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गर्भावस्था एक ऐसा चरण है जिसमें माएं शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से बहुत सारे बदलावों से गुजरती हैं। अपने शरीर को डिलीवरी के लिए तैयार करने के लिए एक्सरसाइज एक अच्छा तरीका है। एक्सरसाइज और प्रेगनेंसी निस्संदेह एक दूसरे से सकारात्मक रूप से जुड़े हुए हैं।
अब स्क्वाटिंग में ऐसी क्या खास बात है कि इसके बारे में सोचने की जरूरत है? ऐसा इसलिए है, क्योंकि फिटनेस और सकारात्मकता बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज करने के अलावा, ऐसी खास एक्सरसाइज को करना अच्छा होता है, जो आपके शरीर की इस वर्तमान स्थिति के लिए अधिक फायदेमंद हो। प्रेगनेंसी और डिलीवरी के लिए पेट, कमर और जांघों की मांसपेशियों के सुडौल होने की जरूरत होती है। जिसके लिए स्क्वाटिंग बहुत अच्छा काम करती है। हालांकि, यह जरूरी है कि स्क्वाटिंग सही तरीके से की जाए।
हां, गर्भावस्था के दौरान एक्सरसाइज करना सुरक्षित है, पर इसके लिए कुछ नियम और सावधानियां भी जरूरी हैं। सही समय पर सही तरीके से सही एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है। बल्कि, प्रेगनेंसी में स्क्वाट्स करना बहुत फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि यह आपके शरीर के निचले हिस्से को मजबूत बनाता है, जिसपर डिलीवरी के दौरान बहुत दबाव आता है।
एक्सरसाइज चाहे सामान्य हो या खास, प्रेगनेंसी और डिलीवरी के दौरान इसके बहुत फायदे देखे जाते हैं। स्क्वाटिंग, एक्सरसाइज का एक पारंपरिक तरीका है और दाइयां भी प्रेग्नेंट महिलाओं को इसकी सलाह देती हैं। इसके कुछ फायदे यहाँ दिए गए हैं:
प्रेगनेंसी के दौरान अगर वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए, तो यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है। बहुत ज्यादा फैट के सेवन से बढ़ने वाला वजन अच्छा नहीं माना जाता है। तुलनात्मक अध्ययनों ने यह साबित किया है, कि जो महिलाएं पहले से एक्टिव रही और प्रेगनेंसी के दौरान भी एक्सरसाइज को जारी रखा, उनका वजन एक्सरसाइज छोड़ देने वाली प्रेगनेंट महिलाओं की तुलना में अधिक स्वस्थ था।
प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज और स्क्वाटिंग के द्वारा हृदय से संबंधित स्वास्थ्य, सहनशीलता और मांसपेशियों की ताकत को मेंटेन किया जा सकता है। प्रेगनेंसी के दौरान हमारे शरीर के सिस्टम में बहुत से बदलाव आते हैं। खासकर, हृदय संबंधी सिस्टम में खून की मात्रा बढ़ जाती है, हार्ट रेट और कार्डियक आउटपुट भी बढ़ जाता है। इस दौरान शिथिल पड़े रहना अच्छा नहीं माना जाता है।
आपके पूरे शरीर का थोड़ा वजन बढ़ जाता है। इस वजन का भार आपके पैरों पर आता है और आपकी कमर पर भी इसका दबाव पड़ता है। प्रेगनेंसी के दौरान स्क्वाट्स करने से आपको सही पोस्चर बनाने में मदद मिलती है और यह आप पर और आपके बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव डाले बिना आपके घुटनों पर आने वाले तनाव से बचाता है।
प्रेगनेंसी में कमर के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है और स्क्वाटिंग इसका एक उपाय है। शरीर के पोस्चर और मेकैनिक्स को बेहतर बनाने से कमर के इस दर्द में कमी आती है, जो कि प्रेगनेंसी के दौरान एक आम समस्या होती है। प्रेगनेंसी में जब आप स्क्वाट्स करती हैं, तो कमर के दर्द के आम प्रकार – लूमबर पेन और बैक ऑफ द पेल्विस पेन, दोनों पर ही अच्छा असर होता है।
जिन महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज की संभावना होती है, उनमें एक्सरसाइज की मदद से बचाव और रोकथाम देखा गया है। एक्सरसाइज करने से लिवर और मांसपेशियों में मौजूद ग्लाइकोजन बढ़ता है, जिससे हाइपोग्लाइसीमिया की तकलीफ कम होने के साथ-साथ ग्लूकोस टोलरेंस और इन्सुलिन सेंसटिविटी में बेहतरी आती है, और इससे बचाव और रोकथाम कर पाना संभव हो पाता है। पर जिन महिलाओं को पहले से ही जेस्टेशनल डायबिटीज है, उन्हें सही सलाह और गाइडेंस के अंदर एक्सरसाइज की जरूरत है।
प्रेगनेंसी इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन, प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली एक और समस्या है, जो कि खतरनाक हो सकती है। कुछ अध्ययनों से इस बात का पता चला है, कि प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने से, इस दौरान होने वाली हाइपरटेंशन डिसऑर्डर्स से सुरक्षा मिलती है।
शुरुआती प्रेगनेंसी में मिसकैरेज का खतरा हमेशा ही होता है। प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में फीटस मालफॉर्मेशन का खतरा भी होता है। यही कारण है, कि पहली तिमाही के दौरान एक्सरसाइज के लिए ये सावधानियां बरतनी चाहिए।
स्क्वाटिंग से प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली आम समस्याओं, जैसे – कब्ज, पेशाब पर नियंत्रण ना होना, वेरीकोस वेंस, इनसोम्निया और पैरों में दर्द और खिंचाव जैसी आम समस्याओं में कमी आती है। कुछ महिलाएं यह भी बताती हैं, कि 3 से 5 मिनट के एक्सरसाइज से मॉर्निंग सिकनेस की परेशानी में कमी आती है।
यह साबित हो चुका है, कि जो महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान एक्टिव रहीं और प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में स्क्वाट्स किया, समय पूरा होने पर उनका लेबर जल्दी शुरू हो गया, लेबर की अवधि कम हो गई, लेबर के दौरान आने वाली परेशानियां भी कम हुईं और उनसे जन्मे बच्चे भी हाइ एपीजीएआर स्कोर के साथ पैदा हुए (नवजात शिशु के स्वास्थ्य का अनुमान लगाने के लिए पीडियाट्रिशियन एपीजीएआर स्कोरिंग करते हैं। यह स्कोर जितना ज्यादा होता है, बच्चे को उतना ही स्वस्थ माना जाता है)।
साथ ही, हाल ही में लेबर उत्पन्न करने और स्क्वाट्स की पोजीशन में डिलीवरी करने के लिए स्क्वाट्स स्कूल को बहुत महत्व दिया गया है। यहाँ तक, कि कई हॉस्पिटल अब अपने लेबर रूम टेबल को कुछ इस तरह से डिजाइन कर रहे हैं, जिस पर स्क्वाटिंग की पोजीशन में डिलीवरी कराई जा सके और प्रेगनेंसी में लेबर को उत्पन्न करने के लिए स्क्वाट्स किया जा सके।
प्रेगनेंसी के दौरान जो माँ एक्टिव रहती है, वह जल्दी रिकवर कर लेती है और एनर्जी, दर्द, मांसपेशियों की मजबूती, वजन, सुडौल पेट और मजबूती आदि के मामले में प्रेगनेंसी के पहले वाली स्थिति में बहुत जल्दी आ जाती है।
इसमें कोई शक नहीं है, कि प्रेगनेंसी और डिलीवरी के बाद का समय खूबसूरत होता है। पर, इन सब से माँ के ऊपर मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी देखा जाता है। प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने से माँ की मानसिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे डिप्रेशन में कमी आती है और आत्मसम्मान और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।
यहाँ पर प्रेगनेंसी के दौरान स्क्वाट्स की विधि के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है। प्रेगनेंसी के दौरान अलग-अलग तरह के स्क्वाटिंग पोजीशन के बारे में पढ़ें और जानें, कि आप उन्हें कैसे कर सकती है:
प्रेगनेंसी के दौरान स्क्वाटिंग करने के बारे में कुछ मतभेद भी हैं, जिनके बारे में आपको जानना चाहिए। खुद स्क्वाटिंग शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लेना सबसे अच्छा है।
स्क्वाटिंग आपके लिए सुरक्षित है या नहीं, यह जाने बिना इसे करना बिल्कुल गलत है। अगर आप यह सोच रही हैं, कि प्रेगनेंसी के दौरान स्क्वाट्स कैसे किए जाएं, तो आपको पहले यह देखना चाहिए, कि यह आपके लिए सुरक्षित है भी या नहीं।
इसके बारे में इंटरनेट पर बहुत सारी जानकारी उपलब्ध है, पर जब तक आपका डॉक्टर आपको इसके लिए हरी झंडी नहीं दिखा देता और आपको इसके फायदे, खतरे और सावधानियां नहीं बता देता, तब तक आप को इसे नहीं करना चाहिए। देखा जाए तो एक्सरसाइज के दौरान जो पोस्चर बनाया जाता है, उसमें शरीर के ऊपरी हिस्से को बार-बार झुकाना और उठाना पड़ता है, जो कि कमर के निचले हिस्से से संबंधित लुंबर डिसऑर्डर का बड़ा खतरा भी साथ लेकर आता है, और जिसके कारण मिसकेरेज या प्रीमेच्योर लेबर तक भी हो सकता है।
इस एक्सरसाइज को शुरू करने या दोबारा शुरू करने से आपको चार बातों का खतरा हो सकता है, जो कि इस प्रकार है:
अगर आपको इनमें से किसी भी बात का अनुभव होता है, तो आपको सलाह दी जाएगी, कि आप किसी भी तरह की एक्सरसाइज ना करें:
इसमें परिस्थिति के अनुसार सावधानीपूर्वक मानिटरिंग और देखभाल के साथ ही एक्सरसाइज की जा सकती है।
अगर आप प्रेगनेंसी के दौरान नीचे दिए गए लक्षणों में से किसी का अनुभव कर रही हैं, तो आप एक्सरसाइज कर सकती हैं, लेकिन इसमें आपको अतिरिक्त देखभाल और गाइडेंस की जरूरत होगी।
इस फील्ड के कई प्रोफेशनल संस्थानों और रिसर्चकर्ताओं ने प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज के बारे में कुछ गाइडलाइन प्रस्तुत की हैं। यहाँ पर हैमर एट एल द्वारा पेरिनेटल एजुकेशन के जर्नल में प्रेगनेंसी में सुरक्षित रूप से स्क्वाट्स करने के कुछ टिप्स दिए गए हैं:
खतरे के संकेतों को पहचान कर एक्सरसाइज बंद करें और अपने प्रीनेटल स्वास्थ्य सलाहकार से बात करें।
प्रेगनेंसी के दौरान ऐसे कुछ उदाहरण हैं, जिसमें स्क्वाट्स नहीं करने की सलाह दी जाती है। उदाहरण के लिए अगर आपका बच्चा सही पोजीशन में नहीं है, जैसे – जब बच्चा ब्रीच पोजिशन में होता है, तो उसका नीचे का भाग पहले आता है, जो कि पेल्विस की गहराई में दबाव डालता है। ऐसे में स्क्वाटिंग को जारी रखने से पहले यह जरूरी है कि आपका बच्चा सही पोजीशन में आ जाए।
दूसरे उदाहरणों में स्क्वाटिंग के दौरान दर्द शामिल है। अगर आपको स्क्वाटिंग के दौरान किसी तरह की असुविधा हो रही है, तो सबसे बेहतर यह है, कि आप अपने तरीके पर विचार करें या फिर उसे बदल दें।
इस प्रकार प्रेगनेंसी के दौरान स्क्वाटिंग की सलाह उन्हें दी जाती है, जो एक आसान और आरामदायक डिलीवरी सुनिश्चित करना चाहती हैं। हालांकि, आप और आपका शरीर इसके लिए तैयार है या नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए आपको सावधानियां बरतनी चाहिए।
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