान में ऊंचाई पर होने के कारण तेज हवा हवाई जहाज को हिला सकती है। चूंकि बहुत गंभीर रूप से हवा चलने के बारे में कोई भी नहीं बता सकता है और यदि आप अपनी जगह पर सुरक्षित तरीके से नहीं बैठती हैं तो आपको गंभीर चोट लग सकती है। यदि महिला की तीसरी तिमाही चल रही है तो इससे अत्यधिक खतरा हो सकता है जिससे काफी हानि हो सकती है।
हवाई यात्रा के दौरान ऐरोप्लेन में दूषित हवा होने की वजह से भी आपको खतरा हो सकता है। जेट इंजन के कंप्रेसर से केबिन में हवा आती है। यदि सिस्टम ठीक से फंक्शन नहीं कर रहा है तो टॉक्सिक धुंआ केबिन में भी आ सकता है। यद्यपि इससे तुरंत कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा पर कुछ प्रकार के टॉक्सिन्स गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए सही नहीं है।
लंबा सफर करते समय पैरों में फ्लूइड रुकने के कारण सूजन आ सकती है जिसे एडिमा कहते हैं। यदि महिला को गर्भावस्था में होने वाली समस्याओं का अनुभव होता है या मोशन सिकनेस की समस्या है तो प्लेन में सफर करते समय कठिनाई हो सकती है क्योंकि प्रेशर में बदलाव और मोशन से तबियत बिगड़ सकती है और मतली भी हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान फ्लाइट में सफर करते समय महिला को कई समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। यदि आपको इनमें से कोई एक या इससे ज्यादा समस्याएं होती हैं फ्लाइट में जाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें, आइए जानें;
कुछ तरीकों से आप अपनी हवाई यात्रा को आसान बना सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान हवाई यात्रा को सरल व सुखद बनाने के लिए आप निम्नलिखित टिप्स अपनाएं, आइए जानते हैं;
ट्रिप में जाने से पहले आप निम्नलिखित सावधानियां जरूर बरतें, आइए जानते हैं;
यदि आप हवाई जहाज में सफर कर सकती हैं तो सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लें। विशेषकर यदि आप विदेश जा रही हैं तो कई खतरे हैं जिसकी जानकारी और उपचार आपको पता होने चाहिए। गर्भावस्था के दौरान आपकी तबियत कैसी है और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं के आधार पर डॉक्टर बता सकते हैं कि गर्भावस्था में आपको हवाई जहाज से सफर करना चाहिए या नहीं। डॉक्टर के द्वारा लिखा हुआ कंसेंट लेने के बाद ही आप एयरलाइन्स की पॉलिसी को पूरा कर सकती हैं।
कई बार एयरलाइन्स गर्भवती महिलाओं को विशेष सपोर्ट प्रदान करती है। इसकी एक लिस्ट बनाएं और अपने लिए सबसे बेस्ट एयरलाइन चुनें। आप अपनी गर्भावस्था के बारे में उन्हें पहले से बता दें ताकि वे आपको आरामदायक सीट उपलब्ध करा सकें, फ्लाइट में फूड सर्विस का इंतजाम कर सकें, व्हीलचेयर उपलब्ध करा सकें, बैगेज के लिए मदद कर सकें और अन्य सुविधाएं दे सकें जो एक साधारण यात्री को नहीं मिलती हैं। कई एयरलाइन्स गर्भावस्था के 28 सप्ताह के बाद डॉक्टर से कंसेंट भी तैयार कराने की सुविधा देती है और 36वें सप्ताह में हवाई जहाज से सफर करने की इजाजत नहीं देती हैं इसलिए बुकिंग करने से पहले इसकी पॉलिसीज और प्रतिबंधों के बारे में जान लें।
इस बात का ध्यान रखें कि आपके पास जरूरत की सभी आवश्यक चीजें होनी चाहिए, जैसे नेक पिलो, डॉक्टर द्वारा लिखा हुआ प्रिस्क्रिप्शन, हेल्दी स्नैक्स, बहुत सारा तरल पदार्थ और सुविधाजनक कपड़े। आप सुविधाजनक सीट की बुकिंग करें ताकि आपको बैठने में तकलीफ न हो और आप टॉयलेट के पास वाली सीट बुक करें। आप अपनी सीट बेल्ट को हमेशा बांध कर रखें पर जब भी आप स्ट्रेचिंग करें तो बेल्ट को खोल दें और थोड़ी देर के लिए इधर उधर टहलें।
इमरजेंसी होने पर आप आपको हैंडल करने वाले व्यक्ति को आपकी चीजों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, जैसे डॉक्टर व परिवार में किसी का कॉन्टैक्ट नंबर और मेडिकल रिपोर्ट। कुछ और भी जानकारियां हैं जो इस लिस्ट में होनी चाहिए, जैसे;
गर्भावस्था के दौरान हवाई यात्रा करने से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब यहाँ बताए गए हैं, आइए जानें;
हाँ, यदि गर्भवस्था के दौरान महिला को कोई भी समस्या नहीं होती है तो वह 36वें सप्ताह तक बिना किसी चिंता के सफर कर सकती है। इसके अलावा ज्यादातर एयरलाइन्स डॉक्टर द्वारा साइन किए हुए कंसेंट की मांग भी करती हैं जिसमें यह लिखा होता है कि 28वें सप्ताह के बाद तक आप पूरी तरह से फिट हैं।
पहली तिमाही के दौरान मिसकैरेज होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है और यदि आपका पहले से ही मिसकैरेज हो चुका है तो यह सलाह दी जाती है कि आप हवाई यात्रा न करें। गर्भावस्था के दौरान यदि महिला हेल्दी है तो वह मिसकैरेज के खतरे के बिना ही किसी भी समय में सफर कर सकती है।
हाँ, एयरपोर्ट में स्क्रीनिंग मशीन पर चलने से कोई भी हानि नहीं होगी। धातु को डिटेक्ट करने वाली मशीने कम प्रभावी मैग्नेटिक फील्ड का उपयोग करती है जिससे शरीर में कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। अन्य सभी स्कैनर में रेडियो वेव्स या कम इंटेसिटी वाले एक्स-रे से कपड़ों की स्कैनिंग की जाती है।
वैसे तो इसका कोई भी प्रमाण नहीं है कि केबिन के प्रेशर से गर्भ में पल रहे बच्चे को हानि होती है। ऊंचाई पर केबिन के प्रेशर को बाहर के कम प्रेशर के अनुसार ही सेट किया जाता है। हालांकि यदि एरोप्लेन कमर्शियल नहीं है तो इसके केबिन का प्रेशर सेट नहीं होगा। हवाई यात्रा के दौरान ऊंचाई में कम प्रेशर और कम ऑक्सीजन की वजह से आपको हाइपोक्सिया हो सकता है या चक्कर आ सकता है। इसकी रेडिएशन की यूनिट माइक्रोसीएवेर्ट्स में होती है और यह इंस्ट्रूमेंट सिर्फ 1 माइक्रोसीएवेर्ट्स रेडिएशन का उपयोग करता है और इस मशीन की लगभग 5,00, 000 माइक्रोसीएवेर्ट्स रेडिएशन से गर्भ में पल रहे बच्चे को हानि होती है।
जब एरोप्लेन अधिक हाइट पर होता है तो सूर्य व बाहरी स्पेस की कॉस्मिक किरणों की वजह से इसका रेडिएशन बहुत कम हो जाता है। आमतौर पर इसका स्तर बहुत कम होता है जिससे कोई भी खतरा नहीं रहता है। हालांकि कुछ दुर्लभ समय में, जैसे जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म्स से हायर और लोअर लैटीट्यूड पर प्रभाव पड़ता है जिससे रेडिएशन लेवल विशेष रूप से बढ़ जाता है। नेशनल ओशनिक और एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने अपनी वेबसाइट पर स्टॉर्म के लिए अलर्ट सिग्नल लगाए हुए ताकि उन्हें जियोमैग्नेटिक स्टॉर्म के खतरे का पता पहले से ही चल सके। इस समय पर गर्भवती महिलाएं अपनी फ्लाइट् को एक या दो दिन के लिए छोड़ सकती हैं ताकि उन्हें विशेष पहली तिमाही में रेडिएशन से कोई भी खतरा न हो जो बहुत महत्वपूर्ण है।
यह संभव है कि हवाई यात्रा के दौरान हाइट और तापमान में अचानक से बदलाव आने पर आपको मतली हो सकती है। पर इसकी आदत पड़ने पर आपकी यह समस्या खत्म हो जाएगी।
निष्कर्ष
यद्यपि गर्भावस्था के दौरान आप हवाई जहाज से सफर नहीं कर रही होंगी पर कुछ ऐसी परिस्थितियां भी हो सकती हैं जिसकी वजह से आपको यह करना पड़े। सफर करने से पहले आप इससे संबंधित जोखिमों पर ध्यान दें, डॉक्टर से सलह लें और गर्भावस्था के दौरान एयर ट्रैवल करते समय सभी सावधानियां बरतें।
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