गर्भावस्था के पहले महीने का आहार (0-4 सप्ताह )

गर्भावस्था के पहले महीने का आहार (0-4 सप्ताह )

गर्भावस्था के दौरान, पोषण और आहार बच्चे के स्वस्थ वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण करने से लगभग तीन महीने पहले ही फोलेट सहित दैनिक प्रसव पूर्व विटामिन लेना शुरू कर देना चाहिए। गर्भावस्था के पहले महीने का आहार, बढ़ते हुए भ्रूण के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह लेख आपको बताएगा कि गर्भावस्था के पहले महीने में भोजन में किन खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए और किन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।

गर्भावस्था के पहले महीने में जरूरी पोषक तत्व

जब तक आपको गर्भावस्था परीक्षण से अपने गर्भावस्था के बारे में पता चलता है, तब तक आप पहले ही लगभग ढाई सप्ताह की गर्भवती हो चुकी होती हैं। इसलिए यदि आप गर्भधारण करने की इच्छा रखती हैहैंतो आपको स्वस्थ भोजन खाना शुरू कर देना चाहिए एवम् अस्वास्थ्यकारी खाद्य पदार्थ, जैसे तम्बाकू, शराब और ड्रग जैसा नशा नही करना चाहिए। गर्भावस्था के पहले महीने में ही आपको अपने आहार तालिका में बहुत सारे फल और सब्ज़ियां शामिल करने चाहिए। स्वस्थ गर्भावस्था सुनिश्चित करने के लिए आपको अपने पहले तिमाही के आहार में निम्नलिखित खाद्य पदार्थ शामिल करने चाहिए:

1. दुग्ध उत्पाद

दुग्धजन्य पदार्थ (फोर्टीफाइड समेत) जैसे कि कैल्शियम, विटामिन ‘डी’, प्रोटीन, स्वस्थ वसा और फोलिक एसिड से भरपूर होते हैं। पहले महीने के गर्भावस्था के दौरान अपने आहार में दही, दूध और पनीर शामिल करें।

2. फोलेट युक्त खाद्य पदार्थ

बच्चे की तंत्रिका नली के समुचित विकास के लिए फोलेट या फोलिक एसिड आवश्यक होता है, जो बाद में विकसित होकर मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में परिवर्तित होती है। यदि आप फोलिक एसिड की खुराक ले रही हैं तब भी अपने आहार में फोलेट युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना जरूरी है। फोलेट युक्त खाद्य पदार्थों के उदाहरण – हरी पत्तेदार सब्जियां, जैसे कि पालक और केल, शतावरी, खट्ठे फल, फलियां, मटर, मसूर, एवोकैडो, ब्रसेल्स स्प्राउट और भिंडी।

3. साबुत अनाज

साबुत अनाज में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर युक्त आहार, विटामिन ‘बी’-कॉम्प्लेक्स, और खनिज जैसे लौह तत्व, मैग्नीशियम और सेलेनियम पाए जाते हैं है। यह आपके बच्चे के स्वस्थ विकास और वृद्धि के लिए अनिवार्य है। साबुत अनाज के उदाहरण – जौ, ब्राउन चावल, कूटू, बुलगर गेहूँ, साबुत गेहूँ की रोटी या पास्ता, बाजरा, और ओट्स।

4. अंडे और पोल्ट्री उत्पाद

अंडे में प्रोटीन, विटामिन ‘ए’, बी2 , बी5, बी6, बी12, ‘डी’, ‘ई’ और ‘के’ और फॉस्फोरस, सेलेनियम, कैल्शियम और जिंक जैसे खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं । चिकन का मांस भी प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्रोत होता है। गर्भावस्था के पहले महीने में अंडे और चिकन का मांस खाने से भ्रूण का स्वस्थ विकास होता है।

5. फल

खरबूजा, एवोकैडो, अनार, केला, अमरूद, संतरा, नींबू, स्ट्रॉबेरी और सेब जैसे फलों में कई विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट मौजूद होते हैं जो गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए आवश्यक होते हैं।

6. सब्ज़ियां

भरपूर मात्रा में रंग-बिरंगी सब्जियां खाने से आपको बहुत सारे अलग-अलग पोषक तत्व मिलेंगे, जो आपके बढ़ते बच्चे के लिए आवश्यक है। उदाहरण के लिए ब्रोकोली, केल, पालक, गाजर, कद्दू, शकरकंद, टमाटर, शिमला मिर्च, मक्का, सहजन, बैंगन, गोभी आदि।

7. बीज और मेवे

बीज और मेवे स्वस्थ वसा, विटामिन, प्रोटीन, खनिज, फ्लेवोनोइड और फाइबर से भरपूर होते हैं। स्वस्थ बच्चे के लिए आप गर्भावस्था के पहले महीने के दौरान इसका नियमित रूप से सेवन अवश्य करें।

8. मछली

मछली, कम वसा और उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन के स्रोत का सबसे अच्छा उदाहरण है। मछली के सेवन से ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन ‘बी’2 ‘डी’, ‘ई’, और पोटेशियम, कैल्शियम, जिंक, आयोडीन, मैग्नीशियम, और फॉस्फोरस जैसे आवश्यक खनिज प्राप्त होते हैं, हालांकि कुछ ऐसी भी मछलियां हैं जिनको खाने से बचाना चाहिए जैसे कि स्वोर्डफिश, शेलफिश, टूना, सामन, मैकेरल, ट्राउट और हेरिंग से बचें।

9. मांस

मांस में विटामिन ‘बी’, प्रोटीन, जिंक और लौह तत्व होते हैं । गर्भावस्था के पहले महीने में अपने आहार में कम वसा वाले मांस शामिल करना आप और आपके बच्चे दोनों के लिए अच्छा साबित होगा।

गर्भावस्था का पहला महीना – क्या न खाएं

कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें गर्भावस्था के प्रारंभिक दौर में नहीं खाने चाहिए क्योंकि यह बढ़ते बच्चे को नुकसान पहुँचा सकता है । नीचे कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ दिए गए है, जो गर्भावस्था के पहले महीने में आपको नहीं खाने चाहिए:

1. मुलायम चीज़ (सॉफ्ट चीज़)

मुलायम चीज़ कच्चे दूध (पाश्चरीकृत न किया गया हो) से बनाया जाता है जिसमें कीटाणु हो सकते हैं जो भोजन विषाक्तता (फ़ूड पॉइज़निंग) का कारण बन सकता है। इसलिए, प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान मुलायम चीज़ के सेवन से बचना ही बेहतर है।

2. डिब्बाबंद एवं संसाधित खाद्य पदार्थ

डिब्बाबंद संसाधित खाद्य पदार्थ जैसे कि रस, माइक्रोवेव में तुरंत बनने वाले पदार्थ, केक और बिस्कुट, संघनित दूध आदि। इनमें योगज (एडिटिव्स) और परिरक्षक डाले जाते हैं जो खाने को खराब होने से रोकते हैं, उच्च मात्रा में शक्कर और सोडियम व निरर्थक कैलोरी आपके या आपके बच्चे की सेहत के लिए अच्छे नहीं होते हैं। कुछ डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में कीटाणु भी हो सकते हैं जो भोजन विषाक्तता का कारण बन सकते हैं। घर का बना ताजा भोजन खाएं जो प्राकृतिक या जैविक उत्पादन से बना हो।

3. समुद्री भोजन

समुद्री खाद्य पदार्थ में पारा ज्यादा मात्रा में होता है, जो भ्रूण के मस्तिष्क को क्षति पहुँचा सकता है और उसके विकास मे बाधा डाल सकता है। इसलिए प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान समुद्री खाद्य पदार्थ का सेवन न करें और अपने आहार में साफ पानी की ताजी मछली को ही शामिल करें।

4. पपीता

अपरिपक्व और अर्ध-पके पपीते में लेटेक्स होता है, जिसको खाने से गर्भाशय के संकुचन की संभावना होती है और जो प्रसव पूर्व पीड़ा या गर्भपात का कारण बन सकता है। गर्भावस्था के दौरान इनका सेवन न करें। हालांकि पके पपीते में कई पोषक तत्व होते हैं और यदि आपका डॉक्टर आपको इसे खाने की अनुमति दे तो कम मात्रा में इसका सेवन किया जा सकता है।

5. अनानास

अनानास में ब्रोमेलैन नामक एक पदार्थ होता है जो गर्भाशय ग्रीवा को नरम व ढीला कर सकता है। प्रारंभिक गर्भावस्था में गर्भाशय ग्रीवा के ढीले होने से गर्भपात या पूर्व प्रसव पीड़ा हो सकती है। इसलिए, प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान अनानास का सेेवन न करें तो ही बेहतर है।

6. कच्चा या अधपका अंडा व मांस

कच्चा या अधपका मांस साल्मोनेला, लिस्टेरिया आदि जैसे जीवाणुओं से दूषित हो सकता है, जिससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं और गर्भस्थ शिशु के विकास पर भी इसका असर पड़ सकता है।

7. अस्वास्थ्यकर खाद्य

गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक अस्वास्थ्यकर खाद्य का सेवन करने से यह बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है जिससे डिप्रेशन, व्यग्रता, और ध्यान की कमी व अतिक्रियाशीलता जैसी अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अध्ययनों से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन बच्चों में मोटापे का कारण बन सकता है।

8. कैफीन

कैफीन का सेवन गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में और उसके बाद भी सीमित मात्रा में किया जाना चाहिए, क्योंकि यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है और इसके अत्यधिक सेवन से नींद न आना, चिड़चिड़ापन और घबराहट जैसी अन्य समस्याएं होने लगती हैं। इससे गर्भपात होने का भी ख़तरा बढ़ जाता है।

9. मादक पेय

बढ़ते हुए भ्रूण के लिए शराब बहुत हानिकारक है और इससे बच्चे में गंभीर जन्म दोष हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान शराब का सेवन बिलकुल न करें।

10. मीठे पदार्थ

एक गर्भवती महिला को गर्भस्थ शिशु की वृद्धि के लिए केवल 300 अतिरिक्त कैलोरी की आवश्यकता होती है। मिठाई जैसे शक्कर युक्त खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन करने से वजन बढ़ना और गर्भावधि मधुमेह जैसी परेशानियां पैदाहो सकती हैं।

11. अपाश्चुरीकृत उत्पाद

गर्भावस्था के पहले महीने में और उसके बाद भी, अपाश्चुरीकृत जूस और दूध का सेवन सख्त तौर पर मना है, यह मना इसलिए है, क्योंकि इनमें ई.कोली नामक हानिकारक बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं,जो आपको और बच्चे दोनों को नुकसान पहुँचा सकते हैं।इसके अलावा बकरी और भेड़ के दूध से भी परहेज करना चाहिए।

पहले माह की गर्भावस्था के लिए आहार संबंधी सुझाव

गर्भावस्था के पहले महीने में अपने आहार की सूची तैयार करते समय इन बातों का खास ध्यान रखें:

  • फोलिक एसिड सहित प्रसवपूर्व विटामिन लें।
  • सख्त आहार आरम्भ करने के पूर्व अपने डॉक्टर से बात करें, क्योंकि कम मात्रा में भोजन का सेवन भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकता है।
  • संतुलित मात्रा में भोजन खाना अति आवश्यक है, हालांकि यह नियम स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन किए जाने वाले लोगों पर भी लागू किया जाता है। हमेशा खाने की मात्रा को संतुलित बनाए रखेंएँ। किसी भी चीज़ का अतिरेक आप और आपके बच्चे के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
  • अपने आहार में फलों और सब्ज़ियों को ज्यादा से ज्यादा शामिल करें और अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ को खाना कम करें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं ।

गर्भावस्था का पहला महीना एक ऐसा समय है जब आपके शरीर में कई प्रकार के बदलाव होना शुरू हो जाते हैं। हार्मोन संबंधी बदलाव के कारण मनोदशा का बार-बार बदलना, थकान और मॉर्निंग सिकनेस या मतली आने जैसी अन्य कई बीमारी हो सकती है। इन सभी लक्षणों को कम करने के लिए स्वस्थ भोजन खाना, नियमित अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा भोजन करना, उचित मात्रा में जल पीते रहना, हल्का व्यायाम करना और तनाव-मुक्त रहना जरूरी है। इससे आपके बच्चे का स्वस्थ विकास और वृद्धि में फिर किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं आएगी।