गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान स्क्वाट्स कैसे करें

गर्भावस्था एक ऐसा चरण है जिसमें माएं शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से बहुत सारे बदलावों से गुजरती हैं। अपने शरीर को डिलीवरी के लिए तैयार करने के लिए एक्सरसाइज एक अच्छा तरीका है। एक्सरसाइज और प्रेगनेंसी निस्संदेह एक दूसरे से सकारात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। 

अब स्क्वाटिंग में ऐसी क्या खास बात है कि इसके बारे में सोचने की जरूरत है? ऐसा इसलिए है, क्योंकि फिटनेस और सकारात्मकता बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज करने के अलावा, ऐसी खास एक्सरसाइज को करना अच्छा होता है, जो आपके शरीर की इस वर्तमान स्थिति के लिए अधिक फायदेमंद हो। प्रेगनेंसी और डिलीवरी के लिए पेट, कमर और जांघों की मांसपेशियों के सुडौल होने की जरूरत होती है। जिसके लिए स्क्वाटिंग बहुत अच्छा काम करती है। हालांकि, यह जरूरी है कि स्क्वाटिंग सही तरीके से की जाए। 

क्या गर्भावस्था के दौरान एक्सरसाइज करना सुरक्षित है?

हां, गर्भावस्था के दौरान एक्सरसाइज करना सुरक्षित है, पर इसके लिए कुछ नियम और सावधानियां भी जरूरी हैं। सही समय पर सही तरीके से सही एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है। बल्कि, प्रेगनेंसी में स्क्वाट्स करना बहुत फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि यह आपके शरीर के निचले हिस्से को मजबूत बनाता है, जिसपर डिलीवरी के दौरान बहुत दबाव आता है। 

गर्भावस्था के दौरान स्क्वाटिंग के बेहतरीन फायदे

एक्सरसाइज चाहे सामान्य हो या खास, प्रेगनेंसी और डिलीवरी के दौरान इसके बहुत फायदे देखे जाते हैं। स्क्वाटिंग, एक्सरसाइज का एक पारंपरिक तरीका है और दाइयां भी प्रेग्नेंट महिलाओं को इसकी सलाह देती हैं। इसके कुछ फायदे यहाँ दिए गए हैं: 

1. शरीर का सही वजन

प्रेगनेंसी के दौरान अगर वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए, तो यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। बहुत ज्यादा फैट के सेवन से बढ़ने वाला वजन अच्छा नहीं माना जाता है। तुलनात्मक अध्ययनों ने यह साबित किया है, कि जो महिलाएं पहले से एक्टिव रही और प्रेगनेंसी के दौरान भी एक्सरसाइज को जारी रखा, उनका वजन एक्सरसाइज छोड़ देने वाली प्रेगनेंट महिलाओं की तुलना में अधिक स्वस्थ था।

2. हृदय संबंधी स्वास्थ्य

प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज और स्क्वाटिंग के द्वारा हृदय से संबंधित स्वास्थ्य, सहनशीलता और मांसपेशियों की ताकत को मेंटेन किया जा सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान हमारे शरीर के सिस्टम में बहुत से बदलाव आते हैं। खासकर, हृदय संबंधी सिस्टम में खून की मात्रा बढ़ जाती है, हार्ट रेट और कार्डियक आउटपुट भी बढ़ जाता है। इस दौरान शिथिल पड़े रहना अच्छा नहीं माना जाता है। 

3. मांसपेशियों की ताकत

आपके पूरे शरीर का थोड़ा वजन बढ़ जाता है। इस वजन का भार आपके पैरों पर आता है और आपकी कमर पर भी इसका दबाव पड़ता है। प्रेगनेंसी के दौरान स्क्वाट्स करने से आपको सही पोस्चर बनाने में मदद मिलती है और यह आप पर और आपके बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव डाले बिना आपके घुटनों पर आने वाले तनाव से बचाता है। 

4. बेहतर पोस्चर

प्रेगनेंसी में कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है और स्क्वाटिंग इसका एक उपाय है। शरीर के पोस्चर और मेकैनिक्स को बेहतर बनाने से कमर के इस दर्द में कमी आती है, जो कि प्रेगनेंसी के दौरान एक आम समस्या होती है। प्रेगनेंसी में जब आप स्क्वाट्स करती हैं, तो कमर के दर्द के आम प्रकार – लूमबर पेन और बैक ऑफ द पेल्विस पेन, दोनों पर ही अच्छा असर होता है। 

5. प्रेगनेंसी के कारण आने वाली दिक्कतों का इलाज और बचाव

जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज की संभावना होती है, उनमें एक्सरसाइज की मदद से बचाव और रोकथाम देखा गया है। एक्सरसाइज करने से लिवर और मांसपेशियों में मौजूद ग्लाइकोजन बढ़ता है, जिससे हाइपोग्लाइसीमिया की तकलीफ कम होने के साथ-साथ ग्लूकोस टोलरेंस और इन्सुलिन सेंसटिविटी में बेहतरी आती है, और इससे बचाव और रोकथाम कर पाना संभव हो पाता है। पर जिन महिलाओं को पहले से ही जेस्टेशनल डायबिटीज है, उन्हें सही सलाह और गाइडेंस के अंदर एक्सरसाइज की जरूरत है। 

प्रेगनेंसी इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन, प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली एक और समस्या है, जो कि खतरनाक हो सकती है।  कुछ अध्ययनों से इस बात का पता चला है, कि प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने से, इस दौरान होने वाली हाइपरटेंशन डिसऑर्डर्स से सुरक्षा मिलती है। 

शुरुआती प्रेगनेंसी में मिसकैरेज का खतरा हमेशा ही होता है। प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में फीटस मालफॉर्मेशन का खतरा भी होता है। यही कारण है, कि पहली तिमाही के दौरान एक्सरसाइज के लिए ये सावधानियां बरतनी चाहिए। 

6. छोटी-छोटी तकलीफों से आराम

स्क्वाटिंग से प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली आम समस्याओं, जैसे – कब्ज, पेशाब पर नियंत्रण ना होना, वेरीकोस वेंस, इनसोम्निया और पैरों में दर्द और खिंचाव जैसी आम समस्याओं में कमी आती है। कुछ महिलाएं यह भी बताती हैं, कि 3 से 5 मिनट के एक्सरसाइज से मॉर्निंग सिकनेस की परेशानी में कमी आती है। 

7. आसान लेबर

यह साबित हो चुका है, कि जो महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान एक्टिव रहीं और प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में स्क्वाट्स किया, समय पूरा होने पर उनका लेबर जल्दी शुरू हो गया, लेबर की अवधि कम हो गई, लेबर के दौरान आने वाली परेशानियां भी कम हुईं और उनसे जन्मे बच्चे भी हाइ एपीजीएआर स्कोर के साथ पैदा हुए (नवजात शिशु के स्वास्थ्य का अनुमान लगाने के लिए पीडियाट्रिशियन एपीजीएआर स्कोरिंग करते हैं। यह स्कोर जितना ज्यादा होता है, बच्चे को उतना ही स्वस्थ माना जाता है)। 

साथ ही, हाल ही में लेबर उत्पन्न करने और स्क्वाट्स की पोजीशन में डिलीवरी करने के लिए स्क्वाट्स स्कूल को बहुत महत्व दिया गया है। यहाँ तक, कि कई हॉस्पिटल अब अपने लेबर रूम टेबल को कुछ इस तरह से डिजाइन कर रहे हैं, जिस पर स्क्वाटिंग की पोजीशन में डिलीवरी कराई जा सके और प्रेगनेंसी में लेबर को उत्पन्न करने के लिए स्क्वाट्स किया जा सके। 

8. तेज रिकवरी

प्रेगनेंसी के दौरान जो माँ एक्टिव रहती है, वह जल्दी रिकवर कर लेती है और एनर्जी, दर्द, मांसपेशियों की मजबूती, वजन, सुडौल पेट और मजबूती आदि के मामले में प्रेगनेंसी के पहले वाली स्थिति में बहुत जल्दी आ जाती है।  

9. मनोवैज्ञानिक फायदे

इसमें कोई शक नहीं है, कि प्रेगनेंसी और डिलीवरी के बाद का समय खूबसूरत होता है। पर, इन सब से माँ के ऊपर मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी देखा जाता है। प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने से माँ की मानसिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे डिप्रेशन में कमी आती है और आत्मसम्मान और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।

विभिन्न प्रकार की स्क्वाटिंग एक्सरसाइज जो आप कर सकती हैं

यहाँ पर प्रेगनेंसी के दौरान स्क्वाट्स की विधि के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है। प्रेगनेंसी के दौरान अलग-अलग तरह के स्क्वाटिंग पोजीशन के बारे में पढ़ें और जानें, कि आप उन्हें कैसे कर सकती है: 

1. सुमो स्क्वाट्स

  • सीधी खड़ी हो जाएं, जिससे आपकी रीढ़ सीधी रहे।
  • अपने पैरों के बीच दूरी बनाएं यह दूरी आपकी कंधों की चौड़ाई से थोड़ी ज्यादा होनी चाहिए। अपने पैरों  को थोड़ा सा कुछ इस तरह से घुमाएं कि आपके पैरों की उंगलियां बाहर की ओर रहें।
  • अपनी बाहों को अपने सामने की ओर फैलाएं। चाहें तो इसके लिए डंबबेल का इस्तेमाल भी कर सकती हैं या फिर अपने हाथों को अपने कूल्हों पर टिका दें।
  • अब अपनी पीठ को बिल्कुल सीधा रखते हुए अपने घुटनों को धीरे से मोड़ें।
  • अपनी सुविधानुसार नीचे जाएं, साथ ही अपनी जांघों और अंदरूनी हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव को महसूस करें।
  • इतना नीचे न जाएं कि आपके घुटनों पर जोड़ पड़ने लगे।

2. वॉल स्क्वाट्स (हाफ)

  • वॉल स्क्वाट एक्सरसाइज के लिए आपको एक चिकनी सतह वाली दीवार की जरूरत होगी। अगर उस पर टाइल्स लगी हो तो अच्छा होगा और भी ज्यादा सुविधा के लिए आप एक्सरसाइजिंग बॉल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
  • अपने पैरों को कंधों की चौड़ाई जितनी दूरी पर रखें और दीवार से दूर रखें।
  • आप चाहें तो बॉल को दीवार और अपनी पीठ के बीच रख सकती हैं, जिससे स्लाइडिंग करना आसान हो जाए या फिर सिंपल तरीके से दीवार से अपनी पीठ को लगा लें।
  • अब धीरे-धीरे अपने घुटनों को सामने की ओर रखते हुए मोड़ें। पीठ को दीवार पर टिकाएँ और नीचे की ओर स्लाइड करें।
  • गहरी सांस लें और धीरे-धीरे उसे छोड़ें।
  • आप केवल उतना ही स्क्वाट करें जितना करने में आपको सुविधा महसूस हो और आपके घुटनों पर कम से कम दबाव पड़े।
  • हाथों को बाहर की ओर फैलाने से आपको बैलेंस मिलेगा। आप अपने हाथों को अपने घुटनों पर भी रख सकती हैं।
  • अब दीवार या बॉल के सहारे टिके हुए अपने शरीर को ऊपर की ओर स्लाइड करें।

3. वॉल स्क्वाट स्लाइडिंग डाउन (फुल)

  • यह स्क्वाट, वॉल स्क्वाट हाफ के जैसा ही है।
  • इसमें आपको चिकनी दीवार के साथ-साथ कुछ तकियों की जरूरत पड़ेगी।
  • बॉडी का पोजीशन वैसा ही रहेगा, बस आपको इसमें बॉल की जरूरत नहीं है।
  • तकियों को दीवार के सामने की ओर फर्श पर रखें और उनके सामने खड़ी हो जाएं।
  • धीरे-धीरे नीचे की ओर स्लाइड करते हुए सपोर्ट के लिए तकियों के ऊपर लैंड करें।
  • धीरे-धीरे ऊपर की ओर स्लाइड करें।

4. सिंपल स्क्वाट्स

  • अपने पैरों के बीच कंधों की चौड़ाई जितनी दूरी बना कर खड़ी हो जाएं।
  • खुद को स्टेबल करने के लिए अपने पैरों को बाहर की ओर मोड़ें।
  • अपने हाथों को दोनों तरफ ढीला छोड़ दें।
  • एक गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए, घुटनों को मोड़ते हुए, नीचे की ओर जाना शुरू करें।
  • आपके पैरों के बीच इतनी दूरी होनी चाहिए, कि आपका पेट उसमें आराम से फिट हो जाएं।
  • नीचे जाते समय अपनी हथेलियों को घुटनों पर रखकर खुद को सपोर्ट दें।
  • आगे की ओर थोड़ा बेंड हो जाएं, ताकि आपका बैलेंस ना बिगड़े।
  • अपनी पीठ को खींचे और इस पोजीशन को कुछ देर के लिए होल्ड करें। इससे आपके कमर के निचले हिस्से की मांसपेशियों को आराम मिलेगा।
  • ऐसा करते हुए अपनी एड़ियों को ऊपर ना उठाएं।

5. द चेयर स्क्वाट्स

  • एक मजबूत कुर्सी को दीवार से इस तरह लगाएं, कि वह पीछे की ओर स्लाइड ना करें।
  • कुर्सी के सामने खड़ी हो जाएं।
  • अपने पैरों के बीच कंधों की चौड़ाई जितनी दूरी बनाएं और अपने पैरों की उंगलियों को बाहर की ओर रखें।
  • बेहतर संतुलन के लिए अपने हाथों को बाहर की ओर फैलाएं।
  • अब धीरे से अपने ग्लूटेस (कूल्हों की मांसपेशियां) को नीचे की ओर कुर्सी की तरफ लाएं, जैसे कि आप इस पर बैठने वाली हों।
  • अपनी ग्लूटील मांसपेशियों और जांघों के मांसपेशियों के इस्तेमाल से यह बहुत धीरे-धीरे करें।
  • धीरे-धीरे गहरी सांस लें।
  • अपने कूल्हों की मांसपेशियों को थोड़ा सा सटाते हुए कुर्सी पर बैठें। आपकी जांघों की मांसपेशियां अभी भी काम पर लगी होनी चाहिए।
  • अब इन्हीं मांसपेशियों का इस्तेमाल करते हुए धीरे-धीरे खड़ी हो जाएं और पहले की पोजीशन में आ जाएं।
  • इसके लिए घुटनों का सपोर्ट न लें।

6. पेल्विक मांसपेशियों के कॉन्ट्रैक्शन के साथ डीप स्क्वाट होल्ड

  • दीवार की ओर देखते हुए वाइड सुमो स्क्वाट पोजीशन में खड़ी हो जाएं।
  • अपनी सुविधानुसार आप जितना स्क्वाट कर सकती हैं उतना करें।
  • अपने हाथों को बाहर की ओर फैलाये रखें। अगर जरूरत पड़े तो आप अपनी हथेलियों को दीवार पर रखकर संतुलन बना सकती हैं, पर दीवार पर पीठ को ना टिकाएं।
  • स्क्वाट की पोजीशन में रहते हुए होल्ड करें और अपनी पेल्विक मांसपेशियों में खिंचाव लाएं, जैसे कि आप पेशाब को रोकने की कोशिश कर रही हों।
  • अगर हो सके, तो इसी पोजीशन में रुक कर पेल्विक मसल्स को दो बार खींचे और छोड़ें। इससे आपका एब्डोमन भीं खिंचेगा और रिलीज होगा।
  • अब धीरे से खड़ी हो जाएं।
  • ऐसा करने के लिए आप कुर्सी की पीठ का सहारा भी ले सकती हैं।

सुरक्षित रूप से स्क्वाट्स करने के टिप्स

प्रेगनेंसी के दौरान स्क्वाटिंग करने के बारे में कुछ मतभेद भी हैं, जिनके बारे में आपको जानना चाहिए। खुद स्क्वाटिंग शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लेना सबसे अच्छा है। 

1. अगर आप इसे पहली बार कर रही हैं

स्क्वाटिंग आपके लिए सुरक्षित है या नहीं, यह जाने बिना इसे करना बिल्कुल गलत है। अगर आप यह सोच रही हैं, कि प्रेगनेंसी के दौरान स्क्वाट्स कैसे किए जाएं, तो आपको पहले यह देखना चाहिए, कि यह आपके लिए सुरक्षित है भी या नहीं। 

इसके बारे में इंटरनेट पर बहुत सारी जानकारी उपलब्ध है, पर जब तक आपका डॉक्टर आपको इसके लिए हरी झंडी नहीं दिखा देता और आपको इसके फायदे, खतरे और सावधानियां नहीं बता देता, तब तक आप को इसे नहीं करना चाहिए। देखा जाए तो एक्सरसाइज के दौरान जो पोस्चर बनाया जाता है, उसमें शरीर के ऊपरी हिस्से को बार-बार झुकाना और उठाना पड़ता है, जो कि कमर के निचले हिस्से से संबंधित लुंबर डिसऑर्डर का बड़ा खतरा भी साथ लेकर आता है, और जिसके कारण मिसकेरेज या प्रीमेच्योर लेबर तक भी हो सकता है। 

इस एक्सरसाइज को शुरू करने या दोबारा शुरू करने से आपको चार बातों का खतरा हो सकता है, जो कि इस प्रकार है: 

  • शारीरिक चोट
  • किसी बीमारी का खतरा या कोई गंभीर लंबी बीमारी
  • हमेशा रहने वाले वाला पेट या पेल्विक क्षेत्र के दर्द की शुरुआत
  • और अंत में अबनॉर्मल या भारी वेजाइनल ब्लीडिंग

2. सख्त मनाही (एक्सरसाइज बिल्कुल भी न करने की सलाह)

अगर आपको इनमें से किसी भी बात का अनुभव होता है, तो आपको सलाह दी जाएगी, कि आप किसी भी तरह की एक्सरसाइज ना करें: 

  • कार्डियोवैस्कुलर, सिस्टमिक या रेस्पिरेटरी बीमारियां
  • अनियंत्रित हाइपरटेंशन, डायबिटीज या थायराइड की बीमारी
  • टूटी हुई झिल्ली या प्रीमेच्योर लेबर
  • पहली तिमाही के बाद हमेशा रहने वाली ब्लीडिंग
  • अयोग्य सरविक्स
  • प्रेगनेंसी के कारण होने वाला गंभीर हाइपरटेंशन
  • मल्टीपल प्रेगनेंसी (ट्रिपलेट्स आदि)
  • कमजोर फेटल विकास

3. सावधानी के साथ एक्सरसाइज करने की सलाह

इसमें परिस्थिति के अनुसार सावधानीपूर्वक मानिटरिंग और देखभाल के साथ ही एक्सरसाइज की जा सकती है।

अगर आप प्रेगनेंसी के दौरान नीचे दिए गए लक्षणों में से किसी का अनुभव कर रही हैं, तो आप एक्सरसाइज कर सकती हैं, लेकिन इसमें आपको अतिरिक्त देखभाल और गाइडेंस की जरूरत होगी। 

  • अगर आपको पहले प्रीमेच्योर डिलीवरी हो चुकी है (3 या उससे ज्यादा)।
  • डायबिटीज।
  • रैपिड लेबर या खराब फेटल विकास जैसी कोई समस्या जो पहले हो चुकी हो।
  • शुरुआती प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग
  • खराब जीवनशैली या खराब फिटनेस लेवल
  • 28 हफ्तों के बाद ब्रीच प्रेजेंटेशन
  • अर्ररिदीमियाऔर पैल्पिटेशंस की समस्या
  • एनीमिया या आयरन की कमी
  • असामान्य वजन – जरूरत से कम या जरूरत से ज्यादा

प्रेगनेंसी के दौरान स्क्वाट्स या कोई दूसरी एक्सरसाइज के दौरान सावधानियां

इस फील्ड के कई प्रोफेशनल संस्थानों और रिसर्चकर्ताओं ने प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज के बारे में कुछ गाइडलाइन प्रस्तुत की हैं। यहाँ पर हैमर एट एल द्वारा पेरिनेटल एजुकेशन के जर्नल में प्रेगनेंसी में सुरक्षित रूप से स्क्वाट्स करने के कुछ टिप्स दिए गए हैं: 

  • एक्सरसाइज करने से पहले अपने डॉक्टर से बातचीत करके उनकी अनुमति लें।
  • एक्सरसाइज की सलाह व्यक्ति विशेष की जरूरतों के अनुसार होनी चाहिए।
  • विराम युक्त एक्टिविटी के लिए नियमित रूप से हल्की से मध्यम एक्सरसाइज की सलाह दी जाती है।
  • अगर आपने इससे पहले एक्सरसाइज नहीं किया है, तो एक्सरसाइज की तीव्रता और अवधि को धीरे-धीरे बढ़ाएं।
  • आपकी अधिकतम हार्ट रेट 155 बीट्स प्रति मिनट होनी चाहिए। हालांकि, व्यक्ति विशेष के अनुसार इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
  • टहलना, साइकिल चलाना, स्विमिंग, हल्के-फुल्के एरोबिक्स और स्ट्रेचिंग जैसी गतिविधियों की सलाह दी जाती है।
  • चौथे महीने के बाद लापरवाह पोजीशन में एक्सरसाइज ना करें, लंबे समय तक बिना किसी गतिविधि के खड़ी ना रहें।
  • थकान महसूस होने पर एक्सरसाइज करना बंद कर दें और खुद को अत्यधिक थकावट की स्थिति में पहुँचने न दें, भरपूर आराम करें।
  • ऐसे एक्सरसाइज ना करें जिसमें संतुलन बिगड़ने का डर हो।
  • एक दिन में 150 से 300 अतिरिक्त कैलोरी का सेवन करें और एक्सरसाइज के पहले, दौरान और बाद में भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें ।
  • गर्म या ह्यूमिड मौसम होने पर या बुखार होने पर व्यायाम न करें। ऐसे कपड़े पहनें जो ठंडक दें और शरीर से चिपके हुए न हों।
  • मांसपेशियों में मौजूद ग्लाइकोजन की जगह पर कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट पर जोर दें।
  • गर्मी, उमस या बुखार की स्थिति में एक्सरसाइज ना करें। ऐसे कपड़े पहने जो ठंडे हो और हवा आ जा सके।
  • बाउंसिंग और झटके वाली गतिविधियों को कम करें और तीसरी तिमाही के दौरान बंद कर दें।
  • ऊंचाई वाली गतिविधियों और स्कूबा डाइविंग से दूर रहें।
  • प्रेगनेंसी के शुरुआती 16 हफ्तों के दौरान खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सेदारी मान्य है, पर इसके बाद खेलों  से दूर रहना चाहिए।
  • मजबूती बनाने और बनाए रखने के लिए हल्के से मध्यम वजन को उठाया जा सकता है। पर सांस फूलने से बचना चाहिए।

खतरे के संकेतों को पहचान कर एक्सरसाइज बंद करें और अपने प्रीनेटल स्वास्थ्य सलाहकार से बात करें। 

आपको स्क्वाटिंग कब बंद करना चाहिए?

प्रेगनेंसी के दौरान ऐसे कुछ उदाहरण हैं, जिसमें स्क्वाट्स नहीं करने की सलाह दी जाती है। उदाहरण के लिए अगर आपका बच्चा सही पोजीशन में नहीं है, जैसे – जब बच्चा ब्रीच पोजिशन में होता है, तो उसका नीचे का भाग पहले आता है, जो कि पेल्विस की गहराई में दबाव डालता है। ऐसे में स्क्वाटिंग को जारी रखने से पहले यह जरूरी है कि आपका बच्चा सही पोजीशन में आ जाए। 

दूसरे उदाहरणों में स्क्वाटिंग के दौरान दर्द शामिल है। अगर आपको स्क्वाटिंग के दौरान किसी तरह की असुविधा हो रही है, तो सबसे बेहतर यह है, कि आप अपने तरीके पर विचार करें या फिर उसे बदल दें। 

इस प्रकार प्रेगनेंसी के दौरान स्क्वाटिंग की सलाह उन्हें दी जाती है, जो एक आसान और आरामदायक डिलीवरी सुनिश्चित करना चाहती हैं। हालांकि, आप और आपका शरीर इसके लिए तैयार है या नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए आपको सावधानियां बरतनी चाहिए। 

यह भी पढ़ें: 

प्रेगनेंसी में जुम्बा एक्सरसाइज करना
प्रेगनेंसी में बटरफ्लाई एक्सरसाइज (तितली आसन)

पूजा ठाकुर

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