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अगर आप प्रेगनेंट हैं, तो आपने भी अचार, चॉकलेट, मिठाइयां, चिप्स और ऐसे ही कुछ विशेष खाने के लिए अचानक उठने वाली तेज इच्छा को महसूस किया होगा, इसे गर्भावस्था में होने वाली फूड क्रेविंग कहते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान भूख लगना और कोई खास चीज खाने की क्रेविंग होना आम बात है।
कभी-कभी ये इच्छाएं इतनी तेज होती हैं, कि खुद को रोकना मुश्किल हो जाता है। क्या आपने कभी यह सोचा है, कि इसका आपके बच्चे और आपके शरीर पर क्या असर होता है?
जब किसी व्यक्ति को कोई खास चीज खाने की बहुत तेज इच्छा होने लगती है, तो उसे फूड क्रेविंग कहते हैं। गर्भावस्था में यह बहुत ही आम होता है और लगभग हर महिला इस स्थिति से गुजरती है। यह खासतौर से गर्भावस्था की पहली और दूसरी तिमाही में होता है।
प्रेगनेंसी के शुरुआती चरण में मीठा, तीखा, नमकीन या खट्टी चीजें खाने का ऐसा लालच होता है, जिसमें कभी संतुष्टि नहीं मिलती। चॉकलेट, केक, मिठाइयां, अचार, डेयरी प्रोडक्ट और फल सबसे आम फूड क्रेविंग के अंतर्गत आते हैं।
आपके मन में यह सवाल जरूर उठता होगा, कि समय-समय पर ऐसी कभी ना खत्म होने वाली इच्छा क्यों होती है।
हालांकि प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली फूड क्रेविंग की कोई सटीक व्याख्या नहीं है, वहीं आमतौर पर ऐसा माना जाता है, कि यह माँ बनने वाली महिला में पोषक तत्वों की कमी को दर्शाता है। आपका शरीर गर्भावस्था के दौरान बढ़ती जरूरतों के कारण कम हो चुके विटामिन और मिनरल जैसे पोषक तत्वों की माँग करता है। पोषक तत्वों की इस कमी के कारण प्रेगनेंसी क्रेविंग होती है।
कुछ एक्सपर्ट यह भी मानते हैं, कि शुरुआती प्रेगनेंसी में होने वाली क्रेविंग शरीर में हॉर्मोनल बदलावों के कारण पैदा होती है। शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का लेवल बार-बार ऊपर-नीचे होता रहता है, जो कि दिमाग पर प्रभाव डालता है। होने वाली माँ महक और स्वाद के प्रति अत्यधिक सेंसिटिव हो जाती है, जिस कारण उसे क्रेविंग होती है।
इस बात पर यकीन करना बहुत मुश्किल है, कि कुछ महिलाओं को ऐसी क्रेविंग नहीं होती हैं। अगर आप उनमें से एक हैं, तो आपको इसके लिए चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि, किसी तरह की भी फूड क्रेविंग न होना भी बिल्कुल नॉर्मल बात है।
ऐसी स्थिति में प्रेगनेंट महिला के शरीर में अनावश्यक कैलोरी नहीं जाती और वह पोषक तत्वों से भरपूर हेल्दी खाना खा सकती हैं, जिसका उसे और उसके बच्चे को बहुत फायदा मिलता है और इन सबके कारण उसकी प्रेगनेंसी बेहतरीन रहती है।
कुछ महिलाओं को उनकी पूरी प्रेगनेंसी के दौरान क्रेविंग होती रहती है। इसकी शुरुआत पहली तिमाही में होती है, जो कि, दूसरी तिमाही में बढ़ जाती है और तीसरी तिमाही तक घट जाती है। कुछ महिलाओं में थोड़े समय के लिए अत्यधिक क्रेविंग होती है, वहीं कुछ महिलाओं को बिल्कुल भी क्रेविंग नहीं होती। ये तीनों ही परिस्थितियां बिल्कुल सामान्य हैं और इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं है। अगर आप इस बात को लेकर चिंतित हैं, कि प्रेगनेंसी के दौरान फूड क्रेविंग कितने समय तक होनी चाहिए, तो इसका जवाब बहुत ही आसान है, कि यह आपके शरीर और आपके स्वास्थ्य संबंधी परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
प्रेगनेंट महिलाओं के बीच केक, मिठाइयां, चॉकलेट, फल, मछली और कभी-कभी मीट जैसे खाद्य पदार्थों के लिए क्रेविंग होना सबसे आम बात है।
भारत में इमली और नींबू जैसी खट्टी चीजों और अचार जैसे तीखे और चटपटे खाने के प्रति क्रेविंग होने को पारंपरिक रूप से प्रेगनेंसी के साथ जोड़ा जाता है। कुछ गर्भवती महिलाएं कैलोरी और शक्कर से भरपूर खाने को भी पसंद करती हैं। यहाँ पर कुछ वैसे खाद्य पदार्थों की सूची दी गई है, जिनकी क्रेविंग गर्भवती महिलाओं में सबसे ज्यादा होती है।
प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली फूड क्रेविंग की सूची कभी खत्म नहीं हो सकती। जिस प्रकार हर महिला के बच्चे को जन्म देने का अनुभव अनोखा और अतुल्य होता है, उसी प्रकार जब खाने की बात होती है, तो उनकी पसंद और नापसंद बिल्कुल अलग हो सकती है।
प्रेगनेंसी के दौरान खुश और संतुष्ट होना किसी भी महिला के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। अगर किसी की क्रेविंग के बारे में बात की जाए, तो इन खास महीनों के दौरान, इनसे न केवल आप का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि पोषक तत्वों की जरूरतें भी पूरी होंगी। फिर भी, इसका यह मतलब नहीं है, कि आप इन्हें जरूरत से ज्यादा लें और अनावश्यक कैलोरी और वजन बढ़ा लें।
यह काम जितना आसान लगता है, उतना है नहीं। थोड़े समय के लिए इसके आगे झुकना ठीक है, पर आपको क्रेविंग्स को कंट्रोल करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए हमें पहले यह समझना पड़ेगा, कि कॉफी, पिज़्ज़ा, बर्गर, केक, पेस्ट्री, पोटैटो चिप्स और दूसरे जंक फूड अनहेल्दी क्रेविंग्स के उदाहरण हैं। खाने पीने की ऐसी कोई भी चीज, जिनमें अत्यधिक मात्रा में कैलोरी और शक्कर पाया जाता हो और पोषक तत्व बहुत कम होते हों, तो वह निश्चित तौर पर आपके शरीर और आपके बच्चे के लिए नुकसानदायक होता है।
कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान फलों और सब्जियों की क्रेविंग होती है। हेल्दी क्रेविंग में नीचे दिए गए भोजन शामिल हैं:
आपको जितना संभव हो सके अपनी डाइट में इन चीजों को शामिल करना चाहिए।
आपकी क्रेविंग | विकल्प |
आइसक्रीम | फ्लेवर वाले योगर्ट, इसे आप अपने पसंदीदा फल के साथ घर पर भी बना सकती हैं |
कोला | लेमनेड या ताजे फलों का जूस |
डोनट | फ्राई किए हुए डोनट्स की जगह पर बेक किए हुए डोनट्स लेने की कोशिश करें और उनके ऊपर अपना पसंदीदा जैम या कम शक्कर वाली टॉपिंग रखें |
केक | मैदे से बने केक की बजाय आटे से बने केक का चुनाव करें या नारियल का बूरा, शहद केले, बादाम दूध और ऐसी ही चीजों से घर पर ही हेल्दी केक बनाएं |
शुगर कोटेड सीरियल | नट्स, ताजे फल, शहद या ब्राउन शुगर के साथ म्यूजली को चुनें |
आलू के चिप्स | लो सोडियम वाले बेक किए हुए चिप्स या भुने हुए नमकीन नट्स |
संडे टॉपिंग | अपने पसंदीदा संडे की टॉपिंग के लिए अपनी पसंदीदा बेरी, कटे हुए फल, या शहद का चुनाव करें |
भारी सिरप में लिपटे डिब्बाबंद फल | ताजे फल एक बेहतर विकल्प है, क्योंकि वे न केवल आर्टिफिशियल शक्कर से दूर होते हैं, बल्कि उनमें डिब्बाबंद फलों की तरह केमिकल और बैक्टीरिया का खतरा भी नहीं होता है |
फैट से भरे या कच्चे मीट | अच्छी तरह से पका हुआ लीन मीट एक बेहतर विकल्प है |
प्रोसेस्ड चीज़ | घर में बना ताजा पनीर या टोफू भी उतनी ही संतुष्टि देता है |
कई गर्भवती महिलाएं किसी विशेष खाने या खाने के प्रकार को बहुत ज्यादा नापसंद करने लगती हैं। ऐसी नापसंद होने वाली चीजों में कुछ ऐसी चीजें भी हो सकती हैं, जिन्हें आप पहले बहुत ज्यादा पसंद करती थीं।
फूड क्रेविंग्स की तरह ही नापसंदगी भी शरीर में होने वाले हॉर्मोनल बदलावों के कारण होती है। माँ बनने वाली महिला में हॉरमोंस इतने ज्यादा उलट-पलट होते हैं कि उसके सोचने की शक्ति और स्वाद बहुत अधिक प्रभावित हो जाते हैं। इससे हो सकता है, कि वह कुछ खाद्य सामग्रियों को सख्ती से दूर कर दे। यह इस बात का भी संकेत हो सकता है, कि माँ के शरीर को किस चीज की जरूरत नहीं है। हालांकि, इस बात का कोई पुख्ता प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
आप क्या कर सकती हैं?
अपने शरीर की बात को सुनना स्वाभाविक है, लेकिन खाने के प्रति अत्यधिक नापसंदगी होने से आपके पोषक तत्वों में कमी आ सकती है। इसलिए, दूसरे हेल्दी विकल्पों को चुनने की कोशिश करें।
अपने आहार पर नजर रखें, पर इसे बिल्कुल किनारे ना करें।
आमतौर पर फूड क्रेविंग के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं होती है। यह गर्भावस्था और माँ बनने के अनुभव का एक हिस्सा है और लगभग हर गर्भवती स्त्री इस दौर से गुजरती है। लेकिन कई बार ऐसी चीजों के प्रति क्रेविंग होने लगती है, जो कि खाने की चीज नहीं होती है। लेकिन यह हानिकारक हो सकता है और ऐसी स्थिति में आपको सावधान रहना चाहिए।
कुछ प्रेगनेंट महिलाओं को चॉक, साबुन, धूल, मिट्टी जैसी चीजें खाने की इच्छा होने लगती है। पीआईसीए आइटम्स के लिए क्रेविंग होना सीवियर एनीमिया या किसी तरह के मिनरल की कमी का संकेत हो सकता है।
धूल और मिट्टी जैसे पदार्थों में लेड होता है, जिससे बच्चे को नुकसान हो सकता है। लेड गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास को नुकसान पहुँचाता है और उसमें बहरापन, मोटर स्किल डेवलपमेंट में कमी, वरबल आईक्यू में कमी, सीखने में अक्षमता और अटेंशन डिफिसिट डिसऑर्डर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
हालांकि, यह स्थिति बहुत ही दुर्लभ है और सबसे सुरक्षित यही है, कि ऐसे में तुरंत आपने डॉक्टर को बताया जाए, ताकि भविष्य के लिए तैयार रह सकें।
ऐसे कुछ खाद्य पदार्थ होते हैं, जिन्हें आपको प्रेगनेंसी के दौरान नहीं लेना चाहिए। क्योंकि, उनमें हानिकारक तत्व होते हैं और वे आपके अंदर पल रहे बच्चे को नुकसान पहुँचा सकते हैं। ऐसे पदार्थों में मरकरी, बैक्टीरिया या लिसटेरिया शामिल हैं। अगर आप प्रेगनेंट हैं, तो सबसे बेहतर है, कि डेली मीट, कच्चे अंडे, स्मोक्ड सी फूड, और बिना धुली हुई सब्जियों से दूर रहें।
माँ बनने का सफर एक ऐसा अनुभव है, जिसमें चिंता से ज्यादा आनंद उठाना चाहिए। आप खाने की प्रति पसंद या नापसंद पर काबू नहीं कर सकतीं, पर आप नियंत्रण में रह सकती हैं। आसान प्रेगनेंसी के लिए नीचे दिए गए इन टिप्स का अनुसरण करें:
गर्भवती माँ के रूप में आपका शरीर अनगिनत बदलावों से गुजरता है। आप खाने के प्रति पसंद और नापसंद के लक्षणों को रोक नहीं सकती हैं, लेकिन, समझदारी से इनसे निपट जरूर सकती हैं। याद रखें, आपके बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए उचित पोषण की जरूरत है। बिना सोचे समझे अधिक कैलोरी और शक्कर वाले भोजन का सेवन करने से बहुत ज्यादा वजन बढ़ना, जेस्टेशनल डायबिटीज आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अंत में आपको सिर्फ इतना ही करना है, कि अच्छा खाना खाएं, अच्छी नींद लें और इस खूबसूरत समय को इंजॉय करें।
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