गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान वजन कम करना – सही तरीका और प्रभाव

गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना एक आम बात है और यह गर्भ में पल रहे बच्चे के पोषण के लिए सही भी है। पर यदि गर्भवती होने से पहले आपका वजन बहुत ज्यादा था तो इस दौरान ज्यादा वजन होने से आपकी गर्भावस्था में कई तरीकों से कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं। गर्भावस्था में वजन को बनाए रखना बहुत जरूरी है। यदि आपका बीएमआई 30 से ज्यादा है तो गर्भावस्था के दौरान वजन कम करना आपके लिए वजन फायदेमंद हो सकता है। आपको इसके लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में वजन कम करना संभव है। 

क्या गर्भावस्था के दौरान वजन कम करना सुरक्षित है?

जो महिलाएं मोटापे का शिकार होती हैं उन्हें गर्भावस्था के दौरान वजन कम करने से कई कॉम्प्लीकेशन्स होने का खतरा कम होता है, जैसे जेस्टेशनल डाइबिटीज और प्रीक्लेम्पसिया। परंतु गर्भावस्था के दौरान वजन कम करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। 

ज्यादातर गर्भवती महिलाएं वजन कम करना या वेट लॉस डाइट फॉलो करना नहीं चाहती हैं। गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में वजन कम करना आम है क्योंकि पहली तिमाही में महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस होती है या उन्हें भूख कम लगती है पर अगली 2 तिमाही में वजन और ज्यादा बढ़ जाता है।

गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ने का चार्ट

गर्भावस्था के विभिन्न चरणों में महिलाओं में अलग-अलग वजन बढ़ता है। पहली तिमाही में वजन नहीं बढ़ता है क्योंकि इस समय बच्चा बहुत छोटा होता है। इसके अलावा महिलाओं में मॉर्निंग सिकनेस, भूख की कमी भी होती है जिसकी वजह से वजन कम होने लगता है। वास्तव में महिलाओं का वजन दूसरी तिमाही से बढ़ना शुरू होता है क्योंकि इस दौरान बच्चे का आकार बढ़ता है। तीसरी तिमाही में गर्भ में पल रहे बच्चे का आकार बढ़ता रहता है पर वजन नहीं बढ़ना चाहिए क्योंकि इस समय पेट में क्रैम्प आने लगता है और आपके लिए  भोजन करना भी मुश्किल हो सकता है। 

नीचे दिए हुए चार्ट से आप जान सकती हैं कि गर्भावस्था के 9 महीनों में आपको कितना वजन बढ़ाने की जरूरत है, एक बार नजर डालें;

गर्भावस्था से पहले का बीएमआई कैटेगरी कितना वजन बढ़ना चाहिए
18.5 – 24.9 सामान्य 11-16 kgs
<18.5 अंडरवेट 13-18 kgs
25 – 29.9 ओवरवेट 7-11 kgs
>30 ओबीस 5-9 kgs

 

यदि आपके गर्भ में एक से अधिक बच्चे हैं तो आपको लगभग 16.5 किलोग्राम – 24.5 किलोग्राम वजन बढ़ना चाहिए। 

गर्भावस्था के दौरान वजन का डिस्ट्रीब्यूशन

यदि आप सोचती हैं कि गर्भावस्था के दौरान बढ़ता वजन आखिर जाता कहाँ है तो आप अकेली नहीं हैं जिसके पास यह सवाल है। आपका वजन बराबर से पूरे शरीर में विभाजित हो जाता है। गर्भावस्था में आपका जितना भी वजन बढ़ता है वह किस प्रकार से विभाजित होता है आइए जानें;

  • गर्भावस्था के अंत तक बच्चे का वजन 3 से 3.5 किलोग्राम होता है।
  • इसमें प्लेसेंटा और एमनियोटिक द्रव का वजन मिलकर 1.5 किलोग्राम वजन और बढ़ जाता है। गर्भाशय और स्तनों के बढ़ते आकार का वजन लगभग 2 किलोग्राम तक होता है।
  • शरीर का द्रव और खून का वजन लगभग 4 किलोग्राम तक होता है और फैट व अन्य न्यूट्रिएंट्स का वजन लगभग 3 किलोग्राम तक होता है। तो पूरा वजन लगभग 10 से 15 किलोग्राम तक बढ़ता है।

गर्भावस्था के दौरान क्या आप वेट लॉस डाइट फॉलो कर सकती हैं?

गर्भवती महिलाओं को क्रैश डाइट पर जाने की या अपने आहार में कैलोरी कम करने की सलाह नहीं दी जाती है। वेट लॉस डाइट से आपके गर्भ में पल रहे बच्चे में सेलुलर बदलाव हो सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान कैलोरी कम करने से बच्चे को बाद में ओबेसिटी होने का खतरा हो सकता है। 

गर्भावस्था के दौरान आहार में होल फूड्स और फाइबर-युक्त फूड होना बहुत जरूरी है। यदि आप स्वस्थ लाइफस्टाइल चाहती हैं तो अपने आहार में बदलाव करते समय डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इस समय अपने आहार में फल, सब्जियां व लीन प्रोटीन शामिल करें और प्रोसेस्ड फूड, शुगर-युक्त खाद्य पदार्थ व लिक्विड कैलोरी का सेवन करने से बचें। 

गर्भावस्था के दौरान वजन कम कैसे करें?

गर्भावस्था के दौरान ओबेसिटी का शिकार होने से बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और इससे डिलीवरी व लेबर के समय में कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं। पर गर्भावस्था में बहुत ज्यादा वजन घटाने से आपके और आपके बच्चे के लिए खतरा हो सकता है। इसलिए आपको पता होना चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान आप बच्चे को बिना नुकसान पहुँचाए वजन कैसे कम कर सकती हैं, आइए यहाँ से जानें;

1. जानें आपको कितना वजन बढ़ाने की जरूरत है

यदि आप ओवरवेट हैं तो गर्भावस्था के दौरान बच्चे को ठीक रखने के लिए आपका कुछ किलो वजन और बढ़ेगा। आप अभी अपना वेट मापें और प्रेगनेंसी चार्ट की मदद से कैलकुलेट करें कि आपको और कितना वजन बढ़ाने की जरूरत है। इस समय आपका लक्ष्य सही वजन बनाए रखने पर होना चाहिए। सुनिश्चित करें कि आप हर दिन एक समय पर और एक स्केल में अपना वजन मापें। प्रयास करें कि आप सप्ताह में एक बार अपने वजन चेक करें क्योंकि वजन में फ्लक्चुएशन होते ही रहते हैं और रोजाना वजन मापने से आपको चिंता व एंग्जायटी हो सकती है। 

2. कैलोरी का सेवन कम करें

यहाँ भी यह चेक करने की जरूरत है कि आपको और बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए आपके शरीर को रोजाना कितने कैलोरीज की जरूरत पड़ती है। गर्भवती महिलाओं को रोजाना 1700 कैलोरीज लेने की सलाह दी जाती है। यदि इस पर ध्यान दिया जाए कि आप रोजाना क्या खाती हैं तो यह पता चल सकता है कि आप ज्यादा कैलोरी का सेवन कर रही हैं या नहीं। इससे यह भी जानने में मदद मिलती है कि आप शरीर की आवश्यकता से ज्यादा भोजन करती हैं या नहीं। 

3. रोजाना एक्सरसाइज करें

गर्भावस्था के दौरान जब आपके शरीर में कई बदलाव आते हैं तो इस समय आपको वजन को कम करने और शारीरिक दर्द को ठीक करने के लिए हल्की एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है।

गर्भावस्था में आप रोजाना लगभग आधे घंटे एक्सरसाइज करें और आप चाहें तो आधे घंटे में से लगभग 10 से 15 मिनट स्विमिंग भी कर सकती हैं। इस समय आप कुछ एक्सरसाइज कर सकती हैं, जैसे स्वमिंग, वॉकिंग और योग। 

4. हाइड्रेटेड रहें

गर्भावस्था के दौरान हाइड्रेटेड रहना बहुत जरूरी है और विशेषकर तब जब आप रोजाना एक्सरसाइज करती हैं। रोजाना एक से दो लीटर पानी पीने से आपको भरा-भरा महसूस होगा और आप ज्यादा खाने से बच सकती हैं। 

5. स्वस्थ आहार खाएं

जंक फूड खाने के बजाय स्वस्थ आहार खाएं, जैसे फल और सब्जियां। इस समय आप होल ग्रेन सीरियल और ब्रेड के साथ लो फैट दूध या अन्य डेरी प्रोडक्ट भी ले सकती हैं। आप ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन करें जिसमें फॉलेट ज्यादा मात्रा में हो, जैसे सहजन, पालक और बीन्स और काजू। आप रोजाना नाश्ते में भी हाई फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ ही खाएं, जैसे होल ग्रेन्स, फल, सब्जियां और बीन्स क्योंकि आपके पाचन को ठीक रखता है और कब्ज को भी दूर रखता है जो गर्भावस्था के दौरान आम समस्याएं होती हैं।  

6. थोड़ा-थोड़ा खाएं

यदि आपको दिन भर भूख लगती है तो एक बार में ज्यादा खाना खाने के बजाय दिन में 6 बार पर थोड़ा-थोड़ा खाएं। इससे आप एक बार में कितनी कैलोरी का सेवन करती हैं इस पर नियंत्रण रख सकती हैं। एक बार में बहुत सारा खा लेने पर हार्ट-बर्न और इंडाइजेशन की समस्या हो सकती है। इसलिए पूरे दिन में थोड़ा-थोड़ा और लगातार भोजन करें। 

7. प्रीनेटल विटामिन्स लें

सुनिश्चित करें कि आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लगातार प्रसवपूर्व विटामिन लें। प्रसवपूर्व विटामिन का सेवन रोजाना करने से आपकी न्यूट्रिशन की जरूरतें पूरी हो सकती हैं और आपको ज्यादा कैलोरी-युक्त आहार का सेवन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

पर इस बात का ध्यान रखें कि यह सप्लीमेंट्स आपका आहार का सब्स्टीट्यूट नहीं है और आपका शरीर इन न्यूट्रिएंट्स को एब्सॉर्ब कर पा रहा है यह सुनिश्चित करने के लिए आपको स्वस्थ आहार का सेवन करने की आवश्यकता है। 

गर्भावस्था के दौरान ओवरवेट होने के साइड-इफेक्ट्स क्या हैं?

गर्भावस्था के दौरान ओवरवेट या ओबिसिटी से ग्रसित होने से आपको और आपके बच्चे को कई समस्याएं हो सकती हैं। ओवरवेट होने के कारण आपको या आपके बच्चे को निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं, आइए जानें; 

1. बच्चे के लिए खतरे

  • मिसकैरेज की संभावना हो सकती है।
  • बच्चा सामान्य आकार से बड़ा हो सकता है जिससे बाद में उसे ओबिसिटी की समस्या हो सकती है।
  • बच्चे को बड़े होने पर दिल का रोग या डायबिटीज हो सकती है।
  • बच्चा न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स के साथ भी जन्म ले सकता है।

2. माँ के लिए खतरे

  • वजन बढ़ने से आपको जेस्टेशनल डायबिटीज होने की अधिक संभावना है जिसके परिणामस्वरूप बच्चा बड़ा होने से वजाइना से निकलने में कठिनाई हो सकती है।
  • माँ को प्रीक्लेम्पसिया भी हो सकता है जिससे शरीर में खून का प्रवाह कम हो सकता है।
  • लेबर और डिलीवरी के दौरान ओवरवेट महिलाओं को बहुत दिक्क्तें होती हैं।
  • इसकी वजह से डॉक्टर को बच्चे की जांच करने में भी समस्याएं भी हो सकती हैं।
  • स्लीप एप्निया का खतरा बढ़ने के कारण आपको थकान और अन्य समस्याएं, जैसे हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है।
  • गर्भावस्था के दौरान या डिलीवरी के बाद समय में आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (यूटीआई) होने का खतरा भी अधिक है।
  • ओवरवेट होने की वजह से आपको ब्लड क्लॉटिंग की समस्या भी हो सकती है जिससे डिलीवरी में कॉम्प्लीकेशन्स होती हैं।
  • सी सेक्शन के मामले में आपको इन्फेक्शन और खून की कमी भी हो सकती है।
  • अधिक वजन होने से लेबर जल्दी प्रेरित हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान माँ और बच्चे पर वजन कम करने के क्या प्रभाव पड़ सकते हैं

गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा वजन कम करने से आप पर और आपके बच्चे पर बहुत ज्यादा नेगटिव प्रभाव पड़ सकता है। 

गर्भावस्था की पहली तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस और भूख कम होने के कारण आपका वजन अस्वस्थ रूप से कम हो सकता है और यह पहली तिमाही के अंतिम समय तक भी रह सकता है। गर्भावस्था के दौरान वजन कम करना हमेशा स्वस्थ नहीं होता है क्योंकि इससे आप पर और आपके बच्चे पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान बहुत ज्यादा वजन कम करने से निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं, आइए जानते हैं;

  • कम न्यूट्रिशन के कारण जन्म के समय बच्चे का वजन बहुत कम हो सकता है।
  • एनोरेक्जिया की वजह से पहली तिमाही में मिसकैरेज होने की संभावना बढ़ सकती है।
  • इस दौरान एमनियोटिक द्रव का स्तर कम हो सकता है।
  • बच्चे का कॉग्निटिव फंक्शन खराब हो सकता है।
  • वजन बहुत ज्यादा कम करने से आप हर समय थकान महसूस कर सकती हैं और आपको बहुत जल्दी इन्फेक्शन भी हो सकता है।

चेतावनी

जैसा कि पहले भी बताया गया है कि वजन बढ़ने या घटने से आपके और आपके बच्चे पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। गर्भावस्था से पहले सही वजन होना बहुत जरूरी है। पर यदि आप ओबीस या ओवरवेट हैं तो इस समय आपको कैलोरी का सेवन बहुत ज्यादा कम करने या ज्यादा एक्सरसाइज करने की आवश्यकता नहीं है। कुछ भी सोचने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। गर्भावस्था के दौरान वजन कम करने की बजाय आप वेट मेन्टेन कर सकती हैं। 

गर्भावस्था एक ऐसा चरण है जब आपको बच्चे को ठीक रखने के लिए अपनी बहुत ज्यादा देखभाल करनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान यदि आप ओवरवेट हैं तो आप अपना वजन कम कर। पर इसके लिए आपको स्वस्थ रूप से वजन कम करने की जरूरत है। गर्भावस्था के दौरान आप अपनी लाइफस्टाइल में भी महत्वपूर्ण बदलाव कर सकती हैं। पर ध्यान रखें कि यह बदलाव आपके लिए भी अच्छे हों और आपके बच्चे पर कोई गलत प्रभाव न डालें। 

यह भी पढ़ें:

प्रेगनेंसी के दौरान एनीमिया
प्रेगनेंसी के दौरान बेबी बंप

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

7 का पहाड़ा – 7 Ka Table In Hindi

जैसे हिंदी भाषा में बच्चों को सबसे पहले ‘वर्णमाला’ सिखाया जाता है वैसे ही गणित…

4 days ago

उ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | U Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी की वर्णमाला में उ अक्षर का महत्वपूर्ण स्थान है। यह अक्षर बच्चों के लिए…

4 days ago

ई अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | Ee Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी की वर्णमाला में 'ई' अक्षर का बहुत महत्व है, जिसे 'बड़ी ई' या 'दीर्घ…

4 days ago

एमनियोटिक थैली की झिल्ली हटाकर प्रसव पीड़ा प्रेरित करना l Amniotic Thaili Ki Jhilli Hatakar Prasav Pida Prerit Karna

जैसे-जैसे डिलीवरी की तारीख नजदीक आती है, गर्भवती महिला की चिंता और उत्तेजना बढ़ती जाती…

4 days ago

बच्चों में जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (जेआईए) l Bacchon Mein Juvenile Idiopathic Arthritis(JIA)

आमतौर पर जोड़ों की बीमारियां बड़ों में देखने को मिलती हैं, लेकिन ये समस्याएं बच्चों…

4 days ago

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

5 days ago