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बच्चे को स्तनपान यानी ब्रेस्टफीडिंग कराना उसके विकास और वृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। माँ के दूध में वे सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो एक बच्चे को उसके पहले 6 महीनों में प्राप्त करना जरूरी हैं। इसलिए ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं को बहुत सावधानी से अपने आहार को चुनना चाहिए। यदि आपका बच्चा हाल ही में जन्मा है तो आपने महसूस किया होगा कि ब्रेस्टफीडिंग या माँ का दूध पेरेंटिंग का एक आवश्यक हिस्सा है। चूंकि इस समय माँ का दूध बच्चे के न्यूट्रिशन का एकमात्र स्रोत है इसलिए यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि आपको स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थों का चयन करना चाहिए। स्वास्थ्य के लिए सही आहार के बारे में चर्चा करते समय हम फलों को कैसे भूल सकते हैं? ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको कुछ फलों को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए वहीं कुछ ऐसे फल भी हैं जिन्हें आपको इस दौरान नहीं खाना चाहिए, आइए जानते हैं वे कौन से फल हैं।
एक बच्चे के लिए स्तनपान का पूरा न्यूट्रिशन आपके भोजन पर निर्भर करता है। आप सोचती होंगी कि बच्चे को दूध पिलाने की अवधि में सभी फल खाना अच्छा ही होता है लेकिन ऐसा नहीं है। इस समय कुछ फल आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं इसलिए उनसे परहेज करना ही बेहतर है। लेकिन परहेज किए जाने वाले फलों के बारे में बात करने से पहले आपको यह पता लगाना चाहिए कि बच्चे को दूध पिलाने की अवधि में आपको कौन से फल खाने चाहिए। बच्चे को ब्रेस्टफीड कराते समय आप कौन से फल खा सकती हैं और कौन से नहीं इसके बारे में नीचे जानकारी दी गई है, आइए जानें।
हरे पपीता को एक सुपर फूड माना जाता है जिसमें फाइबर और पैपेन जैसे स्वस्थ मिनरल मौजूद होते हैं। हरा पपीता एक गैलेक्टागॉग होता है। गैलेक्टागॉग वह पदार्थ है जो स्वाभाविक रूप से माँ के दूध उत्पादन को बढ़ाता है। इसलिए, यदि आप बच्चे को दूध पिलाती हैं तो हरे पपीते को अपने आहार में अवश्य शामिल करें। यह बिना एसिड के विटामिन ‘सी’ का भी एक बड़ा स्रोत है और यह प्राकृतिक लैक्सेटिव के रूप में कार्य करता है जिससे कब्ज को रोका जा सकता है और पाचन क्रिया स्वस्थ होती है। हरा पपीता खाने से भी शरीर में पानी की मात्रा बनी रहती है जो ब्रेस्टफीडिंग की अवधि में महत्वपूर्ण हैं। आप आधा कप हरे पपीते की स्मूदी बना सकती हैं या इसे ऐसे ही ताजा खा सकती हैं।
केला एक प्राकृतिक लैक्सेटिव होता है और इससे पाचन भी ठीक रहता है। इसमें पोटैशियम और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है। स्तनपान के दौरान अपने आहार में फाइबर युक्त फलों को शामिल करना महत्वपूर्ण है क्योंकि ये कब्ज को रोकने में मदद कर सकते हैं। ब्रेस्टफीडिंग मॉम के लिए यह फल इसलिए उपयुक्त है क्योंकि इसमें पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है।गर्भावस्था के दौरान और बाद में भी पोटैशियम का सेवन महत्वपूर्ण है। बच्चे को दूध पिलाने की अवधि में अपने शरीर में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बनाए रखने के लिए आपको इसकी अधिक आवश्यकता होगी।
एवोकाडो स्वास्थ्यप्रद फलों में से एक है और यह माँ व बच्चे, दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है। यदि आप अपने बच्चे को स्तनपान करा रही हैं, तो आपको अपने आहार में एवोकाडो शामिल करना चाहिए। केले की तरह यह फल भी पोटैशियम से भरपूर है। इसके सेवन से बच्चे की दृष्टी अच्छी होती है, उसके बालों की गुणवत्ता में वृद्धि होती है और उसके दिल के स्वास्थ्य के साथ-साथ पाचन भी ठीक रहता है।
खरबूजा, विटामिन ‘के’, विटामिन ‘बी’, फाइबर, पोटेशियम, मैग्नीशियम, नियासिन, थियामिन और फोलेट से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ‘सी’ भी प्रचुर मात्रा में होता है और इस फल को खाने से आप हाइड्रेटेड रहती हैं। विशेष रूप से स्तनपान के दौरान खरबूजा आपके और बच्चे के लिए एक स्वास्थ्यप्रद फल है।
सपोता (चीकू) में बहुत कैलोरी होती है जो स्तनपान करानेवाली मांओं के लिए अच्छी बात है। बच्चे को दूध पिलाते समय जो भी कैलोरी खत्म होती है वह आप चीकू का सेवन करके दोबारा से प्राप्त कर सकती हैं। चीकू में फाइबर, मिनरल और विटामिन मौजूद होते हैं। इसके अलावा यह फल कई एंटीइंफ्लेमटरी और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर है जो इसे बच्चे को स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए एक स्वस्थ विकल्प बनाते हैं।
अंजीर (फिग्स) में मैंगनीज, मैग्नीशियम, कॉपर, कैल्शियम और पोटैशियम जैसे कई मिनरल होते हैं। यह फल फाइबर, विटामिन ‘के’ और विटामिन ‘बी6’ से भी भरा होता है। यही कारण है कि अंजीर का उपयोग अनिवार्य रूप से कई व्यंजनों और सलाद में किया जाता है। कई बेबी फूड कंपनीज भी इस फल को बेबी फूड में शामिल करती हैं।
वैसे तो आमतौर पर सभी फल स्वास्थ्य के लिए अच्छे ही होते हैं। पर कुछ ऐसे भी फल हैं जिन्हें विशेष रूप से बच्चे को दूध पिलाने की अवधि में नहीं खाना चाहिए। यदि आप अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं तो निम्नलिखित फलों से बचें, आइए जानते हैं;
हालांकि ग्रेपफ्रूट स्वास्थ्यप्रद फलों में से एक है लेकिन यह अत्यधिक एसिडिक होता है। 18 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए ग्रेपफ्रूट को पचाना कठिन होता है। यह उनकी ग्रासनली (एसोफैगस) और पेट की परत को भी जला सकता है। इससे एसिडिटी बढ़ सकती है इसलिए बच्चे को दूध पिलाने की अवधि में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। आपके लिए अच्छा होगा यदि आप ग्रेपफ्रूट तब तक न खाएं जब तक आपका बच्चा 3 वर्ष का न हो जाए।
नींबू विटामिन ‘सी’ से भरपूर होता है और अपने एंटीबैक्टीरियल व एंटीइंफ्लेमटरी गुणों के कारण शरीर के लिए बहुत अच्छा होता है। इसका उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जाता है और इसके बहुत से फायदे भी होते हैं। लेकिन फिर भी इसमें ग्रेपफ्रूट की तरह ही बहुत कुछ होता है। पानी में मिश्रित होने के बाद भी नींबू की एसिडिक वैल्यू बहुत ज्यादा होती है इसलिए बच्चे को दूध पिलाते समय इससे बचना चाहिए।
यदि चेरी का सेवन संयमित मात्रा में किया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभदायक होती है। लेकिन यह फल उसी बच्चे के लिए अच्छा है जिसका पाचन तंत्र व पेट पूरी तरह से विकसित हो चुका है। यदि आपका नवजात शिशु अब बड़ा हो गया है तो आप चेरी का सेवन कर सकती हैं। पर यदि आप बच्चे को दूध पिलाने की अवधि में चेरी का सेवन करती हैं तो उसे गैस और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जिससे उसे डकार, फार्ट और पेट में दर्द भी हो सकता है।
चेरी की तरह ही सूखे आलूबुखारे को भी पचाना मुश्किल है और एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे के लिए इस फल को पचा पाना कठिन होता है। यद्यपि सूखा आलू बुखारा स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है लेकिन फिर भी स्तनपान के सौरन इसे खाने की सलाह नहीं दी जाती है। क्योंकि बच्चे को दूध पिलाने की अवधि में उसका पेट पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। इस अवधि में सूखे आलू बुखारे का सेवन करने से बच्चे को गैस व बेचैनी हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप उसकी नींद भी खराब होती है। सूखा आलू बुखारा खाने से पेट में दर्द और कब्ज की समस्या भी हो सकती है।
आमतौर पर कीवी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यद्यपि यह फल विटामिन से भरपूर होता है लेकिन इसमें एसिड की मात्रा भी अधिक होती है। इसके अलावा कीवी में शुगर भी बहुत मात्रा में होती है इसलिए ज्यादातर मांओं को इसका सेवन करने की सलाह नहीं दी जाती है और यह फल ब्रेस्टफीडिंग की अवधि में परहेज करनेवाले फलों की सूची का हिस्सा है।
स्ट्रॉबेरी में शुगर की भरपूर मात्रा होती है और जब तक आपका बच्चा 3 साल का नहीं हो जाता है तब तक उसमें इस शुगर को विभाजित करने के लिए इंसुलिन की पर्याप्त क्षमता नहीं होती है। इसलिए स्तनपान करानेवाली मांओं को स्ट्रॉबेरी के सेवन से बचना चाहिए। हम जानते हैं कि स्ट्रॉबेरी आपको बहुत पसंद होगी और इसे मना कर पाना मुश्किल है पर बच्चे के स्वास्थ्य के लिए आपको यह भी करना ही पड़ेगा।
6 महीने की आयु तक एक बच्चे का न्यूट्रिशन पूरी तरह से माँ के दूध पर निर्भर करता है। माँ के दूध में एंटीबॉडीज होते हैं जो बच्चे को बीमारी से लड़ने और इसे रोकने में मदद कर सकते हैं। यदि आप अपने बच्चे को स्तनपान कराती हैं तो आपका वजन कम हो सकता है और साथ ही आपके तनाव का स्तर भी कम होगा।दूध की आपूर्ति प्रचुर मात्रा में हो रही है और बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध मिल रहा है, यह सुनिश्चित करने के लिए आपको स्वास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। बच्चे को दूध पिलाने की अवधि में आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए यह जानने के लिए ब्रेस्टफीडिंग ट्रैकर का उपयोग करें। यहाँ तक कि आप बच्चे को दूध पिलाने के तरीके और पोजीशन भी सीख सकती हैं ताकि बच्चा अच्छी तरह से दूध पी सके। इस ट्रैकर की मदद से आप दाएं या बाएं जिस भी स्तन से बच्चे को दूध पिला रही हैं उसका समय रिकॉर्ड कर सकती हैं। आपने दिनभर में बच्चे को कितना दूध पिलाया है, यह भी आप इस ट्रैकर की मदद से रिकॉर्ड कर सकती हैं। वास्तव में यह ट्रैकर ब्रेस्टफीडिंग माँ का एक बहुत अच्छा साथी है!
बच्चे को दूध पिलाने की अवधि में आप ज्यादा से ज्यादा पौष्टिक आहार और फल खाएं जिससे यह सुनिश्चित होगा कि आप और आपका बच्चा स्वस्थ रहते हैं। जिस भी डायटिशन के साथ आप सहज महसूस करती हैं उसके परामर्श अनुसार एक आहार योजना बनाएं और आगे की सहायता के लिए डॉक्टर से चर्चा करें।
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