प्रेगनेंसी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल

प्रेगनेंसी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल

प्रेगनेंसी के दौरान आप कई तरह की भावनाओं और एहसासों से गुजरती हैं। जहाँ एक ओर आप की दुनिया में आने वाली नई खुशियों के कारण, आप जोश और उत्साह से भरी होती हैं, वहीं दूसरी ओर अपनी गर्भावस्था को लेकर आप में थोड़ी घबराहट और थोड़ा भय भी होता है। ऐसे में शारीरिक बदलावों के कारण होने वाला तनाव कम लगने लगता है और मानसिक या भावनात्मक बदलाव से होने वाला तनाव ज्यादा परेशानी भरा लगने लगता है। गर्भावस्था के दौरान, जिस प्रकार शारीरिक स्वास्थ्य का महत्व सबसे ज्यादा होता है, उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी अति आवश्यक है। इस पोस्ट को पढ़ें और जानें, कि आप प्रेगनेंसी के दौरान अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल कैसे कर सकती हैं। 

गर्भावस्था आपके मानसिक स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डालती है? 

गर्भावस्था आपके जीवन में कई तरह के बदलाव लेकर आती है और बच्चे के आने के बाद आपकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है। इन सभी शारीरिक और हॉर्मोनल बदलावों के कारण, आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है। आपको अपने बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर चिंता महसूस हो सकती है या फिर आप आने वाले लेबर और डिलीवरी के बारे में सोच-सोच कर घबरा सकती हैं। इन सभी भावनाओं के कारण गर्भावस्था के दौरान आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। 

प्रेगनेंसी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और परेशानियां 

गर्भावस्था के दौरान, न केवल महिलाओं के लिए, बल्कि कुछ मामलों में कुछ पुरुषों के लिए भी मानसिक परेशानियों या समस्याओं से जूझना बहुत सामान्य है। यहाँ पर कुछ ऐसी आम समस्याएं दी गई हैं, जो कि गर्भावस्था के दौरान हो सकती हैं: 

प्रेगनेंसी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और परेशानियां 

1. एंग्जायटी

यदि आप आने वाले भविष्य की चिंता करती हैं या आगे क्या होगा ऐसा सोचती रहती हैं, तो आपको एंग्जायटी की समस्या हो सकती है। बिना किसी वजह के, भविष्य के बारे में चिंता करते रहने से गर्भावस्था के दौरान आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। आपको इस बात की चिंता हो सकती है, कि क्या आप अपने बच्चे का पालन पोषण ठीक से कर पाएंगी या आप अपने बच्चे के लिए एक अच्छी माँ बन पाएंगी या नहीं। 

2. डिप्रेशन

डिप्रेशन भी एक मानसिक बीमारी है, जो कि एक गर्भवती महिला को प्रभावित कर सकती है। अगर नकारात्मक विचार एक बार में एक हफ्ते के लंबे समय तक बनी रहे, तो हो सकता है, कि आप डिप्रेशन से जूझ रही हों। एक महिला गर्भधारण के पहले या बाद भी डिप्रेस्ड हो सकती है, पर ये दोनों ही परिस्थितियां आपके और आपके अजन्मे शिशु के लिए अच्छी नहीं हैं। प्रेगनेंसी के दौरान, डिप्रेशन कई कारणों से हो सकता है, जैसे – अनियोजित गर्भावस्था, बेवजह बढ़ने वाला काम, समस्या पूर्ण रिश्ते आदि। 

इनके अलावा, कुछ अन्य मानसिक समस्याएं भी आपको परेशान कर सकती हैं, जिनमें बाइपोलर डिसऑर्डर, ईटिंग डिसऑर्डर, ओसीडी या ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर, पैनिक अटैक आदि शामिल हैं। 

कुछ ऐसे तत्व जो प्रेगनेंसी के दौरान आपको मानसिक बीमारियों के अधिक खतरे में डाल सकते हैं

नीचे कुछ ऐसी बातें दी गई हैं, जिनके कारण आपको गर्भावस्था के दौरान मानसिक परेशानियों से ग्रस्त होने का अत्यधिक खतरा हो सकता है: 

  • अगर आप दवाएं लेती हैं या शराब पीती हैं 
  • अगर आपको किसी और चीज की लत या गलत आदत है
  • अगर आप अपने रिश्तो में परेशानियों का सामना कर रही हैं – जैसी साथी से अलगाव, तलाक की प्रक्रिया से गुजरना या ऐसी कोई अन्य स्थिति
  • अगर आपको ऐसा लगता है, कि आप को पर्याप्त सपोर्ट नहीं मिल रहा है या आपकी देखभाल करने के लिए आपके आसपास लोगों की कमी है
  • अगर आपने अतीत में मानसिक बीमारियों का सामना किया है 

इन कारणों से या ऐसी किसी अन्य परिस्थिति के कारण, गर्भावस्था के दौरान मानसिक समस्याओं के पैदा होने का खतरा ज्यादा होता है। 

प्रोफेशनल की सलाह लेने का सही समय कौन सा होता है?

प्रोफेशनल की सलाह लेने का सही समय कौन सा होता है

जिस प्रकार गर्भावस्था में आप अपने खानपान और न्यूट्रिशन का ध्यान रखती हैं, उसी तरह आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य का भी पूरा ख्याल रखना चाहिए। अगर आपको नीचे दिए गए इन संकेतों और लक्षणों में से किसी का अनुभव होता है, तब आपको एक हेल्थ प्रोफेशनल की सलाह लेनी चाहिए: 

  • अगर आपको अधिकतर समय चिंता या घबराहट महसूस होती हो और आप उसे संभालने में सक्षम न हों 
  • अगर आप के नकारात्मक विचारों का प्रभाव आपके रोज के रूटीन पर पड़ रहा हो और आप उनसे निपटने में सक्षम न हों 
  • आप एक बार में लगभग 2 सप्ताह या उससे अधिक समय तक लगातार नकारात्मक या बुरे विचारों का अनुभव कर रही हों 
  • यदि आप ऑब्सेसिव कंपल्सिव बिहेवियर का अनुभव कर रही हों या आपको पैनिक अटैक आते हों 
  • अगर आप निराशा से घिरा हुआ अनुभव कर रही हों, रोज की गतिविधियों में आपकी दिलचस्पी खत्म हो रही हो, आप इन सब से बाहर नहीं निकल पा रही हों या संक्षेप में कहें तो, आप में डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे हों। 

अगर आपको ऊपर दिए गए लक्षणों में से किसी का भी अनुभव हो रहा है, तो यह किसी तरह की मानसिक समस्या से जुड़ा हुआ हो सकता है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है, कि इसके लिए आप किसी तरह के मेंटल हेल्थ प्रेगनेंसी सपोर्ट की मदद लें। ऐसे कई प्रोफेशनल हैं, जो ऐसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित लोगों के लिए काम करते हैं। आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं और इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकती हैं। 

प्रेगनेंसी के दौरान अपने मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के कुछ टिप्स: 

यहाँ पर मानसिक स्वास्थ्य और गर्भावस्था के कुछ निर्देश दिए गए हैं। आप अपने स्तर पर इनका अनुसरण कर सकती हैं और गर्भावस्था के दौरान अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रख सकती हैं: 

1. अपनी अच्छी देखभाल करें

आप अपने बच्चे को इस दुनिया में लाने वाली हैं और आप उसके और उसके अच्छे स्वास्थ्य के लिए हर संभव प्रयास कर रही होंगी और यह बहुत जरूरी है, कि इस क्रम में आप अपना ख्याल रखना ना भूलें। अपने आप को भी प्राथमिकता दें और इस बीच में ऐसी चीजें करती रहें, जिनसे आपको खुशी मिलती है। हर दिन अपने लिए थोड़ा समय निकालें और वह हर चीज करें, जिसे करना आपको पसंद है। इसे ‘मी टाइम’ का नाम दें और इसमें वैसी एक्टिविटीज को शामिल करें, जो आपको खुशी और शांति देती हों। 

2. अत्यधिक जानकारी नुकसानदायक हो सकती है 

अपनी बदलती परिस्थितियों के बारे में पूरी जानकारी होना आपके लिए जरूरी है। दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो आपके अंदर क्या हो रहा है और क्या होने वाला है, इसके बारे में आपको पता होना अच्छा है, लेकिन इतनी सारी जानकारी कभी-कभी आपको परेशान कर सकती है और इनसे निपटना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। इसलिए, आपको प्रीनेटल या पोस्टनेटल जानकारियों का पता होना अच्छा है, लेकिन इनकी अत्यधिक गहराई में जाने से या किसी विषय पर अत्यधिक रिसर्च करने से बचें। 

3. हेल्दी डाइट

अच्छा भोजन करें, जो कि सभी जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर हो। अच्छा खाना खाना ना केवल आप के बढ़ते बच्चे के लिए अच्छा है, बल्कि सही प्रकार का खाना खाने से आपको अपने बारे में अच्छा महसूस करने में भी मदद मिलती है। 

हेल्दी डाइट

4. भरपूर आराम करें

इतने सारे बदलावों के साथ आराम करना और सोना मुश्किल हो सकता है, लेकिन, आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ महसूस करने के लिए भरपूर आराम करना बहुत जरूरी है। अगर आपको दिन के किसी समय सोने का मन करे, तो उसके लिए समय निकालें और सोएं। यह आपके शरीर का एक तरीका है, जिसके माध्यम से आपका शरीर आपको यह बताता है, कि उसे आराम की जरूरत है। इसलिए, अपने शरीर की जरूरतों को नजरअंदाज ना करें। 

भरपूर आराम करें

5. एक्सरसाइज

अच्छी कसरत के महत्व को दरकिनार नहीं किया जा सकता और गर्भावस्था कोई अपवाद नहीं है। स्वस्थ महसूस करने के लिए एक्सरसाइज करना जरूरी होता है। इसलिए समय निकालें और एक्सरसाइज करें। चाहे वह वॉकिंग हो, साइकलिंग हो या स्विमिंग हो, चाहे वह किसी भी रूप में हो पर एक्सरसाइज करना अच्छा होता है। जब आप एक्सरसाइज करती हैं, तब आपके शरीर से एंडोर्फिन नामक फीलगुड हॉर्मोंस का स्राव होता है। इन हॉर्मोन के रिलीज होने से आपको खुशी और आराम का अनुभव होता है और तनाव और चिंता दूर हो जाते हैं। लेकिन, अगर आपकी प्रेगनेंसी एक हाई रिस्क प्रेगनेंसी है, तो आपको अपने डॉक्टर की सलाह से ही एक्सरसाइज करनी चाहिए। वह आपको बता सकते हैं, कि आपको कौन सी एक्सरसाइज करनी चाहिए और कौन सी नहीं। 

6. आपका सपोर्ट सिस्टम

इंसान सामाजिक प्राणी होते हैं और हमें मदद और सपोर्ट के लिए लोगों से घिरा होना अच्छा लगता है। प्रेगनेंसी एक ऐसा समय होता है, जब आपको अपने आसपास, लोगों के एक अच्छे सपोर्ट सिस्टम की जरूरत होती है। वह आपका पार्टनर, आपके दोस्त, आपके पैरेंट्स या आपके भाई-बहन हो सकते हैं। वह ऐसा कोई भी हो सकता है, जिस पर आप मदद, सपोर्ट और गाइडेंस के लिए आश्रित रह सकते हैं। प्यार और देखभाल करने वाले लोगों से घिरे रहने से मानसिक समस्याएं दूर रहती हैं। 

7. खुद पर ज्यादा दबाव न डालें

अपने शरीर की सुनें और उसके अनुसार काम करें। अगर आपका शरीर अधिक देर तक किए जाने वाले काम को नहीं झेल सकता है, या आप अकेले ही रोज के सारे काम करने में अक्षम हैं, जो खुद पर ज्यादा दबाव ना डालें। केवल उतना ही काम करें, जितना आपका शरीर आराम से कर सके। ऐसा करने से आप मानसिक रूप से भी शांत रह पाएंगी। 

गर्भावस्था के दौरान कभी-कभी चिंता और घबराहट का अनुभव होना सामान्य है, लेकिन अगर आपको ऐसा लगता है, कि आप अपनी मानसिक स्थिति को मैनेज नहीं कर पा रही हैं, तब आपको प्रोफेशनल मदद की जरूरत हो सकती है। इसलिए अपनी हिचकिचाहट को दूर करें और तुरंत प्रोफेशनल मदद लें। 

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