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सौतेले माता-पिता बनना बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है क्योंकि आपको दूसरे के बच्चे के लिए वो जगह बनानी होती है जो उसके लिए उसके अपने पेरेंट्स की होती है। लेकिन अगर आप बच्चों के दिल में पूरी तरह से अपनी जगह बनाना चाहते हैं या उनके लिए एक रोल मॉडल बनना चाहते हैं तो कोई भी मौका न चूकें।
सौतेले मां या पिता बनने के बाद आपके और परिवार के अन्य सदस्यों के बीच सभी रिश्तों में काफी बदलाव आ जाते हैं। क्योंकि अब आप और आपका अपना परिवार आपके पार्टनर और उसके परिवार के साथ मिलता है, वह भी उनके पारिवारिक मसलों के साथ।
सौतेले पेरेंट्स के रूप में यहाँ उन चुनौतियों के बारे में बताया गया है जो आपके सामने आ सकती हैं, और साथ ही यह भी कि उनसे किस तरह निपटें:
जो खुशी और एनर्जी आपको रोमांस में मिली है, आप उसी की कल्पना अपनी घरेलू जिंदगी लाइफ में कर सकते हैं। हालांकि, आपके जीवन में एक बच्चे के आने से बदलाव आ सकता है और जीवन जीने का तरीका बदल जाता है।
समाधान
यह सिर्फ आपके कम्युनिकेशन पर निर्भर करता है! न केवल आप दोनों की अलग पेरेंटिंग स्टाइल होगी, बल्कि आपके अनुभव भी अलग-अलग होंगे। नए माता-पिता, बच्चे की परवरिश करने के लिए बहुत सारे पैटर्न खोजते हैं और हमारा सुझाव यही है कि नए स्टेप पैरेंट को भी धीरे-धीरे इस तरह से सोचना चाहिए। दो बातें निश्चित हैं, आप दोनों ही इसमें एक साथ हैं और आप दोनों ही वयस्क हैं। जैसा कि हवाई जहाज सुरक्षा निर्देशों में बताया जाता है कि दूसरों की मदद करने से पहले आपको अपना खुद का ऑक्सीजन मास्क सुरक्षित करने की जरूरत है, इसलिए पहले आपको अपने और पार्टनर के बीच सभी मुद्दों को हल करना चाहिए।
अब, यह वो स्थिति है जहाँ स्टेप पेरेंट सोचते हैं कि वे इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। क्योंकि शुरुआत से ही आप इस बात को लेकर अलर्ट होते हैं कि क्या आपके पार्टनर का बच्चा आपको स्वीकार करेगा? जैसा कि हमने पहले बताया है, इस बात को बहुत ज्यादा खींचना भी नेगेटिव साबित हो सकता है जैसे यह बात को बिगाड़ सकता है या आपको कमजोर कर सकता है।
समाधान
याद रखें कि आपके सौतेले बच्चे की अपनी एक पर्सनालिटी, हिस्ट्री और अनुभव हैं। उस बच्चे के लिए यह स्वीकार करना मुश्किल होता है कि वो इंसान जिसे वो अभी ठीक से अपने जीवन का हिस्सा नहीं मान पाया है वो उसके ऊपर अपना हक जताए और अपनी अपेक्षाएं उसके जीवन में थोपने की कोशिश करें। इसलिए आपको यही सुझाव दिया जाता है कि पहले आप बच्चे के जीवन में अपनी जगह बनाएं और इसके लिए पर्याप्त समय लें। धीरे-धीरे ही जान पहचान बढ़ती है और आपको यह बात ध्यान में रखना है कि आप कोई फिक्स रोल नहीं निभा रहे हैं, सबसे अच्छा यह है कि आप जो हैं वही रहें और अपने सौतेले बच्चे के साथ एक सच्चा रिश्ता बनाने की कोशिश करें।
अब यह थोड़ा मुश्किल होता है! क्योंकि अभी आप अपने नए पार्टनर और उनके बच्चे के साथ एडजस्ट होने की कोशिश कर रहे हैं, वैसे ही आपका बच्चा भी आपके साथ चीजों को एडजस्ट कर रहा होता है। नए लोगों के तौर तरीके और आदतें अजीब लग सकती हैं, बच्चे को अब अपनी जगह, अटेंशन और चीजें बाकि भाई बहनों के साथ शेयर करनी होगी, जो शायद किसी भी बच्चे के लिए एक बड़ा चैलेंज हो सकता है और यह बात आपको समझनी चाहिए!
समाधान
आपको अपने बच्चे से इस बारे में बात करनी चाहिए कि वह क्या चाहता है। उसे बताएं कि आप इस परिस्थिति में उसके साथ हैं। जब आप उसे यह यकीन दिलाने का प्रयास कर रहे हैं कि आपका साथ हमेशा उसे मिलेगा, तो भी घर में ‘वे लोग’ बनाम ‘हम लोग’ वाला माहौल न बनने दें।
यह सच है कि बच्चे आसानी से दोस्त बना लेते हैं। लेकिन ऐसा तब तक होता है, जब तक कि वे स्कूल के दोस्त या फिर साथ खेलने वाले बच्चे हों। दूसरी ओर भाई-बहन, जीवन का अहम हिस्सा होते हैं और भाई-बहन, भाई-बहन ही होते हैं लेकिन जबरदस्ती किसी को भाई बहन बना दिया जाए तो शायद बच्चे के लिए यह स्वीकार करना मुश्किल हो सकता है!
समाधान
बच्चे का अपने नए सौतेले भाई-बहनों या सौतेले माता-पिता के लिए किसी भी तरह से बुरा बोलने का समर्थन न करें; हालांकि, बच्चे को हमेशा चुप कराना भी सही नहीं है। उसे अपनी परेशानी बताने दें, उसे समझें। पहली बात यही है कि सभी बच्चों को एक साथ रहना है।
यह सच स्वीकार करें कि स्टेप पेरेंट बनने की चुनौतियां और संघर्ष किसी के नियंत्रण में नहीं होते हैं। सौतेले माता-पिता के रूप में आपके पार्टनर और उनके बच्चे के बीच का रिश्ता स्टेप पेरेंट के जीवन का एक पहलू है।
समाधान
‘जाने देना’ पेरेंटिंग का अहम हिस्सा है। अपनी समस्या को अपने पार्टनर और उनके बच्चे पर पर जबरदस्ती न थोपें और अपने साथी को यह समझाने की कोशिश न करें कि उनके बच्चे को ठीक करने की जरूरत है। बच्चे को आपको स्वीकार करने के लिए फास्ट-ट्रैक तरीके अपनाने के बजाय धीरे-धीरे उसे पॉजिटिव रूप से मानने दें।
बड़े बच्चों के मुकाबले छोटे बच्चों के पेरेंट्स के लिए सौतेले मां या पिता का सलाह देना या उन्हें समझाना आसान होता है।
छोटे बच्चे आपको जल्दी प्रतिक्रिया दे सकते हैं और बड़े बच्चों की तुलना में अधिक आसानी से अपने जीवन में जगह दे सकते हैं। पहले कुछ महीनों के लिए, अपने पार्टनर के साथ मिलकर उनके साथ समय बिताएं और बाद में, उनके साथ अकेले समय बिताएं।
सौतेले माता-पिता होने का मतलब यह नहीं है कि आप अपने सौतेले बच्चे की रोजाना की जिंदगी से कोई मतलब न रखें। खाना, नहाना, डायपर बदलने आदि में मदद करके अपने पार्टनर का साथ दें।
हालांकि यह थोड़ा मुश्किल है, लेकिन आपको रोज अपने सौतेले बच्चे के साथ बिताना होगा। ऐसा तो नहीं है कि आप उनसे एक मुलाकात करेंगे और दोबारा कई हफ्तों तक न मिलें। उन्हें अपनी आदत डालने दें और जानने दें कि आप उनके जीवन का हिस्सा हैं।
यदि कोई बच्चा यह देखता है कि आप उसके असली माता-पिता के प्रति सम्मानजनक हैं, तो वह आपके प्रति और भी ज्यादा स्नेह महसूस करेगा, क्योंकि अब वह आपको खतरे के रूप में नहीं देखेगा।
बच्चे जानते हैं कि आप उन्हें कब सच में प्यार दे रहे हैं और कब नहीं, जब वे प्यार महसूस करते हैं, तो ये कनेक्शन स्वाभाविक होता है!
बड़े बच्चों की पेरेंटिंग मुश्किल होती है। उनके पूर्वाग्रहों और अनुभवों के साथ, आपके लिए उनके जीवन में जगह बनाना कठिन काम साबित हो सकता है।
अगर आप बच्चे के मन में अपनी जगह नहीं बना पा रहे हैं, तब भी आपको अपने प्रयास जारी रखना चाहिए। बड़े बच्चों का अपना दिमाग होता है और उन्हें जैसा ठीक लगता है वो वैसे ही चीजों को करते हैं। भले ही आपके ये प्रयास तुरंत काम न आएं, लेकिन हार न मानें और बच्चे को सपोर्ट करते रहें, जैसे असली माता-पिता बच्चों को सपोर्ट करते हैं, इससे आप आज नहीं तो कल बच्चे के दिल में अपनी जगह जरूरी बना लेंगे
आपका बच्चा अपने ही घर में अपने परिवार के साथ किसी अनजान व्यक्ति के साथ रिश्ता बनाने की कोशिश कर रहा है। ये उसकी और से एक अच्छा प्रयास है और हर सौतेले माता-पिता बच्चे को थोड़ा समय देना चाहिए। परिवार में प्यार धीमे-धीमे ही आता है।
सम्मान देना किसी भी रिश्ते को बनाने के लिए बहुत अहम पहलू है। घर के कामों और एक्टिविटीज में उन्हें शामिल करके उन्हें दिखाएं कि आप उनके इनपुट को महत्व देते हैं। जैसा कि कहा जाता है अगर आपको किसी व्यक्ति के आपके प्रति नकारात्मक रवैये को बदलना हो, तो आप उनकी मदद मांगें।
ये स्टेप खुद को समझाने के लिए है। आपके सौतेले बच्चे का अपने असली पेरेंट का साथ बिताया हुआ समय बहुत ही प्यारा होता है। यही बात उनके दूसरे माता-पिता पर भी लागू होती है, अगर वे अभी भी बच्चे के जीवन का हिस्सा हैं।
एक सौतेले माता-पिता के रूप में एक बच्चे के जीवन में आने के लिए, ध्यान रखें कि आप उस रिश्ते के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं हैं। हर रिश्ता दोतरफा होता है, और सिर्फ इसलिए कि आप चीजों को जता पाते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि वे भी करेंगे! तो, इसे पर्सनल न लें। खासकर सौतेले माता-पिता के रूप में आपको यह बात जरूर ध्यान में रखनी चाहिए ।
1. जैसे हैं वैसे रहें
आपको पता है आपका सौतेले बच्चे की एक पहचान है जैसे कि आपकी है। उसके सामने आप वैसे ही अपने आप को जाहिर करें जैसे आप किसी दोस्त या सहकर्मी के साथ होते हैं। आप जैसे हैं वैसा होना स्टेप पेरेंटिंग के अहम नियम में से एक है जो बहुत महत्व रखता है।
2. गौर करें और जानें कि आप कैसे माता-पिता हैं
पेरेंटिंग दो लोगों का काम है और आपको और आपके पार्टनर को मिलकर इसके लिए काम करने की जरूरत होती है। एक दूसरे के साथ बातचीत करें। बच्चे की परवरिश के लिए समय के साथ स्किल विकसित होती है, बस आपको ध्यान देना होगा कि आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
3. अकेले समय बिताने स न हिचकें
आपको बच्चे के साथ समय बिताना चाहिए। यह हालात को सुधारने के लिए और दोनों के बीच की बॉन्डिंग बेहतर करने के लिए कम्युनिकेशन बहुत जरूरी है। बच्चे की स्कूल एक्टिविटी में उसकी मदद करें। यह एक-दूसरे को जानने का अच्छा तरीका है।
4. बच्चे को अपने सगे माता या पिता के साथ समय बिताने दें
अपने सौतेले बच्चे को को बताएं कि आपके लिए रिश्तों की अहमियत है, इसलिए उसे उसके असली मां या पिता से मिलने दें।
1. उम्मीद करना
यह आपके लिए सुविधाजनक होगा यदि सब कुछ सुचारू रूप से चलता है, इस प्रकार आपका सौतेला बच्चा आपको जल्दी स्वीकार कर लेता है और बिना किसी हिचकिचाहट के अपने नए पारिवारिक जीवन में घुल जाता है। इस तरह आप दोनों को एक दूसरे के साथ एडजस्ट करने में परेशानी नहीं होगी।
2. ज्यादा सख्ती न बरतें
आप और आपका सौतेला बच्चा दो अलग व्यक्ति हैं जो एक दूसरे से अनजान हैं। इसलिए, उसके साथ ऐसा व्यवहार न करें जैसे कि आप उसे सारी जिंदगी नहीं जानना चाहते। यह गलती अक्सर लोग करते हैं, इसलिए छोटे छोटे स्टेप लें ताकि बच्चा आपके साथ खुद को कंफर्टेबल महसूस करे।
3. आप उसके ‘सगे’ माता-पिता नहीं है
आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि सौतेले मां या पिता सगे मां या पिता कभी नहीं बन सकते, अगर बच्चा ऐसा कहता है तो आप पर्सनली इस बात को न लें, यह विचार समय के साथ खुद बदल जाएगा।
4. पर्सनल न लें
हमेशा अपने ध्यान में यह बात रखें कि जैसे आपको स्टेप पेरेंट के तौर पर बच्चे के साथ एडजस्ट होने में समय लगता है, वैसे ही बच्चे को भी समय लगता है। अगर वो कभी आपसे खराब बर्ताव करता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह आपको पसंद नहीं करता इसलिए ऐसा कर रहा है या आप स्टेप पेरेंट के तौर पर फेल हो गए हैं।
कोशिश करें कि स्टेप पेरेंट के तौर पर आप बच्चे के साथ अच्छा रिश्ता बनाने का प्रयास करें।
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