गर्भावस्था की तीसरी तिमाही: क्या करना चाहिए और क्या नहीं

प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही

यदि आप सात महीने की गर्भवती हैं, तो इसका अर्थ है कि आप अपनी तीसरी और अंतिम तिमाही में प्रवेश कर चुकी हैं। आपके पेट का आकार अब काफी बढ़ चुका होगा और आपको अपने वजन में भी वृद्धि दिख रही होगी। इसके बाद भी, अभी आपके गर्भस्थ शिशु का विकास जारी रहने वाला है और फलस्वरूप आपके पेट के आकार बढ़ोतरी होती रहेगी। अंतिम तीन महीने वे होते हैं जब आपके बच्चे की हड्डियां, त्वचा, बाल, दाँत और नाखून, पाचन तंत्र, मस्तिष्क और पाँचों इंद्रियां पूर्ण विकसित हो जाती हैं। गर्भ में लगभग साढ़े आठ महीने होने के बाद आपका शिशु अपनी स्थिति को निरंतर बदलते हुए दुनिया में आने के लिए तैयारी करने लगेगा।

स्वाभाविक है कि इन सबका आपके शरीर पर बहुत प्रभाव पड़ता है । आपका मूत्राशय नियंत्रण से बाहर होने लगता है; आपको पेट की परेशानी, थकान, सीने में जलन और पीठ में दर्द होता होगा। आपका शरीर शिशु के आगमन के लिए तैयारी करने लगा है, जिसका अर्थ है कि आपके स्तनों से अचानक रिसाव होता है । इन सबके बावजूद एक समर्पित माँ के रूप में आप ये सब सहती हैं, अपने डॉक्टर की सलाह मानती हैं और इस चरण के अंत की प्रतीक्षा करते हुए अपने शिशु लेकर उत्सुक और उत्साही बनीं रहती हैं।

तीसरी तिमाही कार्य सूची

यद्यपि आपको आराम करने की आवश्यकता है, किन्तु आपको यह समय अपने बच्चे को इस दुनिया में लाने के लिए भी इस्तेमाल करना होगा। ऐसा हो सकता है कि पहली बार माँ बनने जा रही महिलाओं को यह पता न हो कि तीसरी तिमाही में क्या करना चाहिए, और चूंकि संकुचन और थकान के कारण आपकी याददाश्त पर असर पड़ सकता है, इसलिए हमने तीसरी तिमाही की एक कार्य सूची तैयार की है जो आपको योग्य मार्गदर्शन दे सकती है।

तीसरी तिमाही कार्य सूची

  1. स्वस्थ खाएं: आपके बच्चे को आवश्यक सभी पोषक तत्व आप से ही मिलते हैं, इसलिए अपने शिशु की आवश्यकता के अनुसार वक स्वस्थ और संतुलित आहार के बारे में नियमित रहें और सख्ती से इसका पालन करें ।
  2. बच्चे के हिलने-डुलने पर ध्यान रखें: अपने बच्चे की गतिविधियों पर ध्यान रखें । यदि आपको अपने बच्चे के हिलने-डुलने में कोई कमी या असामान्यता दिखे तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
  3. डॉक्टर से मिलें: आप यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप और आपका बच्चा जन्म के लिए अच्छी स्थिति में हैं, कुछ नियमित शारीरिक परीक्षणों और प्रसव पूर्व जांच के लिए डॉक्टर से मिलें।
  4. प्रशिक्षण लें: इन दिनों शिशु की देखभाल के लिए प्रसव पूर्व प्रशिक्षण लेना काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। विशेषतः यदि आप पहली बार माँ बन रही हैं तो स्तनपान और नवजात सी.पी.आर. क्लासेस आपके लिए उपयोगी होंगी।
  5. शिशु देखभाल के बारे में पढ़ें: अगर आपने अभी तक शुरुआत नहीं की है, तो गर्भावस्था से हटकर शिशु की देखभाल के बारे में पढ़ने का बदलाव करने का यही सही समय है। आपके बच्चे के जन्म के बाद पहले कुछ हफ्तों तक शोध करने का आपके पास अधिक समय नहीं होगा।
  6. बड़े निर्णयों के बारे में सोचें: कोई भी माँ अपने बच्चे को छोड़कर कहीं जाना नहीं चाहती, लेकिन मैटर्निटी लीव की अपनी सीमा तो है ही। इस समय, आपको और आपके साथी को बैठकर चर्चा करने की आवश्यकता है कि क्या आपके परिवार के लिए सबसे अच्छा विकल्प यह है कि आप अपने बच्चे के साथ घर पर रहें। आजकल पार्ट टाइम काम भी उपलब्ध होते हैं।
  7. नवजात के लिए सामान इकट्ठा करें: क्रिब, स्ट्रोलर, कार की सीटें आदि एकत्रित करना शुरू करें । आप अपने घर को बच्चे के लिए सुरक्षित करने के बारे में भी सोच सकती हैं।
  8. अपने शिशु से बात करें: आपका शिशु अब आपको सुन सकता है। अपने शिशु से बात करने से उसका भाषा कौशल विकसित करने में सहायता मिलती है, और यह तो कोई बताने की बात ही नहीं है कि वह आपकी आवाज सुनना पसंद करेगा। यदि आप नहीं जानती कि शिशु से क्या बात करें तो बस अपने बच्चे को एक किताब पढ़कर सुनाएं ।
  9. प्रसव पीड़ा का सामना करने के बारे में जानें: उन महिलाओं के लिए, जो पहली बार माँ बनने जा रही हैं, प्रसव में औसतन 15 घंटे लग सकते हैं, और कभी-कभी यह उससे भी अधिक समय तक चल सकता है। उन महिलाओं के लिए, जिनकी पहले नॉर्मल डिलीवरी हो चुकी है उन्हें अपेक्षाकृत कम समय लगता है, लगभग आठ घंटे। यद्यपि आपके लिए दर्द निवारक दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन कुछ महिलाएं प्राकृतिक जन्म का विकल्प चुनती हैं और उनका उपयोग नहीं करती हैं। अपनी स्थिति के बारे में सोचें और अपने लिए उपलब्ध विकल्पों का पता लगाएं ।
  10. प्रसव के लिए तैयारी: अपने डॉक्टर के साथ एक प्रसव योजना पर चर्चा करना भी महत्वपूर्ण है। आपको पता होना चाहिए कि आपको उनसे कब संपर्क करना है और कब अस्पताल जाना है। प्रसव के चरणों के बारे में पढ़ें ताकि आपको आसानी हो ।
  11. योजना बनाएं: यद्यपि प्रसव पीड़ा कभी भी अचानक शुरू हो सकती है, तथापि इससे संबंधित एक योजना बनाकर रखें जिससे आपको मुश्किल और असुविधा न हो । आप अस्पताल में किसके साथ जाना चाहती हैं, प्रसव के लिए दर्द की दवा लेंगी या प्राकृतिक पद्धति से शिशु को जन्म देंगी, अस्पताल में निजी कमरा लेंगी या साझा करके इत्यादि बातों पर पहले से ही नियोजन आवश्यक है।
  12. बच्चे के कपड़े और बिस्तर धोएँ: बहुत सौम्य डिटर्जेंट का उपयोग करें और अपने बच्चे के कपड़े और बिस्तर स्वच्छ कर लें क्योंकि ऐसा हो सकता है कि इन पर ऐसे पदार्थ हों जो आपके बच्चे की त्वचा के लिए परेशानी बन सकते हों ।
  13. सहायकों से पहले ही बात कर के रखें: माँ बनने के बाद बहुत सारी बातों के लिए आपको दूसरों की मदद लगेगी। बेहतर होगा कि आप उन लोगों की सूची बनाएं जिन्होंने आपकी सहायता करने में हामी भरी है और यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक व्यक्ति के पास एक विशिष्ट कार्य और उसे करने का समय हो। इसमें आपके बड़े बच्चे की देखभाल, पालतू जानवरों की और ध्यान रखने, घर के कामों को करने जैसा कुछ भी शामिल हो सकता है।
  14. अस्पताल चुनें: अंतिम मिनट की प्रतीक्षा करने और निकटतम अस्पताल में जाने की जगह, अभी अपने सभी विकल्पों की जांच करें। उस अस्पताल को चुनें जो आपको अपने लिए सबसे अधिक सुविधाजनक लगता है और जिसके प्रति आप आश्वस्त हैं कि वह आपको सर्वश्रेष्ठ देखभाल प्रदान करेगा। यदि आप अपने मेडिकल बिलों का भुगतान करने के लिए अपने मेडिक्लेम यानि स्वास्थ्य बीमा का उपयोग करने की सोच रही हैं तो पता करें कि क्या वे बीमा स्वीकार करते हैं। एक बार जब आपको कोई जगह पसंद आ जाए, तो अंतिम समय पर कागजी कार्रवाई से बचने के लिए पहले से ही पंजीकरण करने का प्रयास करें।
  15. बैग तैयार करें: आपको अस्पताल में रहने के लिए पहले से नियोजन करने की आवश्यकता है। कुछ आवश्यक और महत्वपूर्ण सामान तैयार रखें, क्योंकि प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद आपके पास यह करने का समय नहीं होगा। एक बैग में मेडिक्लेम का कार्ड, आरामदायक कपड़े और प्रसाधन, आपके बच्चे के कपड़े इत्यादि भरकर रख लें ।
  16. घर साफ करवा लें: अस्पताल में रहने के बाद, एक साफ-सुथरे घर में वापस आना हमेशा अच्छा लगता है। अपने घर की सफाई से आपको ही लाभ होगा क्योंकि जब नवजात शिशु आपके साथ होगा तो आपके पास ऐसा करने की शक्ति नहीं रहेगी।
  17. रोजमर्रा का सामान भरकर रखें: शिशु के आने पर आपके लिए कुछ भी करना आसान नहीं होगा। अपने बच्चे को बाहर ले जाने से बचने के लिए आवश्यक घरेलू सामान का संचय करना सबसे अच्छा है। किचन का सामन, दवाइयां, टॉयलेट पेपर जैसी रोजमर्रा की जरूरी चीजें संचय करके रख लें ।
  18. मनःशांति और रिलैक्स होने के लिए कुछ खरीदें: अपने लिए कुछ नई किताबें या आपके पसंदीदा शौक से जुड़ी वस्तुएं लाकर रख लें। बच्चे की देखभाल करने के बाद मिलने वाले समय में स्वयं को रिलैक्स रखने के लिए ये आवश्यक हैं।
  19. प्रतिदिन व्यायाम करें: यदि आप कर सकती हैं, तो कुछ बुनियादी व्यायाम या स्ट्रेचिंग करें जो गर्भावस्था के अनुकूल हों । यह आपके लिए वास्तव में अच्छा है क्योंकि यह आपके शरीर को प्रसव के लिए अच्छी स्थिति में रखता है।
  20. बच्चे या पालतू जानवरों की देखभाल की व्यवस्था करें: यदि आप पहले से ही माँ हैं तो अस्पताल जाने के बाद अपने बड़े बच्चे की देखभाल करने के लिए किसी की व्यवस्था करके रखें । इसी तरह आपके पालतू जानवरों की दैनिक आवश्यकता जैसे कि भोजन और सैर के लिए पहले ही योजना बनाना सबसे अच्छा है।
  21. बच्चे के आगमन के लिए पालतू जानवरों को तैयार करें: अधिकतर पशुप्रेमी लोग अपने पालतू जानवरों को बच्चों की तरह मानते हैं। पर अब जब आप एक बच्चे को जन्म दे रही हैं, तो हो सकता है कि आपके पालतू जानवर को वैसा ध्यान न मिले जिसका वह आदी था और नए बदलावों को लेकर वह उलझन में पड़ जाए। पालतू जानवरों को अपनी नई जीवन शैली में ढालना सीखें और अपने पालतू जानवर को अपने बच्चे से मिलाने का सबसे अच्छा तरीका जानें।
  22. अपनी गर्भावस्था का आनंद लें: अपने जीवन में इस यादगार समय को हमेशा याद रख सकें इसलिए अपनी तस्वीरें लें। किसी प्रोफेशनल फोटोग्राफर से अपना प्रीनेटल फोटोशूट कराएं।

तीसरी तिमाही के दौरान क्या न करें

इतनी ढ़ेर सारी चीजों को करने के साथ और इसके पीछे लगने वाली मेहनत के कारण आपकी तीसरी तिमाही अभी तक की गर्भावस्था का सबसे कठिन चरण हो सकती है। यहाँ तक ​​कि दैनिक गतिविधियां जैसे जूते के फीते बांधना भी लगभग असंभव हो सकता है। अतः इस दौरान कुछ ऐसी बातें हैं जो आपको नहीं करनी हैं, आइए जानें:

  1. सॉना और स्टीम बाथ: सॉना और स्टीम बाथ किसे पसंद नहीं होता लेकिन ये शरीर के आंतरिक तापमान को बदलते हैं जो भ्रूण में विकास संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं । यह एक ऐसी चीज है जिससे बचने की आवश्यकता है, विशेषकर आपकी तीसरी तिमाही के दौरान!
  2. वजन उठाना: कोई भी भारी वस्तु उठाने से बचें, यहाँ तक कि अगर आपको छोटा बच्चा भी है, तो किसी और से उसे गोद में देने को कहें । भार उठाने से आपकी पीठ के निचले हिस्से पर जोर आ सकता है और आपको इस महत्वपूर्ण समय पर कोई अनावश्यक जोखिम नहीं उठाना चाहिए।
  3. अधिक समय तक यात्रा करना या बैठना: लंबे समय तक बस और कार में यात्रा करना या एक ही जगह पर कई-कई घंटों तक बैठे रहना आपके लिए बहुत असुविधाजनक हो सकता है। हो सके तो इसे टालिए, लेकिन अगर आपको लंबे समय तक बैठना ही पड़े तो हर घंटे-दो घंटे में उठना सुनिश्चित करें क्योंकि इससे शिशु को रक्त संचार में सहायता मिलेगी।
  4. भारी भोजन: इस समय, शिशु आपके पेट में काफी नीचे की ओर होता है और यदि आप एक बार में बहुत सारा खा लेती हैं तो पाचन थोड़ा मुश्किल हो सकता है। भारी भोजन से गले में खट्टापन जैसी समस्याएं हो सकती हैं क्योंकि भ्रूण पेट के विरुद्ध जोर दे रहा होगा। दिन भर में कई बार खाना ठीक है पर खाने की मात्रा कम रखिए।
  5. ऊँची एड़ी के जूते: ऊँची एड़ी के जूते पार्टियों के लिए ठीक हैं लेकिन आपकी शारीरिक अवस्था के लिए भयानक हैं। यदि आप ऊँची एड़ी वाले जूते पहनती हैं तो आपकी पीठ पर काफी दबाव पड़ेगा । अनावश्यक तनाव और दर्द से बचने के लिए, अधिक आरामदायक फ्लैट जूते चुनें।
  6. ऊँचे स्थान: ऊँचाई पर सांस लेना मुश्किल होता है, क्योंकि हवा में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। ऊँचाई वाले स्थानों पर उड़ान भरने या यात्रा करने से बचें, क्योंकि इससे आपका बच्चा ऑक्सीजन से वंचित हो सकता है।
  7. भारी व्यायाम: यद्यपि गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन व्यायाम करने की सलाह दी जाती है, लेकिन हमेशा अपनी दिनचर्या के बारे में डॉक्टर से सलाह लें, खासकर यदि आप पहले से ही किसी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हों । आप ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहेंगी जिससे आप अत्याधिक थक जाएं और न ही शिशु को कोई नुकसान हो।
  8. भारी घरेलू काम: अपने घर के कामों के लिए सहायता लें क्योंकि आपको ऐसा नहीं करना चाहिए जिसमें धूल और गंदगी हो। किसी भी रासायनिक डिटर्जेंट से बचें और इसके बजाय हर्बल उत्पाद अपनाएं ।
  9. बिल्ली की गंदगी की सफाई या कच्चे मांस को छूना: बिल्ली की गंदगी और कच्चे मांस में एक परजीवी होता है जो टॉक्सोप्लाज्मोसिस का कारण बनता है, इसलिए इनमें हाथ लगाने से बचें क्योंकि यह आपके अजन्मे बच्चे के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है।
  10. संभोग: यूं तो गर्भावस्था के दौरान संभोग करने की सलाह दी जाती है, लेकिन यदि इससे आपको थकान हो रही है या यदि आपको पहले से ही समय पूर्व प्रसव होने का खतरा है तो तब तक रुकें जब तक कि आपका डॉक्टर इसके लिए अनुमति न दे।

तीसरी तिमाही में कुछ स्त्रियों को मॉर्निंग सिकनेस यानि जी मिचलाने की समस्या फिर से परेशान करती है। यदि आप व्यग्र महसूस कर रही हैं, तो चिंता न करें। थकान और परेशानी की वजह से हार न मानें और दूसरों से सहायता लें। आपके साथी, दोस्त और परिवार सभी आपकी सहायता करने के लिए जरूर तैयार रहेंगे, अगर आप उन्हें बताएं कि आपको उनकी मदद चाहिए। अब वह पल दूर नहीं है, जब गर्भ में पल रहा आपका नन्हा शिशु आपकी बाहों में होगा। इसलिए गर्भावस्था के इस चरण को धैर्य के साथ पार करें और प्रसन्न रहें।