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गर्भावस्था के दौरान स्नीजिंग या छींक आना एक आम बात है। यह समस्या तकलीफदेह हो सकती है पर यदि आप सामान्य से अधिक छींकती हैं तो इसमें चिंता करने की कोई भी बात नहीं है। मेडिकल में इस समस्या को ‘प्रेगनेंसी राइटिस’ कहते हैं और यह समस्या 18-42% गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करती है। आइए जानते हैं कि गर्भावस्था के दौरान स्नीजिंग होती कैसे है?
गर्भावस्था के दौरान शरीर में नेसल पैसेज और रेस्पिरेटरी सिस्टम जैसे हर एक अंग सेंसिटिव हो जाते हैं। इस समय आपको ऐसी चीजों से भी एलर्जी हो सकती है जिससे पहले कभी नहीं हुई थी। खून की मात्रा बढ़ने से नाक की कैपिलरीज में सूजन आ जाती है और इस वजह से नाक ब्लॉक हो सकती है। इसके अलावा गर्भावस्था के हॉर्मोन्स ज्यादा से ज्यादा म्यूकस उत्पन्न करते हैं और यह जुकाम जैसी समस्याओं का कारण बनता हैं, जैसे कंजेशन, बंद नाक और लगातार स्नीजिंग।
यदि आप बीमार नहीं हैं तो स्नीजिंग से आपको उतनी तकलीफ नहीं होगी। पर गर्भावस्था के दौरान यह समस्या आपके लिए चिंता का कारण बन सकती है। जैसा कि पहले भी बताया गया है कि गर्भावस्था के दौरान स्नीजिंग की समस्या आम है पर इससे शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। इस लेख में हमने गर्भावस्था के दौरान स्नीजिंग से संबंधित सभी संभावित सवालों का संकलन किया है। जानने के लिए यह लेख पूरा पढ़ें।
गर्भावस्था के दौरान हर महिला की इम्युनिटी बहुत कम होती है। इम्युनिटी कमजोर होने से सेंस्टिविटी बढ़ती है जिसके परिणामस्वरूप एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है और नेसल पैसेज, गले और रेस्पिरेटरी सिस्टम में सूजन हो जाती है। यद्यपि गर्भावस्था के दौरान लगातार छींक आने से तकलीफ और थकावट हो सकती है पर यह हानिकारक नहीं है।
गर्भावस्था के दौरान जुकाम, सर्दी और छींकें तुरंत आना शुरू हो सकती हैं, इसके कई कारण हो सकते हैं;
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को छींक आने से जो दर्द होता है वह राउंड लिगामेंट्स में खिंचाव के कारण होता है। यह लिगामेंट गर्भाशय के सामने वाली उसुंधी (ग्रोइन) से जुड़ती है और गर्भाशय को चारों तरफ से सपोर्ट करती है। जैसे ही एक गर्भवती महिला को छींक आती है उसी समय राउंड लिगामेंट टाइट हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप अचानक से झटका लगता है। इसकी वजह से गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा दर्द होता है और यह आम है। इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं है।
हालांकि कुछ-कुछ मामलों में गर्भावस्था के दौरान स्नीजिंग के कारण दर्द स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं की वजह से भी हो सकता है, जैसे सिस्ट। जिन गर्भवती महिलाओं को पेल्विक गिर्डल में साइटिका या दर्द होता है, उन्हें भी स्नीजिंग से गंभीर दर्द हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान स्नीजिंग म्यूकस मेम्ब्रेन में सूजन की वजह से होती है जिससे चिड़चिड़ापन और लगातार छींक आती है, इसके लक्षण जुकाम और खांसी जैसे ही होते हैं। इसमें यदि आपको बुखार या शरीर में दर्द नहीं होता है तो यह प्रेगनेंसी राइटिस है जो गर्भावस्था के 8वें सप्ताह में हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान स्नीजिंग होने से बच्चे या माँ को कोई भी समस्या नहीं होती है। यह डिलीवरी के कुछ सप्ताह के बाद अपने आप खत्म हो जाती है। यद्यपि यह पूरी तरह से नॉर्मल है और इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं है फिर भी कुछ दुर्लभ मामलों में इससे पीठ में दर्द, जबड़े में जकड़न और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में चोट लग सकती है। हालांकि बच्चा गर्भ में पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। माँ के छींकने पर गर्भाशय में हल्का सा झटका जरूर आता है पर इससे बच्चे कोई भी हानि नहीं होती है।
गर्भावस्था के दौरान छींक आने पर पेशाब लीक होना एक आम बात है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गर्भाशय ब्लैडर के ऊपर की ओर बढ़ता है जिस वजह से यदि महिला छींकती है तो ब्लैडर पर दबाव पड़ सकता है। यह कई मांओं के लिए शर्मनाक और असुविधाजनक भी होता है और इसे ठीक करने के लिए ज्यादा कुछ किया भी नहीं जा सकता है। हालांकि कीगल एक्सरसाइज करने से पेल्विक की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और समस्या को खत्म करने में मदद करती है। कुछ महिलाएं इससे बचने के लिए पैंटी लाइनर्स का उपयोग भी कर सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान हर समय छींक आने से आपको असुविधाएं हो सकती हैं। इसकी वजह से गर्भवती महिलाओं को थकान हो सकती है। इसलिए स्नीजिंग की समस्या को ठीक करने के तरीके खोजना भी जरूरी है। प्रेगनेंसी राइटिस को ठीक करने के निम्नलिखित तरीके दिए हैं, आइए जानें;
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के लिए स्नीजिंग का उपचार करना थोड़ा कठिन है क्योंकि इस समय आप पहले की तरह कोई भी दवाइयां नहीं ले सकती हैं। हालांकि आप इस समस्या को ठीक करने के लिए मेडिकल एडवाइस ले सकती हैं। डायग्नोसिस के अनुसार डॉक्टर आपको इसके लिए अनलगेसिक्स या एंटीहिस्टमाइंस लेने की सलाह दे सकते हैं।
डॉक्टर सूजन और एलर्जी को कम करने के लिए एंटीहिस्टमाइंस लेने की सलाह देते हैं। ऐनलगेसिक्स की दवाएं जुकाम की दवाओं के लिए जाना जाता है। एस्टमीनोफेन और आइब्रुप्रोफेन दवाएं नॉन-स्टेरोडिअल होती हैं और यह सूजन को कम करती है। यदि आप गर्भावस्था की शुरूआत में ही एस्टमीनोफेन और इब्रोफेन लेती हैं तो इससे बच्चे को जन्म से विकलांग होने का खतरा या कोई अन्य कॉम्प्लिकेशन नहीं होती है।
गर्भावस्था के दौरान ऐलोपैथी दवाओं का उपयोग करने से पहले नेचुरल रेमेडी का उपयोग करना चाहिए। गर्भावस्था में स्नीजिंग के उपचार के लिए यहाँ कुछ नेचुरल रेमेडीज बताए गए हैं, आइए जानें;
गर्भावस्था के दौरान लगातार स्नीजिंग होने से आपको बहुत ज्यादा असुविधाएं हो सकती हैं पर यह चिंता का कारण नहीं है। हालांकि यदि आपको स्नीजिंग के निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें;
गर्भावस्था की पहली तिमाही में स्नीजिंग होना आम है क्योंकि यह समस्या तब होती है जब आपकी इम्युनिटी बहुत कमजोर हो। इससे अक्सर दूसरी तिमाही में लिगामेंट्स में दर्र्द होता है पर यह दर्द तीसरी तिमाही आने तक खत्म हो जाता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान स्नीजिंग होना बहुत आम बात है। हालांकि कुछ तरीके हैं जिनकी मदद से आप विशेषकर राइटिस/एलर्जी से बचाव कर सकती हैं। वे तरीके कौन से हैं, आइए जानें;
रेस्पिरेटरी सिस्टम के ऊपरी भाग में इन्फेक्शन होने से स्नीजिंग हो सकती है। यह समस्या बैक्टीरिया और वायरस के कारण होती है और अक्सर इसमें कोई चिंता करने की बात नहीं है। पर कभी-कभी यह इन्फेक्शन शरीर के अन्य अंगों में फैल जाता है जिसकी वजह से गंभीर समस्या हो सकती है। इसलिए जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी इसका इलाज करना जरूरी है।
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