यह तो आप जानती ही हैं कि गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। ये बदलाव होने वाली माँ की वजाइना यानी योनि को इन्फेक्शन के प्रति सेंसिटिव बना सकते हैं। इसके कुछ उदाहरण हैं यीस्ट इन्फेक्शन, स्ट्रेप्टोकोकल इन्फेक्शन, यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) और बैक्टीरियल वेजिनोसिस। गर्भावस्था के दौरान वजाइनल इन्फेक्शन यानी योनि में इन्फेक्शन होना काफी आम होता है और यदि डाइग्नोस कर लिया जाए तो इन्हें आसानी से ठीक किया जा सकता है। इन्हें सही तरीके से डाइग्नोस करने के लिए, आपको गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को होने वाले वजाइनल इन्फेक्शन के आम लक्षणों के बारे में मालूम होना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान योनि में इन्फेक्शन जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए
गर्भावस्था के दौरान हार्मोन में परिवर्तनों के कारण, होने वाली माँ की इम्युनिटी सामान्य से कम हो सकती है। इससे वह वजाइनल इन्फेक्शन के प्रति बेहद संवेदनशील हो जाती है। अगर इसका इलाज न किया जाए तो ये इन्फेक्शन अजन्मे बच्चे को नुकसान पहुँचा सकते हैं। इसलिए, इनके लक्षणों को पहचानना, उन्हें सही तरीके से डाइग्नोस करना और तुरंत इलाज करना महत्वपूर्ण है।
1. बैक्टीरियल वेजिनोसिस
गर्भावस्था के दौरान बैक्टीरियल वेजिनोसिस बहुत आम है। लगभग 10% से 40% गर्भवती महिलाएं कथित तौर पर बैक्टीरियल वेजिनोसिस (बीवी) से संक्रमित होती हैं। यह योनि में बढ़ने वाले हानिकारक बैक्टीरिया के कारण होता है, जिसके काफी बुरे लक्षण होते हैं।
लक्षण
कभी-कभी कुछ महिलाओं को यह इन्फेक्शन होने पर भी कोई लक्षण नहीं दिखता। बैक्टीरियल वेजिनोसिस के जो लक्षण दिखते हैं उनमें शामिल हैं पेशाब करते समय जलन, योनि से बदबू, योनि के आसपास जलन व खुजली, और योनि से असामान्य, बदबूदार डिस्चार्ज। यह सफेद या ग्रे रंग का पानीदार डिस्चार्ज हो सकता है। पेल्विक एग्जाम और वजाइनल कल्चर टेस्ट करके बैक्टीरियल वेजिनोसिस का पता लगाया जा सकता है।
इलाज
बैक्टीरियल वेजिनोसिस का इलाज गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है। आमतौर पर, डॉक्टर पहली तिमाही में एंटीबायोटिक्स देने से बचते हैं। यदि बी.वी. शुरुआती स्थिति में ही हुई हो तो कभी-कभी यह बिना इलाज के खत्म हो जाता है। सुरक्षित यौन संबंध और साफ-सफाई रखने से बी.वी. को कुछ हद तक रोका जा सकता है। एक से ज्यादा पार्टनर्स के साथ शारीरिक संबंध बनाने से बचने, पानी से तेज धार या स्प्रे करने से बचने, कॉटन की पैंटी पहनने और योनि को साफ और सूखा रखने से बैक्टीरियल इन्फेक्शन के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। यदि इलाज न किया जाए, तो बैक्टीरियल वेजिनोसिस के कारण बच्चे की प्रीटर्म डिलीवरी, जन्म के समय कम वजन, अन्य यौन संचारित इन्फेक्शन (एसटीआई) और पेल्विक इंफ्लेमेटरी बीमारी का जोखिम बढ़ सकता है।
2. यीस्ट इन्फेक्शन
गर्भावस्था के दौरान यीस्ट इन्फेक्शन एक और बार-बार होने वाली समस्या है। दूसरी तिमाही में यीस्ट इन्फेक्शन अधिक आम है। ऐसा होने के कारणों में हार्मोनल परिवर्तन, स्टेरॉयड या एंटीबायोटिक्स लेना, पानी की तेज धार से कई बार धोना, डायबिटीज या एसटीडी शामिल होते हैं।
लक्षण
यीस्ट इन्फेक्शन होने का लक्षण है सफेद या भूरे रंग का पनीर जैसा दिखने वाला डिस्चार्ज है जिसमें यीस्ट की तरह बदबू होती है, रेडनेस और खुजली होती है, और सेक्स या पेशाब करते समय जलन और दर्द होता है।
इलाज
यीस्ट इन्फेक्शन का निदान करने के लिए डॉक्टर महिला की योनि की जांच करते हैं या यीस्ट की उपस्थिति की पुष्टि करने के लिए माइक्रोस्कोप में वजाइनल स्वाब जांचते हैं। आमतौर पर इसका इलाज करने के लिए प्रभावित जगह पर एंटी-फंगल क्रीम लगाई जाती है। यदि इलाज नहीं किया जाता, तो डिलीवरी के दौरान यीस्ट बच्चे के मुँह को संक्रमित कर सकता है और, थ्रश नामक स्थिति पैदा हो सकती है। कॉटन या हवादार कपड़े की अंडरवियर पहनने, योनि और उसके आसपास के हिस्से को सूखा रखने, पेशाब करने के बाद आगे से पीछे की ओर पोंछने, चीनी का कम सेवन करने और अपनी डाइट में दही शामिल करने से यीस्ट इन्फेक्शन से बचाव हो सकता है।
3. ट्रिकोमनायसिस
गर्भावस्था के दौरान ट्रिकोमनायसिस ट्रिकोमनस वेजिनेलिस नामक एक परजीवी प्रोटोजोअन माइक्रोब के कारण होता है। यह आमतौर पर संभोग के दौरान संक्रमित साथी से यौन संचारित होता है। हालांकि, रिसर्च से पता चला है कि यह टॉयलेट सीट, तौलिये शेयर करने और यहाँ तक कि स्विमिंग पूल से भी हो सकता है।
लक्षण
ट्रिकोमनायसिस के लक्षण और संकेतों में शामिल हैं हरा या पीला बदबूदार योनि डिस्चार्ज, योनि क्षेत्र में रेडनेस व जलन और पेशाब के दौरान दर्द। डिस्चार्ज सफेद या रंगहीन और बदबूदार भी हो सकता है।
इलाज
एंटीबायोटिक दवाएं जो गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक नहीं होतीं उनसे ट्रिकोमनायसिस का इलाज किया जाता है। हालांकि, सुरक्षित यौन संबंधों और अच्छी साफ-सफाई रखने से इसे रोका जा सकता है। असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं या कई पार्टनर्स के साथ संभोग न करें। हमेशा कंडोम का इस्तेमाल करें और अपने जेनिटल एरिया को साफ और जितना हो सके सूखा रखें। गर्भावस्था के दौरान सार्वजनिक टॉयलेट और स्विमिंग पूल से बचें।
4. ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस
गर्भावस्था के दौरान ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है जो एंडोमेट्रियल सूजन, ब्लैडर इन्फेक्शन, बच्चे के प्रीमैच्योर जन्म और यहाँ तक कि स्टिलबर्थ जैसे कॉम्प्लीकेशन्स का कारण बन सकता है। ग्रुप बी स्ट्रेप्टोकोकस (जीबीएस) से पीड़ित अधिकांश महिलाओं में कोई लक्षण नहीं दिखते। कई अस्पतालों में 35 सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान स्वाब टेस्ट करके जीबीएस की जांच की जाती है।
लक्षण
जीबीएस का कोई स्पष्ट लक्षण नहीं है। एक स्वाब टेस्ट के साथ जीबीएस का पता लगाया जा सकता है। यदि 37 सप्ताह से पहले आपका लेबर शुरू होता है, यदि आपकी पानी की थैली बच्चे के जन्म से 18 घंटे पहले टूटता है, यदि आपकी पेशाब में जीबीएस बैक्टीरिया पाया जाता है, यदि आपको पहले जीबीएस से संक्रमित बच्चा हुआ है, या यदि आपको लेबर में होने के दौरान बुखार है तो डिलीवरी के दौरान आपका जीबीएस के लिए इलाज किया जाएगा।
इलाज
डिलीवरी के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं के साथ जीबीएस का इलाज किया जाता है ताकि आप अपने बच्चे तक इन्फेक्शन न पहुँचा दें। आमतौर पर, एक इंट्रावेनस ड्रिप के माध्यम से एंटीबायोटिक दिया जाता है। जीबीएस से बचाव संभव नहीं है क्योंकि स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया आमतौर पर हमारे शरीर में मौजूद होते हैं।
5. यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) तब होता है जब बाहर से बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट में पहुँचते हैं और यूरेथ्रा या ब्लैडर में बढ़ने लगते हैं। अक्सर गर्भवती महिलाओं को यूटीआई होता है क्योंकि यूटरस के फैलने से यह ब्लैडर और यूरिनरी ट्रैक्ट पर दबाव डालता है जिससे अंदर बैक्टीरिया को फंस जाते हैं। गर्भवती महिलाओं की पेशाब गाढ़ी भी होती है जिससे बैक्टीरिया को पनपने के लिए एक आइडियल एनवायरमेंट मिलता है।
लक्षण
यूटीआई के लक्षणों में बहुत बार पेशाब आना, खूनी या क्लाउडी पेशाब, ब्लैडर के आसपास दर्द या बेचैनी, पेल्विक क्षेत्र या पीठ के निचले हिस्से के आसपास दर्द, मतली, बुखार, उल्टी और पेशाब करते समय जलन और दर्द होता है।
इलाज
यूटीआई का इलाज ओरल एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। यूटीआई से बचने के तरीकों में साफ-सफाई रखना, पेशाब करने के बाद आगे से पोंछना, संभोग से पहले और बाद में अपने ब्लैडर को खाली करना, हाइड्रेटेड रहना, और ज्यादा देर तक पेशाब को न रोकना है।
6. क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस
क्लैमाइडिया वह इन्फेक्शन है जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक बैक्टीरिया से होता है और यह एक यौन संचारित रोग (एसटीडी) है।
लक्षण
क्लैमाइडिया के लक्षणों में योनि से ब्लीडिंग, पेट में दर्द, योनि से पस निकलना या डिस्चार्ज होना और पेशाब करते समय दर्द या जलन होना शामिल है।
इलाज
क्लैमाइडिया इन्फेक्शन के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स दवाएं लेने की जरूरत पड़ती है। क्लैमाइडिया को सिंगल सेक्स पार्टनर और हमेशा कंडोम के इस्तेमाल से रोका जा सकता है।
7. सिफिलिस
सिफलिस एक यौन संचरित इन्फेक्शन (एसटीआई) है जो ट्रेपोनिमा पैलिडम नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। गर्भावस्था में सिफिलिस बहुत गंभीर होता है और गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान पहुँचा सकता है। यह एक इन्फेक्टेड माँ से फीटस में पास हो सकता है। यह बच्चे के प्रीमैच्योर जन्म, मिसकैरेज और यहाँ तक कि न्यूबॉर्न की मृत्यु का कारण बन सकता है। सिफलिस से नवजात बच्चे में एनीमिया, मैनिंजाइटिस, त्वचा पर रैशेज और नर्वस सिस्टम की समस्याएं भी हो सकती हैं।
लक्षण
सिफलिस के लक्षणों में थकान, बुखार, जोड़ों का दर्द, सूजे हुए लिम्फ नोड्स, बालों का झड़ना, सिरदर्द, गुदा और योनि के हिस्से में अतिरिक्त त्वचा का बढ़ना और वजन कम होना शामिल हैं।
इलाज
सिफलिस का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के साथ किया जाता है। शुरुआत में इसका पता लगाने और इलाज से बच्चे को नुकसान पहुँचने से रोकने में मदद मिलेगी। सुरक्षित यौन संबंधों का पालन करके सिफलिस को रोकना सबसे अच्छा है। कंडोम का उपयोग करना और एक पार्टनर से जुड़े रहना सिफलिस को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है। एसटीआई के लिए नियमित रूप से परीक्षण करवाना भी एक अच्छा विचार है।
गर्भावस्था के दौरान कई आम वजाइनल इन्फेक्शन के लक्षण समान होते हैं। अपने डॉक्टर से जांच करवाएं ताकि इसका सही निदान और तुरंत इलाज किया जा सके। शुरुआत में ही इन्फेक्शन पहचान और इलाज यह सुनिश्चित करते हैं कि गर्भ में पल रहा आपका बच्चा सुरक्षित है। गर्भावस्था के दौरान योनि में इन्फेक्शन के जोखिम को कम करने का सबसे बेहतर तरीका सुरक्षित सेक्स और अच्छी साफ-सफाई बनाए रखना है। एक पार्टनर से शारीरिक संबंध रखना, एसटीआई के लिए नियमित रूप से परीक्षण करवाना और कंडोम का उपयोग करना सेफ सेक्स प्रैक्टिस के उदाहरण हैं। पर्सनल हाइजीन में कॉटन की पैंटी पहनना और योनि को साफ और सूखा रखना शामिल हैं।
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