शिशु की आँखों के लिए काजल : क्या यह सुरक्षित है?

शिशु की आँखों के लिए काजल : क्या यह सुरक्षित है

बच्चे की आँखों में काजल लगाना एक भारतीय परंपरा है जिसमें यह माना जाता है कि काजल, बुरी नज़र और धूप की किरणों से बचाव करता है। हालांकि, कई माताओं को संकोच होता है कि काजल उनके बच्चे की आँखों के लिए सुरक्षित है या नहीं।

क्या काजल शिशु की आँखों के लिए सुरक्षित है?

भले ही कई भारतीय परिवारों में एक नवजात शिशु को काजल लगाना अच्छा माना जाता हो, लेकिन सच्चाई यह है कि, शिशुओं की आँखों में काजल लगाना अत्यंत हानिकारक होता है और इसके नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं।

आँखों के लिए काजल के फायदे और नुकसान

नवजात शिशु की आँखों में काजल न लगाने के कारण:

  • शिशु की आँखों के लिए व्यवसायिक रूप से उत्पादित काजल में सीसा की मात्रा अधिक होती है। सीसा, शिशु के लिए बेहद हानिकारक होता है क्योंकि शरीर में अत्यधिक मात्रा में सीसा विभिन्न अंगों के साथ मस्तिष्क और अस्थि मज्जा को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे बौद्धिक स्तर के कम होने का खतरा उत्पन्न होता है और साथ ही खून की कमी व अकड़न का खतरा भी उत्पन्न होता है।
  • शिशु की आँखों में काजल लगाते समय यदि आपके हाथ स्वच्छ नहीं हैं, तो बच्चा संक्रमित हो सकता है। इसके अलावा, आप काजल को रगड़ते समय गलती से अपने बच्चे की आँखों को अपने नाखूनों या उंगलियों से चोट भी पहुँचा सकती हैं।
  • स्नान के दौरान, काजल पानी के साथ मिलकर नीचे बह सकता हैं और शिशु की आँखों और नाक में जा सकता है जिससे बाद में संक्रमण होने का खतरा बढ़ सकता है ।
  • काजल के कारण आपके बच्चे की आँखों में लगातार पानी आना, जलन, खुजली और अन्य दुष्प्रभाव हो सकते हैं।अन्य दुष्प्रभावों की बात करें तो यह आपके बच्चे की दृष्टि/देखने की क्षमता को भी नुकसान पहुँचा सकता है।

नवजात शिशु की आँखों में काजल लगाने से संबंधित, भारतीय परिवारों की सामान्य अवधारणाएं

  • शिशु की आँखों में काजल लगाने से उसकी आँखें उज्ज्वल, चमकदार और आकर्षक बनती हैं।
  • नवजात शिशु की आँखों में काजल लगाने से बुरी नजर से बचाव होता है।
  • माना जाता है कि काजल तेज धूप और संक्रमण से भी आँखों को बचाता है।

नवजात शिशु की आँखों के लिए काजल का विकल्प क्या है?

  • यदि आप खासतौर पर बुरी नज़र से बचाना चाहती हैं तो अपने शिशु की आँखों के पीछे, माथे के पास बाल संवारने के बाद बनने वाली रेखा पर या अपने शिशु के पैर के तलवे पर काजल की बिंदी लगाना सबसे सुरक्षित और सबसे अच्छा विकल्प है।
  • आप एक विकल्प के रूप में जैविक सामग्री वाला काजल का उपयोग करें।
  • आप घर पर ही अपना खुद का काजल बनाएं, घर पर काजल बनाने के लिए बादाम के उपयोग की सलाह दी जाती है क्योंकि यह विटामिन ई से परिपूर्ण होता है और आँखों के लिए भी सर्वोत्तम है। घर काजल बनाने की विधि नीचे दी गई है।

क्या स्टोर से खरीदे गए काजल का उपयोग करना सुरक्षित है?

जवाब है नहीं, स्टोर से खरीदे गए काजल का उपयोग करना सुरक्षित नहीं है। जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है, व्यावसायिक रूप से उपलब्ध अधिकांश काजल उत्पादों में सीसे (लेड) की मात्रा अधिक होती है, इसकी अधिक मात्रा बच्चे में रक्ताल्पता, ऐंठन और बौद्धिक क्षमता में कमी का कारण बन सकता है। दुकान से खरीदे गए काजल में मौजूद तत्व आपके बच्चे की आँखों में लगातार पानी आने का कारण बनने के साथ ही खुजली भी उत्पन्न कर सकता है।

नवजात शिशु के लिए घर पर ही काजल बनाएं

शिशु को काजल के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए घर का बना काजल एक बेहतरीन विकल्प है। इसके साथ आप काजल से जुड़ी अपनी पारंपरिक मान्यताओं का भी पालन करते हैं। घर पर काजल बनाना काफी सरल होता है और इसके लिए किसी भी विशिष्ट सामग्री की आवश्यकता नहीं है, घर पर काजल बनाने की विधि इस प्रकार है;

आवश्यक चीजें

  • सपाट तल वाले समान आकार के दो कटोरे (आप स्टील या किसी भी अग्निरोधी वस्तु का उपयोग कर सकती हैं)
  • एक मोटी प्लेट (पीतल का हो तो बेहतर होगा)

ध्यान दें: यह सुनिश्चित करें कि प्लेट और कटोरा पूरी तरह स्वच्छ और कीटाणु मुक्त हों।

  • घी (कुछ बूँदें)
  • माचिस
  • एक दीपक और एक बाती
  • अरंडी (कैस्टर) का तेल (दीपक जलाने के लिए)
  • चाकू
  • काजल इकट्ठा करने के लिए एक छोटी सी डिब्बी।

कैसे बनाएं?

  • दोनों कटोरों को उल्टा पलटें और ज़मीन पर एक दूसरे से थोड़े अंतराल पर रखें।
  • अब प्लेट को उल्टा करें और इसे दोनों कटोरे पर संतुलित कर एक पुल जैसा बनाएं। यही वह क्रम है जहाँ समतलतली वाले कटोरे के उपयोग का महत्व पता चलता है। इस पर प्लेट का संतुलन बनाए रखना आसान होता है, जो कि गोलाकार तली वाले कटोरे के उपयोग से संभव नहीं हो पाएगा।
  • अब दीपक में अरंडी का तेल डालें और इसमें बत्ती को व्यवस्थित करें।दीपक जलाकर प्लेट द्वारा बने पुल के नीचे रखें।
  • इस बात का ध्यान रखें कि दिए की लौ प्लेट को छूनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो ऊँचाई को कम करने के लिए एक समान आकार वाले छोटे कटोरे का उपयोग करें।
  • ऐसा करने के बाद लगभग 20 मिनट तक प्रतीक्षा करें।
  • अब धीरेधीरे प्लेट उठाएं और ध्यान रहे कि वह अभी अत्यंत गर्म होगा ।
  • आप देखेंगी कि प्लेट की उल्टी सतह पर काजल एकत्रित हो गया है।
  • अब सावधानी से इस काजल को चाकू की मदद से निकाल कर छोटी डिब्बी में रख लें।
  • इसे पेस्ट बनाने के लिए इसमें घी की कुछ बूँदें डालें।
  • इसे ठंडी जगह पर रखें।

शिशु की आँखों पर काजल लगाना” एक सामान्य मिथक और सच्चाई से जुड़ा हुआ है।

हालांकि काजल के उपयोग से स्पष्ट प्रतिकूल प्रभाव होने के बावजूद भी मातापिता या परिवार इसे बच्चे की आँखों में लगाते हैं, इस प्रथा से जुड़े कुछ मिथक व इसके समाधान के रूप में कुछ तथ्य इस प्रकार हैं:

  • काजल शिशु के आँखों और भौहों को लंबी बनाता है?

नहीं ऐसा नहीं है, एक बच्चे के चेहरे की भौतिक विशेषताएं केवल और केवल पित्रैक (genes) द्वारा निर्धारित की जाती हैं।इसलिए काजल किसी भी प्रकार से बच्चे की आँखों या भौहों के आकार में कोई बदलाव नहीं लाता है।

  • काजल लगाने से लंबी नींद लेने में मदद मिलती है?

हाँ, काजल में मिले अरंडी या बादाम के तेल के ठंडे प्रभाव से शिशु अधिक देर तक सोता है। हालांकि, शिशु पहले से ही दिन में 18-19 घंटे सोता है, ऐसे में क्या इससे अधिक लंबी नींद का कोई मतलब है?

  • घर का बना काजल सुरक्षित है?

नहीं, घर का बना काजल स्टोर से खरीदे गए काजल की तुलना में सुरक्षित हो सकता है, लेकिन फिर भी इसमें कार्बन होता है जो बच्चे की आँखों के लिए असुरक्षित होता है। इसके अलावा, काजल लगाने की प्रक्रिया के दौरान, आपकी उंगलियों से बच्चे की ऑँखों में संक्रमण हो सकता है।

  • काजल बच्चे को बुरी नजर से बचाने में मदद करता है?

यह विशुद्ध रूप से एक आध्यात्मिक/पारंपरिक विश्वास है और इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।

  • काजल, शिशु की आँखों की बनावट को ठीक करने में मदद करता है

नहीं, यह सच नहीं है अगर यह सच होता तो डॉक्टर मरीजों को इसका सुझाव देते। काजल का बच्चे की आँख की बनावट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

आप जो कुछ भी करने का निर्णय लेती हैं, इसमें आपके बच्चे की देखभाल करते समय स्वच्छता सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। याद रखें कि आपके बच्चे की आँखें प्राकृतिक रूप से सुंदर होती हैं और काजल लगाने से ऑँखों को नुकसान पहुँच सकता है। जब बात आपके लाडले की ऑँखों की हो तो खतरा न लेना ही बेहतर है।