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स्तनपान के दौरान मूंगफली खाना – स्वास्थ्य के लिए फायदे और खतरे

मूंगफली सबसे पौष्टिक खाद्य पदार्थों में से एक है। यह प्रोटीन, हेल्दी फैट और विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होती हैं और इसे कई तरीकों से खाया जा सकता है। लेकिन, रिसर्च में यह पता चला है, कि पिछले कुछ सालों में मूंगफली से होने वाली एलर्जी में काफी बढ़त हुई है, जिसका अर्थ है, कि कई गर्भवती महिलाएं अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए मूंगफली खाने से बचती हैं। यह माँ का दूध पीने वाले बच्चों पर भी लागू होता है, क्योंकि माँ के शरीर में मौजूद किसी तरह के एलर्जेन और टॉक्सिन स्तनपान के माध्यम से बच्चे के शरीर तक पहुँच सकते हैं। इस लेख से आपको मूंगफली के फायदों, इससे जुड़े हुए खतरों और आपके और बच्चे के स्वास्थ्य की सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के बारे में समझने में भी मदद मिलेगी।

क्या स्तनपान कराने के दौरान मूंगफली खाना सुरक्षित है?

साधारण शब्दों में कहा जाए, तो प्रेगनेंसी या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मूंगफली खाना बिल्कुल सुरक्षित है, क्योंकि अगर माँ या बच्चे को मूंगफली से एलर्जी ना हो या वे इसके प्रति सेंसिटिव ना हों, तो यह बच्चे को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुँचा सकती है। अगर आप खाने-पीने के कुछ स्वस्थ नियमों का पालन करती हैं, तो ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको अपने प्रेगनेंसी डाइट को सख्ती से जारी रखने की जरूरत नहीं होती है। इसका मतलब है, अपने खाने में होल ग्रेन्स, फल, सब्जियां, दालें और ऐसे ही कई तरह के हेल्दी फूड आइटम्स शामिल करना। 

स्तनपान के दौरान मूंगफली से होने वाले फायदे

ब्रेस्ट मिल्क एक संपूर्ण आहार है। इसका मतलब है, कि इसमें बच्चे के बढ़ने और फलने-फूलने के लिए जरूरी हर तरह के न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं। आपके दूध में पोषक तत्व अच्छी मात्रा में बने रहें, इसके लिए आपको भी हेल्दी डाइट लेना बहुत जरूरी है। इसके लिए मूंगफली एक अच्छा ऑप्शन है, क्योंकि इससे आपको और आपके बच्चे को बेहतर सेहत के लिए कई तरह के फायदे मिलते हैं:

  • फोलिक एसिड: मूंगफली में फोलिक एसिड या विटामिन ‘बी9’ अच्छी मात्रा में होता है। विशेषकर प्रेगनेंसी के दौरान, बच्चे की मांसपेशियों और नर्व्स टिशु के विकास के लिए ये बहुत जरूरी होता है। ये भविष्य में डिलीवरी के किसी तरह की कॉम्प्लिकेशंस से बचने में भी मदद करता है।
  • हेल्दी फैट्स: मूंगफली कई तरह के अनसैचुरेटेड प्लांट फैट्स से भरपूर होती है। ये फैट्स ब्लड वेसल और सर्कुलेटरी सिस्टम की सही फंक्शनिंग में काफी मददगार होते हैं। मूंगफली में बैड कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है।
  • प्रोटीन: मूंगफली में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है, जो कि शरीर की लगभग हर तरह की प्रक्रिया के लिए जरूरी है, जैसे कि मांसपेशियों का विकास एवं और भी बहुत कुछ।
  • फास्फोरस: मूंगफली में मौजूद फास्फोरस दांतों और हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है और शरीर में मांसपेशियों की एक्टिविटी और एनर्जी पैदा करने के लिए बहुत जरूरी होता है।
  • फाइबर: मूंगफली में अच्छी मात्रा में फाइबर मौजूद होता है, जो कि डाइजेस्टिव प्रक्रिया को आसान बनाता है और कब्ज जैसी समस्याओं से बचाता है। यह आपके पेट को भरा हुआ और संतुष्ट भी महसूस कराता है।
  • विटामिन ‘ई’: मूंगफली में विटामिन ‘ई’ होता है, जो कि त्वचा के अच्छे स्वास्थ्य और सेल्स और इम्यून सिस्टम को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है।
  • नियासिन: डाइजेस्टिव अंगों और नर्वस सिस्टम के निर्माण और कार्य में नियासिन या विटामिन ‘बी3’ की जरूरत होती है। यह एनर्जी को पैदा करने में और त्वचा का लचीलापन बनाए रखने में भी मदद करता है।
  • बायोटिन: स्वस्थ बाल, त्वचा, नाखून, आँखों, नर्व्स और अन्य अंगों के विकास और सुरक्षा के लिए यह पोषक तत्व बहुत जरूरी है।

स्तनपान के दौरान मूंगफली खाने के खतरे

ब्रेस्ट मिल्क के माध्यम से बच्चे को मूंगफली की एलर्जी होना संभव है और यह एलर्जेन नामक प्रोटीन के कारण होती है, जो कि इन मॉलिक्यूल के प्रति सेंसिटिव लोगों में गंभीर रिएक्शन पैदा कर सकती है। इसमें रैशेज, सांस लेने में तकलीफ और सूजन के अलावा एनाफायलैक्टिक शॉक भी शामिल है, जो कि जानलेवा हो सकता है। जैसा कि पहले बताया गया है, माँ के द्वारा लिए गए पोषक तत्व ब्रेस्ट मिल्क के द्वारा बच्चे के शरीर में जा सकते हैं और उस पर प्रभाव डाल सकते हैं। हालांकि, आप अपने पेडिअट्रिशन से अलग-अलग तरह की खाने की चीजों के प्रति अपने बच्चे की सेंसिटिविटी की जांच करवा सकती हैं, जिसमें मूंगफली भी शामिल है। अगर आपका शिशु किसी तरह की एलर्जी के लक्षण नहीं दिखाता है, तो आप ये खाद्य पदार्थ बेफिक्र हो कर खा सकती हैं। 

मूंगफली की एलर्जी से संबंधित फिक्र

इस बात को सुनिश्चित करना जरूरी है, कि जब आप कुछ विशेष खाना खाती हैं, तो आपका बच्चा एलर्जी के कोई संकेत न दिखाए। ब्रेस्टफीड करने वाले बच्चों में मूंगफली से होने वाली एलर्जी के लक्षणों में रैशेज, चिड़चिड़ापन, कंजेशन, डायरिया या अत्यधिक रोना शामिल है। अगर ऐसा होता है, तो तुरंत बच्चे के डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा, अगर आपके परिवार में करीबी संबंधियों, जैसे आपके दूसरे बच्चों को मूंगफली से एलर्जी है, तो इससे बचना सबसे अच्छा है, क्योंकि बेबी को भी इससे एलर्जी होने की संभावना हो सकती है। शुरुआत में की गई स्टडीज के बाद यह कहा गया था, कि अगर माँ गर्भावस्था और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मूंगफली खाने से बचती है, तो बच्चों में मूंगफली से एलर्जी होने की संभावना कम हो जाती है। पर इसमें कोई सच्चाई नहीं है, बल्कि ऐसा देखा गया है, कि बहुत ही कम उम्र में मूंगफली का सेवन शुरू कर दिया जाए, तो आगे चलकर मूंगफली से एलर्जी होने की संभावना कम हो जाती है। 

क्या पीनट बटर का सेवन सुरक्षित है?

क्या आप ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीनट बटर खा सकती हैं? मूंगफली को सुखाकर, भूनकर और पीसकर बनाए गए पेस्ट को पीनट बटर कहते हैं। इसलिए, यह मूंगफली के जितना ही सुरक्षित होता है। 

अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, तो आपको हर दिन लगभग 500 अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत होगी। इस एनर्जी का एक हिस्सा, मूंगफली या पीनट बटर से मिल सकता है, क्योंकि इन खाद्य पदार्थों में केवल हेल्दी फैट, प्रोटीन, ओमेगा 3 फैटी एसिड, विटामिन और मिनरल जैसे हायर न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं। अगर आपको, आपके बच्चे को या परिवार के किसी भी सदस्य को मूंगफली से कोई एलर्जी नहीं है, तो इसके बारे में अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है। 

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पूजा ठाकुर

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