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शतावरी जिसे ऐस्पैरागस रेसमोसस भी कहा जाता है एक बेहतरीन हर्ब है जो अच्छी हेल्थ के साथ शरीर को हर तरह से फायदे देती है। शतावरी, जिसका मतलब होता है ‘कई लोगों के लिए स्वीकार्य’, का आयुर्वेद में बहुत महत्व है और यह कई बीमारियों और समस्याओं के इलाज में इस्तेमाल होती है। लगभग सभी उम्र की स्त्रियां टॉनिक के रूप में शतावरी लेती हैं ताकि नेचुरल रूप से शरीर में होने वाले ट्रांजिशन फेज के अलग-अलग चरणों में एडजस्ट होने में उन्हें आसानी हो सके।
शतावरी यूटरस को मजबूत करती है और ब्रेस्ट में दूध बनने में मदद करने के लिए जानी जाती है। डिलीवरी के बाद शतावरी लेने से यह नई माँ की इम्युनिटी बढ़ाने और शरीर को ताकत देने का काम करने के साथ-साथ माँ के दूध की मात्रा बढ़ाने में मददगार होती है। हालांकि, हम आपको यह सलाह देते हैं कि गर्भावस्था के दौरान शतावरी लेने से पहले एक आयुर्वेदिक डॉक्टर से बात पूछ लें कि जो दूसरे सप्लीमेंट्स आप ले रही हैं उनके साथ इसे कैसे लें और इसकी कितनी मात्रा लें।
शतावरी में फाइटोकेमिकल्स नामक नॉन-न्यूट्रिटिव प्लांट केमिकल्स होते हैं जो बीमारी पैदा करने वाले तत्वों से शरीर की रक्षा करते हैं और स्वास्थ्य को बेहतर करते हैं। शतावरी में मौजूद फाइटोकेमिकल्स इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने और एंटी कैंसर गुणों के साथ ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस का मुकाबला करने के लिए जाने जाते हैं। शतावरी में मौजूद फाइटोकेमिकल्स में शामिल हैं:
शतावरी की जड़ों में कई मिनरल्स जैसे कॉपर, जिंक, मैंगनीज और कोबाल्ट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। उसमें कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम और अन्य आवश्यक मिनरल्स भी शामिल हैं। मिनरल्स के साथ, शतावरी में विटामिन ए और एस्कॉर्बिक एसिड में भी प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें एसेंशियल फैटी एसिड जैसे गामा-लिनोलेनिक एसिड भी काफी होता है, जो डायबिटीज मेलिटस, आर्थराइटिस (गठिया), डिप्रेशन, हाई कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद है।
सदियों से शतावरी का उपयोग एक ट्रेडिशनल हीलर के रूप में होता आया है। इसमें फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो एंटी-फंगल, मूत्रवर्धक, एंटी-ट्यूमर और इम्युनोस्टिमुलेटरी गुणों के साथ बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। शतावरी एक गलैक्टागॉग भी है जो स्तनपान कराने वाली माओं के शरीर में दूध के उत्पादन को बढ़ाती है। इसके अलावा शतावरी में मौजूद सैपोनिन, सल्फर युक्त एसिड, ओलिगोसेकेराइड और अमीनो एसिड जैसे कंपाउंड इसे एक फायदेमंद हर्ब बनाते हैं जो स्वास्थ्य को अच्छा अच्छा करने में काम आती है।
गर्भावस्था के दौरान शतावरी कल्प का सेवन करने के कुछ फायदे इस प्रकार हैं:
शतावरी में फोलिक एसिड बहुतायत में होता है जो फीटस के विकास के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण न्यूट्रिएंट है। स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए गर्भवती होने से पहले और गर्भावस्था के दौरान दोनों समय इसकी आवश्यकता होती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए फोलिक एसिड के फायदों में शामिल हैं:
शतावरी को एक गैलेक्टैगॉग (दूध बढ़ाने वाला पदार्थ) के रूप में जाना जाता है जो स्तनपान कराने वाली महिलाओं में उनके दूध के प्रोडक्शन को बढ़ाने में सहायक होती है। इसका गैलेक्टागॉग प्रभाव हर्ब में स्टेरायडल सैपोनिन की उपस्थिति के कारण होता है और हार्मोन प्रोलैक्टिन के लेवल को जांचकर इसकी पुष्टि की जाती है। शतावरी रूट पाउडर लेने पर प्रोलैक्टिन स्तर सामान्य से 3 गुना बढ़ जाता है और इसके कोई टॉक्सिन इफेक्ट भी नहीं होते।
शतावरी चूर्ण में पाए जाने वाले ग्लूटाथियोन के कारण यह गर्भावस्था के दौरान बेहद फायदेमंद होता है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए एक जरूरी न्यूट्रिएंट है क्योंकि यह एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। एंटीऑक्सिडेंट शरीर में फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव डैमेज से लड़ते हैं। यदि जांच न की जाए तो फ्री रेडिकल्स फीटस के डीएनए पर हमला कर सकते हैं और जन्म दोष के रूप में प्रकट होने वाले नुकसान का कारण बन सकते हैं। वे माँ और बच्चे को मुख्य रूप से शरीर की इम्युनिटी से जुड़े रोगों के प्रति सेंसिटिव बना सकते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि शतावरी पाउडर का मूल अर्क शरीर की इम्यून सेल्स को स्टिमुलेट कर सकता है। कोई इन्फेक्शन होने के बाद शरीर की इम्युनिटी कम हो सकती है और ऐसे में शतावरी किसी भी नए इन्फेक्शन से लड़ने और रिकवरी को गति देने के लिए इम्युनिटी सिस्टम को बेहतर कर सकती है। शतावरी में सैपोजिन नामक एक एक्टिव कंपाउंड होता है जो एक शक्तिशाली इम्युन-स्टिम्युलेटर है और नार्मल और खराब इम्युनिटी वाली दोनों ही स्थितियों में शरीर को बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार करने के लिए जाना जाता है।
गर्भावस्था के दौरान शतावरी खाने से शरीर में भरपूर मात्रा में इनुलिन की आपूर्ति होती है जो आंतों के लिए बहुत काम का होता है। इनुलिन एक स्टार्चयुक्त पदार्थ होता है जो पेट द्वारा पचता या अवशोषित नहीं होता। यह आंत में पहुँचता है जहाँ इसकी मदद से अच्छे बैक्टीरिया विकसित होते हैं। ये बैक्टीरिया बॉवेल फंक्शन और ओवरऑल हेल्थ में सुधार करने में उपयोगी होते हैं।
कैल्शियम शरीर की अच्छी फंक्शनिंग और दाँतों और हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक मिनरल है। गर्भवती महिलाओं को बच्चे के विकास में सहायता के लिए पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम की जरूरत होती है। कैल्शियम के काम इस प्रकार हैं:
शतावरी में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है और यह शरीर के लिए एक जरूरी न्यूट्रिएंट है। यह एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है जो शरीर को फ्री रेडिकल डैमेज से बचाता है। विटामिन सी शरीर की इम्युनिटी बढ़ाता है और जुकाम जैसे वायरल इन्फेक्शन से बचाता है। यह कोलेजन के गठन के लिए भी महत्वपूर्ण है जो स्किन और अन्य कनेक्टिव टिश्यूज बनाने में मदद करने वाला मुख्य प्रोटीन है।
विटामिन ई माँ और फीटस दोनों के लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है। शतावरी विटामिन ई से भरपूर होती है, और इसके कुछ उपयोग इस प्रकार हैं:
शतावरी विटामिन बी 6 से भरपूर होती है, जो शरीर के लिए एक आवश्यक विटामिन है। यह विटामिन फीटस और माँ दोनों की इम्युनिटी बढ़ाने और शरीर की सही फंक्शनिंग के लिए आवश्यक है। यह मतली और मॉर्निंग सिकनेस को भी रोकता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है।
विटामिन K, जो शरीर के लिए भी एक आवश्यक विटामिन है, शतावरी में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह हार्ट हेल्थ को बनाए रखने और कोरोनरी हृदय रोग को रोकने के लिए आवश्यक है। यह माँ और बच्चे में ब्लड वेसेल्स की फंक्शनिंग को बनाए रखने में भी मदद करता है।
गर्भावस्था के दौरान शतावरी की जड़ के बेहतर फायदे पाने के लिए, अपने डॉक्टर के बताए अनुसार शतावरी कल्प के ग्रैन्यूल्स का सेवन करें। इसकी खुराक में आमतौर पर 2-4 महीनों तक 1 से 2 चम्मच शतावरी कल्प दूध के साथ दिन में दो बार लेने को कहा जाता है।
स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए शतावरी बेहद फायदे की होती है। हालांकि, इसके पॉजिटिव इफेक्ट्स के साथ-साथ नेगटिव साइड-इफेक्ट्स भी होते हैं और इसलिए गर्भावस्था के दौरान केवल आपके डॉक्टर की देखरेख में इसका इस्तेमाल करें।
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