गर्भावस्था

गर्भावस्था में पिका इच्छा – कारण, जटिलताएं और उपाय

आमतौर पर गर्भावस्था में बहुत सारी चुनौतियां होती हैं जिन्हें आपको दूर करने की आवश्यकता पड़ती है। सबसे आम चुनौतियों में से एक है गर्भावस्था में कुछ खाने की उत्कट इच्छाओं का सामना करना । जैसे-जैसे आपके शरीर में परिवर्तन होते हैं, वैसे-वैसे आपके हॉर्मोन भी बदलते हैं और ये उत्कट इच्छाओं का कारण बन जाते हैं। यह हमेशा स्वास्थ्यप्रद नहीं होता। आवश्यकता से अधिक खाना एक हानिकारक स्थिति हो सकती है, ठीक वैसे ही कुछ खाने की असाधारण तीव्र इच्छाओं का उभरना भी परेशानी का कारण बन सकता है, इस स्थिति को पिका इच्छा कहा जाता है।

पिका क्या है

पिका गर्भावस्था के दौरान की एक ऐसी स्थिति होती है, जब गर्भवती स्त्री को गैर-खाद्य पदार्थ खाने का मन करता है। इनमें गंदगी, मिट्टी, कोयला, लकड़ी के टुकड़े और स्टील आदि शामिल हैं।

इन इच्छाओं के विरुद्ध लड़ना कठिन हो सकता है लेकिन इन्हें आपके शरीर में विटामिन या खनिजों की कमी के संकेतक के रूप में जाना जाता है। यह स्थिति सामान्यतः 6 महीने से 11 साल की उम्र के बीच के बच्चों में प्रकट होती है जो लगभग 30% बच्चों को प्रभावित करती हैं। गर्भवती महिलाओं में भी इस तरह की उत्कट इच्छाएं होना सामान्य माना जाता है।

गर्भावस्था के दौरान पिका के कारण

जबकि गर्भवती महिलाओं में पिका के असली कारण अज्ञात हैं, डॉक्टरों का मानना यह है कि यह एक प्राकृतिक तरीका है जिसके द्वारा आपका शरीर यह बताता है कि आपको विटामिन, खनिज या अन्य पोषक तत्वों की आवश्यकता है। डॉक्टर यह भी मानते हैं कि गर्भवती महिलाओं में अप्राकृतिक तीव्र अभिलाषा एक अंतर्निहित शारीरिक समस्या या मानसिक बीमारी का संकेत हो सकती है, जो हॉर्मोन के कारण उत्पन्न होती है।

गर्भावस्था और पिका वाली आम इच्छाएं

पिका के कारण कई तरह के पदार्थ खाने की तीव्र इच्छाएं उत्पन्न होती हैं, इनमें सबसे आम हैं:

  • धूल
  • साबुन
  • रेत
  • चिकनी मिट्टी
  • मल
  • कागज
  • बाल
  • टूथपेस्ट
  • प्लास्टिक
  • लकड़ी के टुकड़े
  • नाखून
  • चीनी मिट्टी
  • कोयला
  • प्लास्टर ऑफ पेरिस
  • बच्चों का प्लास्टर

पिका के कारण आपमें असामान्य इच्छाएं पैदा हो सकती हैं। जब आपको ऐसे पदार्थ खाने की असहनीय इच्छा हो जो खाने योग्य न हों, तो आप अपने डॉक्टर से बात करें।

क्या यह आपके बच्चे को प्रभावित करेगा

यदि आप अपनी भूख पर काबू न रख पाईं तो पिका आपके बच्चे को प्रभावित कर सकता है। कोई भी गैर-खाद्य पदार्थ खाना हानिकारक है क्योंकि इससे आपके शरीर में पोषण-अवशोषण के मुद्दों के कारण कुपोषण हो सकता है। ये इच्छाएं प्लास्टिक या पेंट जैसी वस्तुओं के लिए भी हो सकती हैं जिनमें विषाणु होते हैं। यह आप और आपके बच्चे दोनों के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है।

पिका में होने वाली जटिलताएं

पिका अवशोषण और पाचन संबंधी जटिलताओं को जन्म दे सकता है जो अंततः कुपोषण का कारण बनती हैं।  जो गैर-खाद्य पदार्थ पचने में कठिन होते हैं, उनके सेवन के कारण संक्रमण हो सकता है, कांच या लकड़ी के टुकड़े तो आपके पाचन तंत्र में घाव भी कर सकते हैं और यह आंतरिक रक्तस्राव का कारण बन सकता है। ये जटिलताएं आपकी तीव्र इच्छाओं से जुड़ी होती हैं। यह आवश्यक है कि आप समझें कि आपकी तीव्र इच्छाएं कौन-कौन सी हैं और उनके साथ क्या जोखिम जुड़े हैं।

पिका की तीव्र इच्छाओं से निपटना

चूंकि पिका गर्भावस्था में आम है इसलिए घबराएं नहीं। इससे निपटा जा सकता है और यह आमतौर पर कुछ ही दिनों के लिए रहता है। इससे निपटते समय ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं:

  • अपने डॉक्टर से खुलकर और ईमानदारी से बातचीत करें। उन्हें अपनी इच्छाओं के बारे में बताएं, भले ही वे इच्छाएं आपके लिए कितनी भी अस्वाभाविक या शर्मनाक क्यों न हों।
  • अपनी देखभाल करने वालों को सूचित करें, और सुनिश्चित करें कि वे आपकी इन तीव्र इच्छाओं के जोखिम और असर के बारे में जानते हैं। प्रियजनों की मदद से आपके लिए इन इच्छाओं से लड़ना आसान होगा।
  • अपने डॉक्टर से पूछें कि क्या आपके प्रसव पूर्व रिकॉर्ड की समीक्षा करने की आवश्यकता है, और इसके लिए आवश्यक परीक्षण भी करें।
  • अपने पोषक तत्वों के स्तर की जांच करें, और अपने आहार में विटामिन और खनिज की मात्रा पर निगरानी रखें।
  • अपने आयरन और जिंक के सेवन पर नजर रखें और अपने शरीर के मैग्नीशियम का ध्या रखें। कम होने पर नियमित रूप से सप्लिमेंट लें।
  • अपना ध्यान अन्यत्र लगाएं, टीवी देखें या अपने मन से इन इच्छाओं को दूर रखने के लिए कुछ रचनात्मक कार्य करें।
  • च्युइंग गम या चीनी रहित कैंडी जैसे विकल्पों का उपयोग करने का प्रयास करें।

पिका एक बहुत ही सामान्य समस्या है लेकिन जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इस बात की पुरजोर सलाह दी जाती है कि आप अपने डॉक्टर से बात करें और इस पर तब तक ध्यान दें जब तक कि यह दूर न हो जाए। एक काउंसलर की तलाश कर यह सुनिश्चित कर लें कि इसका कारण कोई अन्तर्निहित मानसिक स्थिति तो नहीं है। अपने प्रियजनों को अपनी परिस्थिति से अवगत कराना न भूलें तथा चर्चा जारी रखें क्योंकि उससे मदद मिलती है। याद रखें, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि घबराएं नहीं और अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें।

यह भी पढ़ें:

गर्भावस्था में अपने निजी अंगों से बाल कैसे हटाएं
गर्भावस्था के दौरान सिरदर्द के लिए 11 प्रभावी घरेलू उपचार

श्रेयसी चाफेकर

Recent Posts

करण नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Karan Name Meaning In Hindi

ऐसे कई माता-पिता होते हैं जो अपने बच्चे का नाम इतिहास के वीर महापुरुषों के…

6 days ago

डॉ. भीमराव अंबेडकर पर निबंध (Essay On Bhimrao Ambedkar In Hindi)

भारत में कई समाज सुधारकों ने जन्म लिया है, लेकिन उन सभी में डॉ. भीमराव…

1 week ago

राम नवमी पर निबंध (Essay On Ram Navami In Hindi)

राम नवमी हिंदू धर्म का एक अहम त्योहार है, जिसे भगवान श्रीराम के जन्मदिन के…

1 week ago

रियान नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल – Riyan Name Meaning in Hindi

आज के समय में माता-पिता अपने बच्चों के लिए कुछ अलग और दूसरों से बेहतर…

2 weeks ago

राजीव नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल – Rajeev Name Meaning In Hindi

लगभग हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे का नाम सबसे अलग और…

2 weeks ago

35+ पति के जन्मदिन पर विशेस, कोट्स और मैसेज | Birthday Wishes, Quotes And Messages For Husband in Hindi

एक अच्छा और सच्चा साथी जिसे मिल जाए उसका जीवन आसान हो जाता है। कहते…

2 weeks ago