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गर्भावस्था के दौरान अधिक खाने से ज्यादातर महिलाओं का वजन बढ़ता है। चूंकि कहावत के अनुसार गर्भवती महिलाओं को दो लोगों के लिए खाना चाहिए इसलिए वे ज्यादा खाती हैं तो इससे उन्हें आगे कई समस्याएं हो सकती हैं। रिसर्च से पता लगा है कि यदि गर्भवती महिला ओवर-ईटिंग करती है तो इससे उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान ज्यादा खाने से बच्चे की सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में रोजाना 340 कैलोरी-युक्त आहार और तीसरी तिमाही में 450 कैलोरी-युक्त आहार का सेवन करने के साथ लगभग 18 किलो के आसपास वजन बढ़ाने की सलाह दी जाती है।
गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा खाने से महिलाओं के स्वास्थ्य पर उल्टा असर भी पड़ सकता है। गर्भावस्था में ओवर-ईटिंग क्यों नहीं करनी चाहिए इसके कुछ कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
गर्भावस्था के दौरान खाने में नियंत्रण न रखने से महिलाओं का वजन बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। इस समय ज्यादा वजन बढ़ने की वजह से महिलाओं को शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं, जैसे पैरों में दर्द बढ़ सकता है और जोड़ों में अधिक दबाव भी पड़ सकता है। इससे महिलाओं में वैरिकोज वेन्स और हेमोरोइड (बवासीर) होने का खतरा भी बढ़ सकता है।
गर्भावस्था के दौरान ओवर-ईटिंग करने और बहुत ज्यादा वजन बढ़ने की वजह से एक गर्भवती महिला में जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। महिला में शुगर का स्तर बढ़ने की वजह से गर्भ में पल रहे बच्चे में इंसुलिन लेवल और ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। इस वजह से जन्म के बाद बच्चे के शरीर में फैट बढ़ता है और उसे टाइप 2 डायबिटीज या ओबेसिटी होने का खतरा हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा कैलोरी-युक्त भोजन करने से गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी प्रभाव पड़ सकता है। सामान्य से अधिक बड़े बच्चे को जन्म देने की संभावना अधिक होने के कारण आपको सिजेरियन करवाना पड़ सकता है जिससे गर्भावस्था में कॉम्प्लीकेशंस भी बढ़ सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान हार्टबर्न या सीने में जलन होना एक आम समस्या है। बढ़ती गर्भावस्था के साथ गर्भाशय भी बढ़ता है जिसकी वजह से डायजेस्टिव ट्रैक्ट के आस-पास जगह न रह जाने से पेट और आंतों में अधिक दबाव पड़ता है। इस समय बहुत ज्यादा खाने से पाचन की समस्या और सीने में जलन हो सकती है।
यदि ओवर-ईटिंग की वजह से एक गर्भवती महिला का वजन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो इसकी वजह से जन्म के समय बच्चा काफी बड़ा भी हो सकता है। डिलीवरी के समय पर बच्चा बड़ा होने की वजह से उसके कंधों में या माँ की बर्थ कैनाल में भी चोट लग सकती है। बड़े आकार के बच्चों में जन्म के बाद रेस्पिरेटरी समस्याएं, ब्लड प्रेशर कम होना, ओबेसिटी या दिल का रोग होने का खतरा भी हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा खाने से एक गर्भवती महिला को प्री-एक्लेम्पसिया या हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है जिससे माँ और बच्चे की सेहत पर प्रभाव पड़ता है। प्री-एक्लेम्पसिया की वजह से समय से पहले डिलीवरी का खतरा भी होता है। अक्सर ऐसे मामलों में महिलाओं को बेड रेस्ट और दवाएं लेने की सलाह दी जाती है।
एक गर्भवती महिला डिलीवरी के बाद अपना बढ़ता हुआ वजन आसानी से कम कर सकती है। पर यदि वजन सामान्य से अधिक बढ़ जाता है तो इसे कम करने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत पड़ सकती है। यदि गर्भावस्था के दौरान आप ओवर-ईटिंग करती हैं तो इससे गर्भावस्था के बाद आपको वजन कम करने में कठिनाई हो सकती है।
लगातार कुछ भी खाने से आपकी आदत खराब हो सकती है। इस आदत की वजह से आप डिलीवरी के बाद भी ओवर-ईटिंग करने से खुद को नहीं रोक पाएंगी जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान कई महिलाएं पूछती हैं कि ओवर-ईटिंग को कैसे रोका जा सकता है। यहाँ कुछ संभावित तरीके दिए हुए हैं जिनकी मदद से आप इसे कम कर सकती हैं, आइए जानें;
गर्भावस्था के दौरान सामान्य से अधिक वजन बढ़ाने की सलाह नहीं दी जाती है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि आप भूख लगने पर भी कुछ न खाएं। इस समय आप हेल्दी खाएं, थोड़ी बहुत एक्सरसाइज करें और बहुत अधिक मात्रा में खाने से बचें। हेल्दी और सेहतमंद प्रेगनेंसी के लिए ओवर-ईटिंग करने से बचें।
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