In this Article
- स्तनपान करने वाला बच्चा एक दिन में कितनी बार पॉटी करता है?
- ब्रेस्टफीड करने वाले बच्चों में कब्ज क्यों होता है?
- स्तनपान करने वाला बच्चा पॉटी किए बिना कब तक रह सकता है?
- बच्चे को कब्ज से बचाने के लिए ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ अपने खानपान में क्या बदलाव कर सकती है?
- अगर ब्रेस्टफीड करने वाला बच्चा ठोस आहार की शुरुआत करने के बाद कब्ज का शिकार हो जाए तो क्या करें?
- स्थिति चिंताजनक कब हो सकती है?
- कौन से खाद्य पदार्थ स्तनपान करने वाले बच्चों में कब्ज पैदा कर सकते हैं?
- बच्चे को कब्ज से बचाने के लिए क्या करें?
माँ का दूध, बच्चे के पाचन तंत्र के लिए बहुत ही हल्का होता है और इसे एक प्राकृतिक लैक्सेटिव भी माना जाता है। इसलिए, जन्म के बाद शुरुआती कुछ दिनों के दौरान फार्मूला दूध पीने वाले शिशुओं की तुलना में, ब्रेस्ट फीड करने वाले शिशु अधिक बार पॉटी करते हैं। हालांकि 3 से 6 सप्ताह के बाद इसकी संख्या में कमी आ जाती है (हर सप्ताह एक या दो बार)। अगर आप अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवा रही हैं और वह अधिक बार पॉटी नहीं करता है, तो ऐसे में ऐसा जरूरी नहीं है, कि उसे कब्ज हो, बल्कि अगर उसका मल कड़ा है, एक गोली की तरह दिखता है और बच्चे को पॉटी करने में तकलीफ हो रही है, तो वह कब्ज का शिकार हो सकता है। इस लेख में, हम ब्रेस्टफीड करने वाले बच्चों में कब्ज के कारण और उससे बचने के उपायों के बारे में बात करेंगे।
स्तनपान करने वाला बच्चा एक दिन में कितनी बार पॉटी करता है?
ब्रेस्ट मिल्क बच्चों के लिए सर्वोत्तम भोजन है। ज्यादातर मामलों में बच्चा जितना भी ब्रेस्ट मिल्क पीता है, डाइजेशन की प्रक्रिया के दौरान वह पूरी तरह से अब्सॉर्ब हो जाता है। इसलिए स्तनपान करने वाले बच्चों का 5 से 6 दिनों के लिए पॉटी न करना संभव है। लेकिन बच्चों के लिए लंबे समय तक पॉटी न करना उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। यह इस बात का संकेत हो सकता है, कि आंतों के फंक्शन में सहयोग करने वाला ब्रेस्ट मिल्क अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा है। आमतौर पर, बच्चे हर बार दूध पीने के बाद भी पॉटी कर सकते हैं, यानी कि दिन में 8 से 10 बार। कभी-कभी कुछ बच्चे एक दिन में केवल 1 से 2 बार पॉटी करते हैं और यह भी बिल्कुल सामान्य है।
ब्रेस्टफीड करने वाले बच्चों में कब्ज क्यों होता है?
जो बच्चे केवल माँ का दूध ही पीते हैं, उनमें कब्ज होने की संभावना नहीं के बराबर होती है। हालांकि, शिशुओं में कब्ज होने के कुछ कारण नीचे दिए गए हैं:
1. बच्चे के भोजन में फाइबर की कमी
कब्ज आमतौर पर तब होता है, जब बच्चों को माँ के दूध के अलावा चावल, गाजर, गेहूँ या नट्स जैसे ठोस आहार भी दिए जाते हैं, जिनमें फाइबर नहीं होता है। बच्चे के खाने में फाइबर की कमी होने के कारण, बच्चे को रफेज नहीं मिल पाता है, जिसके कारण उसकी पॉटी में आंतों से आसानी से बाहर नहीं आ पाती है।
2. डिहाइड्रेशन
जब बच्चे को खांसी, जुकाम, गले का इन्फेक्शन या दाँत निकलने में समस्याएं होती हैं, तब उसके शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिससे डिहाइड्रेशन हो जाता है। इसके कारण भी कब्ज हो सकता है।
3. फॉर्मूला दूध पीना
कभी-कभी ब्रेस्ट मिल्क के न होने या कम होने की स्थिति में, माँएं बच्चे को फार्मूला दूध पिलाती हैं, जो कि कब्ज का कारण हो सकता है। बच्चे के शरीर के लिए फॉर्मूला मिल्क को डाइजेस्ट करना माँ के दूध की तुलना में कठोर होता है, जिसके कारण पॉटी सख्त और मोटी हो जाती है। अगर फार्मूला पाउडर का इस्तेमाल अधिक किया जाए, तो यह समस्या और भी बढ़ जाती है। अगर बच्चे को मिल्क प्रोटीन से एलर्जी हो, तो भी फार्मूला मिल्क देने पर उसे कब्ज हो सकता है।
4. प्रतिकूल मौसम
गर्मी और उमस भरे मौसम में बच्चों को काफी पसीना आ सकता है, जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है। इसलिए बच्चे के शरीर में पानी की कमी हो जाती है और कब्ज की समस्या हो सकती है।
5. माँ की डाइट और खानपान की आदतें
एक बच्चे का पाचन तंत्र कभी-कभी माँ के खानपान की आदतों पर भी निर्भर करता है। माँ का खानपान बच्चे के स्वास्थ्य को तय करता है। अगर माँ के भोजन में फाइबर की कमी है और आयरन काफी ज्यादा है, तो बच्चे को कब्ज हो सकता है। इसलिए स्तनपान कराने वाली माँ को ऐसा खाना खाना जरूरी है, जिसमें आयरन कम हो। स्तनपान कराने वाली माँओं को रोज सूखा आलूबुखारा, नाशपाती, आड़ू और प्लम खाने की सलाह दी जाती है।
6. छोटा मलद्वार
कभी-कभी मलद्वार छोटा होने पर भी, बच्चे को पॉटी करने में दिक्कत होती है। आमतौर पर ऐसी स्थिति में मेडिकल मदद की जरूरत पड़ती है, इसलिए पेडिअट्रिशन से परामर्श लेना जरूरी हो जाता है।
स्तनपान करने वाला बच्चा पॉटी किए बिना कब तक रह सकता है?
माँ का दूध अपने आप में ही एक संपूर्ण आहार है। कभी-कभी बच्चे का शरीर इसे पूरी तरह से डाइजेस्ट कर लेता है और इसमें बाहर निकालने के लिए कोई भी गंदगी नहीं बचती है। इसलिए ऐसा भी देखा गया है, कि कुछ बच्चे 2 सप्ताह के लंबे समय तक भी पॉटी किए बिना रह जाते हैं, वहीं कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो सप्ताह में एक बार पॉटी करते हैं। कुछ बच्चे हर बार दूध पीने के बाद भी पॉटी कर सकते हैं। वहीं कुछ बच्चे 2 से 3 दिन में एक बार पॉटी करते हैं। डॉक्टरों के अनुसार अगर बच्चे का मल नरम है और बच्चे को उसे बाहर निकालने में कोई तकलीफ नहीं हो रही है, तो यह बिल्कुल सामान्य है।
बच्चे को कब्ज से बचाने के लिए ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ अपने खानपान में क्या बदलाव कर सकती है?
बच्चे को कब्ज से बचाने के लिए स्तनपान कराने वाली माँ अपने खानपान में नीचे दिए गए बदलाव कर सकती हैं:
- अगर आप देखती हैं, कि आपके बच्चे को गाय के दूध के प्रोटीन से तकलीफ है, तो आपको आपके खाने में क्रीम, दही, मक्खन, घी और पनीर जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल नहीं करने चाहिए। आप जो भी खाने की चीजें खरीदें, उनके लेबल पर इंग्रेडिएंट्स के बारे में पढ़ना न भूलें।
- अगर आप कॉफी, चाय या कार्बोनेटेड पेय पदार्थ लेती हैं, तो इस बात का ध्यान रखें, कि एक सीमित मात्रा में ही इनका सेवन करें।
- गैस और पेट फूलने की समस्या पैदा करने वाली चीजों को अपने भोजन में शामिल न करें।
- खाने में फाइबर से भरपूर चीजें, जैसे फल, सब्जियां, दालें, होल ग्रेन्स आदि और तरल पदार्थ लें।
- अपने रोज के खाने में सूखा आलूबुखारा, आड़ू, नाशपाती और प्लम जैसे फलों को शामिल करें।
अगर ब्रेस्टफीड करने वाला बच्चा ठोस आहार की शुरुआत करने के बाद कब्ज का शिकार हो जाए तो क्या करें?
कई शिशु अपने भोजन में सॉलिड फूड के शामिल होने के बाद कब्ज के शिकार हो जाते हैं। यह फाइबर रहित और आयरन से भरपूर भोजन के कारण हो सकता है, जो कि आमतौर पर कब्ज पैदा करते हैं। इसलिए ऐसे खानपान को रोकने या कम करने के ऊपर ध्यान दें। कब्ज से लड़ने के लिए बच्चों को अधिक तरल पदार्थ दिए जाने चाहिए, विशेषकर माँ का दूध। पेडिअट्रिशन की सलाह और रेकमेंडेड खुराक के आधार पर सूखे आलूबुखारा के जूस का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, क्योंकि यह पॉटी को सॉफ्ट बनाता है।
स्थिति चिंताजनक कब हो सकती है?
कई बार ऐसा होता है, कि बच्चा कई दिनों तक बिना पॉटी किए रह जाता है, ऐसे में आपको कब्ज के संकेतों का पता लगाना चाहिए, जैसे मल का कड़ा और सूखा होना, जिसमें कि खून हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है। साथ ही अगर आपका बच्चा कई दिनों तक पॉटी नहीं करता है, उल्टियां कर रहा है और उसका पेट फूल रहा है, तो हो सकता है, कि वह कब्ज का शिकार हो। ऐसी स्थिति में बच्चा चिड़चिड़ा और बेचैन भी हो सकता है। अगर आप इनमें से कोई लक्षण देखती हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
कौन से खाद्य पदार्थ स्तनपान करने वाले बच्चों में कब्ज पैदा कर सकते हैं?
चावल या गेहूँ जैसे फाइबर रहित खाद्य पदार्थ, गाजर, फॉर्मूला मिल्क और केले ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों में कब्ज पैदा कर सकते हैं। ऐसे बच्चों को (अगर बच्चे की उम्र 1 साल से अधिक हो तो) बहुत सारा तरल पदार्थ देना चाहिए, जैसे पानी, माँ का दूध और आलूबुखारा, आड़ू और प्लम जैसे फलों का रस।
बच्चे को कब्ज से बचाने के लिए क्या करें?
यहाँ पर कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिन्हें आप आजमा सकती हैं:
- डिहाइड्रेशन से शिशु में गंभीर कब्ज की स्थिति पैदा हो सकती हैं, इसलिए उसे भरपूर मात्रा में पानी, माँ का दूध और फलों का रस जैसे तरल पदार्थ पीने को दें।
- अगर बच्चे ने अभी-अभी ठोस आहार लेना शुरू किया है, तो उसे ऐसा खाना दें, जिसमें भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद हो, जैसे होल ग्रेन्स सीरियल / ब्रेड, दालें, बीन्स आदि।
- अपने बच्चे के पाचन तंत्र को स्टिमुलेट करने के लिए एक्सरसाइज करने में मदद करें। जैसे साइक्लिंग एक्सरसाइज। इसमें बच्चे को पीठ के बल लिटा कर, उसके पैरों को साइकिल की तरह आगे पीछे घुमाएं। यह काफी प्रभावी है।
- बच्चे के पेट की हल्की मालिश करने से कब्ज से राहत मिलती है।
- अगर डॉक्टर आपको अनुमति दे, तो बच्चे के रोज के भोजन में सूखे आलूबुखारा के जूस को शामिल करें। यह बच्चे के मल को मुलायम बनाने में मदद करेगा।
कब्ज एक गंभीर और दर्दनाक स्थिति है, जिसका अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो सेहत की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि आपको इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए, कि बच्चे के अनियमित पाचन तंत्र का अर्थ हमेशा कब्ज होना नहीं होता है। लेकिन अगर उसे पॉटी करने में तकलीफ हो रही है और वह बहुत ताकत लगा रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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