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जब शिशु की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने की बात आती हैं, तो माँ का दूध ही सर्वोत्तम हैं। डॉक्टर आमतौर पर शिशुओं को एक वर्ष की आयु का होने तक सोया दूध देने की सलाह नहीं देते हैं। हालांकि, जब आप बच्चे को स्तनपान के अलावा कोई और दूध देना चाहती हैं या फिर आपके बच्चे को लैक्टोस इन्टॉलरेंस है तो सोया दूध एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
साथ ही यहाँ पर, सोया दूध और सोया आधारित फार्मूला दूध के बीच के अंतर को जानना भी महत्वपूर्ण है। सोया के फार्मूले को विशेष रूप से शिशु के स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करने के लिए तैयार किया जा सकता है, जबकि आमतौर पर सामान्य रूप से मिलने वाले सोया दूध में पोषक तत्व कम होते हैं।
किसी भी अवस्था में, शिशु को सोया दूध कम मात्रा में ही देने की सलाह दी जाती हैं क्योंकि सोया दूध से एलर्जी जैसी प्रतिक्रियाएं भी हो सकती हैं।
सोया दूध क्या है?
सोया दूध एक उच्च प्रोटीन वनस्पति से बना पेय हैं जो सोयाबीन से बनाया जाता है। इसे बनाने की प्रक्रिया में सोयाबीन को भिगोया जाता है, और फिर उसे पीसकर तथा उबालकर मलाईदार सफेद तरल पदार्थ बनाने के लिए फिल्टर किया जाता है जो गाय के दूध की तरह ही दिखाई देता है लेकिन यह कई मायनों में उससे भिन्न होता है। सोया दूध में थायमिन, फोलेट, राइबोफ्लेविन, विटामिन डी, ई और के जैसे विटामिन होते हैं। सोया दूध, वसा में कम और कोलेस्ट्रॉल-फ्री होता है और इसमें सोडियम की मात्रा कम होती है। यहाँ तक कि इसमें लैक्टोज भी नहीं होता है।
बच्चों के लिए सोया दूध के स्वास्थ्य लाभ
एक वर्ष से ऊपर के उन शिशुओं के लिए सोया दूध एक अच्छा विकल्प हो सकता है जो लैक्टोज को सहन नहीं कर पाते हैं या फिर जिन्हें गाय के दूध से एलर्जी है। शिशुओं के स्वस्थ विकास के लिए सोया दूध में प्रोटीन की अधिक मात्रा, आयरन और विभिन्न विटामिन पाए जाते हैं। सोया दूध में वसा की मात्रा कम होती हैं जो शिशुओं में स्वस्थ शरीर के वजन को बनाए रखने में मदद कर सकता है। ये शिशुओं में दिल से संबंधित परेशानियों और मोटापे के खतरे को और भी कम करता है। इसमें फाइबर की उच्च मात्रा के कारण, सोया दूध का सेवन करने वाले शिशुओं को आंतों की परेशानी और दस्त कम होते हैं।
यदि किसी शिशु को जन्मजात गैलेक्टोसिमिया (दूध में मौजूद एक साधारण शक्कर को पचाने में असमर्थ होना) है, तो उसके लिए सोया दूध लाभदायक है। इसके अलावा, फोर्टिफाइड सोया दूध पीने से शरीर को कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा मिलती हैं क्योंकि फोर्टिफाइड सोया दूध में विटामिन डी होता है जो शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है। जिन शिशुओं को गाय के दूध का स्वाद अच्छा नहीं लगता है, वे विभिन्न स्वादों में उपलब्ध सोया दूध को विकल्प के रूप में चुन सकते हैं।
सोया दूध का चयन कैसे करें?
अपने शिशु के लिए हमेशा पूर्ण वसा वाला ही सोया दूध का चयन करें क्योंकि शिशु के उचित वृद्धि और विकास के लिए वसा आवश्यक है। पर अगर आपका शिशु मोटापे या हृदय रोगों से ग्रस्त है, तो कम वसा वाले सोया मिल्क का चुनाव करना ही समझदारी है।
साथ ही, किसी उत्पाद को खरीदने से पहले उसके पीछे पोषण जानकारी को पढ़ना महत्वपूर्ण है। आप अपने शिशु के स्वस्थ विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों, खनिजों और विटामिनों से भरपूर फार्म्युलेटेड सोया दूध से निर्मित फार्मूला दूध का चयन कर सकते हैं। किसी भी संदेह के मामले में, अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
सोया दूध बनाम गाय का दूध
गाय के दूध की बजाय सोया दूध के कुछ लाभ इस प्रकार है। गाय के दूध की तुलना में सोया दूध में वसा और शक्कर की मात्रा नाम मात्र होती है। इसके अलावा, यह कोलेस्ट्रॉल मुक्त है। और भी, सोया दूध गाय के दूध के विपरीत, आयरन और फाइबर का एक समृद्ध स्रोत है।
लेकिन फिर भी गाय का दूध विटामिन ए और बी12 जैसे आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है जो सोया दूध नहीं करता है। हालांकि दोनों पेय में समान मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, सोया दूध में फाइटेट्स होते हैं, जो कि एक प्राकृतिक यौगिक है जो शरीर द्वारा कैल्शियम अवशोषण को कम कर सकता है। लेकिन गाय के दूध में मौजूद कैल्शियम ज्यादा आसानी से अवशोषित हो जाता है।
गाय के दूध में शिशु की उचित वृद्धि के लिए आवश्यक सभी ‘अच्छे’ वसा पाए जाते हैं। यह सोया दूध की तुलना में थोड़ी अधिक मात्रा में प्रोटीन प्रदान करता हैं। हालांकि, सोया दूध भी प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है, इसलिए इसे गाय के दूध के विकल्प के रूप में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन अगर आप अपने शिशु को सोया दूध दे रही हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके शिशु के आहार में अन्य कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ अवश्य शामिल हों क्योंकि सोया दूध में कैल्शियम की मात्रा कम होती हैं।
क्या बच्चों पर सोया दूध का कोई हानिकारक प्रभाव पड़ता है?
स्तनपान कराने वाली माँओं को यह जानने की इच्छा हो सकती है कि सोया दूध शिशुओं के लिए सुरक्षित है या नहीं। इसका सरल उत्तर यह है कि आपके शिशु के पोषण के लिए अकेला सोया दूध काफी नहीं है क्योंकि सोया दूध में शिशु के स्वस्थ विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व मौजूद नहीं होते हैं। हालांकि, इसे एक वर्ष से कम उम्र के शिशुओं को नहीं देना चाहिए। शिशुओं पर सोया दूध के कुछ हानिकारक प्रभाव नीचे दिए गए हैं:
- अध्ययनों से पता चलता हैं कि सोया दूध में फाइटोएस्ट्रोजेन होता है जो शिशुओं में एस्ट्रोजेन प्रकार के प्रभावों को जन्म दे सकता है जिससे भविष्य में शिशु को स्तन कैंसर या प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, इस क्षेत्र में अनुसंधान अभी अधूरा है।
- कुछ शिशुओं को सोया दूध में मौजूद प्रोटीन से एलर्जी हो सकती है।
- कभी-कभी, सोया दूध के सेवन से थायरॉयड के स्तर में असंतुलन भी हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप गोइटर (थायरॉयड ग्रंथि का असामान्य वृद्धि) हो सकता है।
बच्चों को सोया दूध पिलाने के उपयोगी टिप्स
बच्चों को सोया दूध देते समय ध्यान देने योग्य कुछ बातें हैं जो यह सुनिश्चित करता है कि उसे सोया दूध के पोषक तत्वों का सर्वोत्तम लाभ मिल सके। आइए, जानें कुछ खास टिप्स:
1. कैल्शियम का स्रोत
मजबूत हड्डियों और दाँतों के विकास के लिए कैल्शियम आवश्यक है। चूंकि सोया दूध में कैल्शियम की मात्रा कम होती है, तो सुनिश्चित करें कि बच्चे को किसी अन्य स्रोत से कैल्शियम की भरपाई हो, इससे आपके नन्हा मुन्ना किसी भी पोषक तत्व से वंचित नहीं रहेगा ।
2. दूध के विकल्प के बजाय एक पूरक
बच्चों को सिर्फ सोया दूध देने के बजाय हमेशा इसे एक अतिरिक्त दूध की तरह ही बच्चे को दें। गाय का दूध तथा माँ का दूध बच्चे को देना जारी रखें। यह सुनिश्चित करता है कि आपका बच्चा स्वस्थ है।
3. एलर्जी
यह जानने के लिए कि आपके बच्चे को सोया दूध से एलर्जी है या नहीं, शुरू में उसे केवल थोड़ी मात्रा में ही दूध दें और देखें की कहीं बच्चे को कोई दुष्प्रभाव तो नहीं हो रहा । यदि आप अपने बच्चे में किसी भी एलर्जी को नोटिस करते हैं, तो उसे जल्द से जल्द डॉक्टर के पास ले जाएं।
बच्चों को केवल सोया दूध पिलाने से उनमें गंभीर पोषण संबंधी समस्या हो सकती है। आप सोया दूध को माँ के दूध या गाय के दूध के विकल्प के बजाय सप्लीमेंट के रूप में उपयोग करें तो बेहतर है। यदि आप फिर भी अपने बच्चे को सिर्फ सोया दूध देना चाहती हैं, तो उसके स्वस्थ विकास के लिए अन्य आहार के स्रोतों से उसके पोषण को पूरा करें। हमेशा बच्चे को कम मात्रा में ही सोया दूध दें क्योंकि यह एलर्जी पैदा कर सकता है। अगर आप अपने बच्चे में सोया दूध के कोई भी दुष्प्रभाव को देखती हैं तो तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें।