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सिस्टिक फाइब्रोसिस के कारण शिशुओं और बच्चों में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यहाँ पर सिस्टिक फाइब्रोसिस के कारण, लक्षण और इलाज का विवरण दिया गया है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस सिक्रेटरी ग्लैंड्स की एक बीमारी है, जो कि आपके बच्चे के फेफड़ों, पाचन तंत्र और अन्य अंगों को प्रभावित कर सकती है। यह आजीवन रहने वाली एक स्थिति है, जो कि बच्चे के बलगम, लार, पसीना और आँसू को इतना गाढ़ा और चिपचिपा बना देती है, कि उसके डाइजेस्टिव सिस्टम और फेफड़ों को जाम कर सकते हैं। सिस्टिक फाइब्रोसिस एक जेनेटिक बीमारी है, जिससे जीवन को खतरा हो सकता है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस एक वंशानुगत बीमारी है, जो कि डीएनए या जींस में म्यूटेशन या बदलाव के कारण होती है। बच्चे को माता और पिता, दोनों से जींस का एक जोड़ा मिलता है और ये जीन्स, इंस्ट्रक्शन्स का स्टोर हाउस होते हैं, जिनके अनुसार हमारा शरीर बढ़ता है और काम करता है। कभी-कभी जींस में इंस्ट्रक्शन बदल जाते हैं और ये बदलाव पेरेंट्स से होते हुए बच्चे तक पहुँच जाते हैं। जींस के ये बदलाव बच्चे में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां और जन्मजात समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
अगर जीन्स के बदलाव केवल एक पेरेंट से मिले, तो बच्चा सिस्टिक फाइब्रोसिस का केवल वाहक बन जाता है और उसे यह बीमारी नहीं होती है। लेकिन वाहक अपने बच्चों में इस जीन को ट्रांसफर कर सकता है। वहीं अगर जीन्स के ये बदलाव दोनों पेरेंट से ट्रांसफर हों, तो बच्चे को सिस्टिक फाइब्रोसिस हो सकता है। सिस्टिक फाइब्रोसिस परिवारों में होता है और इसलिए यह संक्रमण मुख्य रूप से एक वंशानुगत बीमारी होती है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस के संकेत और लक्षण सभी बच्चों में अलग-अलग हो सकते हैं और इनका पता कम उम्र से ही चल जाता है। सिस्टिक फाइब्रोसिस के कुछ लक्षण नीचे दिए गए हैं, जिन्हें आप अपने बच्चे में देख सकते हैं:
सिस्टिक फाइब्रोसिस की जांच किसी भी उम्र में की जा सकती है। हालांकि, इसके अधिकतर मामले जन्म के तुरंत बाद या जन्म के बाद के 2 वर्षों के अंदर सामने आ जाते हैं। अगर सिस्टिक फाइब्रोसिस का शक हो, तो डॉक्टर जेनेटिक टेस्ट या पसीने के टेस्ट की सलाह देंगे। पसीने की जांच, सिस्टिक फाइब्रोसिस की जांच करने का एक तेज, दर्द रहित और आमतौर पर इस्तेमाल होने वाला टेस्ट है। इस जांच में त्वचा (आमतौर पर बाँह) पर छोटी डिस्क (इलेक्ट्रोड) को रखकर पसीने की ग्रंथियों को ट्रिगर किया जाता है। पसीने के सैंपल को इकट्ठा करके उसमें क्लोराइड की मात्रा की जांच की जाती है। अगर पसीने में क्लोराइड की मात्रा अधिक हो, तो यह सिस्टिक फाइब्रोसिस का संकेत देता है।
क्लोराइड का बॉर्डरलाइन लेवल – हाई
आयु | क्लोराइड का नॉर्मल लेवल | क्लोराइड का लेवल | |
हाई क्लोराइड 6 महीने | > 30 मिलीमोल्स/ली | 30-59 मिलीमोल्स/ली | < 60 मिलीमोल्स/ली या इससे अधिक |
6 महीने से ऊपर के बच्चे | >40 मिलीमोल्स/ली | 40-59 मिलीमोल्स/ली | <60 मिलीमोल्स/ली या इससे अधिक |
* मिलीमोल्स/ली कंसंट्रेशन के माप को दर्शाता है और क्लोराइड का बॉर्डरलाइन लेवल हर मामले में भिन्न होता है।
स्वेट टेस्ट के अलावा डॉक्टर छाती का एक्सरे, फेफड़े का फंक्शन टेस्ट, साइनस का एक्सरे और एक स्पटम कल्चर टेस्ट करने की सलाह भी दे सकते हैं।
नीचे कुछ कॉम्प्लिकेशंस दिए गए हैं, जो कि सिस्टिक फाइब्रोसिस के कारण हो सकते हैं:
सिस्टिक फाइब्रोसिस से प्रभावित बच्चे को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। हर बच्चे में सिस्टिक फाइब्रोसिस का इलाज अलग होता है और यह मुख्य रूप से वंशानुगत परिस्थितियों के कारण होने वाली समस्या के प्रकार और बच्चे का शरीर उससे कैसे निपट रहा है, इसपर निर्भर करता है। डॉक्टर दवाओं, न्यूट्रीशनल और रेस्पिरेट्री थेरेपी के साथ अन्य विशेष केयर की सलाह देते हैं। बच्चों में सिस्टिक फाइब्रोसिस के लिए नीचे दिए गए इलाज कारगर हो सकते हैं:
हालांकि, सिस्टिक फाइब्रोसिस का सबसे असरदार इलाज अस्पतालों में उचित मेडिकल देखरेख में होता है, फिर भी कुछ घरेलू दवाएं इस बीमारी को सही तरह से मैनेज करने में मदद कर सकती हैं। ऐसी कुछ होम रेमेडीज जो इस बीमारी में कारगर हो सकती हैं, वे इस प्रकार है:
इसके अलावा आप घर पर अपने बच्चे को कई तरह की एक्टिविटी और एक्सरसाइज में शामिल कर सकते हैं। जिससे उसका लंग फंक्शन बेहतर होगा। सांस की समस्याओं से बचने के लिए घर को धूल और एलर्जेन फ्री रखें और अपने बच्चे को हेल्दी खाना खिलाएं।
बच्चे को किसी तरह की हर्ब्स या होम रेमेडीज देने से पहले मेडिकल परामर्श लेना बहुत जरूरी है, क्योंकि सभी हर्ब सभी बच्चों को सूट नहीं करती हैं।
शिशुओं और छोटे बच्चों में सिस्टिक फाइब्रोसिस के कारण सांस लेने में परेशानी हो सकती है। अगर आपके बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो रही है, तो उसे आसानी से सांस लेने में, नीचे दिए गए कुछ टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं:
सिस्टिक फाइब्रोसिस एक घातक बीमारी है। हालांकि पिछले कुछ दशकों में सिस्टिक फाइब्रोसिस से ग्रस्त बच्चों के जीवन की उम्मीद काफी बढ़ी है। सिस्टिक फाइब्रोसिस से ग्रस्त बच्चे 30, 40 या कुछ मामलों में 50 वर्ष तक भी जीवित रह सकते हैं।
हालांकि, सिस्टिक फाइब्रोसिस को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, पर इलाज के विभिन्न विकल्प बीमारी के लक्षणों को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं। यह बहुत जरूरी है, कि आप अपने बच्चे की स्थिति को समझें और इसके लिए उपलब्ध इलाज के विभिन्न विकल्पों के बारे में जानें। किसी भी कॉम्प्लिकेशन से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह का पालन करने की सख्त सलाह दी जाती है।
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