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डॉक्टर्स और मरीजों दोनों के लिए एनेस्थीसिया समान रूप से एक ब्लेसिंग की तरह है। यह मरीज के लिए सर्जरी में होनेवाले दर्द को सुन्न कर देता है ताकि उसे बहुत ज्यादा पीड़ा न हो। डॉक्टर्स के लिए यह ब्लेसिंग इसलिए है क्योंकि इसकी वजह से मरीज शांत रहते है और प्रक्रिया को सही तरीके से करने में कॉपरेट करते हैं जिसकी वजह से डॉक्टर पूरी तरह से सर्जरी पर ध्यान दे पाते हैं।
महिला के शरीर का निर्माण इस तरीके से हुआ है कि वह गर्भावस्था को बहुत अच्छी तरह से संभाल सकती है। हालांकि कभी-कभी कुछ इमरजेंसी हो सकती हैं जिसमें बच्चे का सिर बड़ा होने के कारण सिजेरियन करवाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे मामलों में एनेस्थीसिया का उपयोग किया जाता है। यदि देखा जाए तो इसमें मिसकैरेज जैसी कुछ कॉम्प्लीकेशंस की वजह से माँ और बच्चा खतरे में आ सकते हैं। इसलिए इसका उपयोग बहुत ज्यादा गंभीर समस्याएं होने पर ही करना चाहिए और विशेषकर पहली तिमाही में इसके उपयोग से बचना चाहिए।
एनेस्थीसिया दो प्रकार की होती हैं, आइए जानें;
इस चरण में एनेस्थीसिया का उपयोग दर्द को कम करने के लिए किया जाता है। महिला को एपिडरल या स्पाइनल एनेस्थीसिया सिर्फ लेबर के दौरान और डायलेशन पूरा होने से पहले ही दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप वजायनल डिलीवरी के लिए फोरसेप या वैक्यूम का उपयोग किया जा सकता है इसलिए ज्यादातर महिलाएं इसे न करने का निवेदन करती हैं। गर्भावस्था के अंतिम चरण में जनरल एनेस्थीसिया देने से महिला को सिजेरियन डिलीवरी भी करवानी पड़ सकती है।
सामान्यतौर पर गर्भावस्था के दौरान कोई भी प्रभावी सर्जरी नहीं करवानी चाहिए क्योंकि इससे गर्भवती महिला में स्ट्रेस का स्तर बढ़ता है जिसकी वजह से बच्चे पर भी प्रभाव पड़ सकता है। यहाँ तक कि गर्भावस्था के दौरान दाँतों की सर्जरी या इसमें दिए जाने वाले एनेस्थीसिया से भी बचना चाहिए। गर्भावस्था पर एनेस्थीसिया के क्या प्रभाव पड़ सकते हैं, आइए जानें;
गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिला को एनेस्थीसिया देने से उसका अचानक मिसकैरेज भी हो सकता है।
इस समय महिला का शरीर गर्भावस्था के अनुकूल होने लगता है और इस समय एनेस्थीसिया का उपयोग करने से इसके विपरीत प्रभाव भी पड़ सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप महिला को इंटरनल ब्लीडिंग और मिसकैरेज की वजह से कई कॉम्प्लीकेशंस भी हो सकती हैं।
गर्भवती महिला को एनेस्थीसिया देने से बच्चे की प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है, जन्म के दौरान बच्चे का वजन कम हो सकता है और मृत शिशु का जन्म भी हो सकता है।
गर्भवती महिला को एनेस्थीसिया देने से पहले कई चीजों की जांच कर लेनी चाहिए। इस प्रक्रिया को करवाने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
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