मंकीपॉक्स – गर्भवती महिलाएं और बच्चे रहे एमपॉक्स से सावधान

मंकीपॉक्स - गर्भवती महिलाएं और बच्चे रहे एमपॉक्स से सावधान

क्या आपने भी एम पॉक्स के बारे में सुना है? और सोच रहे हैं कि यह कौन सा नया वायरस है, जिसे डब्ल्यूएचओ ने सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है, तो आपको बता दें एम पॉक्स जिसे मंकीपॉक्स भी कहा जाता है इसके मामले कई देशों में बड़ी मात्रा में तेजी से बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। जो भारत के साथ-साथ अन्य कई देशों में गंभीर चिंता का विषय बन रहा है। एम पॉक्स का पहला मामला अफ्रीका के कांगो में सामने आया। जो एक देश से दूसरे देश में फैलता चला गया। यह वायरस बड़ी आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। दरअसल मंकीपॉक्स एक तरह के वायरस से फैलने वाली बीमारी है, जो जानवरों से इंसानों में फैलती है। इसके शुरुआती लक्षण सामान्य फ्लू जैसे नजर आते हैं, जैसे कि बुखार, सिरदर्द, और शरीर में दर्द आदि। कुछ दिनों बाद, आपको शरीर पर चक्कते या रैशेज नजर आने लगते हैं। यह वायरस, खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली आम लोगों के मुकाबले कमजोर होती है। इसलिए बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इससे अधिक खतरा हो सकता है।

आइए पहले यह जानते हैं मंकीपॉक्स वायरस क्या है और यह कैसे फैलता है? इससे गर्भवती महिला खुद को और बच्चे को कैसे बचाएं।

मंकीपॉक्स क्या है?

मंकीपॉक्स क्या है

मंकीपॉक्स एक वायरस से फैलने वाली बीमारी है। यह वायरस एक खास तरह के वायरस समूह से आता है जिसे ऑर्थोपॉक्सवायरस कहते हैं। यह आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है और इसके लक्षण चेचक जैसे होते हैं, लेकिन यह चेचक के मुकाबले उतना गंभीर नहीं होता। यह वायरस ज्यादातर बंदर और कुछ छोटे जानवरों, जैसे चूहे और गिलहरी में पाया जाता है। ये जानवर इस वायरस को अन्य जानवरों और इंसानों में फैला सकते हैं। मंकीपॉक्स का प्रकोप मुख्य रूप से अफ्रीका के मध्य और पश्चिमी क्षेत्रों के जंगलों और ट्रॉपिकल इलाकों में पाया गया है। मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जो आमतौर पर समय के साथ खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशु के लिए यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या पैदा कर सकता है, इसलिए यदि आप गर्भवस्था के दौरान मंकीपॉक्स से संक्रमित पाई जाती हैं तो इसका समय पर इलाज करना जरूरी है।

मंकीपॉक्स का इतिहास

मंकीपॉक्स का पहला मामला 1958 में सामने आया था, जब बंदरों में चेचक जैसी बीमारी पाई गई थी। इसी वजह से इस बीमारी को ‘मंकीपॉक्स’ का नाम दिया गया। हालांकि, इंसानों में इस बीमारी का पहला मामला 1970 में अफ्रीका के कांगो में पाया गया था। इसके बाद, यह वायरस अफ्रीका के आसपास के देशों में भी फैलने लगा और तब से इस बीमारी के मामले समय-समय पर सामने आते रहे हैं।

डब्लूएचओ ने मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल क्यों घोषित कर दिया है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 अगस्त 2024 को मंकीपॉक्स को अंतराष्ट्रीय स्तर पर ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। इसका मुख्य कारण मंकीपॉक्स के मामलों में अचानक और बहुत तेजी से वृद्धि होना है, खासकर अफ्रीका में। इसके साथ ही इसका एक नया, ज्यादा खतरनाक वायरस भी सामने आया है। यह डब्लूएचओ द्वारा दी जाने वाली सबसे गंभीर चेतावनी है, जिसका उद्देश्य है कि दुनिया भर में मिलकर इस बीमारी का समाधान निकाला जाए।

हाल ही में मंकीपॉक्स के एक नए वायरस स्ट्रेन, क्लेड 1बी, की वजह से एम पॉक्स से संक्रमित लोगों की संख्या का दर बढ़ गया है और दिन पर दिन यह आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। यह नया स्ट्रेन खासकर कांगो (डीआरसी) और इसके पड़ोसी देशों में तेजी से फैल रहा है। अगस्त 2024 तक, केवल कांगो में 15,600 से अधिक मामले सामने आएं हैं और 537 मौतें हो चुकी हैं। यह नया वेरिएंट असुरक्षित यौन संबंध बनाने से भी फैल सकता है। जिसने विश्व स्तर पर वायरस के और तेजी से फैलने की चिंता को बढ़ा दिया है।

मंकीपॉक्स के लक्षण

मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक से मिलते-जुलते ही होते हैं, लेकिन यह उतने गंभीर नहीं होते हैं। मंकीपॉक्स के लक्षणों को दिखने में लगभग 6 से 13 दिन का समय लग जाता है, लेकिन कभी-कभी यह 5 से 21 दिन का समय भी ले सकते हैं। इस बीमारी की शुरुआत में दिखने वाले लक्षण इस प्रकार हैं:

  • बुखार
  • ठंड लगना
  • मांसपेशियों में दर्द
  • सिर दर्द
  • पीठ दर्द
  • बहुत ज्यादा थकान
  • लिम्फ ग्रंथियों में सूजन होना
  • त्वचा पर चकत्ते

मंकीपॉक्स में सबसे पहले बुखार आता है और उसके आने के 1 से 3 दिन बाद पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर दाने और चकत्ते दिखाई देने लगते हैं। सबसे पहले ये चेहरे पर होते हैं और फिर शरीर के बाकी हिस्सों में फैल जाते हैं, जैसे हथेलियों, तलवों, मुंह, आंखें और गुप्तांग आदि में। लेकिन अच्छी बात ये है कि मंकीपॉक्स अपने आप ठीक हो जाती है। आमतौर पर इसके लक्षण 2 से 4 हफ्तों में ठीक हो जाते हैं। बच्चों में या जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है, उनमें यह बीमारी ज्यादा गंभीर रूप ले सकती है। वैसे तो मंकीपॉक्स का संक्रमण बहुत कम होता है। लेकिन अगर मामला गंभीर हो जाए, तो क्लैड 1 नाम के वायरस से होने वाली मौत का दर लगभग 3.6% है, जबकि क्लैड 2 से मृत्यु होने का दर 0.2% से भी कम देखा गया है।

मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?

मंकीपॉक्स एक ऐसी बीमारी है जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलती है। लेकिन इसके आलावा भी यह वायरस कई तरह से फैल सकता है। अगर कोई व्यक्ति संक्रमित जानवर, इंसान या चीज के संपर्क में आता है, तो उसे मंकीपॉक्स हो सकता है। यह वायरस शरीर में आंख, नाक, मुंह, फटी हुई त्वचा या सांस की नली के जरिए व्यक्ति के शरीर में जा सकता है।

जानवर से इंसान में मंकीपॉक्स इस तरह फैल सकता है:

  • जब संक्रमित जानवर आपको कांट ले।
  • यदि आप संक्रमित जानवर के शरीर के तरल पदार्थ या घाव को छूते हैं।
  • संक्रमित जानवर के बिस्तर या किसी और चीज को छूने से संक्रमण फैलता है।

एक व्यक्ति से दूसरे में मंकीपॉक्स इस प्रकार फैल सकता है:

  • अगर कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है और उस दौरान उसके कणों को सांस के जरिए अंदर ले लिया जाए।
  • यदि आप संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ, घाव, या त्वचा के फफोलों को छूते हैं।
  • संक्रमित व्यक्ति के कपड़े या बिस्तर को छूने से भी वायरस फैल सकता है।

मंकीपॉक्स से जुड़ी समस्याएं

मंकीपॉक्स के कारण होने वाली समस्याएं अलग-अलग हो सकती हैं, जिनमें से यहां आपको कुछ मुख्य समस्याएं बताई गई हैं:

  1. निमोनिया: मंकीपॉक्स में निमोनिया होने की उम्मीद काफी कम होती है। लेकिन मंकीपॉक्स की वजह से यदि फेफड़ों में समस्या आती है, तो निमोनिया हो सकता है। यह खासकर तब होता है जब मामला गंभीर हो या व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर हो।
  2. एन्सेफलाइटिस: बहुत ही कम मामलों में, मंकीपॉक्स के कारण एन्सेफलाइटिस जैसी समस्या उत्पन्न होती है। इस बीमारी में आपके दिमाग में बुखार के साथ सूजन भी आ जाती है और अन्य दिमागी समस्याएं जैसे भ्रम, दौरे आदि भी हो सकती है।
  3. केराटाइटिस: कभी-कभी मंकीपॉक्स आपकी आंखों को प्रभावित करता है, जिससे केराटाइटिस हो सकता है। इसमें आंखों की कॉर्निया में सूजन आ जाती है। अगर समय पर इलाज न हो, तो इससे आपके देखने की क्षमता पर प्रभाव समस्या हो सकती है।
  4. डिहाइड्रेशन: मंकीपॉक्स के कारण आपको पेट की समस्याएं जैसे दस्त का सामना करना पड़ सकता है। इसकी वजह से शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) होती है।
  5. बैलेनाइटिस: मंकीपॉक्स से जननांगों पर घाव और छाले हो सकते हैं, जिसे बैलेनाइटिस कहते हैं। इसमें लिंग के आगे वाले हिस्से में सूजन और दर्द होता है।

मंकीपॉक्स का इलाज

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, मंकीपॉक्स का कोई खास इलाज नहीं है। हालांकि, चेचक के लिए जो दवाइयां और वैक्सीनेशन दिए जाते हैं, उन्हें मंकीपॉक्स के लक्षणों को ठीक करने में इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर आपको मंकीपॉक्स हो जाए, तो जितना हो सके लोगों से दूर रहें, क्योंकि यह बीमारी छूने से फैलती है।

मंकीपॉक्स का टीकाकरण

जैसे की पहले भी बताया गया है कि स्मॉलपॉक्स और मंकीपॉक्स के लक्षण मिलते-जुलते हैं, इसलिए चेचक के लिए लगाए गए वैक्सीनेशन, जैसे कि इम्वानेक्स, मंकीपॉक्स के मामले में भी असरदार साबित हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा नीचे दिए कुछ अन्य मंकीपॉक्स वैक्सीनेशन का उपयोग करने की सलाह देता है, लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह लिए आप इन वैक्सीन का उपयोग खुद से न करें।

  • एमवीए-बीएन (जिननेओस/ चेचक का टीका): यह एक नई और सुरक्षित वैक्सीन है जो चेचक और मंकीपॉक्स दोनों से बचाती है।
  • एलसी16: यह एक पुरानी वैक्सीन है, जो कुछ क्षेत्रों में चेचक के लिए इस्तेमाल की जाती है।
  • एसीएम2000: यह भी एक पुरानी वैक्सीन है जो चेचक के इलाज में उपयोग की जाती है।

वैक्सीनेशन खासतौर पर उन लोगों को लगाने की सलाह दी जाती है जो जिनकी समस्या गंभीर हो, जैसे कि जिनके संपर्क में कोई मंकीपॉक्स से संक्रमित व्यक्ति आए हों।

मंकीपॉक्स और गर्भावस्था

गर्भवती महिलाओं को मंकीपॉक्स से गंभीर समस्याओं का खतरा अधिक होता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान मंकीपॉक्स के मामलों की संख्या कम है, लेकिन अगर गर्भवती महिला को मंकीपॉक्स हो जाए, तो उसके लक्षण सामान्य लोगों की तुलना में अधिक गंभीर हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान मंकीपॉक्स की वजह से होने वाली समस्याओं में गर्भपात, समय से पहले जन्म, मृत बच्चे का जन्म और माँ से बच्चे में संक्रमण फैलना आदि शामिल हैं।

गर्भवती महिलाएं खुद को मंकीपॉक्स से कैसे बचाएं:

  • ऐसे लोगों से दूर रहें जो मंकीपॉक्स से संक्रमित हैं या जिनके मंकीपॉक्स होने का शक हो।
  • नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोएं या सैनिटाइजर का उपयोग करें जिसमें कम से कम 60% अल्कोहल हो।
  • यदि आप संक्रमित लोगों के बीच हैं या उस जगह पर हैं, तो मास्क और दस्ताने पहनें और खुद को ढक कर रखें।

मंकीपॉक्स और बच्चे

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र और डब्लूएचओ के अनुसार, 5 साल से छोटे बच्चों को मंकीपॉक्स से गंभीर समस्या होने का अधिक खतरा हो सकता है। जो बच्चे मंकीपॉक्स से संक्रमित होते हैं उन्हें, त्वचा पर घाव, तेज बुखार, गले में सूजन और थकावट जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

बच्चों को मंकीपॉक्स से बचाने के लिए टिप्स:

  • ध्यान रखें कि बच्चे उन लोगों से दूर रहें जो मंकीपॉक्स से संक्रमित हैं या जिन्हें मंकीपॉक्स होने का शक हो।
  • बच्चों को बार-बार साबुन और पानी से हाथ धोने की आदत डालें और जब हाथ न धो पाएं तब सैनिटाइजर का उपयोग कराएं।
  • उनका व्यक्तिगत सामान जैसे तौलिया, बिस्तर और कपड़े दूसरों के साथ सांझा करने से बचें, क्योंकि ये संक्रमित हो सकते हैं।
  • बच्चों में मंकीपॉक्स के लक्षण जैसे चकत्ते, बुखार या लिम्फ ग्रंथियों में होने वाली सूजन पर ध्यान दें और लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

माता-पिता को इस वायरस के बारे में क्या जानना चाहिए?

विश्व भर में मंकीपॉक्स स्वास्थ्य से जुड़ा एक गंभीर चिंता का कारण बन चुका है, इसलिए अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए कुछ आसान उपायों को अपनाना जरूरी है। यहां माता-पिता को इस वायरस के बारे में क्या जानना चाहिए यह बताया गया है:

  • अपने इलाके में मंकीपॉक्स के मामलों की जानकारी रखें।
  • अगर आपके बड़े बच्चे किसी रिलेशनशिप में हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि उन्हें मंकीपॉक्स की जानकारी हो और वह खुद को कैसे सुरक्षित रख सकें।
  • अगर आपके इलाके में मंकीपॉक्स के मामले बढ़ गए हो, तो बच्चों को भीड़-भाड़ वाले जगहों में जाने से दूर रखें और लोगों से कम मिलें।

मंकीपॉक्स से बचने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

मंकीपॉक्स जैसे संक्रमण से बचने और उसे रोकने के लिए आप क्या करें यह आपको नीचे बताए गए उपाय से पता चल सकता है।

क्या करें:

  • जब भी आप बाहर से वापस आएं, तो अपने हाथ और शरीर को अच्छी तरह से साफ या सैनीटाइज कर लें।
  • यदि आप मांस-मछली खाते हैं, तो उसे साफ-सुथरी जगह से लेकर आए और अच्छी तरह पकाकर खाएं।
  • मंकीपॉक्स सांस के जरिए भी फैल सकता है, इसलिए बाहर जाते समय मास्क पहनना न भूलें।

क्या न करें:

  • उन जानवरों से सीधे संपर्क में न आएं जिनको यह वायरस होने की संभावना अधिक होती है, खासकर उन इलाकों में जहां संक्रमण बढ़ रहा है।
  • बीमार जानवरों और उनके बिस्तर या अन्य चीजों को न छुएं।
  • उन लोगों के पास न जाएं जो बीमार हैं या जिनमें मंकीपॉक्स के लक्षण दिख रहे हैं। उनकी चीजें भी इस्तेमाल न करें। जंगली जानवरों के मांस भी न खाएं।

क्या भारत में मंकीपॉक्स के कोई मामले पाए गए हैं?

फिलहाल, भारत में मंकीपॉक्स के नए मामले नहीं मिले हैं। सरकार ने एहतियात के तौर पर एयरपोर्ट और बॉर्डर पर निगरानी बढ़ाई है और उसकी जल्दी पहचान के लिए लैब्स भी तैयार किए हैं। 2022 से अब तक भारत में लगभग 30 मामले सामने आए थे, लेकिन आखिरी मामला मार्च 2024 में रिपोर्ट हुआ था।

क्या भारत में मंकीपॉक्स का खतरा है?

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, भारत में मंकीपॉक्स के बड़े पैमाने पर फैलने का खतरा फिलहाल कम है। भले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को दुनिया भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है, भारतीय स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि भारत में बड़े स्तर पर इसका फैलना मुश्किल है। लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है।

मंकीपॉक्स के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. बच्चों में मंकीपॉक्स के लक्षण कैसे होते हैं?

बच्चों में मंकीपॉक्स के लक्षण बड़े जैसे ही होते हैं। इसमें बुखार, शरीर पर चकत्ते पड़ना, लिम्फ ग्रंथियों पर सूजन आना और कभी-कभी सांस लेने में परेशानी होती है।

2. क्या मंकीपॉक्स से बच्चों को लंबे समय तक कोई नुकसान हो सकता है?

ज्यादातर बच्चे मंकीपॉक्स से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ बच्चों को स्किन इंफेक्शन, शरीर पर एम पॉक्स से होने वाले रैशेस के निशान रह जाते हैं या बहुत ही गंभीर मामलों में एन्सेफलाइटिस की समस्या हो सकती है पर ऐसे मामले बहुत ही कम देखे गए हैं।

3. क्या गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए मंकीपॉक्स का टीका सुरक्षित है?

मंकीपॉक्स से बचाने वाला चेचक का टीका आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है। लेकिन बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए इसे केवल तभी दिया जाता है जब वे वायरस के संपर्क में आने के ज्यादा खतरे में हों। गर्भवती महिलाओं को टीका लगवाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

4. भारत में मंकीपॉक्स का टीका कौन ले सकता है?

भारत में मंकीपॉक्स का टीका उन लोगों के लिए दिया जाता है, जो वायरस के खतरे में हैं, जैसे स्वास्थ्यकर्मी, संक्रमित लोगों के करीबी या उन क्षेत्रों में रहने वाले लोग जहां मंकीपॉक्स फैला हुआ है।

मंकीपॉक्स को फैलने से रोकने के लिए समय पर जांच, सावधानी और टीकाकरण जरूरी है। अपनी ओर से, साफ-सफाई का ध्यान रखें और बाहर जाते समय मास्क पहनें ताकि संक्रमण का खतरा कम हो।

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