राजा और तोता की कहानी | The King And The Parrot Story In Hindi

The king And the parrot story In hindi

ये कहानी एक ऐसे राजा की है, जिसके तीन बेटे थें और वह उन तीनों में एक काबिल बेटे की तलाश कर रहा था जिसे वह अपना उतराधिकारी बना सके। ऐसे में उन्होंने अपने तीनों बेटों की परीक्षा ली। ऐसे में उनकी परीक्षा में कौन सा राजकुमार कामयाब हुआ और किसे उनका उत्तराधिकारी बनाया गया, ये सब जानने के लिए आप इस मजेदार कहानी को पूरा पढ़ें।

कहानी के पात्र (Characters Of Story)

  • राजा हरिशंकर
  • राजा के तीन बेटे
  • राजा (राजकुमार की कहानी के पात्र)
  • तोता (राजकुमार कहानी का पात्र)

राजा और तोता की कहानी | The King And The Parrot Story In Hindi

बहुत सालों पहले की बात है, एक राज्य में हरिशंकर नाम के राजा का शासन था। उसके तीन बेटे थे और उसकी इच्छा थी कि उन तीनों बेटों में से जो भी काबिल बेटा होगा वह उसे राजगद्दी सौंप देंगे, लेकिन उन्हें ये मालूम नहीं था कि किसे वह अपना राजपाट सौपें।

एक दिन राजा ने कुछ सोचा और अपने तीनों बेटों को अपने पास बुलाया और कहा, आज मैं तुम सब से एक प्रश्न पूछूंगा,  जिसका तुम्हें उत्तर देना है।

सवाल यह है – “यदि तुम लोगों के सामने कोई अपराधी आए तो तुम लोग उसके साथ क्या करोगे?”

तभी राजा के बड़े बेटे ने बोला, “मैं उस अपराधी को मौत की सजा सुना दूंगा।”

वहीं दूसरे बेटे ने कहा, “उस अपराधी को कालकोठरी में बंद कर देना चाहिए।”

तभी तीसरा बेटा बोला, “पिताजी, हमें उसे सजा देने से पहले ये पता लगाना चाहिए कि उसने सच में अपराध किया है या नहीं।”

ऐसे में राजा के तीसरे बेटे ने वहां मौजूद सभी लोगों को एक कहानी सुनाई। एक राजा था, जिसके पास एक बहुत होशियार तोता था। एक दिन उस तोते ने राजा से कहा, “मुझे अपने माँ-बाप के पास जाना है। लेकिन राजा ने उसकी बातों को नहीं माना, फिर भी तोते ने हार नहीं मानी। वह राजा के पीछे पड़ गया और जिद्द करने लगा कि उसे उसके माता-पिता के पास जाने दें। आखिरकार महाराज ने तोते की बातों को स्वीकार कर लिया और कहा, “ठीक है मिल आओ अपने माता-पिता से, लेकिन जल्दी वापस आ जाना।” राजा ने तोते को सिर्फ पांच दिनों तक जाने का आदेश दिया और बोला, इन पांच दिनों परिवार वालों से मिलकर वापस आ जाना।

तोता खुशी-खुशी पांच दिनों के लिए अपने घर चला गया। पांच दिनों बाद जब वह राजा के पास वापस लौट रहा था तो उसे ख्याल आया कि क्यों न वह महाराज के लिए कोई भेंट लेकर जाए। उपहार की खोज में वह पर्वत की तरफ मुड़ गया। असल में वह राजा के लिए भेंट में अमृत फल लेकर जाना चाहता था। पर्वत पहुंचने में रात हो गई थी। तोते ने वहां से अमृत फल ले लिया, लेकिन अंधेरा होने की वजह से वह वहीं रुक गया।

Raja aur tota ki kahani

रात में जब तोता सो रहा था तभी वहां पर एक सांप आया और वह राजा वाला अमृत फल खाने लगा। सांप ने फल को खाया इस वजह से उस फल में जहर फैल गया था। लेकिन तोते को इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था। अगले दिन जब तोता उठा तो वह उसी फल को लेकर महल की ओर बढ़ गया।

महल पहुंचते ही तोता राजा के पास पहुंचा और बोला, “महाराज मैं आपके लिए अमृत फल लाया हूं। यदि आप इस फल को खाएंगे तो हमेशा के लिए अमर हो जाएंगे।” ये सुनकर राजा बहुत खुश हुआ। उन्होंने तुरंत अमृत फल को मांगा। ऐसे में राजा के मंत्री ने उन्हें टोकते हुए पूछा, “थोड़ा रुकिए महाराज, आप ये फल बिना जांच के कैसे खा सकते हैं। एक बार सुनिश्चित तो कर लीजिए कि तोता द्वारा लाया गया ये अमृत फल सही है या नहीं।”

राजा को मंत्री की बात सही लगी और उसने उस फल को तुरंत एक कुत्ते को खिलाने का आदेश दिया। उसके बाद फल का एक टुकड़ा कुत्ते को खिलाया गया फल खाने के बाद कुत्ता मर जाता है। ये देखने के बाद राजा को बहुत गुस्सा आता है। राजा ने गुस्से में तोते के सिर को काट दिया और फल को फेंक दिया।

ऐसे में सालों बीत गए और जहां फल फेका गया था, वहां एक पौधा निकल आया। राजा को लगने लगा कि ये उस जहरीले फल का पौधा है, इसलिए उसके फल को न खाने का आदेश दिया।

कुछ समय बाद एक बूढ़ा आदमी उस पेड़ की छाया में थोड़ा आराम करने के लिए रुका। उसको भूख लगी थी और उसने पेड़ से फल तोड़कर खा लिया। उस फल को खाने के बाद वह बूढ़ा आदमी एक जवान व्यक्ति में बदल गया था। राजा ने जब ये देखा तो उसे हैरानी हुई। उसे समझ में आ गया कि वह फल जहरीला नहीं था। उनसे बहुत बड़ा गुनाह हो गया। उन्होंने बिना सोच विचार के बेचारे तोते को मार दिया। इस बात का राजा को बहुत पछतावा हो रहा था। इसकी वजह से वह मन ही मन में बहुत अफसोस जताने लगे।

इसके बाद, राजा के तीसरे बेटे की कहानी खत्म हो गई। इस कहानी के खत्म होने के बाद राजा हरिशंकर ने अपने तीसरे बेटे को अपना सारा राजपाठ सौंप दिया और अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इसके बाद राज्य में जश्न मनाया गया।

राजा और तोता की कहानी से सीख (Moral of The King And The Parrot Hindi Story)

राजा और तोता की इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हमें कभी भी बिना सोचे-समझे किसी को सजा नहीं देनी चाहिए, क्योंकि कभी-कभी गुस्से में लिया गया फैसला गलत भी हो सकता है। 

राजा और तोता की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of The King And The Parrot Hindi Story)

यह कहानी राजा-रानी की कहानियों के अंतर्गत आती है जिसमें यही बताया गया है कि कभी भी कोई निर्णय लेने से पहले उस विषय से जुड़ी जानकारी ले लेना चाहिए वरना बाद में पछतावा करने से कुछ हासिल नहीं होता।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. राजा और तोता की नैतिक कहानी क्या है?

राजा और तोता की नैतिक कहानी ये है कि हमें किसी को अहम जिम्मेदारी देने से उस इंसान की काबिलियत को जरूर जांचना चाहिए और उसके बाद ही कोई भरोसेमंद काम उन्हें सौंपना चाहिए।

2. हमें किसी को सजा देने से पहले जांचना क्यों चाहिए?

किसी को सजा देना मुश्किल नहीं होता, लेकिन जब तक निश्चित नहीं हो जाता कि सामने वाले व्यक्ति ने सच में वो अपराध किया है या नहीं तब तक किसी को सजा देना गलत होगा। कभी-कभी एक गलत फैसला आपको जिंदगी भर पछतावे में डाल देता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस कहानी का निष्कर्ष ये है कि किसी को उत्तराधिकारी चुनने से पहले उसकी काबिलियत को परखना जरूरी है। साथ ही यदि किसी को सजा देना है, तो सबसे पहले ये जांच-परख जरूर कर लेनी चाहिए कि उसने गलती सच में की है या नहीं। वरना एक गलत फैसला आपको हमेशा के लिए आत्म ग्लानि में डाल देगा।

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