गर्भावस्था

क्या गर्भावस्था के दौरान क्लॉउडी यूरिन होना कोई समस्या है?

आप मानें या न मानें पर यूरिन या पेशाब का रंग बदलना और गंध आना स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लक्षण भी होते हैं। आमतौर पर यूरिन का रंग हल्का पीला होता है। पर यदि आप गर्भवती हैं तो आप अपने शरीर के साथ-साथ यूरिन में भी कई बदलाव देख सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान यदि आपका यूरिन क्लॉउडी (पेशाब में सफेद पदार्थ) है तो इसके कई सारे कारण हो सकते हैं, आइए जानें। 

क्या गर्भावस्था के दौरान क्लॉउडी यूरिन होना सामान्य है?

ऊपर दिए हुए सवाल का जवाब ‘हाँ’ और ‘नहीं’ दोनों है। गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं और इस समय आपको अपने यूरिन (पेशाब) में भी बदलाव नजर आ सकते हैं। गर्भावस्था में दवाओं, हॉर्मोन में बदलाव और डायट में बदलाव के कारण आपका यूरिन पहले से थोड़ा गाढ़ा हो सकता है। सामान्य तौर पर यूरिन में गंध नहीं होती है और इसका रंग हल्का पीला होता ही। यदि आपके यूरिन में इन दोनों विशेषताओं से संबंधित बदलाव होते हैं तो यह समस्याओं की वजह से भी हो सकते हैं। 

गर्भावस्था के दौरान क्लॉउडी यूरिन होने के कारण क्या हैं?

यदि आपके खून में वाइट ब्लड सेल्स किसी इन्फेक्शन से लड़ रहे हैं या आपके यूरिन में खून मौजूद है तो आपकी यूरिन क्लॉउडी हो सकती है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान क्लॉउडी यूरिन (पेशाब में सफेद पदार्थ आना) होने के कई कारण हैं, आइए जानें;

1. हॉर्मोन्स में बदलाव

हॉर्मोनल बदलावों की वजह से भी क्लॉउडी यूरिन हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान बच्चे को सपोर्ट करने के लिए आपके शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं। पहली तिमाही में कुछ हॉर्मोन्स, जैसे ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) हॉर्मोन्स तेजी से बढ़ता है जिसकी वजह से भी यूरिन क्लॉउडी हो सकता है। 

2. डिहाइड्रेशन

मतली या उल्टी होना सिर्फ असुविधाजनक समस्याएं ही नहीं हैं बल्कि इसकी वजह से डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। यदि गर्भावस्था के दौरान आप डिहाइड्रेटेड हो जाती हैं तो आपके पेशाब का रंग गाढ़ा और क्लॉउडी हो सकता है। गर्भावस्था में आपको ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की जरूरत होती है क्योंकि इससे प्लेसेंटा, एमनियोटिक फ्लूइड और बढ़ते बच्चे को सपोर्ट मिलता है। इसलिए आप तरल पदार्थ लेती रहें। यदि आप यह नहीं लेती हैं तो आपको डिहाइड्रेशन हो सकता है जिससे आपको क्लॉउडी यूरिन की समस्या हो सकती है। 

3. प्रोटीनूरिया (पेशाब में प्रोटीन अधिक होना)

यदि आपके पेशाब में प्रोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा है तो यह प्रोटीनुरिया है। प्रोटीनुरिया या यूरिन में बहुत ज्यादा प्रोटीन होने से यूरिन क्लॉउडी होता है। यह अक्सर गर्भावस्था की दूसरी या तीसरी तिमाही में होता है। यदि पेशाब में अधिक प्रोटीन होने के साथ-साथ आपका ब्लड प्रेशर भी हाई है तो यह प्रीक्लेम्पसिया का शुरूआती लक्षण है। 

4. वजायनल डिस्चार्ज

गर्भावस्था के दौरान वजायनल डिस्चार्ज होना भी बहुत आम है। हालांकि यदि गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक वजायनल डिस्चार्ज होता है तो इससे यूरिन क्लॉउडी हो सकता है। यदि आपको इसके लक्षण दिखाई देते हैं तो यह सलाह दी जाती है कि आप मेडिकल एडवाइस लें क्योंकि गर्भावस्था के दौरान वजायनल डिस्चार्ज बढ़ने से समस्याएं भी हो सकती हैं। 

5. डायट में बदलाव

गर्भावस्था के दौरान आपको वह सभी चीजें खाने की क्रेविंग हो सकती है जो आप आमतौर पर नहीं खाती हैं। गर्भावस्था के समय डायट में अचानक बदलाव होने से या आहार मे ऑरेंज जूस, शतावरी या डेयरी प्रोडक्ट लेने से आपको क्लॉउडी यूरिन या गाढ़े रंग का पेशाब हो सकता है। यदि डायट की वजह से आपकी यूरिन का रंग बदलता है तो अपने आहार में उन खाद्य पदार्थों को न खाएं जिससे आपकी यह समस्या कम हो सकती है। 

6. यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यू.टी.आई.)

गर्भावस्था के दौरान यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होना आम है और यह गर्भावस्था के दौरान क्लॉउडी या मिल्की यूरिन होने का भी कारण है। यदि बार-बार पेशाब हो रही है या पेशाब में गंध आती है और यह क्लॉउडी है तो आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन हो सकता है। 

7. गोनोरिया (सूजाक)

गोनोरिया एक यौन संचारित रोग है और इसमें भी यूरिन क्लॉउडी हो जाती है। इसलिए पेशाब के दौरान यदि आपको दर्द या क्लॉउडी यूरिन के साथ अत्यधिक वजायनल डिस्चार्ज होता है तो आपको गोनोरिया हो सकता है। 

8. प्रीक्लेम्पसिया (प्री-एक्लेमप्सिया)

प्रीक्लेम्पसिया एक ऐसी समस्या है जो किडनी और लीवर को प्रभावित करती है और इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। यह समस्या आपको गर्भावस्था के 20वें सप्ताह या शुरुआत में हो सकती है, हो सकता है कि आपको इसके लक्षणों का पता भी न चले। इसलिए जरूरी है कि आप नियमित रूप से चेकअप और यूरिन टेस्ट करवाएं। यदि आपके पेशाब में प्रोटीन की मात्रा है तो यह प्रीक्लेम्पसिया बनने का संकेत है। यदि आपके पेशाब में प्रोटीन है और यूरिन क्लॉउडी है तो निश्चित रूप से आपको प्रीक्लेम्पसिया है। 

9. किडनी स्टोन्स (पथरी)

 कभी-कभी किडनी में पथरी या स्टोन्स होने की वजह से भी क्लॉउडी यूरिन हो सकता है। यदि आप डिहाइड्रेटेड रहती हैं तो आपकी किडनी में स्टोन्स होने की संभावनाएं अधिक बढ़ जाती हैं। 

यूरिन का रंग अलग होना – इसका क्या अर्थ है?

गर्भावस्था के दौरान यूरिन या पेशाब का रंग कई कारणों से बदल सकता है। इस समय यूरिन कितने रंगों में हो सकता है और इसके क्या कारण हैं, आइए जानें;

पिंक या लाल यूरिन

लाल या पिंक रंग की पेशाब होना हमेशा समस्या का संकेत नहीं होता है। यदि आपकी पेशाब लाल होती भी है तो हो सकता है कि आपने लाल रंग का बहुत ज्यादा कुछ खा लिया हो। कभी-कभी पेशाब में खून होने से भी इसका रंग लाल हो सकता है। यह एक गंभीर समस्या भी हो सकती है, जैसे किडनी में समस्या, अंदरूनी चोट या कैंसर। 

डार्क ऑरेंज या ब्राउन यूरिन

यदि आपके पेशाब का रंग ऑरेंज या भूरा है तो यह अच्छा संकेत नहीं है। गाढ़े ऑरेंज या भूरे रंग की पेशाब होने का अर्थ है अत्यधिक पित्त का स्राव होना जिससे पता लगता है कि आपको लीवर में कोई गंभीर समस्या हो सकती है। 

ब्राइट येलो या ऑरेंज यूरिन

ब्राइट पीला या ऑरेंज पेशाब होने का मतलब है कि आपने पीले रंग का भोजन खाया है। इसके अलावा कुछ अन्य दवाएं खाने से भी आपका पेशाब ब्राइट पीला-ऑरेंज हो सकता है। 

नीले या हरे रंग की यूरिन

कुछ दवाएं, जैसे लैक्सेटिव कीमोथेरेपी दवाएं लेने से पेशाब का रंग नीला-हरा हो सकता है। हालांकि, यदि आप दवाएं नहीं ले रही हैं और आपको नीले या हरे रंग की पेशाब आती है तो आप चेकअप जरूर करवाएं। 

क्लॉउडी यूरिन के लिए उपचार

क्लॉउडी यूरिन की समस्या ऊपर दिए हुए किसी भी कारण से हो सकती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान आप इस तकलीफ को ठीक करने के लिए कुछ निम्नलिखित होम रेमेडीज अपना सकती हैं, आइए जानें;

1. हाइड्रेटेड रहें

लगातार पानी पीने और हाइड्रेटेड रहने शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं और इससे क्लॉउडी यूरिन के लक्षणों को कम होने में मदद मिलती है। 

2. क्रेनबेरी का जूस पिएं

क्रेनबेरी के जूस में फायटोन्यूट्रीएंट्स की पर्याप्त मात्रा होती है जो यू.टी.आई., किडनी स्टोन्स और अन्य समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं। इन समस्याओं के कारण क्लॉउडी यूरिन हो सकता है।

3. शुगर और नमक-युक्त आहार न खाएं

खाने में शुगर की अधिक मात्रा होने से डायबिटीज की समस्या हो सकती है जिससे क्लॉउडी यूरिन होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी प्रकार से ज्यादा नमक-युक्त खाना खाने से किडनी की समस्याएं बढ़ जाती हैं जिससे भी क्लॉउडी यूरिन होता है। इन दोनों चीजों को नियंत्रित मात्रा में खाने से क्लॉउडी यूरिन के लक्षण कम हो सकते हैं। 

4. प्रिस्क्रिप्शन के अनुसार ही दवा लें

गर्भावस्था के दौरान अपने आप से दवाएं न लें या आवश्यकता से ज्यादा दवाओं का सेवन न करें क्योंकि ऐसा करने से भी सबसे पहले आपको क्लॉउडी यूरिन की समस्या ही होगी। 

5. वॉर्म या हॉट कंप्रेस का उपयोग करें

यदि आपको क्लॉउडी यूरिन की समस्या है तो आपके पेट में दर्द हो सकता है। इन्फेक्शन की वजह से भी पेट में दर्द हो सकता है जिसे कम करने के लिए आप वॉर्म या हॉट कंप्रेस का उपयोग कर सकती हैं। इससे सूजन कम होने में मदद मिलेगी और क्लॉउडी यूरिन की समस्या भी खत्म हो जाएगी। 

डॉक्टर से कब मिलें

क्लॉउडी यूरिन होना चिंता का कारण हो भी सकता है और नहीं भी पर विशेषकर गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर से इसकी जांच करवाना बहुत जरूरी है। इसलिए यदि आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें;

  • यदि गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में आपको मतली और उल्टी के साथ-साथ क्लॉउडी यूरिन की समस्या भी होती है।
  • यदि आपको बुखार आता है।
  • यदि आपके निजी अंगों में खुजली होती है।
  • यदि गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में क्लॉउडी यूरिन के साथ आपको क्रैंप्स भी आते हैं।
  • यदि आपको किसी के साथ बैठने में कठिनाई होती है।
  • यदि आपकी यूरिन में खून आता है।
  • यदि आपकी यूरिन में गंध आती है।
  • यदि पेशाब करते समय आपको दर्द होता है।
  • यदि आपके पेट और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है।
  • यदि आपको बार-बार पेशाब आती है।

यदि गर्भावस्था के दौरान आपको क्लॉउडी यूरिन की समस्या होती है तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वही आपको इसके कारणों का पता करके सही उपचार के बारे में बता सकते हैं। गर्भावस्था के समय में आप अपना खयाल रखें और स्वस्थ रहें। 

यह भी पढ़ें:

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सुरक्षा कटियार

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