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राजकुमारी और चांद की इस कहानी में बताया गया है कि कैसे एक राजा अपनी बेटी की नामुमकिन इच्छा को पूरा करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। राजकुमारी चांद के साथ खेलने के लिए जिद कर रही थी, इसलिए राजा ने इसमें व्यापारी की मदद लेते हुए दिमाग के साथ ये समस्या भी हल करने की कोशिश की, जिसमें वह सफल भी हुए। चलिए कहानी को पूरा पढ़कर जानते हैं आखिर कैसे राजा ने अपनी बेटी को चांद लेकर दिया और कैसे इस नामुमकिन जिद को पूरा किया।
कुछ साल पहले एक राज्य में एक राजा राज किया करता था और उसकी एक छोटी, प्यारी और मासूम सी बेटी थी। वह रोज रात में अपने कमरे की खिड़की से चांद को देखा करती थी। एक दिन उसने अपने पिता से कहा कि उसे चांद चाहिए। मुझे चांद लाकर दीजिए क्योंकि मुझे उसके साथ खेलना है।
अपनी राजकुमारी की बातों को सुनकर राजा हैरान हो गए और उसे समझाने लगे, लेकिन वह समझने को तैयार नहीं थी। राजकुमारी ने तो चांद के साथ खेलने की जिद कर रखी थी। जब तक उसे चांद मिल नहीं जाता, तब तक वह न कुछ खा रही थी और न पी रही थी। राजकुमारी रातभर बस खिड़की पर बैठकर चांद को निहारती रहती थी। ऐसे में राजकुमारी की हालत बिगड़ने लगी और वह काफी बीमार पड़ गई।
राजा से अपनी बेटी की ये हालत देखी नहीं गई और उन्होंने अपने दरबारियों और मंत्रियों को चांद लाने के आदेश दिए। राजा का ये आदेश सुनने के बाद मंत्री और दरबारी काफी हैरान थे। उन्होंने राजा से बोला, “महाराज चांद को धरती पर लाना नामुमकिन है, ये बात आप भी अच्छे से जानते हैं। ऐसे में हम चांद कैसे लेकर आएं।”
राजा अपने मंत्रियों और दरबारियों की बातें सुनने के बाद पूरे राज्य में एलान करवा दिया है कि जो भी कोई उनकी बेटी को चांद लेकर देगा उसे खूब सारा पैसा दिया जाएगा। एक व्यापारी को राजा के इस एलान के बारे में पता चला, तो उससे राजा की हालत देखी नहीं गई और वह तुरंत राजा से मिलने उनके महल पहुंच गया।
व्यापारी ने राजा से कहा, “मैं राजकुमारी के लिए चांद लेकर आऊंगा, किंतु उसके पहले ये तो बताएं कि राजकुमारी को चांद कितना बड़ा चाहिए।”
इसके बाद व्यापारी ने राजकुमारी से मिलने की विनती की। राजा व्यापारी की बात मान जाता है और उसे राजकुमारी के पास लेकर जाता है। तभी व्यापारी राजकुमारी से पूछता है कि चांद कितना बड़ा है। राजकुमारी जवाब में कहती है कि “चांद मेरे अंगूठे के नखून के बराबर है, क्योंकि जब भी मैं अपना अंगूठा रखती हूं, वह मुझे नजर नहीं आता है।
इसके बाद व्यापारी राजकुमारी से फिर पूछता है कि चांद कितना ऊंचा है तो राजकुमारी जवाब देती है, “शायद पेड़ से थोड़ा ऊंचा। क्योंकि उसे मैंने हमेशा महल के बाहर लगे पेड़ के ऊपर ही देखा है।” व्यापारी ने एक और सवाल किया कि चांद कैसा दिखता है। राजकुमारी ने बताया कि चांद बहुत चमकदार और चांद की तरह सफेद है। राजकुमारी की सारी बातों को सुनकर व्यापारी हंसते हुए कहता है कि चिंता न करो मैं कल तुम्हारे लिए पेड़ पर चढ़कर चांद तोड़कर ले आऊंगा।
ये कहने के बाद व्यापारी राजा के पास पहुंचता है और अपनी तरकीब उन्हें बताता है। राजा को भी व्यापारी की तरकीब अच्छी लगती है। अगले दिन व्यापारी चांदी का एक चांद बनाकर राजकुमारी के लिए ले जाता है। राजकुमारी उस चांद को देखने के बाद बहुत खुश होती है और उससे खेलने लगती है।
राजकुमारी को खुश देखने के बाद राजा को भी बहुत खुशी होती है। लेकिन उन्हें इस बात की चिंता रहती है कि जब राजकुमारी रात में आसमान में चाँद को देखेगी तो वह समझ जाएगी कि ये चांद नहीं है। अपनी इस बात को व्यापारी के सामने रखता है। व्यापारी राजा से कहता है कि मैं आपकी इस परेशानी का भी हाल देता हूं। व्यापारी राजकुमारी के पास जाता है और उससे पूछता है कि यदि किसी का दांत टूट जाता है तो उससे क्या होता है?
राजकुमारी अपनी मासूमियत से इस सवाल का जवाब देते हुए कहती है कि उसका नया दांत निकल आता है। उसके बाद व्यापारी हँसते हुए उससे पूछता है अच्छा ये बताइए कि यदि कोई चांद को तोड़कर ले आता है तो क्या होगा? इस पर राजकुमारी बोली, “हां, वहां दूसरा चांद उग जाता है।”
राजकुमारी का जवाब सुनते ही व्यापारी कहता है, अरे वाह! राजकुमारी बहुत समझदार है उसे सब पता है। इतना कहने के बाद व्यापारी खिड़की खोल देता है और कहने लगता है कि चलो आज नए उगे चांद को देखते हैं। आसमान में मौजूद चांद को देखने के बाद राजकुमारी बोलती है कि उसके पास जो चांद है वह बाहर वाले चांद से और भी ज्यादा खूबसूरत है और फिर उसके साथ खेलने लगती है। राजा अपनी बेटी को देखकर बहुत खुश होता है और बदले में बहुत सारा धन व्यापारी को देता है।
राजकुमारी और चांद की कहानी से हमें सीख मिलती है कि कभी-कबार बड़ी चुनौतियों को मुश्किल रास्ते से नहीं बल्कि आसान रास्ते से भी हल किया जा सकता है। छोटा उपाय आपकी बड़ी परेशानी दूर कर सकता है।
राजकुमारी और चांद खिलौना कहानी राजा-रानी की कहानियों के अंतर्गत आती है और एक अच्छी सीख देती है।
राजकुमारी और चांद की कहानी की नैतिकता ये है कि हमें हमेशा कठिन कामों के लिए मेहनत करने की जरूरत नहीं है बल्कि कभी-कभी आसान उपाय से भी मुश्किल चीजों को हल किया जा सकता है।
हर व्यक्ति को मुश्किल कामों के लिए हमेशा मुश्किल उपाय और मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ती है। कभी-कभी लोगों को आसान उपाय भी निकालकर मुश्किलों को हल करना आना चाहिए। इससे मेहनत कम लगती और काम भी हो जाता है।
राजकुमारी और चांद की कहानी का निष्कर्ष ये निकलता है कि बिना मतलब के अधिक मेहनत नहीं करनी चाहिए, जब आपका काम एक सरल उपाय से पूरा हो सकता है तो मुश्किल उपाय अपनाकर अपने काम को और कठिन करने की जरूरत नहीं होती है।
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