गर्भावस्था के दौरान थैलेसीमिया होना – जानें पूरी जानकारी

प्रेगनेंसी में थैलेसीमिया होना

यदि कोई गर्भवती महिला जेनेटिक विकारों से ग्रसित है तो उसकी समस्याएं उसके गर्भ में पल रहे बच्चे तक भी जा सकती हैं। इन विकारों में थैलेसीमिया या थैलासीमिया एक ऐसी ही जेनेटिक समस्या है जो बच्चे में भी हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान थैलेसीमिया होने से कई गंभीर कॉम्प्लीकेशंस हो सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान यदि किसी महिला को थैलेसीमिया या थैलासीमिया हो जाता है तो वह इसे कैसे मैनेज कर सकती है, आइए जानें। 

थैलेसीमिया क्या है?

थैलेसीमिया, खून से संबंधित एक जेनेटिक विकार है जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन के हेल्दी उत्पादन पर असर पड़ता है। इस समस्या की वजह से गंभीर रूप से एनीमिया हो सकता है। यह समस्या होने पर पेरेंट्स के अब्नॉर्मल या विकृत जींस बच्चे में भी जा सकते हैं। 

यदि आप गर्भवती हैं तो आपको गर्भावस्था के दौरान थैलेसीमिया के बारे में जानने के लिए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

थैलेसीमिया के प्रकार 

खून में एक जैसे प्रोटीन चेन्स, अल्फा चेन्स और बीटा चेन्स से ही हीमोग्लोबिन बनता है। आपमें थैलेसीमिया से संबंधित गंभीरता और कॉम्प्लीकेशंस इन प्रोटीन चेन्स में म्यूटेशन से बने (उत्परिवर्तित) जींस की संख्या पर निर्भर करती है। थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है, पहला अल्फा और दूसरा बीटा थैलेसीमिया। यह क्या है, आइए जानें; 

1. अल्फा थैलेसीमिया

अल्फा थैलेसीमिया तब होता है जब अल्फा प्रोटीन चेन्स के जींस में परिवर्तन होता है। यह निम्नलिखित तरीकों से हो सकता है; 

  • यदि एक ही जीन प्रभावित है या इसमें बदलाव है: इसमें अत्यधिक गंभीर लक्षण नहीं नजर आते हैं। 
  • यदि दो जींस में परिवर्तन होता है: इसमें एनीमिया की थोड़ी बहुत समस्या होती है और इसे थैलेसीमिया का लक्षण भी कहते हैं। 
  • यदि तीन जींस में म्यूटेशन होता है: इससे हीमोग्लोबिन एच या एचबीएच विकार हो सकता है। एनीमिया के गंभीर मामले से निपटने के लिए इस स्थिति में रेगुलर ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है।
  • ऐसे मामले में जहां सभी चार जीन में म्यूटेशन होता है: इससे जीवन को खतरा भी हो सकता है जिसे वास्तव में अल्फा थैलेसीमिया मेजर या एचबी बार्ट’स सिंड्रोम कहा जाता है। यदि बच्चे में यह विकार है तो जन्म तक या गर्भावस्था के दौरान वह मुश्किल से ही जीवित रह पाता है।

2. बीटा थैलेसीमिया 

बीटा प्रोटीन चेन्स के जींस में बदलाव होने के परिणामस्वरूप बीटा थैलेसीमिया होता है। जींस में यह परिवर्तन निम्नलिखित तरीके से हो सकता है, आइए जानें; 

  • यदि एक ही जीन परिवर्तित है: इस बदलाव से एनीमिया के माइल्ड (थैलेसीमिया के लक्षण) और गंभीर (थैलेसीमियाइंटरमीडिया) लक्षण दिखाई दे सकते हैं। 
  • यदि दोनों जींस परिवर्तित हैं: इसमें गंभीर रूप से समस्या हो सकती है जिसे बीटा थैलेसीमिया मेजर या कूले’स एनीमिया कहते हैं। 

उप-प्रकार

अल्फा और बीटा थैलेसीमिया को दो उप-प्रकारों में विभाजित किया गया है, आइए जानें;

थैलेसीमिया माइनर 

यदि पेरेंट्स में से किसी एक के जींस में समस्याएं होती हैं तो आपको थैलेसीमिया माइनर की समस्या हो सकती है। जिन लोगों को यह समस्या होती है उन्हें रोगों का कैरियर कहा जाता है। यदि आपको यह समस्या है तो आपको कोई भी गंभीर कॉम्प्लिकेशन नहीं होगी पर इससे आपके बच्चे के जींस में भी समस्याएं हो सकती हैं। 

थैलेसीमिया मेजर 

यदि पेरेंट्स में दोनों लोगों की जींस में समस्याएं होती हैं तो इससे जीवन को खतरा भी हो सकता है जिसे बीटा थैलेसीमिया मेजर कहते हैं। थैलेसीमिया मेजर होने से गर्भ में बच्चे को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। अल्फा थैलेसीमिया से ग्रसित कई बच्चे गर्भावस्था के दौरान या जन्म तक भी जीवित नहीं रह पाते हैं।  बच्चों में अल्फा थैलेसीमिया मेजर होने की तुलना में बीटा थैलेसीमिया मेजर होना बहुत आम है। 

गर्भावस्था के दौरान थैलेसीमिया होने के कारण क्या हैं? 

गर्भावस्था के दौरान निम्नलिखित मामलों में थैलेसीमिया हो सकता है, आइए जानें;

  • यदि पेरेंट्स में से किसी एक के जींस भी डिफेक्टेड हैं। 
  • यदि पेरेंट्स में दोनों की जींस में समस्याएं हैं। 
  • यदि आप एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्वी या मेडिटेरियन भागों से हैं तो आपके जींस में समस्याएं होने की संभावना अधिक है।  

गर्भावस्था के दौरान थैलेसीमिया का डायग्नोसिस कैसे किया जाता है?

जब एक महिला गर्भावस्था की जांच के लिए जाती है और यह कंफर्म हो जाता है कि वह गर्भवती है तो डॉक्टर उसे पहली विजिट में ही सभी प्रकार के ब्लड टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। इसमें थैलेसीमिया का टेस्ट भी शामिल है। इस टेस्ट में पता चलेगा कि गर्भावस्था के दौरान महिला को थैलेसीमिया हुआ है या नहीं। 

थैलेसीमिया टेस्ट गर्भावस्था होने से पहले भी किया जा सकता है। यदि एक कपल अपना परिवार शुरू करना चाहता है तो वे पहले यह जांच भी करवा सकते हैं। इस टेस्ट में पता चलेगा कि दोनों में से किसी एक को भी थैलेसीमिया है या नहीं। 

यदि आपको अल्फा या बीटा माइनर थैलेसीमिया है तो बिना खून की जांच किए आपको इसके बारे में नहीं पता चलेगा। 

कैसे जानें कि क्या गर्भ में पल रहे बच्चे को थैलेसीमिया है 

थैलेसीमिया एक जेनेटिक रोग है इसलिए यदि आप या आपके पति या दोनों को यह समस्या है तो आपके होनेवाले बच्चे को भी यह समस्या हो सकती है। 

यदि पेरेंट्स में से किसी एक के जींस में समस्या ही तो बच्चे में यह जींस होने की दो में से एक संभावना है। हालांकि यदि दोनों की जींस में समस्या है तो बच्चे में भी निम्नलिखित रूप से थैलेसीमिया हो सकता है, आइए जानें;

  • बच्चे को गंभीर रूप से थैलेसीमिया होने की 25% संभावनाएं हैं। 
  • बच्चे में रोग न होने या उसके कैरियर न होने की संभावना 25% है। 
  • बच्चे के एसिम्पटोमैटिक कैरियर होने की 50% संभावनाएं हैं। 

यदि आपको या आपके पति को थैलेसीमिया है तो गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर आपको निम्नलिखित जांच करवाने के लिए कह सकते हैं, आइए जानें;

  • डॉक्टर गर्भावस्था के 15वे सप्ताह में एम्नियोटिक सैक की जांच कर सकते हैं। बच्चे के आसपास के एम्नियोटिक फ्लूइड की जांच को एम्निओसेंटेसिस कहते हैं। 
  • डॉक्टर गर्भावस्था के 11वें से 14वें सप्ताह में प्लेसेंटा का सैंपल ले सकते हैं। यह सैंपल डीएनए टेस्ट के लिए लिया जाता है और इसे कोरियोनिक विलस कहते हैं। 
  • डॉक्टर बच्चे के खून की जांच भी कर सकते हैं। यह टेस्ट गर्भावस्था के 18वें से 20वें सप्ताह में किया जाता है। इसमें जांच के लिए अम्ब्लिकल कॉर्ड से खून लिया जाता है। 

यदि आपके बच्चे को अल्फा थैलेसीमिया मेजर है तो उसके बचने की संभावना कम होती है। इस मामले में डॉक्टर आपको गर्भावस्था खत्म करने के लिए भी कह सकते हैं क्योंकि हो सकता है कि बच्चा डिलीवरी या जन्म तक जीवित ही न रहे। 

थैलेसीमिया गर्भावस्था व बच्चे के जन्म को कैसे प्रभावित करता है?

यदि आप थैलेसीमिया से ग्रसित हैं तो दाई या डॉक्टर पूरी गर्भावस्था में आपकी जांच अच्छी तरह से करेंगे। डॉक्टर आपको फोलिक एसिड लेने की सलाह दे सकते हैं क्योंकि इससे बच्चे की न्यूरल ट्यूब में समस्याएं (स्पिन बिफिडा) होने का खतरा नहीं होता है। इसकी डोज आपकी समस्या की गंभीरता पर निर्भर करती है। 

यदि आपको बीटा-थैलेसीमिया माइनर है तो डॉक्टर नियमित रूप से आपके शरीर में आयरन की जांच करते हैं। गर्भावस्था के दौरान शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने के लिए आपको आयरन टैबलेट्स लेने की सलाह भी दी जा सकती है। 

यदि आपको अल्फा थैलेसीमिया माइनर है तो आप थोड़ा बहुत या गंभीर रूप से एनीमिया से ग्रसित हो सकती हैं। इस समस्या को कम करने के लिए आपको खून चढ़ाया जा सकता है। 

यदि आपको बीटा थैलेसीमिया मेजर समस्या है तो आपकी गर्भावस्था में गंभीर कॉम्प्लीकेशंस हो सकती हैं। हेल्दी गर्भावस्था के लिए इसमें लगातार आपकी जांच की जा सकती है, दवाएं दी जा सकती हैं और आपको खून भी चढ़ाया जा सकता है। 

थैलेसीमिया होने से जन्म के दौरान समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि डिलीवरी के लिए आपको हॉस्पिटल ही जाना चाहिए। यदि आपको बीटा थैलेसीमिया मेजर है जिससे आपकी हड्डियों में गंभीर रूप से प्रभाव पड़ सकता है तो ऐसे में आपकी सामान्य डिलीवरी होना मुमकिन नहीं है और हॉस्पिटल में आपका सी-सेक्शन भी किया जा सकता है। 

गर्भावस्था के दौरान थैलेसीमिया का ट्रीटमेंट 

हर मामले में थैलेसीमिया की गंभीरता और कॉम्प्लीकेशंस के अनुसार ही इसका ट्रीटमेंट किया जा सकता है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान थैलेसीमिया होने पर डॉक्टर निम्नलिखित ट्रीटमेंट करवाने की सलाह दे सकते हैं। 

  • आपको कुछ सप्लीमेंट्स व दवाएं प्रिस्क्राइब की जा सकती हैं। 
  • आपको खून चढ़ाया जा सकता है। 
  • आपको बोन मेरो ट्रांसप्लांट करवाने की सलाह दी जा सकती है। 
  • कुछ गंभीर मामलों में आपको गॉल ब्लैडर या स्प्लीन निकालने के लिए सर्जरी करवाने की सलाह दी जा सकती है। 

क्या आपके बच्चे को थैलेसीमिया होगा?

आपके बच्चे को थैलेसीमियाहै या नहीं, निम्नलिखित तरीके से जानें;

यदि आपको या आपके साथी में से किसी एक को थैलेसीमिया माइनर है: इसमें दोनों संभावनाएं हैं कि आपके बच्चे के जींस में दोष हो भी सकते हैं और दोष नहीं भी हो सकते हैं। हालांकि इस मामले में बच्चे को गंभीर रूप से थैलेसीमिया नहीं होगा। 

यदि आप और आपके साथी दोनों को थैलेसीमिया माइनर है: इसमें एक चौथाई संभावना हो सकती है कि आपके बच्चे के जींस में दोष न हों। यद्यपि इतनी ही संभावना इस बात की भी है कि जन्म के दौरान बच्चे को गंभीर रूप से थैलेसीमिया हो। हालांकि, इस बात की संभावना 2 में 1 की है कि जन्म के दौरान आपके बच्चे को थैलेसीमिया माइनर हो। 

गर्भावस्था के सभी मामलों में एक ही कपल में ऊपर बताई गई संभावनाएं हो सकती हैं। इसका यह मतलब है कि किसी के कितने भी बच्चे हों पर ऊपर बताई हुई संभावनाएं हर मामले में हो सकती हैं।

यदि गर्भावस्था के दौरान आपको थैलेसीमिया होता है तो बच्चे में यह जेनेटिक विकार जानने के लिए आप कई टेस्ट करवा सकती हैं। यदि गर्भ में पल रहे बच्चे को थैलेसीमिया से प्रभाव पड़ता है तो डॉक्टर जेनेटिक काउंसिलिंग की सलाह दे सकते हैं। काउंसलर आपको अपनी समस्या समझने में मदद करेगा और साथ ही बहुत सारे ट्रीटमेंट करने की सलाह भी देगा। आप इस जेनेटिक विकार की वजह से होने वाली सभी कॉम्प्लीकेशंस को सही समय पर उचित ट्रीटमेंट से कम कर सकती हैं। 

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