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बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना उसे सभी पोषण प्रदान करने का बेहतरीन जरिया माना जाता है, जो इसके साथ ही माँ और बच्चे की सेहत के लिए भी अच्छा होता है। हालांकि, कभी-कभी इस दौरान कुछ बाधाएं भी आती हैं। स्तनों में वृद्धि या ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट ऐसी ही एक बाधा है। यह एक ऐसी स्थिति है जो ज्यादातर नर्सिंग के पहले हफ्ते के दौरान आपको देखने की मिल सकती है। हालांकि, यह कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है और इसे धैर्य और आसान घरेलू उपचारों से ठीक किया जा सकता है।
स्तनों में वृद्धि या तो तब होती है जब आप नर्सिंग शुरू करती हैं या बिना दूध को निकाले बच्चे को कई बार फीड भी नहीं कराती हैं। यह तब भी होता है जब दूध कोलोस्ट्रम से मैच्योर मिल्क में बदल रहा होता है। बच्चे के ठीक से लैच न कर पाने की वजह से भी यह समस्या होती है, जिससे डक्ट ब्लाक हो जाते हैं। इस स्थिति में सूजन, वार्म ब्रेस्ट जैसी समस्या होने लगती है और आपके ब्रेस्ट बहुत हार्ड महसूस होते हैं। स्तनों में वृद्धि के सामान्य मामलों में आपको झुनझुनी, एडिमा और गर्मी महसूस होगी, जबकि गंभीर मामलों में आपको स्तनों में तेज दर्द के साथ असुविधा महसूस होगी, इसमें बगलों का हिस्सा और आपके हाथ भी प्रभावित हो सकते हैं, इस दौरान आपको बुखार भी आ सकता है।
स्तनों में हो रही वृद्धि के दौरान, त्वचा में कसाव आ जाता है, वह चमकदार या पारदर्शी हो जाता है और अँगुली से दबाए जाने पर, सूजन का पता लगता है। एरोला पर मिल्क प्रेशर के कारण निप्पल स्ट्रेच हो जाते हैं। यहाँ तक कि भले ही निप्पल नॉर्मल दिखाई दे रहे हों, लेकिन एडिमा के कारण ये हार्ड हो सकते हैं, इससे बच्चे को लैच करने में समस्या होती है। गंभीर मामलों में, स्तनों में वृद्धि का विस्तार बगल के नीचे तक हो सकता है और नसों पर दबाव के कारण हाथों का सुन्न पड़ जाना और झुनझुनी जैसी समस्या हो सकती है। कुछ मामलों में बुखार भी हो सकता है। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, तो इससे मिल्क डक्ट पर दबाव पड़ता है, जिससे अक्सर डक्ट प्लग हो जाता है। यदि यह जल्दी ठीक नहीं होता है, तो यह मास्टाइटिस में बदल सकता है जो एक इन्फेक्शन है और इसके लिए आपको मेडिकल ट्रीटमेंट लेने की जरूरत होगी।
जब ब्रेस्ट दूध से भरने लगते हैं, तो उनमें सूजन होने की संभावना होती है। यह इसलिए होता है क्योंकि सर्कुलेशन धीमा हो जाता है, जिसकी वजह से फ्लूइड ब्लड वेसल्स टिश्यू में रिसने लगते हैं। इसे ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट कहा जाता है और आमतौर पर ब्रेस्टफीडिंग के पहले सप्ताह के दौरान, वीनिंग यानी बच्चे से दूध छुड़ाने के दौरान या यात्रा के दौरान माँ और बच्चे के बीच अलगाव होने के कारण या बीमार होने की वजह से ब्रेस्टफीडिंग शेड्यूल में होने वाले बदलाव के कारण ऐसा होता है।
जब मिल्क प्रोडक्शन का संतुलन ठीक नहीं होता है या जितनी मात्रा में मिल्क प्रोडक्शन हो उस हिसाब से बच्चा दूध न पी रहा हो तब ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट की समस्या होती है। यह तब भी होता है जब ब्रेस्ट मिल्क कोलोस्ट्रम से मैच्योर मिल्क में बदल रहा होता है। कभी-कभी, स्तनों में भारीपन तब भी आ जाता है जब इसे कुछ समय तक खाली नही किया जाता और स्तन में कुछ समय के लिए दूध जमा हो जाता है। यह वीनिंग के दौरान हो सकता है जब शरीर को मिल्क प्रोडक्शन रोकने के लिए कोई संकेत नहीं मिल रहा होता है।
गैलेक्टैगोग्स की अधिकता के कारण भी स्तनों की वृद्धि की समस्या हो सकती है, इसके अलावा ब्रेस्ट खाली न करने या दूध को न निकालने की वजह से भी स्तनों में वृद्धि होती है।
पहले सप्ताह में ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट होना आमतौर पर नर्सिंग का संकेत होता है, इस दौरान माँ और बच्चे को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो इस प्रकार हैं:
ज्यादातर मामलों में यह समस्या अपने आप ही ठीक हो जाती है, क्योंकि आपका शरीर और बच्चे दोनों ही इस प्रकिया को समझने लगते हैं। रोजाना फीडिंग कराने से बच्चा अच्छी तरह से लैच करना सीख जाता है। माँ का शरीर मिल्क प्रोडक्शन को नियंत्रित करता है क्योंकि मिल्क प्रोडक्शन की मात्रा इस बात पर निर्धारित होती है कि बच्चा कितनी मात्रा में दूध पी रहा है। इस प्रकार, दूध का संचय कम होता और उस हिस्से में तरल पदार्थों व एडिमा का निर्माण होने लगता है। जिसकी वजह से बाद के चरणों में इसके होने की संभावना कम होती है।
कुछ मामलों में, जन्म देने से पहले ही स्तनों की वृद्धि की समस्या पैदा हो सकती है, क्योंकि स्तन नर्सिंग के लिए तैयार हो रहे होते हैं। इस दौरान तरल पदार्थ और दूध का निर्माण हो रहा होता है, जिसे बच्चे के आने से पहले नहीं निकाला जा सकता है। आप घरेलू उपचार जैसे कि ठंडी सिकाई और पत्ता गोभी के पत्ते को ठंडा करके लगाना आदि उपचार आजमा सकती हैं। इस प्रकार आपको धीरे-धीरे इस समस्या से राहत मिल जाएगी।
हालांकि स्तनों में वृद्धि की समस्या लंबे समय तक नहीं बनी रहती है, लेकिन इसे पूरी तरह से अनदेखा करना भी अच्छा विचार नहीं है, क्योंकि इससे आपको काफी दर्द और असुविधा का अनुभव हो सकता है। इससे आपको कई कॉम्प्लिकेशन का सामना भी करना पड़ सकता है, जो आपको नीचे बताई गई हैं:
अगर ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट की समस्या 2 दिनों से ज्यादा समय तक रहती है और साथ में आपको बुखार भी होता है, तो इन्फेक्शन या मास्टाइटिस जैसी अन्य परेशानियों से बचने के लिए आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
स्तनों में होने वाली वृद्धि एक से दो दिन के अंदर खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन उस पीरियड में आपको काफी समस्या हो सकती है। यदि यह दो दिनों के अंदर खुद से ठीक नहीं होता है, तो संभावना है कि प्लग डक्ट के कारण आपको ब्रेस्ट इन्फेक्शन औ फ्लू जैसे लक्षणों के साथ बुखार हो सकता है।
स्तनों की वृद्धि से छुटकारा पाने के लिए कई सरल घरेलू उपचारों का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसे:
आप नर्सिंग से पहले और नर्सिंग करते समय स्तनों में होने वाली वृद्धि को मैनेज करने के नीचे बताई गई अलग अलग स्थितियों के अनुसार घरेलू उपचार का उपयोग कर सकती हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान स्तनों के भारीपन से छुटकारा पाने के लिए निप्पल को दबाना या उससे फ्लूइड निकालने की सलाह नहीं दी जाती है, इससे लेबर प्रेरित हो सकता है। ऐसे में ठंडी सिकाई करना सबसे बेहतरीन तरीका है जिससे आप इस समस्या को नेचुरली हल कर सकती हैं।
ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट से बचने के लिए, नर्सिंग के दौरान नीचे बताई गई चीजों का पालन करें:
यहाँ आपको दो फीडिंग के बीच ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट की समस्या से निपटने के लिए कुछ उपाय, जिसे आप भी आजमा सकती हैं:
स्तनों को बढ़ने से रोकने के लिए सबसे अच्छा तरीका यही हैं कि आप बच्चे के जन्म के बाद जब तक हो सके उसे फीडिंग कराएं। यदि स्तनों में वृद्धि सर्जरी से उबरने के दौरान, वीनिंग और यात्रा के दौरान होती है, तो ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट मैनेज करने में ऊपर बताई गई विधियों को आजमाने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि समस्या ज्यादा बड़ी नहीं है
ब्रेस्टफीडिंग, इंगोर्जमेंट का उपचार करने का सबसे अच्छा तरीका है। जैसे ही आप बच्चे को फीडिंग कराती हैं, वैसे ही फ्लूइड बनना कम होने लगता है। जब दूध निकालने की बात आती है तो बच्चे को फीडिंग कराना ज्यादा बेहतर तरीका माना जाता है, साथ ही इससे माँ और बच्चे के बीच का बांड भी मजबूत होता है। पंप की मदद से दूध निकालने का ऑप्शन तब ज्यादा बेहतर होता है जब आपके निप्पल में बहुत दर्द हो क्या या आप जितना मिल्क प्रोडूस कर रही हैं उसकी तुलना में बच्चा कम दूध पी रहा हो।
फीडिंग से पहले ठंडी सिकाई करने से बचें। जब आप बच्चे को फीडिंग न करा रही हो उस दौरान अपने निप्पल को न दबाएं, इससे दूध और ज्यादा आना शुरू हो जाएगा और अगर इसे बच्चे द्वारा नहीं लिया जाता है तो इसे पंप करके निकालना पड़ सकता है।
आपको ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट को लेकर बहुत ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। नर्सिंग एक ऐसा कार्य है, जिसे बच्चे जन्म के बाद खुद ब खुद कुशलतापूर्वक सीख जाते हैं। स्तनों में दूध की वृद्धि की समस्या लंबे समय तक नहीं रहती है, इसे एक से दो दिन के अंदर हल किया जा सकता है।
निष्कर्ष: दूध ज्यादा होने की वजह से स्तनों का बढ़ना टेंपरेरी होता है, जो नर्सिंग के शुरुआती चरण में देखा जाता है। कुछ मामलों में, महिलाएं इस कंडीशन का सामना प्रेगनेंसी के दौरान भी करती हैं। ज्यादातर मामलों में, मसाज और घरेलू उपचार के जरिए इस समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है। हालांकि, गंभीर मामलों में जब इंगोर्जमेंट के कारण तेज दर्द और बुखार का अनुभव होता है, तो आपको अपने लैक्टेशन एक्सपर्ट से परामर्श करना चाहिए।
नोट: स्तनों की वृद्धि को मैनेज करना और इसका ट्रीटमेंट करना दोनों का सब्जेक्ट कॉन्टेंट समान है बस इनमें कुछ बदलाव किए हैं ताकि यह एक जैसे न लगें।
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