गर्भधारण

पुरुषों में बांझपन से निपटने के लिए फर्टिलिटी की दवाएं

पुरुष की फर्टिलिटी क्षमता उसके स्पर्म यानी शुक्राणु की मात्रा और क्वालिटी पर निर्भर करती है। यदि किसी पुरुष के स्पर्म की मात्रा और गुणवत्ता कम है, तो वह अपनी पत्नी को प्रेग्नेंट करने में असमर्थ हो सकता है। बता दें कि 50 पुरुषों में से लगभग एक को फर्टिलिटी संबंधी समस्याएं होती ही हैं, ज्यादातर वह समस्या स्पर्म की कम संख्या से जुड़ी होती है, वहीं 100 पुरुषों में से केवल एक पुरुष में बिलकुल भी शुक्राणु का उत्पादन नहीं होता है।

पुरुषों को फर्टिलिटी दवाओं का इस्तेमाल कब करना चाहिए?

फर्टिलिटी दवाओं का सेवन करने से पहले किसी प्रजनन (फर्टिलिटी) विशेषज्ञ से जांच कराना जरूरी है। पुरुष के स्वास्थ्य, उसकी हेल्थ हिस्ट्री और लाइफस्टाइल के बारे में ध्यान से स्टडी करने के बाद विशेषज्ञ या डॉक्टर उसके आधार पर दवाएं निर्धारित करते हैं। अभी तक केवल सेकंडरी हाइपोगोनाडिज्म ही हार्मोन से जुड़ी बांझपन की स्थिति है जो लगभग 2% पुरुषों को प्रभावित करती है और इसका इलाज फर्टिलिटी दवाओं से किया जा सकता है। यह स्थिति तब आती है जब पिट्यूटरी ग्रंथि या हाइपोथैलेमस ठीक से काम नहीं करता है। हार्मोन में किसी भी तरह के परिवर्तन की वजह से सामान्य स्पर्म और टेस्टोस्टेरोन के बनने में दिक्कतें आती हैं।

पुरुषों में फर्टिलिटी दवाएं कैसे काम करती हैं

सभी फर्टिलिटी दवाएं एक ही तरह से काम नहीं करती हैं। यहां कुछ तरीके बताए गए हैं जिनमें पुरुष फर्टिलिटी दवाएं काम करती हैं:

1. हार्मोन का उत्पादन बढ़ता है

इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं और इंजेक्शन में ऐसे पदार्थ या संश्लेषित हार्मोन होते हैं जो टेस्टोस्टेरोन के लेवल को संतुलित बनाए रखते हैं और पुरुषों में इसके उत्पादन (प्रोडक्शन) को बढ़ाते या घटाते हैं।

2. स्पर्म की क्वालिटी में सुधार आना

जब स्पर्म की क्वालिटी खराब होती है (जैसे की कम गतिशीलता, असामान्य आकारिकी) के होते हैं; ऐसे में कुछ दवाएं उनकी गुणवत्ता में सुधार कर सकती हैं। 

3. ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल रहता है

कई मामले हैं जहां ब्लड शुगर लेवल पुरुषों और महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण बनता है। ऐसे मामलों के लिए, दवा फर्टिलिटी क्षमता में सुधार लाने और डायबिटीज को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकती है

4. ब्लड फ्लो बढ़ता है

जेनिटल एरिया में अगर ब्लड फ्लो खराब रहता है, तो उससे पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन दवाओं का सेवन करने से इसमें सुधार आता है।

5. कामेच्छा बढ़ती है

बता दें कि फर्टिलिटी दवाओं में कामोत्तेजक (ऐफ्रडिजीऐक) के कुछ गुण भी होते हैं, इसलिए इसको खाने से पुरुषों की यौन इच्छा भी बढ़ती है।

पुरुषों के लिए कौन सी फर्टिलिटी दवाएं उपलब्ध हैं?

पुरुषों में इनफर्टिलिटी दवाओं का सेवन करने से पहले कौन सी दवा बेहतर है और इसका कारण क्या है, यह जानना जरूरी है। हालांकि प्रिसक्राइब्ड दवाओं को ही लेने की सलाह दी जाती है। नीचे दी गई कोई भी दवा काउंटर उपयोग के लिए अनुशंसित नहीं है:

1. क्लोमीफीन सिट्रेट

इस नॉन-स्टेरॉयड का एफएसएच और एलएच हार्मोन उत्पादन करने और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाने में उपयोग किया जाता है। टेस्टोस्टेरोन लेवल के कम होने की वजह से स्पर्म अस्वस्थ होते हैं और यह स्वाभाविक रूप से पुरुष को इन्फर्टाइल बनाता है। क्लोमीफीन सिट्रेट टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाती है और साथ ही स्वस्थ शुक्राणु को बढ़ाने में मदद करती है जिससे फर्टिलिटी क्षमता में सुधार होता है।

2. गोनाडोट्रोपिन

गोनाडोट्रोपिन और एलएच टेस्टिकल्स को स्टिम्युलेट करते हैं और इसलिए टेस्टोस्टेरोन और शुक्राणुओं की संख्या के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है। केवल सेकेंडरी हाइपोगोनाडिज्म के मामले में ही ये दवा दी जाती हैं। 

3. लेट्रोजोल

यह दवा गोलियों के रूप में उपलब्ध होती है, और मोटापे से संबंधित हाइपोगोनाडिज्म वाले पुरुषों में सामान्य टेस्टोस्टेरोन के स्तर को सही करने में मदद करती है। लेट्रोजोल एरोमाटेज इनहिबिटर की श्रेणी में आता है और प्रजनन क्षमता में सुधार करने में मदद करता है।

4. ब्रोमोक्रिप्टीन

हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया के कारण होने वाली इनफर्टिलिटी का इलाज इस डोपामाइन एगोनिस्ट से किया जा सकता है। यह पिट्यूटरी ग्रंथि से प्रोलैक्टिन हार्मोन के रिलीज को रोकता है। यह दवा उन पुरुषों के लिए उपयोगी होती है, जिनको हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया के साथ असामान्य स्पर्म काउंट की समस्या है।

5. एंटीबायोटिक और एंटीफंगल उपचार

कभी-कभी रिप्रोडक्टिव सिस्टम और सीमेन बैक्टीरिया या फंगस से भी संक्रमित हो सकते हैं। जिन पुरुषों का पॉजिटिव सीमेन कल्चर आता है, उनकी इनफर्टिलिटी की समस्या और फंगल इंफेक्शन को एंटीबायोटिक और दूसरी दवाओं से ठीक किया जा सकता है। 

पुरुषों को कब तक ये दवाएं लेनी चाहिए?

हर दवा के कोर्स का समय एक जैसा नहीं होता है और इसलिए उसकी डोज व्यक्ति के ऊपर निर्भर करती है। कुछ के बारे में यहां बताया गया है:

1. लेट्रोजोल

इस ट्रीटमेंट के दौरान इस दवा को हफ्ते में केवल एक बार ही लेना होता है। इसको असर दिखाने में कम से कम 3 से 6 महीने का समय लग सकता है

2. ब्रोमोक्रिप्टीन

इस दवा को लगभग 4 हफ्ते तक के लिए ही लिया जा सकता है। इसे हर दिन पांच से दस मिलीग्राम लेने की जरूरत होती है।

3. क्लोमीफीन

आमतौर पर इसको हफ्ते में तीन बार लिया जाता है, इलाज के दौरान हर साइकिल में इस दवा का तीन से छह महीने का कोर्स चलेगा। हार्मोन के स्तर को स्थिर करने और फर्टिलिटी में सुधार लाने के लिए इस दवा को दो साल तक सुरक्षित रूप से लिया जा सकता है।

4. गोनाडोट्रोपिन

इलाज के दौरान व्यक्ति को हफ्ते में दो या तीन इंजेक्शन लेने पड़ते हैं। ज्यादातर इस दवा का इलाज केवल छह महीने तक चलता है, लेकिन व्यक्ति में इसको लेने के बाद बहुत कम या कोई सुधार नहीं दिखाता है, तो उन्हें एचएमजी रेजिमेन के साथ एक या दो साल तक इसका इलाज जारी रखना होगा, ताकि उनका हार्मोन लेवल वापस से सामान्य हो जाए।

पुरुषों में इनफर्टिलिटी दवा के उपयोग के दौरान पत्नी के गर्भधारण की संभावना कितनी होती है?

कभी-कभी फर्टिलिटी पिल्स स्पर्म काउंट को 15 मिलियन प्रति मिलीलीटर सीमेन तक बढ़ा सकती हैं। इससे नीचे किसी भी संख्या को कम ही माना जाता है। हार्मोनल दवाएं पुरुष के शरीर पर प्रभाव डाल सकती हैं और इसलिए इसकी सही डोज के लिए डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर होता है। इन दवाओं के काम करने की संभावना वास्तव में उसकी सेहत की स्थिति और डोज पर निर्भर करता है। क्योंकि ये हार्मोनल दवाएं हैं जो बिना किसी संकेत के उपयोग किए जाने पर आपके शरीर पर खराब प्रभाव डाल सकती हैं।

पुरुषों में फर्टिलिटी दवाओं के साइड इफेक्ट्स क्या होते हैं?

हर दवा अलग होती है और सबके अपने दुष्प्रभाव होते हैं। इनमें से कुछ के बारे में नीचे बताया गया है।

1. सिंथेटिक टेस्टोस्टेरोन

सिंथेटिक टेस्टोस्टेरोन से होने वाली कुछ समस्याएं:

  • मूड स्विंग होना
  • लिवर की समस्याएं
  • एनर्जी कम होना
  • पुरुष स्तन का बड़ा होना
  • बालों की अधिक बढ़ना
  • मुंहासे
  • रैशेस
  • लंबे समय तक इरेक्शन
  • वाटर रिटेंशन

2. क्लोमीफीन

क्लोमीफीन से होने वाली कुछ समस्याएं:

  • दृष्टि में परिवर्तन आना
  • चक्कर आना
  • सिरदर्द
  • मतली
  • उल्टी
  • दस्त
  • वजन बढ़ना
  • स्तन का बढ़ना और असहजता महसूस होना
  • कामेच्छा में बदलाव आना

3. गोनाडोट्रोपिन

गोनाडोट्रोपिन से होने वाली कुछ समस्याएं:

  • मुंहासे
  • स्तनों का बड़ा होना
  • इंजेक्शन लगने की जगह दर्द होना
  • रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में इंफेक्शन होना
  • वजन बढ़ना
  • चक्कर आना
  • मतली
  • मूड स्विंग
  • पेल्विक एरिया में असहजता महसूस होना

4. ब्रोमोक्रिप्टीन

ब्रोमोक्रिप्टीन से होने वाली कुछ समस्याएं:

  • हैलुसिनेशन (भ्रम)
  • कंफ्यूज होना
  • लिवर की समस्याएं
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • शरीर में असामान्य हलचल होना
  • भूख न लगना
  • सिरदर्द
  • कब्ज
  • थकान
  • हल्का सिरदर्द
  • सीजर

पुरूषों में नेचुरल तरीके से फर्टिलिटी क्षमता बढ़ाने के टिप्स

पुरुषों की फर्टिलिटी क्षमता पर्यावरण, उनकी डाइट और लाइफस्टाइल से प्रभावित हो सकती है। यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे वे अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों को शामिल करके अपनी फर्टिलिटी क्षमता को बढ़ा सकते हैं:

1. नियमित व्यायाम

नियमित रूप से व्यायाम करने से आपकी फर्टिलिटी क्षमता बढ़ सकती है क्योंकि यह आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। जो पुरुष रोज व्यायाम करते हैं उनमें सीमेन की क्वालिटी बेहतर होती है और टेस्टोस्टेरोन का स्तर भी बेहतर होता है। हफ्ते में कम से कम पांच दिन और हर दिन लगभग 45 मिनट व्यायाम करना और हेल्दी डाइट लेने से फर्टिलिटी क्षमता में आपको सुधार दिखेगा।

2. संतुलित डाइट

खाने में पोषक तत्वों की कमी की वजह से खराब हार्मोनल स्पर्म के उत्पादन को रोकते हैं। जिसकी वजह से शुक्राणु अस्वस्थ और असामान्य हो सकते हैं। अगर पुरुष अपनी डाइट में सभी जरूरी तत्वों को शामिल करता है, तो उसके शरीर को आवश्यक मात्रा में पोषण मिल सकेगा। ताजी सब्जियां, साबुत अनाज, फल, मेवा और बीज आदि आवश्यक न्यूट्रिशियस चीजों को डाइट में शामिल करने से उसे फर्टिलिटी क्षमता में सुधार देखने को मिलेगा।

3. न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स

सप्लीमेंट्स पुरुषों के स्पर्म काउंट और उसकी गतिशीलता को बढ़ाकर उनकी फर्टिलिटी क्षमता में सुधारने में मदद करते हैं। विटामिन सी और जिंक शुक्राणुओं को आपस में टकराने से रोकते हैं और उन्हें स्वतंत्र रूप से तैरने की अनुमति देकर उनकी गतिशीलता को बढ़ाने में मदद करते हैं। जिंक सप्लीमेंट्स स्पर्म काउंट और टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं। अपनी डाइट में जिंक की प्रतिदिन 100 से 200 मिलीग्राम की मात्रा ही शामिल करें। जिंक के कुछ नेचुरल स्रोत भी हैं जैसे कि सीप, टर्की, ऑर्गन मीट, वीट जर्म, फलियां और नट्स हैं।

जब प्रोटीन पच जाता है, तो वह आर्जिनिन पैदा करता है, जो स्पर्म सेल्स के उत्पादन के लिए भी आवश्यक होता है। आर्जिनिन खाने की कई चीजों में पाया जाता है जैसे कि मछली, पोल्ट्री, मीट, डेयरी, नट और चॉकलेट।

यहां कुछ और पोषक तत्व दिए गए हैं जो अगर रोजाना और सही मात्रा में लिए जाएं तो शुक्राणुओं की संख्या में सुधार होता है –

  • 2 मिलीग्राम कॉपर
  • 100 माइक्रोग्राम क्रोमियम
  • 1000 माइक्रोग्राम विटामिन बी12
  • 9 से 12 ग्राम आवश्यक फैटी एसिड
  • 200 माइक्रोग्राम सेलेनियम
  • 400 मिलीग्राम कोएंजाइम क्यू 10

इनफर्टिलिटी से कैसे बच सकते हैं?

यदि यह व्यक्ति के नियंत्रण में रहने वाले कारण की वजह से होता है तो इनफर्टिलिटी को कुछ तरीकों से रोका जा सकता है। जैसे कि व्यक्ति की लाइफस्टाइल, डाइट को नियंत्रित करने से इनफर्टिलिटी को सुधारने में मदद मिलती है। यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे इनफर्टिलिटी से बचा जा सकता है:

  • शुक्राणु की गतिशीलता और उनकी मॉर्फोलॉजी शराब, निकोटीन और अन्य दवाओं से प्रभावित होती हैं। अगर आप बच्चा पैदा करना चाहते हैं तो इनसे पूरी तरह दूरी बना लेनी चाहिए।
  • बहुत अधिक वजन बढ़ने से स्पर्म सेल मॉर्फोलॉजी से प्रभावित होते हैं। अक्सर अधिक वजन वाले या मोटे पुरुष हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि जैसी स्थितियों से पीड़ित होते हैं, जो उनकी सेहत को और कॉम्प्लिकेट कर सकते हैं और उन्हें इन्फर्टाइल बना सकते हैं।
  • साइकिल चलाना, सौना का उपयोग करना, लंबे समय तक गर्म स्नान करना और तंग और सीमित कपड़े पहनना भी टेस्टिकुलर तापमान को बढ़ाकर प्रभावित करता है, इस प्रकार प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।
  • तनाव भी पुरुषों के स्पर्म प्रोडक्शन को प्रभावित करता है। ध्यान और गहरी सांस लेने के व्यायाम करने से आपको शांत होने में मदद मिल सकती है।
  • कीटनाशकों, भारी धातुओं और अन्य जहरीले एजेंटों के संपर्क में आने से बचें जो शरीर को प्रभावित कर सकते हैं और इनफर्टिलिटी का कारण बन सकते हैं। इन केमिकल में पाए जाने वाले कंपाउंड को मानव शरीर में म्युटेशन का कारण माना जाता है।
  • लैपटॉप और मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन का भी स्पर्म की मात्रा और उसकी गुणवत्ता पर नेगेटिव प्रभाव पड़ता है। इन गैजेट्स के उपयोग को सीमित करने का प्रयास करें।
  • प्लास्टिक के कारण हार्मोन में असंतुलन पैदा हो सकता है और प्लास्टिक के कंटेनरों में खाने को स्टोर करके नहीं रखना चाहिए।
  • कॉफी फिल्टर, पेपर, टॉयलेट रोल और टिश्यू के बिना ब्लीच किए हुए वर्जन को चुनें क्योंकि उनमें कम केमिकल होते हैं, जो फर्टिलिटी क्षमता को नेगेटिव रूप से प्रभावित करते हैं और साथ ही उपयोग के लिए सुरक्षित होते हैं।
  • क्लोरीन युक्त नल का पानी भी पुरुष की फर्टिलिटी क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
  • किसी भी कीटनाशक के सेवन से बचने के लिए ऑर्गेनिक भोजन का सेवन करें।
  • सिंथेटिक कॉस्मेटिक और डिओडरंट भी हार्मोन का संतुलन बिगाड़ते हैं।
  • ऐसे जानवरों के प्रोडक्ट्स से परहेज करें जिनमें बहुत अधिक फैट हो।
  • तला हुआ खाना, बारबेक्यू और चारकोल-ब्रॉइल्ड खाना पकाने की तकनीक फर्टिलिटी क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।

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समर नक़वी

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