शिशु

शिशु को नहलाना – प्रक्रिया, सुझाव व अन्य तथ्य

शिशु की त्वचा बहुत नर्म और कोमल होती है जो बहुत सारे बाहरी प्रदूषकों और बैक्टीरिया के प्रति संवेदनशील होती है। बाहरी बैक्टीरिया हवा, भोजन या उन उत्पादों में हो सकते हैं जो हम बच्चे के लिए इस्तेमाल करते हैं, जैसे गीले वाइप्स या साबुन और मॉइस्चराइज़र। इसलिए उन महत्वपूर्ण तत्वों को समझना महत्वपूर्ण है जो एक बच्चे को नहलानेधुलाने या साफ करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, खासकर जब साबुन, एंटीबैक्टीरियल वाइप्स और शैंपू जैसे स्वच्छता संबंधी उत्पादों की बात आती है।

आपके बच्चे के लिए स्नान का महत्व

बच्चे को स्नान कराना शुरू करने से पहले, उसके महत्व को समझना आवश्यक है, उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली बेहद कमजोर होती है। इसका मतलब है कि बच्चे की त्वचा बहुत संवेदनशील है और उसके शरीर पर धीरेधीरे जमा होने वाले अधिकांश कीटाणुओं का मुकाबला करने के लिए उसमें एंटीबॉडी मौजूद नहीं हैं। स्नान न केवल त्वचा के ऊपर से अस्वास्थ्यकर बैक्टीरिया को दूर करने में मदद करता है, बल्कि त्वचा के छिद्रों से गंदगी को बाहर निकालने में भी मदद करता है ताकि बच्चा पसीने के ज़रिए अंदर की अशुद्धियों को बाहर निकाल सके। मातापिता के लिए यह जाँचने का एक अवसर भी है जब वे जाँच कर सकते हैं कि बच्चे की त्वचा पर कोई निशान, खरोंच, चकत्ते या फफोले तो नहीं हैं।

याद रखें कि एक बच्चे की त्वचा बहुत नर्म होती है, बड़ों द्वारा त्वचा पर इस्तेमाल किए जाने वाले उत्पाद बच्चे को नुकसान पहुँचा सकते हैं। हम आपके बच्चे को केवल उन शिशु उत्पादों से नहलाने की सलाह देते हैं जो त्वचा को मुलायम और पोषित रखने के लिए विशेष रूप से निर्मित किए गए हैं।

कितनी बार आपको अपने बच्चे को नहलाना चाहिए?

ज़्यादातर मातापिता अस्पताल से छुट्टी पाने के बाद ही बच्चे को हर रोज़ नहलाते हैं, इसकी बिलकुल ज़रूरत नहीं है। एक नवजात शिशु बहुत कम विषाक्त पदार्थों के संपर्क में रहता है क्योंकि उसे सुरक्षात्मक वातावरण में रखा जाता है। वह अभी तक ठोस भोजन का सेवन नहीं करता है और न ही उसका शरीर नियमित रूप से गंदी सतहों के संपर्क में रहता है। इसलिए, अनुशंसा की जाती है कि नवजात शिशु को सप्ताह में केवल तीन बार स्नान कराया जाना चाहिए।

एक बार जब बच्चा ठोस खाद्य पदार्थ खाना शुरू कर देता है और घुटनों के बल चलने लगता है, तो आप उसे धीरेधीरे सप्ताह में और अधिक बार स्नान करा सकती हैं। जो बच्चा घुटनों के बल चलता है और ठोस खाद्य पदार्थ खाता है, उसे कीटाणुओं से लड़ने के लिए दैनिक रूप से स्नान कराना चाहिए, जिससे वह संक्रमणों से लड़ सके। सुनिश्चित करें कि आप दैनिक आधार पर स्नान का समय बढ़ाते जाएं क्योंकि इससे शिशु की त्वचा स्नान की आवृति के अनुकूल होती जाती है।

आपको अपने बच्चे को कहाँ नहलाना चाहिए?

आप अपने बच्चे को किस स्थान पर नहलाएं, यह बहुत महत्वपूर्ण है। याद रखें कि बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत ही नाजुक होती है। यदि आप ठंडे क्षेत्र में रहते हैं, तो बच्चे को एक टब में अपने बेडरूम या किसी ऐसे कमरे में स्नान कराएं जो गर्म हो। यदि आप एक गर्म क्षेत्र में हैं, तो कमरे में पानी के तापमान की जाँच करना ज़रूर करें। स्नान करने का स्थान किस प्रकार का स्नान कराया जा रहा है, उसपर भी काफी हद तक निर्भर करता है।

यदि आप अपने बेडरूम में बच्चे को नहला रही हैं, तो कमरे को पहले से गर्म करना सुनिश्चित करें। स्नान से पहले टब के नीचे एक ऐसा मैट बिछाएं जो फिसलने से रोके। स्नान शरीर के तापमान को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है; यदि आप ठंडे क्षेत्रों में रहती हैं तो उसे हल्के गर्म पानी से नहलाएं और अगर मौसम गर्म है तो पानी को हल्का ठंडा रखें।

कभी भी बच्चे को अत्यधिक गर्म या ठंडे तापमान के पानी से स्नान न कराएं। ध्यान रखें कि आपके लिए जो हल्का गर्म है, वह बच्चे के लिए अत्यधिक गर्म हो सकता है, और जो आपको आरामदायक ठंडक वाला पानी लग रहा है वह उसकी संवेदनशील त्वचा की वजह से उसको बहुत ठंडा लग सकता है, मौसम और बच्चे की आवश्यकताओं के अनुसार पानी के तापमान को बदलें।

अपने बच्चे को स्नान कब कराना चाहिए?

जो समय आप बच्चे के स्नान के लिए चुनते हैं, वह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि स्नान है। स्नान के समय के संबंध में कुछ सामान्य नियम हैं:

  • यदि वह भूखे हैं तो उन्हें स्नान न कराएं।
  • यदि उन्हें बुखार है, तो उन्हें स्नान न कराएं ।
  • यदि उन्हें त्वचा संबंधी समस्या है, तो उन्हें स्नान कराने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें ।

इसके अलावा, यहाँ कुछ बातों पर विचार किया जाना चाहिए, जब बच्चे के लिए स्नान का समय निर्धारित किया जाता है :

  • शाम का स्नान आपके बच्चे को सोने के लिए तैयार करने का एक मज़ेदार और आराम देने का तरीका हो सकता है। शाम का स्नान दिन भर त्वचा के संपर्क में आए बैक्टीरिया को हटाने में भी मदद करता है ।
  • भोर में स्नान कराना एक कामकाजी मातापिता का सबसे अच्छा दोस्त हो सकता है। काम पर जाने से पहले मातापिता बच्चे को स्नान कराते समय उसके साथ हँसखेल सकते हैं और बच्चे को ऊर्जा से भर देते हैं।
  • दोपहर का स्नान बच्चे के शरीर के तापमान को ठंडा करने के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होता है जब दिन की गर्मी अपने चरम पर होती है ।
  • यह अनुशंसा की जाती है कि आप अंधेरे के बाद बच्चे को स्नान न कराएं क्योंकि इससे बीमारियाँ होने का खतरा रहता है।

इसे ध्यान में रखते हुए, अपने बच्चे और अपनी आवश्यकताओं के अनुसार बच्चे के स्नान का समय निर्धारित करें।

किस प्रकार का क्लीन्ज़र या साबुन का उपयोग किया जाना चाहिए?

साबुन चुनते समय विचार करने योग्य महत्वपूर्ण पहलू है “पी.एच संतुलन”। थोड़ा अम्लीय या तटस्थ पी.एच संतुलन आधारित तरल साबुन को सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि यह बच्चे की नाज़ुक त्वचा के सुरक्षात्मक बचाव को नुकसान नहीं पहुँचाता है , जिसमें त्वचा की नमी मौजूद होती है। वयस्क जिन क्षारीय साबुन का उपयोग करते हैं, उन्हें बच्चे की त्वचा के लिए बहुत तीव्र माना जाता है और इससे उनकी त्वचा सूख सकती है और उसमें चकत्ते पड़ सकते हैं।

यह भी अनुशंसा की जाती है कि आप तरल स्नान साबुन का उपयोग करें क्योंकि उनमें बच्चे के अनुकूल मॉइस्चराइज़र होता है जो आपके बच्चे की त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। अपने बच्चे की स्नान संबंधी जरूरतों के बारे में समझने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें ।

शिशुओं को नहलाने के विभिन्न प्रकार

आप अपने बच्चे को कई तरह से नहला सकते हैं, इनमें शामिल हैं:

१. बाथ सीट या बाथर का उपयोग करना

बाथ सीट या बाथर की मदद से हर समय बच्चे की अच्छी पकड़ बनी रहे यह सुनिश्चित करने के लिए इसका उपयोग बेहतर होगा आप नेट वाले बाथर या बाथ सीट का उपयोग कर सकती हैं। यह बच्चे को थोड़ा उठाकर रखते हैं, ताकि वह अपने नहाने के पानी में बैठ जाए। यह उपयोगी है क्योंकि पानी एक कोण पर बच्चे के ऊपर से प्रवाहित होते हुए धीरे से टब के नीचे बहकर बाहर निकल जाता है।

२. पारंपरिक स्नान

यह शायद आपके बच्चे के लिए सबसे आरामदायक है। यह उसे आश्वस्त करता है कि वह सुरक्षित है क्योंकि इस स्नान में आपको बाथरूम के फर्श पर बैठना होगा, उसे आपके सहारे टेक लगा कर बैठाना होगा उसके पैर सामने की ओर होंगे और धीरेधीरे उसके ऊपर पानी बहता रहेगा। लेकिन इसमें एक दुविधा भी है, क्योंकि बच्चे को नहलाते हुए आप भी भीगेंगे और आप पर भी साबुन लगेगा।

३. टब में स्नान

टब में स्नान कराना शायद आपके बच्चे को स्नान कराने का सबसे मज़ेदार तरीका है। यह मातापिता और बच्चे के बीच अनूठे संबंध को और दृढ़ करने वाला अनुभव भी हो सकता है।

बाथ टब में अपने बच्चे को कैसे नहलाएं

  • नहलाने के लिए आवश्यक सभी सामग्री को अपने पास रखें जिससे एक हाथ हमेशा बच्चे पर रखते हुए सरलता से साबुन आदि उठाया जा सके।
  • टब को गर्म पानी से भरें, शिशु बुरी तरह से जल सकते हैं, अगर उन्हें 32 डिग्री से अधिक तापमान के पानी में 30 सेकन्ड से अधिक समय के लिए रखा जाए।
  • बच्चे को टब के पास लाकर उसके कपड़े निकालें और उसकी बाज़ू को पकड़े रखते हुए, धीरे से उसके पैरों को सबसे पहले पानी में डालें।
  • अब बहुत कम साबुन इस्तेमाल करते हुए, हल्के हाथ से उस पर साबुन लगाकर मलें। उस पर से साबुन हटाने के लिए मग से पानी डालें या हैंडशॉवर का उपयोग करें।
  • धीरे से उसे पोंछें और उसे तौलिया में लपेटें, सुनिश्चित करें कि तौलिये में एक कोने पर मुड़ा हुआ कपड़ा होना चाहिए जो टोपी जैसा बना हो, इससे उसके कान और सिर में गर्माहट बनी रहती है।

बाथ टब में नहलाते समय इन बातों का ख्याल रखें

अपने बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह उपाय करना ज़रूरी है :

  • हमेशा बच्चे के चारों ओर एक हाथ रखें।
  • तापमान की जाँच दो बार करें, 32 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान के पानी में बच्चे को रखने से उसे गंभीर थर्डडिग्री बर्न हो सकता है ।
  • बहुत अधिक साबुन का उपयोग न करें, इससे उसकी त्वचा सूख सकती है और चकत्ते भी पड़ सकते हैं।
  • 5 मिनट से अधिक समय तक उसे स्नान न कराएं, बहुत ज़्यादा समय बच्चे को स्नान कराने से वे थक सकते हैं।
  • स्नान के दौरान कभी भी कमरे से बाहर न निकलें या शिशु से ध्यान न हटाएं।

४. स्पंज स्नान

पहले कुछ हफ्तों में, अपने बच्चे को स्पंज स्नान देना आसान होगा। इसमें आपके बच्चे को पोंछने के लिए एक गर्म और नम स्पंज या रूई उपयोग कर सकती हैं। यहाँ कुछ चीजें बताई गई हैं जो आपको इस तरह से स्नान कराने के दौरान ध्यान में रखनी चाहिए।

  • सुनिश्चित करें कि कमरा गर्म हो और एक कटोरे में गर्म पानी लें ।
  • बच्चे के नीचे एक सूखा तौलिया बिछा लें ताकि आप स्नान के तुरंत बाद बच्चे को पोंछ सकें।
  • बच्चे की आँख को धीरे से पोंछते हुए शुरू करें।
  • सुनिश्चित करें कि आप कानों के अंदर गहराई से सफाई न करें क्योंकि आप बच्चे के कानों को नुकसान पहुँचा सकती हैं। इसके बजाय ध्यान से कानों को और उनके पीछे साफ करें।
  • अपने नवजात शिशु की त्वचा की सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार किए गए क्लीन्ज़र और वाइप्स का उपयोग करें।
  • बच्चे को नहलाने के बाद, उसे सावधानी से थपथपा कर पोछें और जहाँ पर क्रीज़ पड़ती है वहाँ विशेष ध्यान दें। आप त्वचा पर एक हल्के मॉइस्चराइज़र का उपयोग कर सकती हैं या उसे गर्म रखने के लिए कपड़े में लपेट सकती हैं।

आपको अपने बच्चे के स्नान के लिए किन चीज़ों की आवश्यकता है

अपने बच्चे के स्नान के लिए आपको निम्नलिखित चीज़ों की आवश्यकता है :

  • आपको एक उचित आकार के टब की आवश्यकता होगी, प्लास्टिक टब का उपयोग करें क्योंकि इसमें कोई तेज़ धार वाले किनारे नहीं होते हैं ।
  • विशेष रूप से शिशुओं के लिए बनाया गया एक हल्का क्लीन्ज़र।
  • पानी को शरीर पर फैलाने के लिए नर्म स्पंज।
  • अपने बच्चे की आँखों को साफ करने के लिए साफ कॉटन के पैड।
  • अपने बच्चे को धीरे से पोंछने के लिए नर्म तौलिया।

शिशु के चेहरे को कब और कैसे धोना चाहिए

नहाने से ठीक पहले अपने बच्चे का चेहरा धोएं, गर्म पानी में एक स्पंज या रूई डुबोएं और धीरे से चेहरे को पोंछ लें। सुनिश्चित करें कि पानी शिशु की त्वचा के लिए बहुत गर्म नहीं होना चाहिए और धीरे से उसकी आँखों को पोंछ दें। इसके अलावा, बच्चे के कानों के पीछे और कानों के बाहरी हिस्से को पोंछें, कान के मैल को साफ़ करने के लिए अपनी उंगलियों या रूई का उपयोग न करें क्योंकि इससे ईयरड्रम में बाधा या क्षति हो सकती है। आँखों या नथुनों के पास किसी भी सूखे श्लेम को धोने से पहले, इसे नर्म करने के लिए इसे गीली रूई से भिगा दें।

बच्चे के चेहरे को साफ करने के लिए, आपको किसी साबुन या क्लीन्ज़र की ज़रूरत नहीं है।

बच्चे को नहलाने की पद्धतिइस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदम

बच्चे को सही तरीके से कैसे नहलाया जाए :

  • टब को गर्म पानी से कुछ इंच तक भरें, यदि आपके पास थर्मामीटर है तो आप उसका इस्तेमाल करके सुनिश्चित करें कि पानी 90 और 100 डिग्री फ़ारेनहाइट के बीच हो। अपनी कलाई के अंदरूनी हिस्से पर पानी डाल कर उसके तापमान की जाँच करें।
  • अपने बच्चे के सिर और गर्दन को सहारा दें और धीरे से उसे टब में रखें। एक हाथ से उसे लगातार सहारा देती रहें ।

  • अपने बच्चे की आँखों को साफ करने के लिए नर्म रूई के पैड का इस्तेमाल करें। उन्हें पानी में नर्म करें और धीरे से बाहर की ओर पोंछें, दोनों आँखों के लिए अलगअलग पैड का इस्तेमाल करें। उसके मुंह, नाक, चेहरे, गर्दन और कान को साफ करने के लिए नरम स्पंज का उपयोग करें।
  • शिशुओं के लिए बने सौम्य क्लींजर का उपयोग करें और स्पंज से शरीर के बाकी हिस्सों को धीरे से साफ करें।
  • डायपर पहनाए जाने वाले क्षेत्र को अंत में आगे से शुरू करते हुए पीछे तक धोएं। अगर बच्चे का खतना नहीं किया गया है तो उसके जननांग के ऊपरी क्षेत्र को पीछे न खींचे।
  • सभी शिशुओं को पानी में रहने में मज़ा आता है, सुनिश्चित करें कि आप उसके शरीर पर पानी डालते रहें जिससे वह गर्म रह सके।
  • अपने बच्चे के सिर और गर्दन को सहारा देते हुए उसे टब से धीरे से निकालें और जल्दी से उसे तौलिये में लपेटें।
  • अपने बच्चे की त्वचा को अच्छी तरह से साफ करने के लिए एक नर्म तौलिया का उपयोग करें। सभी क्रीज़ों को साफ करना न भूलें और हमेशा थपथपा कर सुखाएं।
  • नमी बनाए रखने के लिए बेबी मॉइस्चराइज़र का उपयोग करें क्योंकि बच्चों की त्वचा नाज़ुक होती है और बहुत जल्दी ही सूख जाती है।

सुरक्षित तरीके से शिशु को स्नान कराने के लिए सावधानी बरतें

  • अपने शिशु को पानी में एक सेकंड के लिए भी अकेले न छोड़ें। यदि आपको कुछ ज़रूरी काम है, तो बच्चे को पानी से निकालें और उसे अपने साथ ले जाएं।
  • जब आपका बच्चा टब में हो तो पानी की धार चालू न रखें। तापमान में परिवर्तन अचानक और अप्रत्याशित हो सकता है।
  • आपके वॉटर हीटर पर तापमान सेटिंग्स को 120 डिग्री फ़ारेनहाइट से कम पर रखें।

शिशु को स्नान कराने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव

  • स्नान के समय को निर्धारित करते समय इस बात को ध्यान में रखें कि आपका बच्चा सम्भवतः गर्म पानी से नहाने के बाद सो जाएगा।
  • केवल वही साफ करें जहाँ आप देख सकते हैं, कान की नली या नाक के अंदर साफ करने की कोशिश न करें।
  • बच्चे को जहाँ पर आप नहला रहे हों, वहाँ पर फिसलन से बचने के लिए नॉनस्किड मैट का इस्तेमाल करें। इससे दुर्घटना होने से बचा जा सकता है ।
  • अपने शिशु को पानी में अकेला न छोड़ें।

निष्कर्ष : स्नान कराने से पहले अपने बच्चे की जरूरतों को समझना महत्वपूर्ण है, हम बच्चे को स्नान कराते समय विशेष रूप से शिशुओं के लिए तैयार किए गए शिशु स्वच्छता उत्पादों के इस्तेमाल की अनुशंसा करते हैं। अपने बच्चे को तैयार करते समय घाव, छाला या चकत्ते पर ध्यान देना ज़रूरी है, यदि आप ऐसा कुछ देखती हैं तो जल्द से जल्द एक विशेषज्ञ से परामर्श करें। नहलाते समय ऑर्गैनिक साबुन और शैंपू इस्तेमाल करें और सामान्य उपयोग के लिए ऑर्गैनिक मॉइस्चराइज़र और वाइप्स का प्रयोग करें।

सुरक्षा कटियार

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