गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड स्कैन

प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड स्कैन

गर्भावस्था के कारण आपके शरीर और जीवन शैली में हुए इतने सारे बदलावों के साथ सभी बाधाओं और परेशानियों से गुजरने के बाद, आप आखिरकार तीसरी तिमाही तक पहुँच चुकी हैं। जैसे कि आपकी डिलीवरी की नियत तारीख थोड़ा पास आ गई है, आपके डॉक्टर तीसरी तिमाही तक हुए आपके शिशु का विकास जानने के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन कराने की सलाह दे सकते हैं।

तीसरी तिमाही का स्कैन क्या होता है

तीसरी तिमाही का स्कैन क्या होता है

यह एक नियमित प्रक्रिया है जो बच्चे के विकास और वृद्धि की जांच करने के लिए की जाती है और इसके द्वारा यह पता किया जाता है कि आगे कहीं कोई जटिलता तो नहीं होने वाली है। स्कैन आपके बच्चे के पेट की परिधि, सिर और पैरों को मापने के लिए किया जाता है। आपको 28वें सप्ताह में और 32वें सप्ताह में स्कैन करने की सलाह दी जाएगी।

यह स्कैन क्यों किया जाता है

यहाँ कुछ कारण बताए गए हैं, जिसकी वजह से आपके डॉक्टर आपको यह स्कैन करवाने के लिए कह सकते हैं:

1. एक से अधिक शिशु: जुड़वां या तीन शिशु होने पर गर्भ में स्थान कम होने के कारण विकास संबंधी समस्याएं उत्पन्न होने की संभावना अधिक होती है। स्कैन के द्वारा डॉक्टर यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि सब कुछ ठीक है।

2. आकार और सेहत की जांच:  यदि आपको उच्च रक्तचाप या मधुमेह है, तो आपके डॉक्टर यह सुनिश्चित करने के लिए यह स्कैन करना चाहेंगे कि आपके बच्चे को बढ़ने में परेशानी तो नहीं हो रही है। कभी-कभी ऐसी चिंता होती है कि शिशु बहुत छोटा या बहुत बड़ा तो नहीं है।

3. जटिलताओं के लक्षण: आपमें किसी जटिलता के लक्षण होने पर आपके डॉक्टर को शिशु की स्थिति की जांच करने की आवश्यकता होगी । इनमें दर्द, भ्रूण की गति का कम होना या रक्तस्राव भी शामिल हो सकता है ।

4. शारीरिक रचना की समीक्षा: आपके डॉक्टर को लगभग 19वें सप्ताह में किए गए अल्ट्रासाउंड के दौरान किसी भी संदिग्ध असामान्यताओं की स्थिति को दोबारा जांचने की आवश्यकता हो सकती है।

5. प्लेसेंटा की जांच: कभी-कभी 19 सप्ताह के अल्ट्रासाउंड के दौरान गर्भनाल बहुत नीचे दिखाई देती है, इस स्थिति को प्लेसेंटा प्रिविया कहते हैं । यह स्थिति आमतौर पर आपके तीसरी तिमाही में प्रवेश करते ही अपने आप सही हो जाती है क्योंकि बढ़ते गर्भाशय के कारण प्लेसेंटा सर्विक्स से खींच लिया जाता है।

6. शिशु की स्थिति का आकलन: जब आप अपनी नियत तारीख के करीब पहुँचने लगती हैं तो डॉक्टर को यह सुनिश्चित करना बहुत आवश्यक हो जाता है कि शिशु जन्म लेने की सही स्थिति में है, अर्थात गर्भ के अंदर उसकी स्थिति सर्विक्स से बाहर आने के लिए उपयुक्त है ।

स्कैन के समय डॉक्टर क्या जांच करेंगे

तीसरी तिमाही के दौरान स्कैन हमेशा आपके स्वयं के स्वास्थ्य इतिहास और आपके पिछले अल्ट्रासाउंड के परिणामों के आधार पर किया जाएगा। डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के दौरान निम्नलिखि जांच करेंगे:

1. बच्चे का माप:

आमतौर पर, एक बच्चे का माप माता-पिता पर निर्भर करेगा। बच्चे के सिर, पेट की मांसपेशियों और पैर की लंबाई जैसी चीजों को मापा जाएगा और इसकी तुलना स्टैंडर्ड माप से की जाएगी।

2. एम्नियोटिक द्रव:

आपके बच्चे को अच्छी तरह से विकसित होने के लिए एक निश्चित मात्रा में एम्नियोटिक द्रव मौजूद होने की आवश्यकता हैं। हालांकि गर्भावस्था के चरण के अनुसार इसकी मात्रा बदल जाती है ।

3. भ्रूण की हृदय गति:

एक गर्भस्थ शिशु के दिल की धड़कन की गति औसतन 120-180 बीट प्रति मिनट होनी चाहिए। तथापि आपके शिशु की हृदय गति भिन्न हो सकती है, जैसा कि वयस्कों में होता है ।

4. प्लेसेंटा की स्थिति:

डॉक्टर देखेंगे कि प्लेसेंटा प्रिविया, जिसमें प्लेसेंटा का आंतरिक छोर सर्विक्स के बहुत करीब होता है, जैसी कोई समस्या तो नहीं है ।

5. सर्विक्स की लंबाई:

यदि आपको समय से पहले प्रसव पीड़ा होती है, योनि से रक्तस्राव होता है और दर्द का अनुभव होता है तो सर्विक्स की लंबाई महत्वपूर्ण हो जाती है । कुछ मामलों में, एक ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है जिससे यह देखा जा सके कि समस्या क्या है।

6. बच्चे की 3डी छवियां:

कुछ माता-पिता अपने बच्चों को गर्भ में देखने का अनुरोध करते हैं, और अब यह और भी बेहतर है क्योंकि गर्भ में बच्चे की 3डी छवियां लेने के तरीके मौजूद हैं।

7. बच्चे का आकार:

भ्रूण के अनुमानित वजन यानी एस्टिमेटेड फीटल वेट (ई.एफ.डबल्यू.) की तुलना आमतौर पर समान गर्भकालीन उम्र के अन्य भ्रूणों से की जाती है। एक ई.एफ.डब्ल्यू. जो 50 परसेंटाइल मापक्रम पर दिखाता है, उसे औसत आकार माना जाता है। 10 परसेंटाइल मापक्रम से कुछ भी कम होने का मतलब शिशु का आकार छोटा है, और अगर परसेंटाइल मापक्रम 90 से ऊपर है, तो यह एक बड़े आकार का शिशु है।

8. अम्बिलिकल कॉर्ड (नाभि रज्जु) में रक्त प्रवाह:

अम्बिलिकल कॉर्ड यानि नाभि रज्जु में डॉपलर अध्ययन नामक विधि का उपयोग करके शिशु के रक्त प्रवाह का माप लिया जाता है । यह आपके बच्चे की सेहत और स्वास्थ्य का निर्धारण करने में बहुत सहायक होता है । उन शिशुओं के लिए जो ठीक से विकसित नहीं हो रहे हैं, रक्त प्रवाह भिन्न होगा। डॉक्टर इस जांच के द्वारा यह आकलन करने में सक्षम होंगे कि क्या शिशु को जल्दी बाहर निकालना होगा ।

9. बच्चे की स्थिति:

आपका शिशु गर्भ के अंदर तीन स्थितियों में रह सकता है। सेफेलिक स्थिति (सिर नीचे की ओर होना), ब्रीच स्थिति (नितंब नीचे, सिर गर्भाशय में ऊपर की ओर) और ट्रांस्वर्स स्थिति (शिशु आड़ा होना) । डॉक्टर इस पर गर्भावधि के अंत तक नजर रखेंगे क्योंकि शिशु की स्थिति बदलती रहती है।

10. गर्भाशय:

गर्भाशय से जुड़ी किसी भी समस्या की पहचान के लिए उसका परीक्षण आवश्यक है। उदाहरण के लिए, यदि माँ के गर्भाशय में फाइब्रॉइड हैं, तो उनकी पहचान की जाएगी और डॉक्टर ये भी बता सकेंगे कि ये कहाँ पर है ।

स्कैन में गर्भस्थ शिशु कैसा दिखेगा

ज्यादातर लोग ऐसा सोचते हैं कि शिशु जितना बड़ा होता है, स्कैन में उसे देखने में उतनी ही आसानी होती है, लेकिन यह सच हो, ऐसा जरूरी नहीं है। शिशु को देखना बहुत कठिन हो जाता है, और अक्सर वह हिस्सों में दिखाई देता है ।
कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो शिशु की स्थिति को अच्छी तरह दिखाने के लिए आवश्यक होती हैं। बच्चे की स्थिति, माँ का पेट और गर्भ में मौजूद एम्नियोटिक द्रव की मात्रा, सभी यहाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन सबकी उचित स्थिति आपके शिशु की बेहतरीन छवि दिखाने में मदद करती है।

तीसरी तिमाही के स्कैन में क्या पता नहीं चल सकता

तीसरी तिमाही के स्कैन में निम्नलिखित कुछ बातें पता नहीं चल सकती हैं:

  • शिशु का वजन: शिशु जितना बड़ा हो, उसके विकास के बारे आकलन करना उतना ही कठिन होता है। डॉक्टर कई बार बच्चे के वजन के बारे में नहीं जान पाते हैं क्योंकि कभी-कभी उसकी स्थिति उसके सिर, पेट और पैरों को मापने की प्रक्रिया में बाधा डालती है।
  • रक्तस्राव का स्रोत: अगर खून बह रहा है, तो स्कैन में यह पता नहीं चल पाएगा कि यह कहाँ से आ रहा है।
  • नियत तारीख: आपकी नियत तारीख का अनुमान गर्भधारण के 20 सप्ताह से पहले ही लग जाना चाहिए क्योंकि इसके बाद शिशु का आकार और वजन बढ़ता ही जाता है ।

क्या तीसरी तिमाही का स्कैन सुरक्षित है

यद्यपि यह स्कैन पूरी तरह से सुरक्षित होता है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है, फिर भी हो सकता है कि आपका डॉक्टर इसे करवाने की सलाह सिर्फ तब दे जब उसे शंका हो कि कुछ ठीक नहीं है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

तीसरी तिमाही में, स्कैन ट्रान्सएब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड (माँ के पेट के माध्यम से स्कैन) का उपयोग करके किया जाता है, जहाँ पेट के माध्यम से एक जेल और प्रोब उपकरण का उपयोग करके स्कैन होता है । आपके बच्चे के विकास और प्रगति की निगरानी का एक और तरीका है, जिसे ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड कहा जाता है। इसमें योनि में प्रोब डालकर जांच की जाती है। ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड करने से पहले आपकी अनुमति की हमेशा आवश्यकता होती हैं।

1. क्या मुझे अल्ट्रासाउंड के लिए भरे हुए मूत्राशय की आवश्यकता है?

आंशिक रूप से भरा हुआ मूत्राशय ट्रांसएब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड के लिए आदर्श है क्योंकि इससे शिशु की तस्वीरें स्पष्ट होंगी। यह इतना भी भरा नहीं होना चाहिए कि आपको इससे पीड़ा हो । यदि ऐसा होता है तो आपको जांच से पहले अपने मूत्राशय को थोड़ा-सा खाली करने के लिए कहा जाएगा। अगर ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता है, तो आपको जांच से पहले अपने मूत्राशय को पूरी तरह खाली करने के लिए कहा जाएगा।

2. तीसरी तिमाही के अल्ट्रासाउंड स्कैन के दौरान महिलाएं कभी-कभी बेहोशी क्यों महसूस करती हैं?

जब आप लेटती हैं, तो आपके पेट के पीछे का हिस्सा बच्चे के वजन के कारण संकुचित हो जाता हैं। इससे आपको मतली होती है और आप बेहोश हो जाती हैं, खासकर यदि आपके पेट में पल रहा शिशु आकार में बड़ा हो या गर्भ में एक से अधिक शिशु हों। यदि आप अपने अल्ट्रासाउंड के लिए लेटते समय इसका अनुभव करती हैं, तो अपने सोनोग्राफर को बताना हमेशा बेहतर होता है क्योंकि तब आप रुक सकती हैं और या तो आप अपने अनुकूल करवट बदल सकती हैं।

चूंकि बच्चे तेज गति से बढ़ते हैं, डॉक्टर अक्सर आपको केवल एक स्कैन के बजाय अनेक स्कैन की करने सलाह देते हैं क्योंकि यह उन्हें अधिक सटीकता के साथ आपके शिशु की सेहत के बारे में जानकारी संकलित करने में मदद करता है । हालांकि जब आपको ये जांच करने को कहा जाता है तो आपको थोड़ी असुविधा हो सकती है लेकिन याद रखें कि अधिकतर ये स्कैन यह सुनिश्चित करने के लिए किए जाते हैं कि सब ठीक है।