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गर्भवती महिलाओं के लिए एक अच्छी डायट वही होती है जिसमें न्यूट्रिशन व विटामिन सही मात्रा में हों और यह डायट हेल्दी और आरामदायक गर्भावस्था के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए गर्भावस्था के सफर में आपको सही भोजन के बारे में जानना और समझना बहुत जरूरी है।
दिन के भोजन के साथ बीच-बीच में सही स्नैक्स खाने से आपको आवश्यक कैलोरी व न्यूट्रिएंट मिलते हैं और यह अनहेल्दी कैलोरी को दूर रखने में मदद करता है। विशेषकर गर्भावस्था में जंक फूड खाने की सलाह नहीं दी जाती है। इससे आपका स्वाद जरूर अच्छा हो सकता है पर यह आपके बच्चे के वृद्धि व विकास में कोई भी मदद नहीं करता है। यदि आप गर्भावस्था के दौरान स्नैकिंग करती हैं तो आपके स्नैक्स में न्यूट्रिशन-युक्त खाद्य पदार्थ होना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे आपको वह सभी विटामिन और मिनरल मिलते हैं जो आपके बढ़ते बच्चे के लिए आवश्यक हैं।
गर्भावस्था के दौरान स्नैक्स में सेब खाना सबसे अच्छा होता है। इसे आप ऐसे ही खा सकती हैं और यदि आप कहीं बाहर जा रही हैं तो आप इसे आसानी से कहीं भी ले जा सकती हैं। स्नैक्स में सेब खाना सिर्फ गर्भवती महिलाओं के लिए ही अच्छा नहीं है बल्कि यह हर व्यक्ति के लिए अच्छा है। सेब में फाइबर उच्च मात्रा में होता है जो एक गर्भवती महिला के लिए बहुत जरूरी है। सेब खाने से आपको विटामिन्स और आवश्यक एंटीऑक्सीडेंट्स भी मिलते हैं।
गर्भावस्था के लिए दही भी एक हेल्दी स्नैक्स होता है क्योंकि इसमें अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो मॉर्निंग सिकनेस जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए बहुत जरूरी हैं। दही में मौजूद प्रोबायोटिक इम्यून सिस्टम को बनाए रखने में मदद करते हैं। इसमें कैल्शियम की मात्रा भी बहुत ज्यादा है जो हड्डियों को मजबूत बनाती है। दही में मौजूद आयोडीन की मात्रा बढ़ते बच्चे के लिए बहुत जरूरी है।
केले का सेवन करने से पेट की समस्याएं ठीक हो जाती हैं और इसलिए पहली तिमाही में विशेषकर उन महिलाओं को केला खाना चाहिए जिन्हें मॉर्निंग सिकनेस की समस्या होती है। आपको केले के लिए कोई भी तैयारी करने की जरूरत नहीं है, आप इसे सिर्फ छील कर खा सकती हैं। केले में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और पोटैशियम भी होता है। गर्भवती महिलाएं केले को एक स्नैक्स के रूप में खाना पसंद करती हैं क्योंकि इसे खाने से पैरों में क्रैंप नहीं आता है और साथ ही यह फल एनीमिया को भी ठीक करता है।
होलग्रेन टोस्ट बहुत आसानी से मिल जाते हैं और इसे आप अपनी पसंद की टॉपिंग के साथ खा सकती हैं। होलग्रेन में मौजूद विटामिन ‘बी’ गर्भवती महिलाओं में मतली की समस्या को कम कर सकता है। आप ड्राई टोस्ट को विभिन्न प्रकार की टॉपिंग्स के साथ खा सकती हैं, जैसे स्ट्रॉबेरी, अवोकेडो, टमाटर या अंडे। इससे आपकी रोजाना की न्यूट्रिएंट्स और मिनरल्स की आवश्यकताएं पूरी होती हैं।
अंडे में आयोडीन, प्रोटीन और आयरन भरपूर होता है और यह मीट का एक बेहतरीन विकल्प है। गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में आयरन-युक्त आहार खाना बहुत जरूरी है क्योंकि यह सिर्फ एनीमिया को ही ठीक नहीं करता है बल्कि इससे बच्चे को ऑक्सीजन भी मिलती है। अंडे से प्रोटीन, विटामिन ‘ए’ और विटामिन ‘डी’ भी मिलता है। हालंकि आप अंडे खाने से पहले इसमें मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए इसे अच्छी तरह से पका या उबाल लें।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में पहुँचते ही आपका ब्लड शुगर ठीक होना बहुत जरूरी है क्योंकि इस दौरान शरीर इंसुलिन में बाधा उत्पन्न करता है। स्नैक्स के रूप में होल ग्रेन जैसे, होल वीट ब्रेड, ब्राउन राइस, बीन्स और दाल खाने से शरीर में शुगर का स्तर बना रहता है। होल ब्रेड चीज़ सैंडविच खाने से आपको कैल्शियम, पर्याप्त मात्रा में न्यूट्रिशन और फाइबर भी मिलता है। हालांकि किसी भी इन्फेक्शन से बचने के लिए सेफ चीज़ और डेयरी प्रोडक्ट का उपयोग करें। गर्भावस्था के दौरान हार्ड चीज़ खाना सबसे अच्छा माना जाता है न कि सॉफ्ट चीज़।
तरबूज में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इसे खाने से सिर्फ आप हाइड्रेटेड ही नहीं रहेंगी बल्कि यह आपको अच्छी मात्रा में पोटैशियम भी प्रदान करता है। पोटैशियम-युक्त आहार खाना बहुत जरूरी है क्योंकि इसकी कमी से बच्चे का विकास रुक सकता है। तरबूज खाने से हार्टबर्न की समस्या कम होने में मदद मिलती है और साथ ही यह दूसरी तिमाही में सामान्य सूजन को भी कम करने में मदद करता है। आप स्वाद को बढ़ाने के लिए तरबूज के जूस में हल्का सा नींबू भी निचोड़ सकती हैं।
ड्राई फ्रूट्स और फ्रेश फ्रूट्स व नट्स गर्भावस्था में खाने के लिए हेल्दी स्नैक्स हैं और यह आपके लिए मुख्य स्नैक्स होने चाहिए क्योंकि आप इसे अपने साथ रख सकती हैं। आप अपनी पसंद के कोई भी ड्राई फ्रूट्स ले सकती हैं, जैसे किशमिश, चेरी, बादाम, अखरोट, क्रैनबेरी और आड़ू। किशमिश में मैग्नीशियम, आयरन और विटामिन मौजूद हैं। अखरोट में भी प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और फाइबर अधिक मात्रा में मौजूद है।
फल और सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट्स व आवश्यक विटामिन्स बहुत ज्यादा मात्रा में होते हैं और गर्भावस्था के दौरान इसे स्नैक्स के रूप में खाना बहुत अच्छा होता है। इस दौरान आप एक कटोरा भर के मिक्स्ड फ्रूट ले सकती हैं, जैसे आम, नाशपाती, सेब, केला, अनार और अवोकेडो के साथ दही। यह सिर्फ हेल्दी ही नहीं बल्कि टेस्टी भी होता है। अवोकेडो में मैग्नीशियम, विटामिन ‘सी’, विटामिन ‘ई’ और फाइबर होता है। फ्रेश फलों में पाया जाने वाला विटामिन ‘सी’ प्लेसेंटा के विकास में मदद करता है। दही खाने से पेट की समस्याएं ठीक होती हैं और इससे कैल्शियम भी मिलता है।
गर्भावस्था की दूसरी या तीसरी तिमाही में कोकोनट या ऑलिव ऑयल की ड्रेसिंग के साथ सब्जियां, जैसे खीरा, टमाटर, पत्ता गोभी, मूली और स्वीट कॉर्न का सलाद खाना भी अच्छा होता है। हरी सब्जी में फाइबर और आयरन भी अच्छी मात्रा में होता है। नियमित रूप से हरी सब्जियों का सलाद खाने से गर्भावस्था की आम समस्या कब्ज कम हो सकती है। तेल में मौजूद फैट सिर्फ शरीर को ताकत ही नहीं देता है बल्कि बच्चे के मस्तिष्क के विकास में भी मदद करता है।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में आपके लिए प्रोटीन-युक्त चिकन के साथ सब्जियों का सलाद सबसे अच्छा स्नैक्स है। पूरी गर्भावस्था में बच्चे की वृद्धि और विकास के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी है। इसलिए दूसरी और तीसरी तिमाही में जब बच्चा बहुत तेजी से विकसित होता है विशेषकर तब आपके लिए प्रोटीन लेना बहुत जरूरी है।
म्यूस्ली में फाइबर, विटामिन और प्रोटीन होते हैं और इसलिए गर्भावस्था के दौरान मुसली खाना अच्छा माना जाता है। आप इसमें ऊपर से अपने स्वादानुसार फ्रेश फल भी डाल सकती हैं, जैसे कीवी, केले और आम। आम सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं होते हैं बल्कि इसमें बहुत सारे न्यूट्रिएंट्स हैं जो माँ और बच्चे के लिए फायदेमंद हो सकते हैं, जैसे विटामिन ‘सी’ और फोलेट। यह गुण इसे स्नैक्स का बेहतरीन विकल्प बनाते हैं।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में बच्चे के मस्तिष्क का विकास बहुत तेजी से होता है। सामन मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो बच्चे के मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम की वृद्धि और विकास में मदद करता है। यदि आप सप्ताह में एक बार सामन मछली खाती हैं तो इससे आपकी ओमेगा-3 की आवश्यकताएं पूरी हो सकती हैं। आप इसमें अपनी पसंद की सब्जियां भी शामिल कर सकती हैं, इससे आपके स्नैक्स में फाइबर भी होगा। इस बाद का ध्यान रखें कि सामन पूरी तरह से पक जानी चाहिए ताकि इसमें मौजूद सभी पैरासाइट और बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं। गर्भावस्था के दौरान आप इसका सेवन संयमित मात्रा में करें क्योंकि अधिक सेवन करने से इसमें मौजूद मर्क्युरी बढ़ते बच्चे के लिए हानिकारक हो सकती है।
पके हुए पपीते में विटामिन ‘सी’, फाइबर, पोटैशियम और फॉलिक एसिड होता है। इससे तीसरी तिमाही की आम समस्याएं, जैसे कब्ज और हार्टबर्न भी ठीक होने में मदद मिलती है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान कच्चा पपीता नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें पेप्सिन होता है। यह एक ऐसा पदार्थ है जिससे गर्भाशय और समय से पहले लेबर में संकुचन हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान संयमित मात्रा में पपीते का सेवन करना चाहिए।
ग्रीन स्मूदी में फाइबर, विटामिन, मैग्नीशियम और पोटैशियम बहुत ज्यादा होते हैं। आप पालक को पानी के साथ ब्लेंड कर सकती हैं या चाहें तो स्वाद बढ़ाने के लिए आप इसे नारियल पानी और अन्य सामग्रियों, जैसे पुदीना व अदरक के साथ ब्लेंड कर सकती हैं। अलग-अलग स्वाद के लिए आप इसमें विभिन्न प्रकार के फल भी मिला सकती हैं, जैसे अनानास, आम, संतरे या केले।
गर्भावस्था के दौरान यदि आपको क्रेविंग होती है तो इसे कम करने के लिए आप सही मात्रा में हेल्दी स्नैक्स ही खाएं ताकि यह आपके और बच्चे के लिए भी फायदेमंद हो सके। हालांकि ऊपर दिए हुए हेल्दी स्नैक्स में से कुछ भी खाने से पहले आप एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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