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गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की समस्या होना असामान्य बात नहीं है। यदि एनीमिया का शुरूआत में पता चल जाए तो इसका समय का पर इलाज किया जा सकता है और इस स्थिति को और ज्यादा बिगड़ने से रोका जा सकता है । हालांकि, अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
एनीमिया क्या है
जब आपके शरीर में रेड ब्लड सेल्स या हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने लगती है तो इसे एनीमिया कहा जाता है।इसके परिणामस्वरूप, गर्भवती महिलाओं में रेड ब्लड सेल्स ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा को आपके टिश्यू और भ्रूण तक नहीं पहुँचा पाते हैं ।
अन्य पोषक तत्वों के अलावा, एक गर्भवती महिला को उसके बच्चे के बेहतर विकास और पोषण संबंधी जरूरत को पूरा करने के लिए शरीर में ज्यादा मात्रा में खून बनाने की आवश्यकता होती है, जो आयरन, फोलेट और विटामिन बी12 से भरपूर आहार से प्राप्त किया जा सकता है। जब आप अपने आहार के जरिए इन सभी तत्वों को प्राप्त नहीं कर पाती हैं, तो आपके एनीमिक होने की संभावना बढ़ जाती है।
आमतौर पर, एक महिला के शरीर में लगभग 5 लीटर तक खून मौजूद होता है। गर्भावस्था के दौरान, बढ़ते भ्रूण की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इसकी मात्रा तीसरी तिमाही के अंत में 7-8 लीटर तक बढ़ जाती है।
गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की समस्या उत्पन्न होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि उनके शरीर को सामान्य से अधिक रक्त की जरूरत होता और अगर जरूरत न पूरी की जाए तो उन्हें एनीमिया होने का खतरा रहता है । आपको रेड ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबिन की पर्याप्त मात्रा बनाए रखने के लिए अतिरिक्त आयरन, फोलेट और विटामिन बी12 की आवश्यकता होती है। यदि आप अपने आहार में इन चीजों का ठीक से ध्यान नहीं रखती हैं, तो आप एनीमिया से पीड़ित हो सकती हैं।
एनीमिया के प्रकार
क्या आप जानती हैं कि एनीमिया के 400 से भी अधिक प्रकार हैं? इनमें से कुछ गर्भावस्था के दौरान प्रचलित हैं। गर्भवती महिलाओं में होने वाला एनीमिया, इसका सबसे आम प्रकार हैं:
आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया
हीमोग्लोबिन, रेड ब्लड सेल्स में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जो फेफड़ों की मदद से ऑक्सीजन को शरीर के बाकी हिस्सों तक पहुँचाता है। आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया वह स्थिति है जहाँ शरीर में हीमोग्लोबिन की आवश्यक मात्रा का उत्पादन करने के लिए उसे पर्याप्त रूप से आयरन नहीं मिलता है, जिससे यह समस्या उत्पन्न होती है । गर्भावस्था में महिलाओं को आयरन की कमी होना काफी आम है।
आयरन की कमी के कारण, रक्त शरीर के विभिन्न अंगों में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँचा पाता है । यह माँ और भ्रूण दोनों को प्रभावित करता है।
फोलेट डेफिशिएंसी एनीमिया
फोलेट विटामिन बी का एक प्रकार है जो शरीर में नई सेल्स बनाने में मदद करता है । इसके अलावा यह रेड ब्लड सेल्स को भी बनाने में मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान, फोलेट की दैनिक आवश्यकता बढ़ जाती है। फोलेट की कमी से रेड ब्लड सेल्स की मात्रा में गिरावट आ सकती हैं ।
फोलेट डेफिशिएंसी एनीमिया एक गंभीर जन्म दोष समस्या है जो आपके बच्चे में न्यूरल ट्यूब दोष (स्पाइना बिफिडा) और जन्म के समय बच्चे के कम वजन का कारण बन सकता है।
विटामिन बी12 डेफिशिएंसी एनीमिया
कोबालामिन और विटामिन बी12 रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। जो महिलाएं अपने आहार में दूध और अन्य डेयरी उत्पादों, अंडा, चिकन, मांस को शामिल नहीं करती हैं, उन्हें विटामिन–बी12 की कमी के कारण एनीमिया होने का खतरा होता है। इस स्थिति में, रेड ब्लड सेल्स की आवश्यक मात्रा का उत्पादन बिगड़ जाता है।
कभी–कभी, गर्भवती महिला विटामिन बी12 की आवश्यक मात्रा का सेवन करती है, लेकिन इसके बावजूद भी उनका शरीर विटामिन को सिंथेसाइज करने में असमर्थ हो जाता है। इस कारण से भी गर्भवती महिला को एनीमिया हो सकता है।
विटामिन बी12 की कमी को समय पूर्व जन्म या गंभीर जन्म दोष जैसे न्यूरल ट्यूबल दोष होने का सबसे बड़ा कारण माना जाता है।
गर्भावस्था के दौरान एनीमिया के लक्षण
जब एनीमिया का प्रभाव बहुत कम होता है, उस दौरान आपको इसके कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। हालांकि, जैसे–जैसे यह गंभीर होता जाता है, आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
- थकान और कमजोरी
- चक्कर आना
- ठीक से सांस न ले पाना
- रंग फीका पड़ना
- दिल की धड़कन का तेज या अनियमित होना
- छाती में दर्द
- हाथ और पैर ठंडे होना
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना या उलझन होना
गर्भावस्था के दौरान शुरुआत में आपको एनीमिया के हल्के लक्षण दिखाई देते हैं, हालांकि अगर इसे अनदेखा कर दिया जाए तो आगे चल कर बड़े जोखिम का खतरा होता है। समय के साथ, यह स्थिति और भी खराब हो सकती है जिसका बाद में इलाज करना काफी मुश्किल हो जाता है। बताए गए लक्षणों में से आपको किसी भी लक्षण का अनुभव होता है तो आप बिना देर किए तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
आप इसे अपने आहार के जरिए और आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी12 का सप्लीमेंट लेकर इसे नियंत्रित कर सकती हैं।
याद रखें, आपके गर्भ में लगातार बढ़ रहे भ्रूण के कारण, काफी थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है, जो इस समय होना सामान्य है, इसलिए आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। डॉक्टर आपको इसके लिए बेहतर सलाह देंगे, इसलिए उनसे जाकर मिलें ।
गर्भावस्था के दौरान एनीमिया होने का क्या कारण है
कई कारक हैं जो गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का कारण बन सकते हैं जैसे:
- महिला के गर्भ में एक से अधिक बच्चे होना
- मॉर्निंग सिकनेस की वजह से महिला को अत्यधिक उल्टी होती है
- गर्भधारण करने से पहले ही महिला एनीमिक हो
- होने वाली माँ अपने आहार में आयरन, फोलेट और विटामिन बी12 आदि तत्वों को शामिल नही करती है
- कम अंतराल में एक के बाद दूसरा गर्भधारण किया हो
- कम उम्र में गर्भ धारण करना
एनीमिया के जोखिम
गर्भावस्था में आयरन, फोलेट या विटामिन बी12 की कमी से एनीमिया हो सकता है। इसका शिशु और माँ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- अपरिपक्व या जन्म से ही कम वजन वाला बच्चा
- पोस्टपार्टम डिप्रेशन
- बच्चे में विकासात्मक देरी
- एक एनीमिक बच्चा
फोलेट या विटामिन बी12 की कमी का कारण यह समस्या हो सकती है:
- अपरिपक्व या जन्म से ही कम वजन वाला बच्चा
- मस्तिष्क या रीढ़ में न्यूरल ट्यूब दोष या जन्म दोष
गर्भावस्था में एनीमिया का निदान कैसे करें
गर्भावस्था के दौरान, आपका डॉक्टर आपको एनीमिया से बचाने के लिए समय–समय पर जांच करेंगे। खून की जांच न केवल पहली तिमाही के दौरान आयोजित की जाती है, बल्कि दूसरी और तीसरी तिमाही में भी यह जांच की जाती है। यह परीक्षण गर्भावस्था के बाद के चरणों में आपको एनीमिया से बचाने के लिए किए जाते हैं। एनीमिया के निदान के लिए निम्नलिखित रक्त परीक्षण किए जाते हैं:
- हीमोग्लोबिन टेस्ट: यह परीक्षण शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है।
- हेमेटोक्रिट टेस्ट: इस परीक्षण का उद्देश्य खून में रेड ब्लड सेल्स के प्रतिशत को मापना है।
गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का इलाज कैसे किया जाता है
आपका डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान एनीमिया का इलाज करने के लिए निम्न सप्लीमेंट लेने के लिए कह सकता है।
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आयरन और फोलिक एसिड: यह सुनिश्चित करने के लिए कि शरीर में आयरन और फोलेट की आवश्यक मात्रा बनी रहे। आपको आयरन और फोलेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाने की सलाह दी जा सकती है।
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विटामिन बी12: आपको विटामिन बी12 की कमी से निपटने में मदद करने के लिए मांस, डेयरी उत्पादों और अंडे जैसे खाद्य पदार्थों के अलावा विटामिन बी12 के सप्लीमेंट लेने की भी सलाह दी जाती है ।
एनीमिया से कैसे बचा जा सकता है
गर्भावस्था में एनीमिया को रोकने के लिए सभी गर्भवती माताओं को अपने आहार में आयरन युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना सुनिश्चित करना चाहिए जैसे:
- हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, केल और ब्रोकोली
- बीन्स, दाल, टोफू
- लाल मांस, पोल्ट्री
- मछली
- मेवे और बीज
- अंडे
- सीरियल्स और अनाज
याद रखें कि विटामिन सी आपके शरीर में आयरन को बेहतर तरीके से अवशोषित करने में मदद करता है। इसलिए, जब भी आप आयरन युक्त आहार खाएं, तो साथ में खट्टे फल जैसे, टमाटर, कीवी, स्ट्रॉबेरी और शिमला मिर्च जैसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें, जो विटामिन सी से भरपूर होते हैं।
डॉक्टर से कब परामर्श करें
सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अपने शरीर को किसी भी डेफिशिएंसी से बचाना चाहिए। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान तीसरी तिमाही में एनीमिया के लक्षणों को बिलकुल भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यदि आपको एनीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें। किसी भी जटिलता से बचने के लिए इसका तुरंत इलाज किया जाना चाहिए। जबकि अनुपचारित एनीमिया हानिकारक साबित हो सकता है, सही आहार सेवन और सप्लीमेंट से आयरन, फोलेट और विटामिन बी12 की कमी को नियंत्रित किया जा सकता है। इस तरह की कमी का जल्द इलाज करने से माँ और बच्चे को काफी परेशानी से बचाया जा सकता है। नियमित अंतराल पर जांच के लिए हमेशा अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें।
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