In this Article
निश्चित ही गर्भावस्था आपके जीवन का एक तनावपूर्ण समय होता है। चाहे आप पहली बार माँ बन रही हों या दूसरी बार, गर्भावस्था के समय आपके लिए तनाव का स्तर कम नहीं होता है। इन परिस्थितियों में अपनी देखभाल के लिए आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जितना संभव हो उतना ज्यादा तनाव-मुक्त रहें। आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए तनाव-पूर्ण वातावरण बिलकुल भी ठीक नहीं है।
तनाव से संबंधित समस्याओं को कम करने के आम तरीकों में मसाज यानी मालिश करवाना एक बेहतरीन तरीका है। हालांकि मालिश कोई भी करवा सकता है और गर्भवती महिलाओं को भी इससे काफी मदद मिलती है।
प्रसवपूर्व मालिश, सामान्य मालिश से अलग होती है। प्रसवपूर्व मालिश एक गर्भवती महिला को आराम देती है, उसकी मांसपेशियों के तनाव को कम करती है, दर्द को कम करती है और शरीर में खून को प्रवाह को बेहतर बनाती है। गर्भावस्था में पैरों से लेकर सिर तक पूरे शरीर की मालिश की जाती है। प्रसवपूर्व मालिश गर्भवती महिलाओं की शारीरिक पीड़ा के अनुकूल की जाती है और यह महिलाओं की आवश्यकताओं के अनुसार की जाती है।
गर्भावस्था के दौरान मालिश हमेशा उन्हीं से करवानी चाहिए जो इस प्रकार की मालिश के लिए सर्टिफाइड हों क्योंकि इस समय मालिश करने के तरीकों और शरीर के कुछ हिस्सों में अंतर होता है। उदाहरण के लिए, गर्भावस्था में लिगामेंट्स बहुत कमजोर हो जाते हैं जो विशेषकर अंग पर ज्यादा जोर पड़ने पर अस्थिर भी हो सकते हैं। सर्टिफाइड ट्रेनर को यह भी पता होता है कि गर्भवस्था के दौरान शरीर के कौन से हिस्से में मालिश करना अधिक प्रभावी हो सकता है और कौन से हिस्से में मालिश करने से बचना चाहिए।
यद्यपि प्रसवपूर्व मालिश करवाना हानिरहित लगता है और यह वास्तव में हानिरहित है। यह एक गलत धारणा है कि गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में मालिश करवाना गर्भ में पल रहे शिशु के निर्माण के लिए हानिकारक है। हालांकि यह माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान मालिश करवाने से बच्चे पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। ज्यादातर डॉक्टर इस अवस्था में मालिश करवाने की सलाह देते हैं क्योंकि यह फायदेमंद होती है। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान महिलाओं को दो सप्ताह में एक बार और बाद में एक सप्ताह में एक बार मालिश करवाने की सलाह दी जाती है।
गर्भावस्था के दौरान मालिश करवाने के कई लाभों में से कुछ नीचे दिए गए हैं
गर्भावस्था के दौरान मालिश करवाते समय पूरी सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है क्योंकि इसका सीधा असर माँ और बच्चे पर पड़ता है। आप मालिश चाहे घर पर करवाएं या क्लिनिक में, कुछ बातों पर ध्यान देना आवश्यक है;
घर पर मालिश करवाना:
घर पर सहजता से मालिश करवाते समय आपको यह ध्यान रखना जरूरी है कि जितना संभव हो आपको उतना आराम करना है। इसे करने से पहले मालिश करने वाले से बात करें और आपके शरीर के जिस भी हिस्से में दर्द हो रहा है या वहाँ ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है, ये सभी चीजें उसे बताएं।
क्लिनिक में मालिश करवाना:
यदि आप किसी सर्टिफाइड प्रोफेशनल से मालिश करवाने की योजना बना रही हैं तो पहले आपको क्लिनिक के कमरे के वातावरण में कम्फर्टेबल होने की जरूरत है। क्लिनिक में मालिश के लिए आपको सहज महसूस करने में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है। इसके लिए आपको थोड़ा फ्रेंडली होने की आवश्यकता है, इस समय आप प्रैक्टिशनर से बातचीत भी कर सकती हैं ताकि आप मालिश के दौरान पूरी सहजता और आराम का अनुभव कर सकें।
विशेषकर गर्भावस्था के बाद के दिनों में आपको मालिश करवाने के लिए पीठ के बल नहीं लेटना चाहिए। इससे आपकी पीठ के किसी भी ब्लड वेसल में दबाव पड़ सकता है और जिसके परिणामस्वरूप आपका ब्लड प्रेशर कम हो सकता है। गर्भावस्था में तेल से भी मालिश करवाने के लिए गर्भवती महिलाओं को करवट से लेटने की सलाह दी जाती है। हालांकि कुछ टेबल का बीच का हिस्सा गहरा होता है जिससे महिलाओं को सिर नीचे करके लेटने पर सहज महसूस हो सकता है।
शरीर के ऐसे बहुत ज्यादा हिस्से नहीं हैं जिनमें गर्भावस्था के दौरान मालिश नहीं की जा सकती हैं, सिर्फ एड़ी या हथेली को छोड़कर क्योंकि इससे गर्भाशय में संकुचन हो सकता है। इसलिए प्रसवपूर्व मालिश की शुरूआत करने से पहले सर्टिफाइड प्रोफेशनल की सहायता लेना ही उचित है।
गर्भावस्था के दौरान मालिश करवाने से पहले सबसे मुख्य सावधानी यह बरतनी चाहिए की पहले आप इसकी संभावनाओं के बारे में डॉक्टर से पूछ लें। यदि आपको कोई भी स्वास्थ्य समस्या है या आप मालिश करवाने की सही स्थिति में हैं या नहीं इस बारे में भी डॉक्टर से जरूर चर्चा करें।
यदि आप किसी एक्सपर्ट के बजाय अपने साथी या किसी सहेली से मालिश करवाती हैं तो उन्हें यह समझना जरूरी है कि प्रसवपूर्व मालिश और सामान्य मालिश में क्या अंतर होता है। इसमें एजुकेशनल आर्टिकल्स और यूट्यूब आपकी सहायता कर सकते हैं। जितना संभव हो उतना आप एक अनुभवी एक्सपर्ट से ही मालिश करवाने का प्रयास करें।
इस बात का भी ध्यान रखें कि आप मालिश करवाते समय किसी भी ऐसे पदार्थ का उपयोग न करें जिससे आपको एलर्जी हो या जिसका आप पर उल्टा प्रभाव भी पड़ सकता है। प्रसवपूर्व मालिश पूरी तरह से आरामदायक होनी चाहिए क्योंकि ज्यादा तनाव या असुविधाएं एक गर्भवती महिला की मदद किसी भी तरह से नहीं कर सकती हैं।
घर में ही प्रसवपूर्व या सामान्य मालिश करना सबसे ज्यादा कम्फर्टेबल होता है। हालांकि घर में प्रसवपूर्व मालिश करने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है, आइए जानते हैं;
पीठ: पीठ के दर्द में आराम पाने के लिए गर्दन के पिछले हिस्से से लेकर हिप्स तक मालिश होनी चाहिए। हालांकि अन्य समस्याओं से बचने के लिए रीढ़ पर बिलकुल भी दबाव न डालें।
हिप्स: रीढ़ की निचले हिस्से की हड्डी पर मुट्ठी और पोरों की मदद से बहुत आराम से मालिश करने की आवश्यकता होती है और इस दौरान गुदा की हड्डी पर बिलकुल भी जोर न डालें।
पैर: पैरों के तनाव को कम करने के लिए पंजों से लेकर हिप्स तक अपने पैरों को गोलाई में या सीधे-सीधे आराम से हिलाएं।
हाथ और पैर: पैरों और हाथों में तकलीफ मांसपेशियों की वजह से नहीं बल्कि द्रव के ठहरने से होती है जो सूजन का कारण भी बनता है। शारीरिक सूजन महिलाओं की असहजता का एक मुख्य कारण है। मालिश करवाने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और शरीर के बीच में अंगूठे का बल लगाकर मालिश करनी चाहिए।
गर्दन: गर्दन की मांसपेशियों पर तनाव को कम करने के लिए कंधों की मालिश करनी चाहिए। कंधों की मालिश करते समय अंगूठों के टिप्स का उपयोग करने से अधिक प्रभाव पड़ता है।
प्रसवपूर्व मालिश के ज्यादा उचित विकल्प नहीं है क्योंकि यदि इसे सही तरीके से किया जाए तो इसका अद्भुत प्रभाव पड़ता है। हालांकि कुछ सामान्य मालिश के तरीके हैं जैसे शियात्सु या एक्युपंक्चर जिन्हें किया जा सकता है। एक्यूप्रेशर और फुट रिफ्लेक्सोलॉजी भी मालिश के कुछ अन्य तरीके हैं जिनका प्रभाव गर्भवती महिला पर समान रूप से पड़ता है।
नई रिपोर्ट्स के अनुसार गर्भवती महिलाओं को उनकी पहली तिमाही में मालिश करवाने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि इससे मिसकैरेज होने का डर रहता है। ऐसा भी कहा गया है कि इस डर का कोई साइंटिफिक प्रमाण नहीं है। सही शेड्यूल के साथ गर्भावस्था की पूरी अवधि में मालिश करवाना सुरक्षित है, आप तीसरी तिमाही तक हर दूसरे सप्ताह में और उसके बाद हर एक सप्ताह में मालिश करवा सकती हैं।
एक गर्भवती महिला अकेली भी हो सकती है और ऐसे में उसे खुद ही मालिश करने की आवश्यकता पड़ सकती है। यद्यपि खुद से मालिश करते समय बहुत सारी सावधानियां बरतने की आवश्यकता है क्योंकि शरीर के ऐसे बहुत से हिस्से हैं जहाँ पर खुद से पहुँच पाना कठिन है। एक महिला पैरों और हाथों की मालिश आसानी से कर सकती है पर उसे अपनी पीठ और गर्दन की मालिश करने में अधिक कठिनाई को सकती है।
पेट की आरामदायक मालिश के लिए आप अपने बिस्तर पर तकिये का सहारा लेकर इस प्रकार से बैठ जाएं कि आपका शरीर 45 डिग्री एंगल पर हो और फिर आप अपने पेट पर ऊपर की ओर (दिल की तरफ) धीरे-धीरे मालिश करें। आवश्कयता के अनुसार आप लोशन या तेल का उपयोग भी कर सकती हैं। आप अपने पसंदीदा तेल से सिर की मालिश भी कर सकती हैं। सिर की मालिश करने के लिए पहले आप अपने सिर के ऊपरी हिस्से को सर्कुलर मोशन में धीरे-धीरे रगड़ें और फिर अपनी आई ब्रो को एक बार मलने के बाद फिर से अपने सिर की मालिश करें। आप हमेशा सोने से पहले अपने सिर की मालिश कर सकती हैं, आपको अधिक आराम मिलेगा।
मालिश करवाने के बाद महिलाएं अक्सर पूरा आराम और गहरी नींद का अनुभव करती हैं। मालिश के दौरान ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होने और मांसपेशियों का दर्द कम होने से महिलाओं का वजन बेहतर तरीके से बढ़ता है और उन्हें लंबे समय के लिए तरोताजा व अच्छा महसूस होता है।
गर्भावस्था के दौरान मालिश करवाने से आपको अधिक सहज और अच्छा महसूस करने में मदद मिलती है। हालांकि गर्भावस्था में हर कार्य की तरह मालिश भी सही तरीके और पूरी सावधानी से करने की सलाह दी जाती है। सुनिश्चित करें कि इस समय आप सिर्फ एक प्रोफेशनल से ही मालिश करवाएं ताकि आपको और आपके गर्भ में पल रहे बच्चे को इसका पूरा फायदा मिल सके।
यह भी पढ़ें:
प्रेगनेंसी के दौरान जघन या निजी अंगों के बाल कैसे हटाएं
प्रेगनेंसी में दाँतों को ब्लीच करना
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…