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शरीर स्वस्थ रहने से मन भी स्वस्थ रहता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ आहार और अच्छी लाइफस्टाइल होना बहुत जरूरी है। एक महिला के लिए माँ बनना जीवन को बदलने का अनुभव है। पेरेंट्स के लिए यह समय बहुत उत्सुकतापूर्ण और भावनात्मक होता है। गर्भवती महिलाओं को अपने पूरे स्वास्थ्य और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए स्वस्थ आहार लेना चाहिए। महिलाएं अपनी गर्भावस्था में एनर्जी बढ़ाने के लिए पंचामृत का सेवन भी कर सकती हैं जो पांच समग्रियों से बनाया जाता है।
हिन्दू धर्म में पंचामृत शब्द संस्कृत भाषा का एक पवित्र शब्द है। पंच मतलब पांच और अमृत मतलब ईश्वर का प्रसाद। पंचामृत 5 महत्वपूर्ण सामग्रियों को मिलाकर बनाया जाता है और इसका सेवन करने से बहुत सारे फायदे मिलते हैं। पंचामृत में चिकित्सीय गुण भी हैं जो शरीर को ठीक और पोषित करते हैं। गर्भावस्था के दौरान रिप्रोडक्टिव सेल्स बहुत जरूरी होते हैं और इन्हें पोषित करने की जरूरत है। इसके लिए गर्भवती महिलाओं के लिए पंचामृत जैसा आयुर्वेदिक पेय पदार्थ फायदेमंद हो सकता है। यहाँ हमने पंचामृत में डाली जानेवाली 5 सामग्रियों के बारे में चर्चा की है और साथ ही यह भी बताया है कि हर सामग्री किसका प्रतीक है।
हमारे पौराणिक शास्त्रों में यह स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि गाय पवित्र होती हैं और इसे हमारी माता माना जाता है जो हमारी सुरक्षा करती है और हमारा पोषण करती है। माँ के दूध के बाद गाय के दूध को सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता है। गाय का दूध पीने से ओबेसिटी की समस्या खत्म होती है, पाचन सरल हो जाता है और माँ के दूध में बढ़ातरी होती है। इस प्रकार से गर्भावस्था के दौरान दूध इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है क्योंकि यह प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन ‘बी12’, ‘ए’ और ‘डी’ का एक बेहतरीन स्रोत है।
दही शरीर को सिर्फ ठंडक ही नहीं देता है बल्कि यह एक प्रोबायोटिक की तरह भी काम करता है। दही में अमीनो एसिड होता है और यह पाचन को भी ठीक रखता है जो अक्सर गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में धीमा होता है। दही से शरीर की ताकत बढ़ती है और यह मांसपेशियों का पोषण भी करता है। यह कैल्शियम और फॉस्फोरस का भी अच्छा स्रोत है। दही खाने से पित्त बैलेंस होता है जो आयुर्वेद के अनुसार शरीर में हीट और मेटाबॉलिज्म को प्रभवित करने वाला कारक हैं। आयुर्वेद में दही को पवित्र माना जाता है।
आयुर्वेद में शहद को योगवाही भी मानते हैं जिसका मतलब है कि यह एक कैरियर की तरह काम करता है। यह अन्य चार सामग्रियों के गुणों को बढ़ाता है और साथ ही शरीर में इम्युनिटी को भी मजबूत करता है। इसे एंटीसेप्टिक भी कहते हैं क्योंकि यह किसी भी समस्या को जल्दी ही ठीक कर देता है।
घी गाय के दूध से बनता है और इसमें ब्यूटिरिक एसिड होता है जो शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है, बॉवेल के स्वास्थ्य में सुधार लाता है और इसमें एंटी-इंफ्लेमटरी गुण भी होते हैं। घी में न्यूट्रिएंट्स की भरपूर मात्रा होती है, जैसे फैट-सॉल्युबल विटामिन्स ‘ए’, ‘डी’, ‘इ’ और ‘के’ और साथ ही इसमें ओमेगा 3 व ओमेगा 9 फैटी एसिड भी है। गाय के दूध से बने घी में कई गुण होते हैं जो त्वचा की रंगत में सुधार लाते हैं और आँखों, दिल व गले के लिए भी लाभदायक हैं। इससे याददाश्त व बुद्धि बढ़ती है और साथ ही यह भावनाओं को संतुलित भी रखता है।
आयुर्वेद में गर्भवती महिलाओं को चीनी का सेवन करने की सलाह दी गई है क्योंकि गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में इससे एनर्जी मिलती है और साथ ही थकान भी कम होती है। यह शरीर में सूखेपन को भी कम करती है।
हिन्दू धर्म की प्रार्थनाओं के प्रसाद के रूप में पंचामृत का उपयोग किया जाता है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है क्योंकि यह आवश्यक न्यूट्रिएंट्स प्रदान करता है जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास होता है। गर्भावस्था के दौरान पंचामृत का सेवन करना अच्छा है क्योंकि यह मांसपेशियों की ताकत बढ़ाता है, इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है और महिलाओं के दिमाग को सक्रिय बनाता है जिससे गर्भावस्था स्वस्थ रहती है और इसमें आराम भी मिलता है। गर्भावस्था के दौरान पंचामृत लेने के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं, आइए जानें:
यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करता है जिससे पाचन, एसिडिटी व आंतों का अल्सर ठीक होता है। शरीर में अधिक हॉर्मोनल बदलाव होने की वजह से अल्सर की समस्या हो सकती है।
इससे शरीर में ताकत बढ़ाने वाले टिश्यू को पोषण मिलता है, जैसे रिप्रोडक्टिव टिश्यू, दाँत, फैटी टिश्यू, नर्व टिश्यू, मांसपेशियों के टिश्यू, प्लाज्मा और शारीरिक सेल्स।
इससे गर्भवती महिला के चेहरे में ग्लो आता है और यह बच्चे की त्वचा के लिए भी फायदेमंद है।
यह गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत अच्छा होता है क्योंकि इससे बच्चे का मानसिक विकास होने में मदद मिलती है। इससे शरीर में ताकत बढ़ती व ठहरती भी है और साथ ही याददाश्त व बुद्धि बढ़ती है।
यदि आपके शरीर में पित्त का प्रभाव बहुत ज्यादा है तो इससे हीट रिएक्टिव होती है, टिश्यू में सेटल हो जाती है और अगर इसे ठीक से खत्म नहीं किया गया तो असंतुलन उत्पन्न करती है। पंचामृत पीने से पाचन तंत्र से हीट कम करने में मदद मिलती है और पित्त ठीक रहता है।
आयुर्वेद भी यह सलाह देता है कि गर्भावस्था के दौरान पंचामृत लेना चाहिए क्योंकि इससे रिप्रोडक्टिव अंग मजबूत रहते हैं।
पंचामृत बहुत ज्यादा न्यूट्रिशियस होता है। इसे रोज सुबह खाली पेट 2-4 चम्मच लेना चाहिए। यहाँ पर पंचामृत की सरल और बेहतरीन रेसिपी बताई गई है, आइए जानें;
स्वादिष्ट और न्यूट्रिशियस पंचामृत बनाने के लिए आप नीचे दी हुई रेसिपी का उपयोग कर सकती हैं, आइए जानें;
सामग्री:
विधि:
यदि आपको बहुत ज्यादा पंचामृत की आवश्यकता है तो आप सभी सामग्रियों की मात्रा अनुपात में बढ़ा सकती हैं।
आप हमेशा फ्रेश बना हुआ पंचामृत ही सेवन करें क्योंकि यह ज्यादा देर तक अच्छा नहीं रहता है। आयुर्वेद के अनुसार घी और शहद को एक समान मात्रा में उपयोग नहीं करना चाहिए। इसमें घी की मात्रा हमेशा ज्यादा होनी चाहिए। पंचामृत बनाने के लिए आप हमेशा स्टील या चांदी के बर्तनों का उपयोग करें। इसमें स्वाद के लिए आप सिर्फ केले ही डाल सकती हैं और इसके अलावा कोई फल न डालें। गर्भावस्था के दौरान अपने आहार में पंचामृत शामिल करने से आपको स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे मिल सकते हैं। हालांकि गर्भावस्था के दौरान आहार में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने गायनेकोलॉजिस्ट से सलाह जरूर लें। यदि आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है तो पंचामृत से आपके खून में मौजूद ग्लूकोज का स्तर बढ़ सकता है इसलिए इसका सेवन करने से पहले एक बार इसके बारे में डॉक्टर से चर्चा करें।
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