गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान दालचीनी खाना – फायदे और सावधानियां

दालचीनी एक ऐसा मसाला है जिसका उपयोग खाने और हर्बल मेडिसिन में सदियों से होता आ रहा है। दालचीनी के पेड़ की कई किस्मों से बनी इस छाल के स्वाद का उपयोग कई व्यंजनों, ड्रिंक्स और डिजर्ट में किया जाता है। यद्यपि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं वह व्यंजन खा सकती हैं जिसमें दालचीनी का उपयोग एक सामग्री की तरह किया गया हो पर ज्यादातर डॉक्टर महिलाओं को इसका उपयोग करने की सलाह नहीं देते हैं। 

क्या गर्भावस्था के दौरान दालचीनी खाना सुरक्षित है?

गर्भावस्था के दौरान दालचीनी खाना सुरक्षित तभी होता है जब इसे संयमित मात्रा में फ्लेवर या सीजनिंग के तौर पर खाया जाए। इसमें एंटी-इंफ्लेमटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट, ब्लड शुगर नियंत्रित करने के गुण और प्राकृतिक फ्लेवर के गुण भी मौजूद हैं। यद्यपि इसे खाने के बहुत सारे फायदे हैं पर फिर यदि आप इसे बहुत ज्यादा खा लेती हैं तो इसके कई घातक साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। चूंकि दालचीनी का सेवन करने से खून में ग्लूकोज का स्तर कम हो जाता है और यह ब्लड क्लॉटिंग को भी कम कर सकता है इसलिए जो महिलाएं डायबिटीज या ब्लड थिनर की दवाएं ले रही हैं उन्हें ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है। दालचीनी खाने से पीरियड्स के दौरान खून का बहाव बढ़ सकता है और इससे मिसकैरेज होने का भी बहुत ज्यादा खतरा होता है। तो यदि आप सोचती हैं कि गर्भावस्था के दौरान दालचीनी खाना सही है तो इसका जवाब हाँ भी है और नहीं भी। आपको दालचीनी खाना चाहिए या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इसे कितना खाती हैं। यहाँ तक कि गर्भावस्था के दौरान अच्छी क्वालिटी की दालचीनी खाना भी हानिकारक हो सकता है। इस अवधि में दालचीनी के सप्लीमेंट्स या इससे बने अन्य खाद्य पदार्थों न खाएं। यदि आपकी गर्भावस्था में बहुत सारी कॉम्प्लीकेशन्स हैं तो भी आप दालचीनी खाने से बचें। 

गर्भावस्था के दौरान दालचीनी के फायदे

गर्भावस्था के दौरान दालचीनी के कुछ फायदे भी हैं, आइए जानते हैं;

1. यह नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट है

दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट, जैसे पोलीफेनॉल्स (3, 4, 5) भरपूर मात्रा में होते हैं इसलिए यह एक वैलुएबल हर्ब है। एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर से फ्री रैडिकल्स की क्षति से लड़ते हैं और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करते हैं। यह फंगस, बैक्टीरिया और पैरासाइट्स से होने वाले इन्फेक्शन को कम करने में भी अहम् भूमिका निभाता है। 

2. जेस्टेशनल डायबिटीज के लिए फायदेमंद है

दालचीनी की छाल में एक्टिव इंग्रिडिएटस होते हैं जो खून में शुगर लेवल को नियंत्रित करते हैं। यदि आप अपने खाने में इसे थोड़ा सा डालकर खाती हैं तो यह खून में शुगर के स्तर को नियंत्रित कर सकता है जिससे अक्सर महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज हो सकती है। हालांकि डायबिटिक होने से पहले या डायबिटिक ट्रीटमेंट के लिए इसकी भूमिका के लिए और रिसर्च करना बाकी है। 

3. यह नेचुरल फ्लेवरिंग एजेंट भी है

दालचीनी में विभिन्न स्वाद और सुगंध पाई जाती है जो इसे भोजन में आर्टिफिशियल फ्लेवरिंग एजेंट का एक बेहतरीन सब्स्टीट्यूट बनाते हैं। इसके कुछ प्रकार निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

चायनीज सिनेमन: इसे भारतीय मसाला भी कहा जाता है और इसका स्वाद व सुगंध तीखी होती है। 

सिलौन सिनेमन: यह सिलौन, ब्राजील, भारत और इंडोनेशिया में पाई जाती है। इसका स्वाद हल्का सा मीठा व  तीखा होता है और इसकी खुशबू का एक्सेंट भी बेहतरीन होता है। 

मालाबार सिनेमन: इसका स्वाद तीखा पर हल्का कड़वा होता है। 

4. इसमें एंटी-इंफ्लेमटरी गुण भी होते हैं

कुछ तरह की दालचीनी में एंटी-इंफ्लेमटरी गुण भी पाए जाते हैं, जैसे कैसिया। इसमें काउंटरेक्ट एन्जाइम्स होते हैं जो शारीरिक सूजन में फायदा करते हैं। यदि खाने में इसका उपयोग किया जाए तो इससे जोड़ों के दर्द और शरीर में सूजन को काफी फायदा मिल सकता है। 

5. ब्लड प्रेशर कम रखता है

भोजन में लगातार संयमित मात्रा में दालचीनी खाने से यह ब्लड प्रेशर को कम रखता है जो गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित महिलाओं के लिए अच्छा है। यह गर्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया जैसी समस्याओं को भी कम करता है जो अक्सर हाई ब्लड प्रेशर के कारण होती है। अपने आहार में दालचीनी को शामिल करके आप इन समस्याओं से बच सकती हैं। 

6. इसमें न्यूट्रिशनल फायदे भी होते हैं

दालचीनी में बहुत सारे कार्बोहाइड्रेट और सैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं। यह विटामिन ‘सी’, विटामिन ‘ई’ और नियासिन से भरपूर होता हो। इसमें विशेषकर कॉलिन, पायरीडॉक्सिन और पैंटोथेनिक एसिड भी बहुत ज्यादा होता है। इसमें ट्रेज मिनरल भी पाए जाते हैं, जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, सोडियम, आयरन, मैगनीज और जिंक। 

गर्भावस्था के दौरान कितनी मात्रा में दालचीनी खाना सही है?

गर्भावस्था के दौरान कितनी मात्रा में दालचीनी खाना चाहिए इसके लिए कोई स्टडी या अध्ययन नहीं किया गया है। अध्ययनों के अनुसार सामान्य लोगों को एक दिन में कम से कम 1 से 1.5 ग्राम दालचीनी लेनी चाहिए। एक स्वस्थ व्यक्ति बिना साइड इफेक्ट्स के एक दिन में इतनी दालचीनी खा सकता है। 

चूंकि, गर्भावस्था के दौरान दालचीनी खाना कितना सुरक्षित है इस बारे में कई अध्ययनों में नहीं बताया गया है इसलिए इस सामग्री के कई जाने-माने जोखिम थियोरी में दिए हुए हैं। यद्यपि इसमें चिंता की बात यह कि हानिकारक तत्वों को हटाने के लिए गर्भ में पल रहे बच्चे का डिटॉक्सिफिकेशन सिस्टम विकसित नहीं हुआ है इसलिए वह खाने और दवाओं में मौजूद टॉक्सिन्स के प्रति सेंसिटिव हो सकता है। 

आप दालचीनी का उपयोग कैसे कर सकती हैं?

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को रोजाना ज्यादा मात्रा में दालचीनी खाने की सलाह नहीं दी जाती है। आप चुटकी भर या आधा छोटा चम्मच दालचीनी नियमित रूप से ले सकती हैं। आप पुलाव या बिर्यानी का स्वाद बढ़ाने के लिए दालचीनी का उपयोग कर सकती हैं। पेस्ट्रीज, पाइज और अन्य बेकरी प्रोडक्ट्स में दालचीनी बहुत कम मात्रा में डाली जाती है जो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक नहीं होती है। गर्भावस्था के दौरान आप कभी-कभी संयमित मात्रा में सिनेमन टी भी पी सकती हैं। दालचीनी में एसेंशियल ऑयल भी होते हैं जो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक है और इससे मिसकैरेज भी हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान एरोमा थेरेपी में दालचीनी के एसेंशियल ऑयल का उपयोग करने की सलाह नहीं दी जाती है। 

गर्भावस्था के दौरान दालचीनी खाने की सावधानियां

  • यदि आप दालचीनी के प्रति इन्टॉलरेंट हैं या आपको इससे ओब्स्टेट्रिक (बच्चे के जन्म से संबंधित) समस्याएं हैं तो इसका सेवन न करें।
  • हल्के स्वाद व सुगंध के लिए सिलौन दालचीनी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
  • गर्भावस्था के दौरान एक्सपायरी और खराब क्वालिटी की दालचीनी खाने से बचें।
  • यदि आपकी गर्भावस्था में खतरे हैं या मिसकैरेज का खतरा है तो आपको दालचीनी से पूरी तरह बचना चाहिए।
  • दालचीनी का उपयोग अपनी ब्यूटी रेमेडीज में भी न करें क्योंकि गर्भावस्था के दौरान दालचीनी के तेल का उपयोग करने की सलाह नहीं दी जाती है।

गर्भावस्था के दौरान दालचीनी के साइड इफेक्ट्स

यदि आप सोचती हैं कि गर्भावस्था में दालचीनी खाई जा सकती है तो यहाँ इसके कुछ साइड इफेक्ट्स दिए हुए हैं, आइए जानते हैं;

  • गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा दालचीनी खा लेने से ग्लूकोज रेगुलेशन में बिगाड़ हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि यदि आपको 40 से कम दिनों से डायबिटीज है और आप रोजाना 1 से 6 ग्राम दालचीनी खाती हैं तो यह आपमें फास्टिंग सीरम ग्लूकोज का स्तर एवरेज मात्रा में कम कर सकता है। यह उन महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकता है जिन्होंने सी-सेक्शन कराया है क्योंकि यह सर्जरी के दौरान या बाद में ब्लड शुगर के नियंत्रण में समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। यहाँ तक कि यदि आपने नॉर्मल डिलीवरी की योजना भी बनाई है और आपकी डिलीवरी में कॉम्प्लीकेशन्स आती हैं व आपको एमर्जेन्सी में सर्जरी करानी पड़ती है तब भी यह चिंता का कारण बन सकती है।
  • यदि आप ब्लड थिनर की दवाएं ले रही हैं तो दालचीनी के सेवन से आपको ब्लीडिंग होने का खतरा होता है। यदि डिलीवरी के दौरान आपको सी-सेक्शन या सिजेरियन करवाना पड़ता है तो उस समय भी दालचीनी से ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है। यदि आप ब्लड थिनर दवाएं ले रही हैं, जैसे एंटीप्लेटलेट एजेंट्स या एंटीकॉग्युलेंट्स तो दालचीनी से आपकी प्लेटलेट भी कम हो सकती हैं। इसलिए सर्जरी करवाने के कुछ हफ्ते पहले से ही डॉक्टर दालचीनी खाने की सलाह नहीं देते हैं।
  • यदि आप नियमित रूप से दवाई ले रही हैं तो दालचीनी आपको प्रभावित कर सकती है और इससे अन्य कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं। यह ऑब्जर्व किया गया है कि यदि आप डायबिटीज की दवाई ले रही हैं तो दालचीनी इसके प्रॉपर फंक्शन को प्रभावित कर सकती है। चूंकि इसके लिए कोई दवाई नहीं बताई गई है इसलिए आप गर्भवस्था में दालचीनी का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
  • सभी मसालों में दालचीनी एक आम मसाला है जिससे ज्यादातर लोगों को एलर्जी होती है। गर्भावस्था के दौरान आप कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति सेंसिटिव हो सकती हैं। इसलिए यदि आप इस अवधि में थोड़ी सी दालचीनी खा भी लेती हैं तो इन लक्षणों पर जरूर ध्यान दें, जैसे मुंह में जलन और जीभ, गाल या गले में सूजन होना।
  • यदि आप दालचीनी को एक सप्लीमेंट्री के रूप में बहुत ज्यादा खा लेती हैं तो इससे मिसकैरेज भी हो सकता है। आयुर्वेद भी गर्भावस्था में दालचीनी को कम से कम मात्रा में खाने की सलाह देता है।

यदि आप कम मात्रा में इसका सेवन करती हैं तो यह आपकी हेल्थी प्रेगनेंसी के लिए सुरक्षित है। इसलिए आप बिलकुल भी न हिचकिचाएं और कभी-कभी संयमित रूप से इसे अपने डिजर्ट में डाल लें। 

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