शिशु

शिशुओं के लिए सौंफ – लाभ, सावधानियां और व्यंजन

कई बार आपने सुना होगा कि माताएं शिशुओं की पाचन संबंधी कुछ समस्याओं के इलाज के लिए या उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए  सौंफ के तेल का उपयोग करती हैं। सौंफ के लाभ जग जाहिर हैं, यह एक लोकप्रिय औषधि के रूप उपयोग किया जाता आ रहा है। लेकिन शिशुओं के लिए इसका उपयोग करने में अभी भी कई माता-पिता संकोच करते हैं क्योंकि आमतौर पर उनकी आशंका होती है कि क्या सौंफ वास्तव में बच्चों के लिए सुरक्षित है।

क्या सौंफ बच्चों के लिए सुरक्षित है?

हाँ, बच्चों को सौंफ देना सुरक्षित है पर तब तक जब तक उसकी मात्रा नियंत्रित है। आमतौर पर शिशुओं को सौंफ का पानी बनाकर देना सबसे अच्छा तरीका है, लेकिन इसके अलावा अन्य तरीके भी हैं। एक शिशु को सीधे सौंफ के बीज देने की सलाह नहीं दी जाती है।

सौंफ का न्यूट्रिशनल वैल्यू

सौंफ के बीज के पोषण संबंधी लाभ काफी व्यापक हैं। यहाँ बताया गया है 100 ग्राम सौंफ में पाए गए पोषक तत्वों के बारे में।

पोषक तत्‍व मात्रा
विटामिन ए 136 आईयू
विटामिन बी6 0.5 मिग्रा
नियासिन 6 मिग्रा
राइबोफ्लेविन 0.35 मिग्रा
थियामिन 0.4 मिग्रा
विटामिन सी 21.5 मिग्रा
जिंक 3.5 मिग्रा
सोडियम 87 मिग्रा
पोटैशियम 1.7 ग्रा
फास्फोरस 490 मिग्रा
मैग्नीशियम 390 मिग्रा
लोहा 18.5 मिग्रा
कैल्शियम 1.2 ग्राम
रेशा 40 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट 52 ग्राम
लिपिड 15 ग्राम
प्रोटीन 16 ग्राम
ऊर्जा 346 किलो कैलोरी
पानी 9 ग्राम

बच्चों के लिए सौंफ के स्वास्थ्य लाभ

कई अन्य लाभों के साथ साथ आपने शिशुओं के लिए सौंफ की चाय के लाभ के बारे में भी सुना होगा। सामान्य तौर पर सौंफ कई प्रकार से शिशुओं को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।

1. रोगाणुओं से सुरक्षा

शिशुओं में विभिन्न बैक्टीरिया और फंगस से हमेशा संक्रमण का खतरा होता है। सौंफ के बीजों को विभिन्न रोगाणुनिरोधक गुणों के लिए जाना जाता है। यह कई रोगजनकों से सुरक्षा प्रदान करते हैं और शिशुओं को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।

2. श्वांस संबंधी बीमारियों में लाभ

शिशुओं के लिए, जो लगातार श्वांस की बीमारियों और ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, लगातार खांसी जैसे रोगों से पीड़ित हैं, सौंफ के बीज एक वरदान हैं। ज्यादातर, बच्चों के लिए सौंफ के पौधे की पत्तियों का रस का उपयोग किया जाता है। ऐसे मामलों में सौंफ की चाय भी समान प्रभाव प्रदान करती है।

3. कब्ज से राहत

कई शिशुओं में कब्ज की समस्या बनी रहती है, जिससे उन्हें बहुत सारी समस्याएं और चिड़चिड़ाहट होती है। यह बोतल से दूध पीने वाले बच्चों में भी देखा जाता है। संक्रामक जीवाणुओं के फैलने से आंतों में अच्छे जीवाणुओं के पनपने की कोई जगह नहीं बचती है, जिससे बच्चों में पाचन संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं। चूंकि सौंफ एक प्राकृतिक रेचक औषधि है, इसलिए सौंफ वाली चाय आपके शिशु को मल त्याग करने के लिए प्रोत्साहित करती है और आंत को आसानी से साफ करने में भी सहायता करती है।

4. पाचन तंत्र के विकार का इलाज

अगर बच्चा लगातार हवा छोड़ता है तथा पेट फूला फूला सा लगता है, जो संकेत है कि उसका पाचन तंत्र सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। किसी भी दवा को देने के बजाय अपने बच्चे को पानी में सौंफ को उबालकर, फिर ठंडा होने पर छानकर दें। इसके प्रभाव फौरन दिखते हैं तथा यह काफी प्रभावी भी है।

5. कोलिक या उदरशूल का इलाज

पेट में गैस के मौजूद रहने पर बच्चे के पेट में ऐंठन शुरू हो सकती है जो काफी दर्दनाक होती है। जब शिशु को अधोवायु छोड़ने में परेशानी होती है या वह इतना छोटा है कि वह हवा नहीं छोड़ सकता, तो वह अनियंत्रित रूप से रोना शुरू कर देता है। ऐसी स्थिति में, सौंफ का पानी या सौंफ का तेल इस तरह के पेट दर्द की समस्याओं को कम करने में काफी प्रभावी होता है।

6. अप्रत्यक्ष लाभ तथा माँ के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि

वे माताएं जो अपने बच्चों को सीधे सौंफ देनें के लिए शंका में हैं, वे सौंफ का लाभ प्रदान करने के लिए स्वयं सौंफ की चाय पीकर या खुद सौंफ के बीज या तेल का सेवन करके अपने बच्चे के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य कर सकती हैं। ऐसे में बच्चा, माँ के दूध से सीधे सर्वोत्तम लाभ प्राप्त करेगा। इसके अलावा, सौंफ स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी लाभकारी है। यह दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करता है।

बच्चों को सौंफ की चाय देते समय बरती जाने वाली सावधानियां

वैसे तो शिशुओं के लिए सौंफ की चाय फायदेमंद है, लेकिन कुछ सावधानियां यहाँ बताई जारही हैं जो आपको निश्चित रूप से बच्चे को किसी भी दुष्प्रभाव से बचने के लिए बरतनी चाहिए।

1. एलर्जी की जाँच करें

किसी भी नए खाद्य पदार्थ को बच्चों को देने से पहले उसके प्रति एलर्जी की जांच करना महत्वपूर्ण है। उसी प्रकार सौंफ को भी अपने बच्चे को देने से पहले उसकी जांच जरुरी है। पहले थोड़ी मात्रा में शुरुआत करें, और कुछ दिनों तक उसकी त्वचा में चकत्ते या किसी प्रकार के रैशेस जैसे एलर्जी के लक्षणों की जाँच करें। यदि सब ठीक लगता है, तो आप अपने बच्चे को चाय या तेल के रूप में सौंफ देना जारी रख सकते हैं।

2. सौंफ को अच्छी तरह से तैयार करें

सौंफ का पानी तैयार करने के लिए पानी में सौफ को धीमी आंच में उबालना आवश्यक है, लेकिन। तेज आंच पर उबालने से बीजों के भीतर के एंटीऑक्सीडेंट वाष्पीकृत हो सकते हैं। इसलिए कम आंच पर पानी को धीरे-धीरे उबलने दें।

3. बच्चों को कभी भी सौंफ साबुत न दें

वैसे बच्चे को साबुत सौंफ देने से कोई प्रत्यक्ष नुकसान नहीं है, परंतु संभावना है कि निगलते समय बच्चे की श्वास रुक सकती है। इसलिए, बच्चे को हमेशा सौंफ का पानी या चाय तैयार कर के ही दें। और हाँ, सौंफ को तैयार करने की प्रक्रिया में उसे अच्छे से कूट लेने की सलाह दी जाती है।

बच्चों के लिए सौंफ की रेसिपी

यहाँ हम आपको कुछ ऐसे रेसिपीज बताने जा रहे हैं जो सुनिश्चित करता है कि आपके बच्चे को सौंफ का सर्वोत्तम लाभ मिले, यह रेसिपीज शिशुओं के लिए फायदेमंद है।

1. सौंफ की चाय

सौंफ की चाय बच्चे के कब्ज को ठीके करने के साथ साथ कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान कर सकती है। आइए, जाने रेसिपी:

सामग्री

  • कूटे हुए सौंफ के बीज
  • शहद
  • पानी

प्रक्रिया

यहाँ पर बच्चों के लिए सौंफ की चाय बनाने का सही तरीका बताया गया है।

  • एक कप पानी लें और इसे अच्छे से उबालें।
  • अब एक कटोरी में एक छोटा चम्मच कूटा हुआ सौंफ लें और उबला हुआ पानी उसपर डालें। लगभग 10 मिनट के लिए इस मिश्रण को छोड़ दें।
  • फिर इसे छान लें और स्वाद के लिए थोड़ा शहद मिलाएं।

2. सौंफ का पानी

बच्चों में पेट दर्द की समस्या के निदान के लिए सौंफ का पानी देने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह तुरंत दर्द से राहत दे दिलाता है। सौंफ का पानी तैयार करना काफी आसान है। आपको बस गर्म पानी में कुछ सौंफ के बीज रातभर भिगो कर रखना है और बस हो गया तैयार। वैसे सौंफ का तैयार पानी बाजारों में भी उपलब्ध है लेकिन हम घर का बना ही बच्चे को देने की सलाह देते हैं।

सौंफ की चाय, पानी या तेल से साथ नवजात शिशुओं के कई विकारों को दूर कर सकती है और एक बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर कर सकती है। अपने शिशु के लिए किसी भी प्रकार के प्राकृतिक उपचार को शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह लेना बहुत आवश्यक है।

जया कुमारी

Recent Posts

भूकंप पर निबंध (Essay On Earthquake In Hindi)

भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, जिसमें धरती अचानक से हिलने लगती है। यह तब होता…

1 day ago

Raising Left-Handed Child in Right-Handed World – दाएं हाथ वाली दुनिया में बाएं हाथ वाला बच्चा बड़ा करना

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है, उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू उभरने लगते हैं। या…

1 day ago

माता पिता पर कविता l Poems For Parents In Hindi

भगवान के अलावा हमारे जीवन में किसी दूसरे वयक्ति को अगर सबसे ऊंचा दर्जा मिला…

2 days ago

पत्नी के लिए प्यार से बुलाने वाले नाम l Nicknames For Wife In Hindi

शादी के बाद प्यार बनाए रखना किसी भी रिश्ते की सबसे खूबसूरत बात होती है।…

2 days ago

पति के लिए प्यार से बुलाने वाले नाम l Nicknames For Husband In Hindi

शादी के बाद रिश्तों में प्यार और अपनापन बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। पति-पत्नी…

2 days ago

करण नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Karan Name Meaning In Hindi

ऐसे कई माता-पिता होते हैं जो अपने बच्चे का नाम इतिहास के वीर महापुरुषों के…

6 days ago