गर्भावस्था

गर्भावस्था में पानी की थैली फटना

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हर महिला के प्रसव का अपना एक अनूठा अनुभव होता है। इसलिए पानी की थैली या एम्नियोटिक थैली फटने के बारे में सुनी-सुनाई कहानियों से परेशान न हों। आपकी जिज्ञासा स्वाभाविक है परन्तु आपकी चिंता आवश्यक नहीं है। गर्भावस्था के दौरान पानी की थैली फटने के बारे में आपके सभी संदेह को यह लेख स्पष्ट करता है, तो बस चिंता न करें और जागरूक रहें!

पानी की थैली फटना क्या है

शिशु आपके गर्भ में तरल पदार्थ से भरी एम्नियोटिक थैली में सुरक्षित और संरक्षित रहता है। जब यह थैली फट जाती है तो उसमें भरे एम्नियोटिक द्रव का आपके गर्भाशय ग्रीवा और योनि के माध्यम से रिसाव होता है। इसे पानी की थैली फटना या वाटर ब्रेकिंग भी कहा जाता है जो आमतौर पर विलम्बित गर्भावस्था के दौरान होता है। महिलाओं में वॉटर ब्रेक होना इस बात का संकेत है कि आप शुरुआती प्रसव पीड़ा में हैं या जल्द ही प्रसव पीड़ा में हो सकती हैं।

गर्भवती महिला के पानी की थैली कब फटती है?

अधिकांश महिलाओं में पहले या दूसरे चरण की प्रसव पीड़ा के दौरान पानी की थैली फट जाती है। इस अवधि में यह संकुचन के कारण होता है। दस में से एक महिला में, प्रसव पीड़ा के किसी भी संकेत से पहले पानी की थैली फटती है, यहाँ तक कि संकुचन से पहले भी। दुर्लभ मामलों में गर्भावस्था के 37वें सप्ताह में पानी की थैली या एम्नियोटिक थैली फट सकती है।

यदि आपकी गर्भावस्था लंबे समय से विलंबित है, तो डॉक्टर प्रसव पीड़ा को प्रेरित करने के लिए वॉटर ब्रेक करने (एम्नियोटिक थैली का फटना) की सलाह दे सकते हैं। एम्नियोटिक थैली फटने के तुरंत बाद, आपको अनुभव होगा कि आपके संकुचन हर मिनट में मजबूत व अत्यधिक तीव्र हो जाते हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि एम्नियोटिक थैली के फटते ही आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

गर्भावस्था के दौरान पानी की थैली फटने के कारण

एक गर्भवती महिला की एम्नियोटिक थैली तब फटती है जब बच्चा बाहर आने के लिए तैयार होता है। यह एक संकेत है कि महिला को जल्द ही प्रसव पीड़ा होने वाली है। बहुत ही दुर्लभ मामलों में समय से पहले झिल्ली का टूटना (पी.आर.ओ.एम.) पानी की थैली के फटने का कारण हो सकता है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के 37वें सप्ताह में होता है। गर्भावस्था के दौरान पानी की थैली फटने के निम्नलिखित में से सभी या कोई एक कारण भी हो सकता है, आइए जानते हैं;

  • पिछली गर्भावस्था में समय से पूर्व थैली फट जाना
  • गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करना
  • गर्भाशय ग्रीवा की लंबाई कम होना
  • गर्भावस्था के दौरान पोषण की आपूर्ति न होना
  • वजन कम होना
  • भ्रूण की झिल्ली में सूजन
  • दूसरी या तीसरी तिमाही में योनि से रक्तस्राव

पानी की थैली फटने पर क्या होता है और कैसा लगता है?

ज्यादातर महिलाओं को पानी की थैली फटने का अनुभव अलग-अलग तरीके से होता है। कुछ महिलाएं अपने पैरों पर रिसाव महसूस कर सकती हैं बल्कि अन्य महिलाओं को गंधहीन व रंगहीन एम्नियोटिक द्रव स्राव का अनुभव हो सकता है। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि एम्नियोटिक थैली कहाँ फटी है और शिशु जन्म लेने के लिए तैयार है या नहीं। कृपया समझें कि गर्भावस्था के अंत तक आपके अंदर लगभग 600 मि.ली. पानी या एम्नियोटिक द्रव मौजूद होता है और आपके शरीर में प्रसव पीड़ा के दौरान भी पानी उत्पन्न होता है। इसलिए हो सकता है कि एम्नियोटिक थैली फटने के बाद भी आपको द्रव स्राव हो।   

कई मांओं को चिंता रहती है कि उनकी एम्नियोटिक थैली घर से कहीं बाहर जाने पर, किसी रेस्तरां में या शॉपिंग के समय भी फट सकती है। इसके बारे में बहुत अधिक चिंता न करें, यदि आपको ऐसी आशंका है तो अपनी गर्भावस्था के 37वें सप्ताह से मैटरनिटी पैड का उपयोग करना शुरू करें किंतु इसके लिए सैनिटरी नैपकिन, टैम्पॉन का उपयोग करने से बचें ।

फोर वॉटर और हिंड वॉटर क्या है

प्रसव के दौरान जब गर्भस्थ शिशु नीचे की ओर खिसकना शुरू करता है तो उसका सिर गर्भाशय ग्रीवा के करीब हो जाता है। इस दौरान शिशु के चारों ओर फैला हुआ एम्नियोटिक द्रव 2 भागों में विभाजित हो जाता है। इस द्रव का एक भाग शिशु के सिर की ओर होता है जिसे फोर वॉटर कहा जाता है और सामान्य रूप से इस द्रव का दूसरा भाग शिशु के पैरों की ओर होता है जिसे हिंड वॉटर कहते हैं।

फोर वॉटर और हिंड वॉटर के बीच कोई अंतर नहीं है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कौन सा वॉटर पहले ब्रेक हो जाता है।

वॉटर ब्रेक और पेशाब आने या डिस्चार्ज में क्या अंतर् है

पेशाब और एम्नियोटिक द्रव के बीच अंतर करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। एम्नियोटिक द्रव स्पष्ट, गंधहीन तरल पदार्थ होता है, जो कि पीले रंग का होता है और शुरूआत में थोड़ा रक्त भी निकल सकता है। इसकी महक से पता चल जाएगा कि यह एम्नियोटिक द्रव है या पेशाब है। 

दूसरी ओर, योनि स्राव पतला श्लेम होता है और यह मासिक धर्म से पहले आने वाले द्रव के समान ही होता है। यह थोड़ा भारी होता है इसलिए इसमें और एम्नियोटिक द्रव में अंतर् किया जा सकता है।

क्या प्रसव पीड़ा से पहले पानी की थैली फट सकती है?

जी हाँ, एम्नियोटिक या पानी की थैली प्रसव पीड़ा से पहले भी फट सकती है लेकिन अत्यधिक दुर्लभ मामलों में ऐसा होता है। यह गर्भावस्था के लगभग 37वें सप्ताह में या उसके बाद भी हो सकता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में, यह आश्चर्य की बात नहीं है और आप पहले से ही अस्पताल में अपने बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार हो सकती हैं।

एम्नियोटिक थैली फटने के बाद प्रसव पीड़ा कब शुरू होती है?

यह एक आम सवाल है जो हर एक गर्भवती महिला के मन में रहता है कि वॉटर ब्रेक हो जाने के बाद प्रसव पीड़ा कब तक शरू होती है? खैर, ज्यादातर मामलों में, एम्नियोटिक थैली के फटने के बाद प्रसव पीड़ा शुरू होती है। बहुत दुर्लभ मामलों में यदि आप समय से पहले झिल्ली के टूटने का अनुभव करती हैं तो प्रसव पीड़ा में देरी हो सकती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर द्वारा प्रसव पीड़ा को प्रेरित किया जाता है क्योंकि पानी की थैली फटने के बाद प्रसव में जितनी देरी होती है आपको व आपके शिशु को उतना ही अधिक संक्रमण होने का खतरा होता है। 

यदि एम्नियोटिक थैली फटने के बाद संकुचन न हो तो क्या होगा

जैसा कि पहले भी बताया गया है एम्नियोटिक थैली फटने के बाद ही संकुचन होने लगता है। यदि आपको पहले से ही प्रसव पीड़ा नहीं हो रही है तो आपके पैरों पर द्रव स्राव होने से लगभग 12 घंटे बाद आपको दबाव महसूस होना शुरू हो जाएगा। हालांकि कुछ मामलों में यह संकुचन लगभग 24 घंटे बाद शुरू हो सकता है। इस बीच आप इस बात से निश्चिंत रहें कि आपमें एम्नियोटिक द्रव समाप्त नहीं होगा क्योंकि आपका शरीर शिशु के जन्म तक इस द्रव को उत्पन्न करता है। 

कोई संकुचन नहीं होने के कारण वॉटर ब्रेक का होना बहुत कम होता है।यदि एम्नियोटिक थैली फटने के बाद आपको प्रसव में 24 घंटे से अधिक लगते हैं तो डॉक्टर आपको व शिशु को संभावित संक्रमण से सुरक्षित करने के लिए प्रसव पीड़ा प्रेरित करने का निर्णय ले सकते हैं। 

यदि आपकी एम्नियोटिक थैली जल्दी फट जाती है तो क्या होगा

यदि गर्भावस्था के 37वें सप्ताह से पहले आपका वॉटर ब्रेक हो जाता है, तो इसे प्रीटर्म या समय से पहले झिल्ली का फटना कहा जाता है। इससे कुछ जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे माँ और भ्रूण को संक्रमण हो सकता है, प्लेसेंटा में क्षति – यह तब होता है जब प्रसव से पहले गर्भनाल गर्भाशय की भीतरी दीवार से दूर हो जाती है और गर्भनाल संबंधित समस्याएं या संक्रमण। समय से पहले जन्म के कारण अत्यधिक जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं।  

यदि आप झिल्ली के फटने या पी.आर.ओ.एम. (प्री-मैच्योर रप्चर ऑफ मेम्ब्रेन) के समय 34 सप्ताह की गर्भवती है, तो डॉक्टर आपको शीघ्र प्रसव का सुझाव दे सकते हैं, लेकिन यदि आप 24 से 34 सप्ताह की गर्भवती हैं, तो डॉक्टर आपको एंटी-बायोटिक्स लगाकर प्रसव में देरी करने का प्रयास करेंगे। इस तरह, बच्चे को आपके अंदर विकसित करने के लिए कुछ और समय मिल सकता है। शिशु के फेफड़ों के विकास को गति देने के लिए आपको प्रभावी स्टेरॉयड (कॉर्टिकोस्टेरॉइड) का एक इंजेक्शन भी दिया जा सकता है। 

परिस्थिति जो भी हो, अपने चिकित्सक से बात करें और पी.आर.ओ.एम. के बारे में वह सब पूछें जो आपको पता होना चाहिए और साथ ही यह भी जानें कि यह आपको और शिशु को कैसे प्रभावित कर सकता है।

गर्भावस्था के दौरान पानी की थैली फटने पर आप क्या कर सकती हैं

यदि आपको संदेह है कि वॉटर ब्रेक हो गया है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता है। इस अवधि में आपको परीक्षण के लिए अस्पताल जाना पड़ सकता है। डॉक्टर को इस बात का निर्णय लेने की भी आवश्यकता हो सकती है कि आपके प्रसव की प्रगति कैसी होनी चाहिए।

यदि पानी की थैली खुद नहीं फटती है तो क्या होगा

यदि आपको प्रसव पीड़ा शुरू हो जाती है और गर्भाशय ग्रीवा पतली व विस्तृत हो जाती है एवं बच्चे का सिर पहले से ही श्रोणि के माध्यम से निकल चुका है तो डॉक्टर प्रसव पीड़ा शुरू करने या प्रसव पीड़ा संकुचन बढ़ाने के लिए एमनियोटमी का उपयोग कर सकते हैं। इस तकनीक में, एम्नियोटिक थैली को खोलने के लिए एक पतली प्लास्टिक की हुक का उपयोग किया जाता है जिससे एम्नियोटिक द्रव बाहर निकल सकता है।

क्या होगा यदि आपकी एम्नियोटिक थैली फटने के बाद प्रसव पीड़ा न हो

यदि पानी की थैली फट जाने के बाद आप प्रसव पीड़ा प्रेरित करना नहीं चाहती हैं तो आपको देखभाल की अत्यधिक आवश्यकता पड़ सकती है।

  • डॉक्टर तब तक हर 24 घंटे में आपके शिशु की हृदय गति व गतिविधियों की जांच करते रहेंगे जब तक वास्तव में आपको प्रसव पीड़ा नहीं होती है।
  • डॉक्टर करीबी से आपके तापमान की निगरानी कर सकते हैं।
  • डॉक्टर एम्नियोटिक द्रव की गंध या रंग में किसी भी बदलाव पर नजर रख सकते हैं।

इस स्थिति में डॉक्टर आपको अस्पताल में चिकित्सीय सुविधाओं के साथ प्रसव की सलाह दे सकते हैं क्योंकि प्रसव में अधिक खतरा हो सकता है। 

यदि इस दौरान आपको संक्रमण हो जाता है तो डॉक्टर एक ट्यूब के माध्यम से आपकी नसों में एंटीबायोटिक देते हैं। डॉक्टर आपको सलाह दे सकते हैं कि आप और आपके शिशु को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए प्रसव प्रेरित होना चाहिए।

48 घंटों के बाद तक भी प्रसव पीड़ा प्रेरित न होने के क्या जोखिम हैं

यदि एम्नियोटिक थैली फटने के बाद भी लगभग 48 घंटों तक प्रसव पीड़ा प्रेरित नहीं होती है तो आपके और आपके शिशु के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। एम्नियोटिक थैली फटने और शिशु के जन्म के बीच जितना समय बीतता है, आपके और आपके शिशु को संक्रमण होने की संभावना उतनी ही अधिक बढ़ जाती है। यदि एम्नियोटिक थैली फटने के 48 घंटे बाद भी आपको प्रसव पीड़ा नहीं होती है तो जन्म बाद आपको अपने शिशु को डॉक्टर की सलाह अनुसार ही चिकित्सीय देखरेख में रखना पड़ सकता है। इसलिए इस दौरान शांत रहें, फायदे व नुकसान पर विचार करें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार वह चुनें जो आपके लिए सही है। 

चिकित्सक से कब मिलें

जैसे ही आपको महसूस होता है कि आपकी एम्नियोटिक थैली फट गई है तो अपनी स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत डॉक्टर से मिलें। निम्नलिखित परिस्थितियों में बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें;

  • यदि आप देखती हैं कि एम्नियोटिक द्रव हरे या भूरे रंग का है तो इसका मतलब है कि शिशु ने गर्भाशय में मल त्याग किया है।
  • यदि आप अपनी गर्भावस्था के 37वें सप्ताह या उससे भी कम अवधि में हैं और आप अपने पैरों के बीच धीमी गति से रिसाव महसूस करती हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • यदि आपको ऐसा लगता है कि आपकी योनि में कुछ या गर्भनाल फंस रही है। यह केवल पी.आर.ओ.एम. (शिशु का नितंब है या शिशु अभी अपरिपक्व है) के मामलों में होता है; जब गर्भनाल गर्भाशय ग्रीवा या योनि में बह जाती है।

यदि आप डॉक्टर से संपर्क करती हैं तो वह वॉटर ब्रेक टेस्ट करता है। यदि यह कोई गलत संकेत है तो डॉक्टर आपको वापस घर जाने की सलाह देते हैं। 

गर्भावस्था के दौरान शांत और केंद्रित रहने की आवश्यकता होती है। इस अवधि में घबराहट या डर नहीं होना चाहिए और इससे आपके स्वास्थ्य पर अनचाहे दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इस दौरान घबराने की बजाय डॉक्टर से संपर्क करें।

यह भी पढ़ें:

प्रसव के कुछ लक्षण जिन पर आपको नज़र रखनी चाहिए
प्रसव के दौरान जोर लगाने की प्रक्रिया

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