एक गर्भवती महिला के शरीर में होने वाले बहुत सारे बदलाव होते हैं। शरीर में होने वाले यह बदलाव विभिन्न संकेत और लक्षणों को जन्म देते हैं। हालांकि, गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में दिखाई देने वाले कुछ लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए। ये लक्षण एक गंभीर समस्या के संकेत हो सकते हैं और जल्द से जल्द उपचार करना चाहिए।
चाहे आपकी प्रेगनेंसी को 28 सप्ताह हुए हों या 37 सप्ताह यह लक्षण किसी भी समय उत्पन्न हो सकते हैं, जो जरूरी नहीं है कि हमेशा एक अच्छा संकेत दे। हालांकि ज्यादातर लक्षण उतने खतरनाक नहीं होते हैं जितना की वो दिखाई देते हैं, फिर भी आपको सतर्क रहना चाहिए। आइए जानें:
प्रेगनेंसी के दौरान योनि एक ओवरटाइम ड्यूटी पर होती है, जिससे डिस्चार्ज नियमित रूप से बाहर आ रहा होता है। इसकी वजह से आपको उस क्षेत्र में लगातार गीलापन महसूस हो सकता है, लेकिन फ्लूइड लीकेज जो बाहर निकल रहा होता है, उसका कुछ और मतलब भी हो सकता है। इस तरह के संकेत आमतौर पर यह बात की ओर इशारा करते हैं कि कहीं आपका वाटर बैग (पानी की थैली) टूट तो नहीं गई है और इसके कारण आपको अगले 24 घंटों के भीतर किसी भी समय लेबर शुरू हो सकता है। अभी कोई फर्क नहीं पड़ता कि फ्लूइड किस रंग की है, इस समय यह सबसे महत्वपूर्ण है कि इस मामले को डॉक्टर को देखने दें और उनके अनुसार ही कोई फैसला लें।
जिस क्षण गर्भ में बच्चा किक मारना शुरू कर देता है, यह आपके लिए एक बड़ी राहत होती है और साथ-साथ यह इस बात का संकेत होता है कि आपका बच्चा अंदर बिलकुल ठीक है। इसके अलावा बच्चा कितनी जोर से किक मारता है और उसकी फ्रीक्वेंसी क्या है, इसके जरिए आप बच्चे की हेल्थ को ट्रैक कर सकती हैं। बच्चा कितनी बार किक करता है इसे नोट करना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे आपको एक आईडिया मिल सकता है जब बच्चे के किक मारने कम होने लगेगा। गर्भावस्था के बाद के अंतिम चरण में बच्चे का पहले की तरह किक करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, इसलिए यह नॉर्मल है। लेकिन अगर आपको उसके व्यवहार में कोई अब्नोर्मलिटी दिखाई दे रहा है, तो जितना जल्दी हो सके आपको अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
गर्भावस्था के समय एक महिला की इम्युनिटी सबसे ज्यादा कमजोर होती है, आपका शरीर बच्चे को बेहतर ढंग से सपोर्ट देने और उसके विकास पर ही सारा ध्यान केंद्रित करता है। इसकी वजह से महिला को कॉमन जर्म्स से इन्फेक्शन होने का भी खतरा होता है जिसकी वजह से आपको सर्दी, खांसी या विभिन्न प्रकार के फ्लू का लगातार सामना करना पड़ता है। ज्यादातर, इन इन्फेक्शन के कारण आपको बुखार हो जाता है, जो आमतौर पर कुछ घंटों तक रहता है और फिर चला जाता है। अगर बुखार के कारण लगातार आपके शरीर का तापमान बढ़ रहा हो और यह कई दिन तक ऐसे ही बना रहता है तो यह आपके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकता है और यहाँ तक कि एक गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। इसकी तुरंत जाँच करवाएं, क्योंकि इन्फेक्शन आपके बढ़ रहे बच्चे तक भी पहुँच सकता है।
क्या ऐसा हुआ है कि आप अगर कुछ ज्यादा देर एक जगह बैठी हुई हैं और जब अचानक से उठटी हैं तो सिर चकराया है? गर्भावस्था के दौरान अक्सर चक्कर आते रहते हैं, खासकर गर्भावस्था के बाद के चरणों में। ज्यादातर ब्लड सप्लाई और एनर्जी आपके गर्भ में पल रहे बच्चे पर केन्द्रित होती है। इसके कारण आपको छोटे छोटी समस्या हो सकती है, जैसे आपको साफ दिखाई नहीं देगा और चीजें धुंधली दिखाई देंगी। हालांकि, अगर ऐसी स्थिति लगातार बनी रहती है और वजन बढ़ना, सिरदर्द या सूजन भी दिखाई देती है, तो यह डायबिटीज या एक्लेम्पसिया का एक गंभीर संकेत हो सकता है, जिसे तुरंत डॉक्टर को दिखाने की जरूरत होती है।
गर्भवती महिलाओं को शरीर में दर्द होना कोई नई बात नहीं है। इसके बावजूद भी, कई कारणों से आपको पीठ में दर्द हो सकता। आपके शरीर की ग्रेविटी के बदलने का कारण, केवल आपका पेट का लगातार बढ़ना नहीं है, जिसकी वजह से आपको पीठ में दर्द होता है, आपका शरीर अपने अंदर कई शारीरिक एडजस्टमेंट करता है, जिसकी वजह से भी आपके पोस्चर में बदलाव आता है और आपकी पीठ में दर्द का कारण बनता है । पीठ का दर्द बहुत छोटे फेज के लिए होता है, उयादी उपचार करने के बाद भी आपको पीठ में तेज दर्द हो रहा हो तो यह बिलकुल भी नॉर्मल नहीं है। डॉक्टर इन्फेक्शन के लक्षण की जाँच करने के लिए आपके ब्लैडर और किडनी को चेक करेंगे या ये मिस्केरज भी सकता है।
त्वचा के बहुत ज्यादा खिच जाने की वजह से शरीर से हेल्दी मॉइस्चर चला जाता है, जिसकी वजह से गर्भावस्था के दौरान खजुली होना एक आम लक्षण है। महिलाएं खुजली के बारे में अक्सर शिकायत करती हैं, लेकिन ऐसे कुछ मामले हैं जहाँ इसकी वजह से रैशस होने शुरू हो जाते हैं, जो गंभीर हो सकते हैं और पूरे में लाल रंग के स्पॉट के रूप में दिखाई देने लगते हैं। ये केवल एक विशेष क्षेत्र तक ही सीमित होते हैं, लेकिन अगर आपके शरीर में खुजली बढ़ने लगती है, तो डॉक्टर को दिखाना बेहतर होगा। इस तरह की खुजली लीवर संबंधी समस्या या गर्भावस्था में कोलेस्टेसिस के होने का संकेत हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना काफी स्वाभाविक है। आखिरकार आपके शरीर में एक बच्चा लगातार बड़ा हो रहा है, इसलिए स्वस्थ्य रूप वजन बढ़ना चिंता का विषय नहीं होता है। हालांकि, यदि एक सप्ताह के अंदर आपके वजन में 1.8 से 2 किलोग्राम से अधिक वृद्धि हो ती है, तो यह आपके लिए अच्छा संकेत नहीं है। कम समय में बहुत ज्यादा वजन बढ़ना प्रीक्लेम्पसिया की ओर इशारा करता है। यदि आपके साथ ऐसा हो रहा है तो आप अपने डॉक्टर से इसकी जाँच करवाएं।
गर्भवती महिलाओं में सूजन की एक अलग ही परिभाषा होती है और यह अच्छे कारण के साथ होती है। पहली चीज आपका पेट दिन-ब-दिन खुद बड़ा होता जाएगा। दूसरी बात, गर्भाशय पर जो दबाव पड़ता है वो शरीर के अन्य भागों पर भी पड़ता है, इसकी वजह से होने वाली सूजन आमतौर पर पैरों और पिंडलियों में देखी जाती है। थोड़ी सूजन होना सामान्य है। लेकिन चेहरे और हाथों वाले हिस्से में देखभाल की ज्यादा आवश्यकता होती है। यदि आपको इन हिस्सों में सूजन दिखाई दे, या आपके टखनों में भी सूजन है, तो आपको हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है यहाँ तक कि एक्लेम्पसिया के बढ़ने की भी संभावना है।
प्रेगनेंसी के दौरान सबसे ज्यादा परिवर्तन पेट वाले क्षेत्र में होता है। विकास कर रहे बच्चे को गर्भ में ठीक से जगह देने के लिए गर्भाशय बड़ा होने लगता है जिसके कारण आपके आंतरिक अंगों पर बहुत दबाव पड़ता है। इससे कारण कभी-कभी पेट में दर्द होता है, जिनमें कुछ तेज स्पाइक्स भी हो सकते हैं। यह दर्द ज्यादातर लिगामेंट के अधिक खिंचाव के कारण होता है, इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। लेकिन कोई भी दर्द जो बहुत तेज हो रहा हो और लगातार बना हो साथ ही ब्लीडिंग भी हो रही हो तो व अन्य लक्षण भी दिखाई दे रहे हों तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। यह मिस्केरज या अस्थानिक गर्भावस्था का मामला हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान आपकी योनि से केवल डिस्चार्ज ही नहीं होता है। इसके साथ रक्त का दिखाई देना आपको और भी डरा सकता है, लेकिन ज्यादातर यह चिंता का विषय नहीं होता है। रक्त के छोटे धब्बे सर्विक्स में जलन के कारण हो सकते हैं, खासकर यदि आप शारीरिक संबंध बनाने की स्थिति में हैं। हालांकि, कोई भी ब्लीडिंग जो हद से ज्यादा हो रही हो उसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, खासकर अगर यह किसी भी तरह की क्रैम्प या दर्द के साथ हो रही हो। प्लेसेंटा का अलग होना या मिस्केरज भी ब्लीडिंग का एक कारण हो सकता है, और आपके डॉक्टर को इसे उचित रूप से जांचने की आवश्यकता होती है।
आपका शरीर यह सुनिश्चित करेगा कि आपका शिशु हर समय सुरक्षित और स्वस्थ्य रहे। इसका मतलब है कि इसके लिए आपको अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है, जिसके कारण आप पहले से अधिक थकावट महसूस कर सकती हैं। हालांकि, बहुत थकावट होना, थायराइड हार्मोन के असंतुलित स्तर को ओर इशारा करता है। गर्भवती महिला में हाई ब्लड प्रेशर होना बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इसकी वजह से प्रीमैच्योर बच्चा पैदा हो सकता है। इसी तरह, यदि लो ब्लड प्रेशर है, तो बच्चे में विकास संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
गर्भावस्था का अंतिम चरण सबसे ज्यादा कंफ्यूज करने वाला होता है। इस समय ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन भी काफी बढ़ जाता है। यह आपके शरीर को डिलीवरी के लिए तैयार करने में मदद करता है, लेकिन इस बात की जाँच करें कि क्या यह संकुचन सही तरीके से हो रहे हैं। यह आपके द्वारा पहले अनुभव किए जाने वाले क्रैम्प से बहुत अलग होता है जो आपके चलने फिरने से दूर हो जाता है । लेकिन अगर आपके संकुचन पीरियड्स क्रैम्प से मिलते-जुलते हैं या एक स्पेसिफिक फ्रीक्वेंसी से महसूस हो रहा है, तो सकता है कि बच्चा पहले ही जन्म लेने की स्थिति में आ गया हो जो अपने शायद सोचा न हो ।
गर्भवती महिला के शरीर में कई हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, विभिन्न क्षेत्रों में ब्लड फ्लो बढ़ने के कारण, मसूड़े पहले की तुलना में अत्यधिक संवेदनशील और नरम हो जाते हैं। कई बार, ये सूज जाते हैं और मसूड़े की सूजन का कारण बन सकते हैं। हालांकि यह हानिकारक नहीं है, लेकिन लगातार ब्लीडिंग से पीरियडोंटल बीमारी हो सकती है जो दाँत की स्वच्छता पर प्रभाव डाल सकती है और इससे अन्य इन्फेक्शन भी हो सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान उल्टी और मतली महसूस होना काफी आम है। यह प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में सबसे ज्यादा महसूस होती है, ऐसे भी उदाहरण हैं जहाँ यह पूरी प्रेगनेंसी में जारी रहती है। एक स्तर पर चिंता करने वाली कोई बात नही है, लेकिन अगर यह बहुत ज्यादा हो रही है और आप खाना भी नही खा पा रही हैं या कुछ खाते ही उल्टी लग रही है तो यह समस्या की ओर इशारा करती है और आपको तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
बढ़ता गर्भाशय आपके डायाफ्राम और फेफड़ों पर दबाव डाल सकता है, जिससे आपका ठीक से साँस लेना मुश्किल हो जाता है या यहाँ तक कि गहरी साँस भी लेना। यह अहसास सामान्य है, क्योंकि आप अपनी गर्भावस्था में लगातार आगे बढ़ रही होती हैं। लेकिन अगर आपको साँस की तकलीफ शुरुआत से ही है, तो हो सकता है कि यह फेफड़ों या दिल की समस्या से जुड़ा हो, जिसे आपके डॉक्टर द्वारा जाँच करवाना आवश्यक है।
प्रेगनेंसी की दूसरी और तीसरी तिमाही में दिखाई देने वाले लक्षणों से पूरी तरह अवगत होना आपकी गर्भावस्था को कंट्रोल में रखने का एक अच्छा तरीका है। आपको मामूली समस्याओं को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है, लेकिन एक सेफ डिलीवरी के लिए डॉक्टर का हस्तक्षेप बहुत जरूरी है।
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