गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान टॉक्सोप्लाज्मोसिस – कारण, लक्षण और जोखिम

टॉक्सोप्लाज्मोसिस एक बहुत दुर्लभ पैरासिटिक इन्फेक्शन है। टॉक्सोप्लाज्मोसिस गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को भी हो सकता है और इसके साथ ही यह इन्फेक्शन बच्चे तक जा सकता है जिससे उसे हेल्थ से संबंधित गंभीर साइड इफेक्ट्स होते हैं। हालांकि गर्भावस्था के दौरान इस इन्फेक्शन के लक्षणों को पहचानने और सही समय पर इसका इलाज करवाने से यह रोग ठीक हो सकता है। 

टॉक्सोप्लाज्मोसिस क्या है?

टॉक्सोप्लाज्मोसिस एक पैरासिटिक इन्फेक्शन है जो टॉक्सोप्लाज्मा गोंडी नामक ऑर्गेनिज्म से होता है। इस इन्फेक्शन के लक्षण हेल्दी इम्युनिटी वाले एडल्ट व्यक्ति में नहीं दिखाई देते हैं और ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि दुनिया में आधी से ज्यादा जनता इस इन्फेक्शन से ग्रसित हो चुकी है पर इसके लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। 

स्पष्ट मामलों में मरीज को माइल्ड फ्लू, लिम्फ नोड्स में सूजन या सेंसिटिविटी, मांसपेशियों में दर्द और आँखों में समस्याएं हो सकती हैं। कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों और गर्भवती महिलाओं को यह इन्फेक्शन बहुत जल्दी होता है। इसके कुछ गंभीर लक्षण हैं, जैसे खराब कोऑर्डिनेशन, कन्फ्यूजन, सांस लेने में तकलीफ और मिर्गी का दौरा पड़ना। इसकी वजह से गर्भवती महिलाओं में कंजेनिटल टॉक्सोप्लाज्मोसिस नामक समस्या हो सकती है जिससे बच्चे पर प्रभाव पड़ता है। 

आप पैरासाइट के संपर्क में कई तरीकों से आ सकती हैं जिसमें बिल्ली की पॉटी, संक्रमित और कच्चा मीट, ठीक से साफ न किए हुए बर्तन में रखा मीट और पीने का दूषित पानी भी शामिल है। पैरासाइट अपने सिस्ट से फैलता है जो शरीर में कई महीनों तक निष्क्रिय रूप से रहता है। टॉक्सोप्लाज्मोसिस एक गर्भवती महिला से उसके बच्चे तक भी पहुँच सकता है पर यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तब तक नहीं फैलता है जब तक खून का दान या अंग का ट्रांसप्लांट न किया गया हो। 

गर्भवती महिलाओं में टॉक्सोप्लाज्मोसिस होना कितना आम है?

यद्यपि टॉक्सोप्लाज्मोसिस की समस्या इन्फेक्टेड मीट और पानी से होती है, फिर भी जो लोग घर में बिल्ली पालते हैं उन्हें भी यह इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है। यदि काफी समय से आपने घर में बिल्ली पाली हुई है तो पैरासाइट से आपके इम्यून होने के चांसेज अच्छे हैं। पर यदि आप गर्भावस्था के दौरान नई बिल्ली घर लेकर आती हैं तो यह आपके खतरे को बढ़ा सकता है। 

स्टडी के अनुसार गर्भावस्था में टॉक्सोप्लाज्मोसिस होने की संभावनाएं बहुत कम हैं और इस दौरान आमतौर पर विकसित देशों में लगभग 200 महिलाएं इस इन्फेक्शन से संक्रमित होती हैं। भारत में हालांकि गर्भावस्था के दौरान टॉक्सोप्लाज्मोसिस इन्फेक्शन होने के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

गर्भावस्था के दौरान टॉक्सोप्लाज्मोसिस होने के लक्षण

कई मामलों में हेल्दी और इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होने के बाद भी व्यक्ति में टॉक्सोप्लाज्मोसिस के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। पर यदि आपको इन्फेक्शन हुआ है तो इसके संकेत 2 या 3 सप्ताह तक भी दिखाई दे सकते हैं जिसमें निम्नलिखित कुछ शामिल हैं, आइए जानें;

  • 100.4 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा बुखार होना
  • मांसपेशियों में दर्द होना
  • फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देना
  • गर्दन के लिम्फ नोड्स में सूजन होना
  • सिर में दर्द होना

गर्भवती महिला को टॉक्सोप्लाज्मोसिस होने के कारण

टॉक्सोप्लाज्मोसिस तब होता है जब शरीर के अंदर अनजाने में उस इन्फेक्शन का सिस्ट बनता है जो संक्रमित खाने, पानी और यहाँ तक कि अस्वच्छता से भी होता है। यह अनुमान लगाया जाता है कि आधे से ज्यादा लोगों को यह इन्फेक्शन कच्चे संक्रमित मीट से होता है। लैंब और गेम मीट के अंदर टिश्यू के सिस्ट के रूप में पैरासाइट होते हैं जो कच्चा होने पर इंफेक्शन फैला सकते हैं। यदि आप बकरी का कच्चा दूध पीती हैं या चीज़ खाती हैं, फलों व सब्जियों को बिना धोए खाती हैं, या अपनी नाक, मुँह और आँखों को बिना हाथ धोए बार-बार छूती हैं तो इससे आपके शरीर के भीतर भी सिस्ट बन सकता है। 

वॉर्म ब्लड वाले जानवरों में भी पैरासाइट होते हैं जिनमें से बिल्लियों में सबसे ज्यादा कीटाणु होते हैं जिससे रोग हो सकता है। यदि गर्भावस्था के दौरान आप अपने घर में बिल्ली लेकर आती हैं तो इसके पैरासाइट से या संक्रमित मीट खाने से आपको यह इन्फेक्शन हो सकता है।  पैरासाइट इन जानवरों की आंतों में पैदा होते हैं और ओसिस्ट के रूप में बदल जाते हैं और पॉटी या सुसु के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। यह बिल्लियों में बहुत होता है और यह 3 सप्ताह में कई सारे ओसिस्ट उत्पन्न करती हैं और ज्यादातर मामलों में इनमें इस इन्फेक्शन के कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। ओसिस्ट 24 घंटों के बाद संक्रामक होता है और लगभग 18 महीनों तक संक्रामक रहता है। इन महीनों में यह पानी, फल सब्जियों और मीट को भी संक्रमित करते हैं। इसलिए गर्भावस्था के दौरान बिल्ली की पॉटी और गार्डनिंग से बचें क्योंकि इससे आपको इन्फेक्शन होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। 

गर्भावस्था के दौरान टॉक्सोप्लाज्मोसिस का ट्रीटमेंट

चूंकि टॉक्सोप्लाज्मोसिस से कई लोगों को कोई भी गंभीर समस्या नहीं होती है और यदि आपका इम्यून सिस्टम मजबूत और हेल्दी है तो इसके लिए ट्रीटमेंट की भी कोई जरूरत नहीं है। यदि आप गर्भवती हैं तो इसके पैरासाइट आपके बच्चे तक पहुँचने की संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं इसलिए इस समस्या को एंटीबायोटिक से ठीक जरूर करें। कुछ मामलों में यदि गर्भ में पल रहे बच्चे में इन्फेक्शन के कोई भी संकेत नहीं दिखते हैं तो डॉक्टर स्पिरमाइसिन नामक एंटीबायोटिक प्रिस्क्राइब कर सकते हैं। यदि बच्चे को इन्फेक्शन है तो डॉक्टर गर्भावस्था के 16वें सप्ताह में सल्फाडायजीन और पायरामेथामाइन लेने की सलाह देते हैं। यदि एमनियोटिक फ्लूइड भी संक्रमित है और अल्ट्रासाउंड में समस्या होने की पुष्टि हो जाती है तो गर्भवती महिला को स्पेशलिस्ट से संपर्क करना चाहिए और आगे की सलाह के लिए जेनेटिक काउंसलर से संपर्क करना चाहिए। बच्चे की जेस्टेशनल आयु के आधार पर डॉक्टर गर्भावस्था को खत्म करने की भी सलाह दे सकते हैं।

टॉक्सोप्लाज्मोसिस से संबंधित जोखिम और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं

टॉक्सोप्लाज्मोसिस इन्फेक्शन से गर्भ में पल रहे बच्चे को खतरा हो सकता है। यह पैरासाइट प्लेसेंटा बच्चे को भी संक्रमित कर सकते हैं जिसे कंजेनिटल टॉक्सोप्लाज्मोसिस कहते हैं। यद्यपि यह एक दुर्लभ समस्या है पर महिला को इन्फेक्शन होने की संभावना गर्भावस्था के चरण/समय पर भी निर्भर करता है। यह इन्फेक्शन जितनी जल्दी होता है, बच्चे पर इसके प्रभाव उतने ही ज्यादा गंभीर होते हैं। गर्भावस्था के शुरुआती समय में कंजेनिटल टॉक्सोप्लाज्मोसिस होने से मिसकैरेज या मृत बच्चे का जन्म भी हो सकता है क्योंकि इस चरण में उसका महत्वपूर्ण विकास होता है। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में इन्फेक्शन होने से निम्नलिखित कॉम्प्लिकेशंस हो सकते हैं, जैसे;

  • दिमाग में पानी होने की वजह से यह डैमेज हो जाता है (हाइड्रोकेफेलस)।
  • आँखें और अन्य अंग डैमेज हो जाते हैं।

यदि गर्भावस्था के बाद के दिनों में बच्चे को इन्फेक्शन हुआ है तो इससे बच्चा कम प्रभावित होता है क्योंकि इस चरण में उसके महत्वपूर्ण अंग विकसित हो चुके होते हैं और जन्म के दौरान बच्चे में संभावित लक्षण दिखाई दे सकते हैं। बच्चे के बढ़ने के साथ इसके लक्षण विकसित हो सकते हैं, जिसमें निम्नलिखित कुछ समस्याएं शामिल हैं, आइए जानें;

  • मस्तिष्क में डैमेज होने की वजह से मानसिक समस्याएं हो सकती हैं और सीखने में कठिनाई होगी।
  • बच्चे को सुनाई कम देगा।
  • आँखें डैमेज हो सकती हैं।

भारत में एक स्टडी के अनुसार आधी से ज्यादा महिलाओं में इस इन्फेक्शन का इलाज नहीं होता है और यह बच्चे तक भी पहुँच जाता है। सभी संक्रमित बच्चों में से लगभग 60% में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, 30% में गंभीर डैमेज होता है और लगभग 9% बच्चों की मृत्यु हो जाती है। 

टॉक्सोप्लाज्मोसिस का डायग्नोसिस

चूंकि इस इन्फेक्शन का खतरा बहुत कम होता है इसलिए गर्भावस्था के दौरान इसकी स्क्रीनिंग का रूटीन नहीं होता है और स्क्रीनिंग करने के लिए डॉक्टर को इसके पर्याप्त लक्षण भी दिखाई देने चाहिए। हालांकि खून की जांच में कुछ विशेष एंटीबायोटिक्स से ही इस इन्फेक्शन का पता लगाया जा सकता है। इन्फेक्शन और एंटीबायोटिक्स होने के लगभग 3 सप्ताह बाद ही ब्लड टेस्ट किया जाना चाहिए। 

यदि टेस्ट नेगेटिव है तो;

  • इसका यह मतलब भी हो सकता है कि आपको टॉक्सोप्लाज्मोसिस इन्फेक्शन कभी नहीं हुआ है और आप इससे इम्यून भी नहीं हैं।
  • यह गलत नकारात्मक परिणाम भी हो सकता है। यदि आपको हाल में ही यह इन्फेक्शन हुआ है तो तब तक इससे लड़ने वाले एंटीबाडीज शरीर में उत्पन्न नहीं हुए होते हैं इसलिए इस टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव भी आ सकता है।

यदि टेस्ट पॉजिटिव है तो;

  • पॉजिटिव रिजल्ट यह दर्शाता है कि आपको पहले भी यह इन्फेक्शन हो चुका है पर यह अभी आपको नहीं है। आपके खून में मौजूद एंटीबॉडी के प्रकार से इन्फेक्शन होने के समय का पता लगाया जा सकता है। टेस्ट में दो प्रकार के एंटीबॉडी की जांच होती है, आईजीसी और आईजीएम एंटीबॉडी।
  • आईजीसी एंटीबॉडी लंबे समय के लिए होते हैं और यह टॉक्सोप्लाज्मोसिस से सुरक्षा करने के लिए शरीर में हमेशा रहते हैं। यदि ये आपके शरीर में है तो इसका मतलब है कि आपको पहले यह इन्फेक्शन हो चुका है और इसके लिए आपकी इम्युनिटी पर्याप्त है। इसका यह भी मतलब है कि गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहा बच्चा इस इन्फेक्शन से सुरक्षित है।
  • आईजीएम एंटीबॉडी इन्फेक्शन के तुरंत बाद ही उत्पन्न होने लगते हैं और कुछ महीनों में गायब भी हो जाते हैं। यदि आपके शरीर में यह मौजूद है तो आपको हाल में या पिछले साल ही इन्फेक्शन हो चुका है।

यदि गर्भावस्था के दौरान आपको इन्फेक्शन होने का खतरा होता है तो डॉक्टर शरीर में एलजीएम एंटीबॉडी का काउंट पता करने के लिए अन्य ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। एलजीएम एंटीबॉडी का बढ़ना यह दर्शाता है कि शरीर इन्फेक्शन से लड़ रहा है। एलजीएम एंटीबॉडी के घटने से यह पता लगता है कि इन्फेक्शन अभी कम हुआ है। यदि एलजीएम नॉर्मल है तो इसका मतलब है कि आप इस इन्फेक्शन के लिए इम्यून हैं। 

गर्भावस्था के दौरान टॉक्सोप्लाज्मोसिस से बचाव के टिप्स

कुछ गाइडलाइन्स की मदद से आप गर्भावस्था के दौरान टॉक्सोप्लाज्मोसिस इन्फेक्शन होने की संभावनाओं को कम कर सकती हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं;

  • स्वच्छता पर ध्यान दें: इन्फेक्शन से बचने का एकमात्र यही तरीका है कि स्वच्छता बनाए रखें। खाना पकाने और परोसने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं। आप बर्तनों को अच्छी तरह से धोकर ही उपयोग करें।
  • मीट को स्टोर करने की जगह चेक करें: मीट को कई दिनों तक फ्रिज में रखने से इससे इन्फेक्शन होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
  • भोजन अच्छी तरह से पकाएं: खाने को अधिक गर्म करने से इसके पैरासाइट व सिस्ट मर जाते हैं इसलिए मीट को अच्छी तरह से पकाना बहुत जरूरी है ताकि इससे इन्फेक्शन होने की संभावना न हो।
  • कुछ प्रकार की पोल्ट्री से बचें: यदि इसे अच्छी तरह से स्टीम न किया गया हो तो आप स्मोक किया हुआ या सॉल्ट-क्योर्ड मीट का सेवन न करें।
  • दूध पीने से पहले चेक करें: आप बकरी का अपाश्चुरीकृत दूध न पिएं या इससे बने प्रोडक्ट्स का भी सेवन न करें।
  • मीट पकाते समय ध्यान रखें: मीट को धोते समय या पकाते समय आप अपनी आँखों, नाक और मुँह को न छुएं। यदि संभव हो तो बचाव के लिए ग्लव्स पहन लें।
  • बर्तन धोएं: खाना पकाने की जगह, बर्तनों और खाने में उपयोग होने वाली अन्य चीजों को अच्छी तरह से गर्म पानी और साबुन से धोएं।
  • बिल्ली की पॉटी साफ करने से बचें: यदि आपके घर में पहले से ही बिल्ली है तो आप उसकी पॉटी साफ करने से बचें और यह काम परिवार में किसी और से करने के लिए कहें।
  • घर में बिल्ली न पालें: गर्भावस्था के दौरान आप घर में बिल्ली न पालें क्योंकि बिल्लियां अपने जीवन के पहले 6 महीनों तक ओसिस्ट रिलीज करती हैं।
  • अपनी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें: यदि आपको बिल्ली की पॉटी उठानी पड़ रही है तो आप मजबूत ग्लव्ज पहनें और इसे करने के बाद सही से हाथ धोएं।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. क्या टॉक्सोप्लाज्मोसिस गर्भ में पल रहे बच्चे को प्रभावित कर सकता है?

हाँ, इस पैरासाइट से कंजेनिटल टॉक्सोप्लाज्मोसिस हो सकता है और गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में यह बच्चे के विकास को रोक भी सकता है जिसके परिणामस्वरूप मिसकैरेज या मृत बच्चे का जन्म हो सकता है। इस इन्फेक्शन की वजह से दिमाग में फ्लूइड उत्पन्न होता है जो डैमेज का लक्षण है और इससे बड़े होने के बाद बच्चे में मानसिक विकास व मोटर स्किल्स का विकास देरी से होता है। यह इन्फेक्शन अन्य अंगों पर भी प्रभाव डालता है जिसकी वजह से सेरेब्रल पाल्सी और एपिलेप्सी हो सकता है। 

2. क्या टॉक्सोप्लाज्मोसिस होने पर महिलाएं बच्चे को दूध पिला सकती हैं?

हाँ, आप बच्चे को दूध पिला सकती हैं क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ब्रेस्ट मिल्क से बच्चे तक यह इन्फेक्शन जाने की संभावना कम होती है। 

यद्यपि गर्भावस्था के दौरान टॉक्सोप्लाज्मोसिस होने की संभावनाएं कम हैं पर फिर भी खुद की सुरक्षा के लिए इससे  बचाव करना बहुत जरूरी है। 

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