इस समय आप अपने बच्चे का स्वागत करने के लिए बहुत उत्साह और खुशी का अनुभव कर रही होंगी। आपके आसपास के सभी लोगों ने आपको बच्चे में आगे होनेवाले शारीरिक और भावनात्मक बदलावों के बारे में बता दिया होगा। हालांकि क्या किसी ने आपको यह बताया है कि गर्भावस्था में आपकी आवाज भी बदल सकती है? यह आपको बहुत अजीब लगेगा पर गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं ने अपनी आवाज में काफी अंतर महसूस किया है। गर्भावस्था में महिलाओं की आवाज क्यों और कैसे बदलती है, ये सब जानने के लिए आगे पढ़ें।
गर्भावस्था के दौरान आवाज बदलने के कारण क्या हैं?
गर्भावस्था की शुरूआत से बच्चे के जन्म तक आपके शरीर में कई बदलाव हुए होंगे जिसमें ज्यादातर मेटाबॉलिक, शारीरिक और संरचनात्मक बदलाव हैं। पर ये सभी आपकी बदलती हुई आवाज के विपरीत हैं। गर्भावस्था के दौरान आपकी आवाज, पिच और क्वालिटी में बदलाव होने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
1. स्वरतंत्री या वोकल कॉर्ड्स में सूजन आने से
गर्भावस्था के दौरान हाथों, पैरों और चेहरे पर सूजन होती है और कभी-कभी वोकल के टिश्यू भी सूज जाते हैं। इस सूजन की वजह से वोकल कॉर्ड पर दबाव पड़ता है और आवाज की क्वालिटी बदल जाती है।
2. गर्भावस्था के हॉर्मोन्स की वजह से
गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोनल बदलावों की वजह से आप में बहुत सारे बदलाव होते हैं। शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के उतार-चढ़ाव से गर्भवती महिला के शरीर पर प्रभाव पड़ता है और हॉर्मोनल असंतुलन की वजह से आवाज की क्वालिटी भी प्रभावित हो जाती है।
3. शरीर में अत्यधिक फ्लूइड होने से
गर्भावस्था के दौरान शरीर में लगभग 50% फ्लूइड बढ़ता है। शरीर में फ्लूइड बढ़ने से कभी-कभी यह वोकल कॉर्ड के आसपास भी इकट्ठा हो जाता है जिसकी वजह से वाइब्रेशन दर धीमा होता है और वाइब्रेशन दर जितना कम होगा आवाज उतनी ही भारी होगी।
4. लंग्स की क्षमता में बदलाव होने से
गर्भ में बच्चे की वृद्धि होने के साथ सभी अंग और डायफ्राम भी ऊपर की ओर खिसक जाते हैं। इससे सांस लेने में कठिनाई होती है, आवाज भारी हो जाती है, लंग्स धीमा फंक्शन करने लगता है और आवाज भी बदल जाती है। इसकी वजह से आप ऊंचे स्वर और तेज आवाज में नहीं बोल पाती हैं।
5. आवाज की रेंज बदलने से
गर्भावस्था के दौरान पूरे शरीर में ब्लड वेसल बढ़ते हैं ताकि शरीर के विभिन्न भागों में खून की आपूर्ति बढ़ सके। यह आपकी वोकल कॉर्ड की वेसल में भी होता है जिसकी वजह से वोकल कॉर्ड की मांसपेशियां नाजुक हो जाती हैं और आसानी से फटने लगती हैं। इससे भी गर्भावस्था के दौरान आवाज बदल जाती है।
6. एल.पी.आर. या लैरिंगोफैरिंजील रिफ्लक्स के कारण
प्रोजेस्टेरोन आपके इसोफेगल स्पिंस्टर के फंक्शन को बाधित कर सकता है जो पेट के एसिड और कई तत्व वापस लैरिंक्स की तरफ जाने से रोकता है। इस वजह से आपके पेट का एसिड ऊपर की तरफ इसोफेगस में जाने से एल.पी.आर. यानी लैरिंगोफैरिंजील रिफ्लक्स की समस्या हो सकती हैं। एल.पी.आर. से आपके वॉइस बॉक्स में जलन होती है और आपकी आवाज में बदलाव आ सकता है।
7. नेजल प्रतिध्वनि में बदलाव की वजह से
हमने ऊपर भी चर्चा की है कि गर्भावस्था की वजह से शरीर के विभिन्न भागों में सूजन होती है और यह आपकी नाक में भी हो सकता है। नाक के आसपास सूजन होने से सांस लेने में बाधा आती है। नेजल प्रतिध्वनि कम होने की वजह से गर्भावस्था के दौरान आवाज में बदलाव आ सकता है।
8. पोस्चर में बदलाव होने से
गर्भावस्था के दौरान शरीर के पूरे सपोर्ट सिस्टम में बदलाव होता है जिसकी वजह से आवाज भी बदल जाती है। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में आते ही आपकी पीठ, सीने और पेल्विस पर प्रभाव पड़ना शुरू हो जाएगा जिसकी वजह से आपके पोस्चर और आवाज में भी बदलाव हो सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान आवाज में बदलाव होना बहुत नॉर्मल है। कुछ मामलों में बच्चे के जन्म के बाद आवाज दोबारा से नॉर्मल हो जाती है और कुछ मामलों में डिलीवरी के कुछ समय बाद आवाज ठीक होती है। हालांकि कुछ मामलों में आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
लैरिंगोलोजिस्ट से कब मिलें
गर्भावस्था के दौरान कई मामलों में हॉर्मोन्स में बदलाव के कारण भी आवाज से संबंधित समस्याएं होती हैं। हालांकि यदि आपको निम्नलिखित बदलाव महसूस होते हैं तो आप तुरंत लैरिंगोलोजिस्ट या डॉक्टर से मिलें। वे कौन से बदलाव हैं, आइए जानें;
- गर्भावस्था के दौरान यदि आपकी आवाज पूरी तरह से निकलनी बंद हो जाती है।
- यदि बोलते या गाते समय आपको दर्द या असुविधा होती है।
- यदि आपको बोलने, गाने, छींकने या खांसने के बाद अपनी आवाज बदली हुई लगती है।
यदि गर्भावस्था के दौरान आपको अपनी आवाज बदली हुई लगती है तो आपके लिए यह समझना जरूरी है कि यह बहुत नॉर्मल चीज है। अपनी आवाज को ठीक करने के लिए इस पर दबाव या स्ट्रेस न डालें। कभी-कभी लैरिंक्स पर दबाव डालने से वोकल कॉर्ड डैमेज हो जाती है। इसकी सूजन को खत्म करने के लिए आपको रिलैक्स करना चाहिए, ढेर सारा पानी पीना चाहिए और ब्रीदिंग एक्सरसाइज भी करनी चाहिए। बहुत जल्द आप अपने बच्चे के लिए लोरियां गाना शुरू कर देंगी।
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