In this Article
- रानी लक्ष्मी बाई पर 10 लाइन (10 Lines On Rani Laxmi Bai In Hindi)
- रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 200-300 शब्दों में (Short Essay on Rani Laxmi Bai in Hindi 200-300 Words)
- रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 400-600 शब्दों में (Essay on Rani Laxmi Bai in Hindi 400-600 Words)
- रानी लक्ष्मी बाई के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About Rani Laxmi Bai in Hindi)
- रानी लक्ष्मी बाई के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है? (What Will Your Child Learn From Rani Laxmi Bai Essay?)
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
रानी लक्ष्मी बाई एक बहादुर और निडर योद्धा और मराठा राज्य की महिला शासकों में से एक थी। रानी लक्ष्मी बाई एक बहादुर योद्धा थी और अंग्रेजों के खिलाफ उनके संघर्षों को लोग आज भी इतिहास के पन्नो में पढ़ते हैं। उनकी वीरता के लिए उन्हें ‘झांसी की रानी’ के नाम से भी जाना जाता है। भारत में उन्हें नेशनल हीरो का दर्जा भी दिया गया है। रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को वाराणसी में हुआ था। इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी साप्रे था। 1857 के अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह में रानी लक्ष्मी बाई भारत की सबसे साहसी और निडर स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थी।
रानी लक्ष्मी बाई पर 10 लाइन (10 Lines On Rani Laxmi Bai In Hindi)
इन 10 पंक्तियों से हमारे देश के बहादुर योद्धा रानी लक्ष्मी बाई के बारें में जानें और बच्चे भी इन पंक्तियों की मदद से एक छोटा निबंध लिख सकेंगे।
- रानी लक्ष्मी बाई एक महान स्वतंत्रता सेनानी थी।
- इनका जन्म 18 नवंबर 1828 में वाराणसी में हुआ था।
- उनके बचपन का नाम ‘मणिकर्णिका’ था।
- यह ‘झांसी की रानी’ के नाम से प्रसिद्ध हुई।
- इनकी शादी झांसी के राजा गंगाधर राव से 1842 में हुई थी।
- झांसी को बचाने के लिए वह अंग्रेजों के खिलाफ बहादुरी के साथ लड़ी।
- इनके बेटे का नाम दामोदर राव था।
- इन्हें घुड़सवारी, तलवारबाजी करने का बहुत शौक था।
- इनकी मृत्यु 22 साल की उम्र में वर्ष 1857 में युद्ध के दौरान हुई।
- उन्हें एक महान योद्धा, सच्ची देशभक्त के रूप में लोग आज भी याद करते हैं।
रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 200-300 शब्दों में (Short Essay on Rani Laxmi Bai in Hindi 200-300 Words)
रानी लक्ष्मी बाई के बारे में निबंध लिखना है लेकिन आपको समझ नहीं आ रहा है कि शुरू कैसे करना है, टेंशन न लें उसके लिए हमने 200-300 शब्दों का शॉर्ट एस्से तैयार किया जिसकी मदद से आप अपने बच्चे को प्रैक्टिस करवा सकते हैं।
रानी लक्ष्मी बाई का बचपन का नाम ‘मणिकर्णिका’ था और उन्हें प्यार से ‘मनु बाई’ बुलाया जाता था। रानी लक्ष्मी बाई का जन्म वाराणसी में 18 नवंबर 1828 में हुआ था। 14 साल की उम्र में रानी लक्ष्मी बाई का विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव से किया गया था। उनकी पहली संतान की 4 महीने में ही मृत्यु हो गई थी, बाद में राजा ने एक पुत्र को गोद लिया था जिसका नाम दामोदर राव रखा गया। राजा की मृत्यु के बाद झांसी पर अंग्रेजों के आक्रमण कर दिया। लेकिन रानी लक्ष्मी बाई ने उनके सामने घुटने नहीं टेके और वह अंग्रेजों से डटकर लड़ी। उनका नारा था कि वह झांसी किसी को नहीं देंगी। इस युद्ध के दौरान लड़ते हुए उन्होंने अपने प्राणों को त्याग दिया था। रानी लक्ष्मी बाई को उनकी बहादुरी के लिए सब जानते हैं और उनके लिए ‘खूब लड़ी मर्दानी, वो तो झांसी वाली रानी थी’ वाक्य काफी प्रसिद्ध हुआ है।
रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 400-600 शब्दों में (Essay on Rani Laxmi Bai in Hindi 400-600 Words)
आपको अधिक रचनात्मक और बेहतर तरीके से एक बड़ा 400-600 शब्दों वाला रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध लिखना है, तो हमारे द्वारा बताए गए के निबंध के तरीके को अपना सकते हैं और अच्छे से अच्छा शब्दों का प्रयोग कर के निबंध और भी आकर्षित बना सकते हैं।
रानी लक्ष्मीबाई का बचपन और प्रारंभिक जीवन (Childhood & Early Life Of Rani Lakshmi Bai)
रानी लक्ष्मीबाई के साहस और वीरता के किस्से तो सभी लोगों ने सुने होंगे। उन्होंने भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया था। रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 1828 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन में उनका नाम मणिकर्णिका तांबे रखा गया था और प्यार से उन्हें सब मनु बाई बुलाते थे। इन्हें घुड़सवारी और तलवारबाजी करने का बचपन से शौक था। जब उनकी माता की मृत्यु हो गई थी तो उसके बाद उनकी पिता ने ही उनका ध्यान रखा। वह युद्ध कला, निशानेबाजी, तलवारबाजी में काफी निपुण थी। रानी लक्ष्मी बाई का बचपन नाना साहब और तात्या टोपे जैसे व्यक्तियों के साथ पेशवा के दरबार में बीता था।
रानी लक्ष्मी बाई का वैवाहिक जीवन (Marriage Life Of Rani Laxmi Bai)
रानी लक्ष्मी बाई की शादी 1842 में झांसी के राजा गंगाधर राव से हुई, जिसके बाद से उन्हें रानी लक्ष्मी बाई नाम दिया गया था। रानी लक्ष्मी बाई ने 1851 में बेटे को जन्म दिया लेकिन चार महीने में ही उसकी मृत्यु हो गई थी। राजा गंगाधर अपने बेटे की मृत्यु के सदमे को सहन नहीं कर पाएं। बाद में उन्होंने एक पुत्र को गोद लिया और उसका नाम दामोदर राव रखा गया था।
रानी लक्ष्मी बाई की मृत्यु (Death Of Rani Laxmi Bai)
रानी लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी झांसी को बचाने के लिए युद्ध छेड़ दिया था और इस युद्ध में वह बड़ी वीरता के साथ लड़ी थी। लेकिन युद्ध के दौरान 18 जून 1858 को वह शहीद हो गई।
रानी लक्ष्मी बाई के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About Rani Laxmi Bai in Hindi)
- रानी लक्ष्मी बाई का बचपन का नाम ‘मणिकर्णिका’ था और उन्हें ‘मनु’ नाम से बुलाया जाता था।
- रानी लक्ष्मी बाई के पति राजा गंगाधर राव ने झांसी की आर्थिक स्थिति को सुधारा था।
- रानी लक्ष्मी बाई बचपन से बहुत निडर और बहादुर थी।
- 18 साल की उम्र में ही रानी लक्ष्मी बाई को झांसी की गद्दी संभालनी पड़ी।
- रानी लक्ष्मी बाई के पति ने बेटे की मृत्यु के बाद एक बेटा गोद लिया था।
- तात्या टोपे और नाना साहेब रानी लक्ष्मी बाई के बचपन के मित्र थे।
- उस दौरान वह महिलाओं के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा बनी।
रानी लक्ष्मी बाई के इस निबंध से हमें क्या सीख मिलती है? (What Will Your Child Learn From Rani Laxmi Bai Essay?)
रानी लक्ष्मी बाई के बलिदान से हमें यह सीखने को मिलता है कि कभी हार नहीं माननी चाहिए और अपने आप को कभी भी छोटा या कमजोर नहीं समझना चाहिए। जब भी जिस रूप में भी मुसीबत आए, हमें डट के सामना करना चाहिए। खासकर महिलाओं के लिए रानी लक्ष्मी बाई एक प्रेरणा का स्रोत है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
रानी लक्ष्मी बाई से जुड़े कई सवाल हैं जिनके बारें में बच्चों को जानकारी होनी चाहिए। आइए जानते हैं:
1. रानी लक्ष्मी बाई के घोड़ों का क्या नाम था?
रानी लक्ष्मी बाई के घोड़ों का नाम सारंगी, बादल और पवन था।
2. की रानी की तलवार का वजन कितना है?
अंग्रेजों से लड़ते वक्त रानी लक्ष्मी बाई करीब 3.308 किलो और लंबाई 4 फीट थी।
3. किसने अंग्रेजों को झांसी पर आक्रमण करने और रानी लक्ष्मी बाई को मारने का आदेश दिया था?
क्वीन विक्टोरियन ने अंग्रेजों को झांसी पर आक्रमण करने और रानी लक्ष्मी बाई को मारने का आदेश दिया था।
4. रानी लक्ष्मी बाई की हमशक्ल कौन थी?
रानी लक्ष्मी बाई की हमशक्ल का नाम झलकारी बाई था। वह बिलकुल लक्ष्मी बाई की तरह दिखती थी। कई बार वह रानी के भेष में भी अंग्रेजों से लड़ी थी। वह रानी लक्ष्मी बाई की सेना में महिला शाखा दुर्गा दाल की सेनापति थी।
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