गर्भावस्था में ब्रोंकाइटिस – कारण, लक्षण और उपचार

प्रेगनेंसी में ब्रोंकाइटिस

प्रेगनेंसी के दौरान आपका शरीर आम सी होने वाली बीमारी के प्रति भी बहुत ज्यादा सेंसेटिव हो जाता है क्योंकि आपकी इम्युनिटी बदल रही होती है। इस दौरान आपको न केवल फ्लू और कोल्ड जल्दी पकड़ लेता है बल्कि आप देखेंगी कि यह लंबे समय तक भी बना रहता है, जो पहले नहीं होता था। अगर आपको लगता है कि आपकी खाँसी या गले में खराश की समस्या बढ़ रही है, तो हो सकता है यह ब्रोंकाइटिस का मामला हो, इसलिए बेहतर है कि आप अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

ब्रोंकाइटिस क्या है?

ब्रोंकाइटिस में, आपके वायुमार्ग या लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में सूजन आ जाती है, जिससे आपको सांस लेने में परेशानी होने लगती है। इसके अलावा, म्यूकस मेम्ब्रेन में वायरल इन्फेक्शन होने के कारण यह ज्यादा मात्रा में म्यूकस बनने लगता है जिससे ब्रोंकाइ (वायुमार्ग) के लिए  खुद को साफ करना मुश्किल हो जाता है।

ब्रोंकाइटिस दो प्रकार के हो सकते हैं – एक्यूट ब्रोंकाइटिस और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस। एक्यूट ब्रोंकाइटिस गर्भवती महिलाओं में होना बहुत आम है जो वायरस के कारण होता है और इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। लेकिन क्रोनिक ब्रोंकाइटिस कई महीनों से लेकर कई वर्षों तक रह सकता है और इसकी वजह से फेफड़ों को नुकसान पहुँचता है क्योंकि आपको बार-बार इन्फेक्शन होता है।

गर्भावस्था के दौरान ब्रोंकाइटिस होने का कारण

ब्रोंकाइटिस के कुछ सामान्य कारण हैं:

1. वायरस और बैक्टीरिया

ब्रोंकाइटिस के लगभग 90% मामले वायरस के कारण होते हैं। यह फ्लू और कोल्ड फैलाने वाले वायरस के कारण ही फैलता है, जो राइनोवायरस, पैरेन्फ्लुएंजा वायरस आदि होते हैं, यह समस्या आपको बैक्टीरिया के कारण भी हो सकती है। फ्लू या कोल्ड की वजह से बनने वाला म्यूकस भी ब्रोंकाइटिस समस्या का कारण बन सकता है।

2. इरिटेंट

सिगरेट, धूल के कण, केमिकल फ्यूम्स आदि से भी आपको ब्रोंकाइटिस की समस्या हो सकती है जिससे आपको सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसके कारण समस्या इतनी बढ़ सकती हैं कि आपको क्रोनिक ब्रोंकाइटिस हो सकता है, जो बच्चे के लिए खतरा पैदा कर सकता है और इससे बच्चे को रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट कंडीशन या कन्जेनिटल डिफेक्ट (जन्मजात दोष) जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

3. कुछ पदार्थों के संपर्क में आने से

लंबे समय तक धूल में रहना, अनाज, अमोनिया, स्ट्रोंग एसिड, क्लोरीन आदि के संपर्क में आना भी आपको ब्रोंकाइटिस की समस्या दे सकता है।

संकेत और लक्षण

गर्भवती महिलाओं में ब्रोंकाइटिस के लक्षण दूसरे लोगों की तुलना में थोड़ा ज्यादा हो सकते हैं। जिनमें से कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

  • खांसी
  • सांस लेने में तकलीफ होना और गले में चोकिंग जैसे महसूस होना
  • हल्का बुखार या शरीर का तापमान लगातार बढ़ना
  • गले में खराश
  • शरीर में कमजोरी लगना, थकान और शरीर में दर्द महसूस होना
  • सीने में दर्द होना
  • भूख कम लगना
  • सांस लेने में तकलीफ होना

इस दौरान म्यूकस का रंग पीला, ग्रे या बिलकुल पारदर्शी हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान ब्रोंकाइटिस का निदान

डायग्नोसिस के लिए सबसे पहले शरीर की जांच करना बहुत जरूरी होता है, आपके लक्षणों को नोट करने के बाद, डॉक्टर लैरिंक्स में किसी भी प्रकार की पाई जाने वाली रेडनेस की जांच करते हैं और सूजन का पता लगाने के लिए आपकी रिब की भी जांच की जाती है। आपकी हार्टबीट चेक करने के लिए डॉक्टर स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल करेंगे।

हालांकि चेस्ट का एक्स-रे करने से इन्फेक्शन का ठीक से पता लगाया जा सकता है, लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान रेडिएशन से बचने के लिए डॉक्टर इसे करने से बचेंगे, क्योंकि इससे फीटस पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।  स्प्यूटम (वो म्यूकस जो खाँसने पर फेफड़ों से आता है) उसका टेस्ट किया जाता ताकि यह पता लगाया जा सके आपकी परेशानी को एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक किया जा सकता है या नहीं। इसके अलावा एलर्जी की भी जांच की जा सकती है।

निमोनिया और टीबी में भी समान लक्षण दिखाई देते हैं, इसलिए डॉक्टर कई तरह के टेस्ट से इसकी जांच कर सकते हैं। पल्मनेरी फंक्शन टेस्ट, जिसमें स्पाइरोमीटर नामक एक डिवाइस की मदद से यह पता लगाया जाता है कि आपके फेफड़े में कितनी मात्रा में हवा को होल्ड कर सकते हैं।

ब्लड टेस्ट की मदद से ही ठीक से निदान (डायग्नोसिस) किया जा सकता जिसमें सूजन के लक्षणों का ठीक से पता लगाया जा सकता है, इसके अलावा हीमोग्लोबिन (एचबी) और हेमटोक्रिट (एचटी) के लेवल की भी जांच की जाती है।

जोखिम

हालांकि ब्रोंकाइटिस के कारण कोई सीरियस कॉम्प्लिकेशन होने की संभावना नहीं होती है, लेकिन इससे कुछ जोखिम जरूर हो सकते हैं जिन पर आपको ध्यान देने की आवश्यकता है।

1. सांस लेने में परेशानी होना

ब्रोन्कियल वॉल में सूजन के कारण, आपके फेफड़े ऑक्सीजन कम मात्रा में लेते हैं, जिससे फीटस तक उतनी ऑक्सीजन नही पहुँच पाती जितनी उसे जरूरत होती है।

2. बच्चे के विकास में बाधा डालने वाली दवाएं

कुछ एंटीबायोटिक्स और दवाएं बच्चे के विकास में बाधा डाल सकती हैं। इसलिए, डॉक्टर इसके लिए आपको अल्टरनेटिव उपचार की सलाह देते हैं, अगर इसके बावजूद भी कोई उपचार काम न कर रहा हो तो आपको रेस्ट करना चहिए और अपनी दवाओं को ठीक से लेना चाहिए।

3. निमोनिया

बुखार ब्रोंकाइटिस का एक लक्षण होता है। कभी-कभी, यह तापमान ज्यादा बढ़ जाता है और इससे आपको निमोनिया हो सकता है, जो आपके बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

इलाज

बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से होने वाले ब्रोंकाइटिस का इलाज एंटीबायोटिक प्रिस्क्रिप्शन से किया जाता है। हालांकि, एंटीबायोटिक दवाओं को लेने से पहले सावधानी बरतना जरूरी है, क्योंकि उनमें से कई दवाएं आपके फीटस के लिए हानिकारक मानी जाती हैं।

वह एंटीबायोटिक दवाएं जिन्हें आप प्रेगनेंसी के दौरान सुरक्षित रूप से ले सकती हैं वो हैं; अमोक्सीसीलीन, इरिथ्रोमाइसिन, क्लिंडामाइसिन, पेनिसिलिन, एम्पीसिलीन और नाइट्रोफ्यूरंटाइन आदि ।

सल्फामेथोक्साजोल, टेट्रासाइक्लिन और ट्राईमेथोप्रिम जैसी एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से आपके बच्चे को नुकसान पहुँच सकता है। इसके अलावा, सल्फामेथोक्साजोल और ट्राइमेथोप्रिम से बच्चे में बर्थ डिफेक्ट हो सकता है, इसलिए आपको ऐसी दवाओं के सेवन से बचना चाहिए।

हालांकि, यदि आपको ब्रोंकाइटिस की समस्या वायरस के कारण हुई है, तो आपको एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि यह वायरस के खिलाफ प्रभावी रूप से काम नहीं करती है। इस तरह का इन्फेक्शन अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, यदि लक्षण बने ही रहते हैं, तो हो सकता है आपको बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो जिसके लिए आपको एंटीबायोटिक दवाएं दी जा सकती हैं।

प्रेगनेंसी ट्राइमेस्टर के अनुसार ट्रीटमेंट

ब्रोंकाइटिस के लक्षण दिखाई देने पर इसका समय से इलाज करने से स्थिति को खराब होने से रोका जा सकता जिससे माँ और बच्चे पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता है। गर्भवती महिलाओं का ट्रीटमेंट करना इस बात पर भी निर्भर करता है की वो गर्भावस्था के किस चरण में हैं।

पहली तिमाही के दौरान, बायोपरॉक्स दवा का इस्तेमाल करके इन्फेक्शन और सूजन को कम किया जाता है। पहली तिमाही में, आपको ज्यादातर एक ऐसी एंटीबायोटिक दी जाएगी जो पेनिसिलिन ग्रुप से होती है।

दूसरी तिमाही में आपको सेफलोस्पोरिन एंटीबायोटिक्स दी जा सकती है, जो बच्चे के लिए सुरक्षित मानी जाती है। ब्रोमहेक्सिन, हालिक्सोल, एंब्रॉक्सोल और मुकाल्टिन जैसे एक्सपेक्टरेंट, म्यूकस को साफ करने के लिए और खांसी की समस्या को दूर करने के लिए जाता है।

तीसरी तिमाही के दौरान, अगर आपको इंट्रायूटरिन इन्फेक्शन हो जाता है, तो आपको इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबिन थेरेपी दी जाती है। आपकी कंडीशन कितनी गंभीर है इसके आधार पर समय से पहले लेबर ट्रीटमेंट किया जा सकता या यह यह भी हो सकता कि मिसकैरज भी हो जाए।

घरेलू उपचार

जैसे ही आप ब्रोंकाइटिस की समस्या को महसूस करती हैं, आप दवाओं का सहारा लिए बिना ही इसे घरेलू उपचार की मदद से ठीक कर सकती हैं । आपको यहाँ कुछ बेहतरीन होम रेमेडी बताई गई हैं जिन्हें आप प्रेगनेंसी के दौरान एक्यूट ब्रोंकाइटिस की समस्या को दूर करने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं:

1. नमक के पानी से गरारा करें

लगभग 250 मिलीलीटर पानी में एक चम्मच नमक डालें और उसी से गरारा करें। यह आपको गले की खराश से राहत प्रदान करता है और म्यूकस (बलगम) से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।

2. हल्दी

हल्दी में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जिससे म्यूकस को साफ करने और गले की खराश को दूर करने में मदद मिलती है। आप दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर डालकर इसे उबाल लें और गुनगुना हो जाने पर इसका सेवन करें।

3. अदरक

अदरक में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो आपके किचन में आसानी से उपलब्ध भी होता है। उबलते पानी में थोड़ी सी अदरक को ग्रेट कर के डाल दें और इसे गुनगुना हो जाने पर पिएं। आप चाहे तो इसमें थोड़ा शहद भी डाल सकती हैं। अदरक कॉमन कोल्ड को ठीक करने में बेहतरीन तरीके से काम करता है।

4. नींबू शहद पिएं

एक गिलास गुनगुना पानी लेकर उसमें नींबू निचोड़ें और एक चम्मच शहद मिलाकर पिएं। नींबू विटामिन सी और फ्लेवोनॉयड्स अच्छी मात्रा में मौजूद होता है जो इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है और शहद में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, इसलिए नींबू शहद का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है।

5. स्टीम लें

एक बर्तन में पानी उबालें, पानी उबल जाने के बाद इसे आंच से उतार लें और गर्म पानी से स्टीम लें। आप स्टीम लेने के लिए अपने सिर को तौलिए से ढक लें और फिर अच्छी तरह से स्टीम लें, इस प्रकार आपको गले और नाक में महसूस होने वाले जमाव (म्यूकस) से राहत मिलेगी।

6. नॉस्ट्रिल में पानी डालें

250 मिलीलीटर पानी में बेकिंग सोडा और आधा चम्मच नमक मिलाएं। 45 डिग्री एंगल से इसे अपनी नॉस्ट्रिल में डालें। आप चाहें तो सिरिंज या एक स्कुईज बोतल का भी उपयोग कर सकती हैं और आप जैसे ही मुँह से सांस लें, इस मिक्सचर को अपनी नॉस्ट्रिल में डालें। इसे दिन में कई बार दोहराएं ताकि आपको सांस लेने में हो रही परेशानी से जल्दी राहत मिल सके।

7. दही

दही में हेल्दी बैक्टीरिया पाए जाते हैं जिन्हें प्रोबायोटिक्स के रूप में भी जाना जाता है, यह रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के इन्फेक्शन को दूर करने में मदद करता है।

बचाव

गर्भावस्था के दौरान आपको ब्रोंकाइटिस जैसी समस्या से बचने के लिए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए, अगर इन्हें पूरी तरह से नहीं रोका जा सकता है तो यहाँ कुछ सावधानियां बरतने के लिए बताया गया है, जिस पर आपको ध्यान देना चाहिए।

  • ब्रोंकाइटिस से पीड़ित लोगों से दूर रहें। जर्म्स से बचने के लिए उस व्यक्ति के आस पास जाने से पहले, मास्क पहनें जिसे कोल्ड या फ्लू है।
  • वायरल इन्फेक्शन के खतरे को कम करने के लिए आप अपने हाथों को बार-बार धोएं।
  • एलर्जी और इरिटेंट जैसे स्मोक, केमिकल फ्यूम्स से दूर रहें।
  • अपनी इम्युनिटी बेहतर करने के लिए अच्छी तरह नींद पूरी करें, एक्सरसाइज करें, सही डाइट और लाइफस्टाइल का पालन करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ब्रोंकाइटिस के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न यहाँ दिए गए हैं।

1. क्या आप ब्रोंकाइटिस होने पर एल्ब्युटेरोल इनहेलर का उपयोग कर सकती हैं?

एल्ब्युटेरोल इनहेलर को ब्रोंकाइटिस की समस्या को दूर करने वाली मेडिकेशन के रूप में जाना जाता है, लेकिन इससे उन महिलाओं को खतरा हो सकता है जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट जैसी समस्या है। इससे बच्चे पर  टेराटोजेनिक इफेक्ट होता है, यानी यह फीटस के विकास पर प्रभाव डालता है।

2. क्या आप ब्रोंकाइटिस के लिए स्टेरॉयड का उपयोग कर सकती हैं?

स्टेरॉयड ज्यादातर डॉक्टरों द्वारा पहले से मौजूद एलर्जी और अस्थमा जैसी समस्या का इलाज करने के लिए किया जाता है

3. क्या खांसी से आपके गर्भ में पल रहे बच्चे पर असर पड़ता है?

गर्भवती महिला में खांसी की समस्या शारीरिक तनाव का कारण बन सकती है, जिससे कोर्टिसोल नामक हार्मोन रिलीज  होता है। यह हार्मोन, जब प्लेसेंटा तक पहुँचता है, तो इससे बच्चे पर असर पड़ सकता है जिससे बच्चे में बर्थ डिफेक्ट और लो बर्थ वेट की समस्या हो सकती है।

गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं में ब्रोंकाइटिस की समस्या कॉमन होती है। वायरल ब्रोंकाइटिस को घरेलू उपचार और अच्छी देखभाल के साथ ठीक किया जा सकता है, ब्रोंकाइटिस से बचने के लिए बेहतर है कि आप पहले से ही सावधानी बरतें। यदि आपको ब्रोंकाइटिस के लक्षण कुछ दिनों के अंदर कम होते हुए नजर नहीं आते हैं, तो आपको बैक्टीरियल इन्फेक्शन के होने की संभावना हो सकती है, ऐसे मामलों में आपको बिना देर किए अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। इस बात का खयाल रखें कि आप प्रेगनेंसी के दौरान उन ड्रग्स और एंटीबायोटिक दवाओं को जिन्हें ले सकती हैं या नहीं ले सकती हैं, वो केवल आपके बच्चे को किसी भी प्रकार के खतरे से बचाने के लिए है।

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