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स्ट्रेस और ब्रेस्टफीडिंग – कारण, प्रभाव और टिप्स

किसी मुश्किल स्थिति या डर के प्रति, प्राकृतिक रूप से हमारा शरीर तनाव के रूप में रिएक्ट करता है। थोड़ा-बहुत तनाव हमारी रोज की जिंदगी का हिस्सा होता है और इससे पूरी तरह से बच पाना मुश्किल होता है। तनाव या तो अच्छा हो सकता है या बुरा हो सकता है। अच्छा तनाव हमें अच्छी तरह से काम करने के लिए प्रेरित करता है, लेकिन बुरा तनाव हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है और इसके कारण हेल्थ संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। अधिकतर महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद तनावपूर्ण या थकान महसूस करती हैं। पहली बार माँ बनना और अच्छी माँ बनने का दबाव डरावना हो सकता है। कुछ महिलाएं अपने ब्रेस्टफीडिंग स्टेज में अक्सर स्ट्रेस महसूस करती हैं। स्ट्रेस और स्तनपान आपस में जुड़े हुए हैं। हालांकि, तनाव विभिन्न महिलाओं पर विभिन्न तरीके से प्रभाव डाल सकता है। एक महिला के लिए जो चीज अत्यधिक तनावपूर्ण है, वह दूसरी महिला के लिए भी उतनी ही तनावपूर्ण हो, ऐसा जरूरी नहीं है। इसके अलावा, कुछ महिलाएं तनाव से निपटने में निपुण हो सकती हैं। 

लगातार होने वाला और लगातार बढ्ने वाला तनाव, ब्रेस्ट मिल्क के प्रोडक्शन पर बुरा प्रभाव डाल सकता है और साथ ही मुश्किल लेट-डाउन रिफ्लेक्स भी हो सकता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं में अत्यधिक तनाव होने से बच्चा दूध पीना जल्दी बंद कर सकता है। दूसरी ओर लगातार ब्रेस्टफीडिंग कराने से तनाव को कम करने में मदद मिलती है। ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान जो हॉर्मोन्स निकलते हैं, वे रिलैक्सेशन, प्यार और जुड़ाव जैसी पॉजिटिव भावनाओं को बढ़ाते हैं और रोज के तनाव को कम करने में मदद करते हैं। 

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं को तनाव क्यों होता है

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान तनाव के कुछ संभावित कारण इस प्रकार हैं: 

1. शारीरिक असुविधा

एक नई माँ के लिए डिलीवरी के बाद टांकों के ठीक होने के दौरान थोड़ी शारीरिक असुविधा का अनुभव होना आम बात है। और एक बार जब वह ब्रेस्टफीडिंग कराना शुरू कर देती है, तब ब्रेस्ट में सूजन, निप्पल्स में दर्द जैसी समस्याएं उसके शारीरिक स्ट्रेस को और बढ़ा देती हैं। इन सब से ब्रेस्टफीडिंग असुविधाजनक बन जाती है और तनाव पैदा हो सकता है। 

2. मुश्किल डिलीवरी का अनुभव

अगर माँ ने नॉर्मल डिलीवरी की उम्मीद की हो, लेकिन कुछ अनचाहे कारणों से अचानक सी-सेक्शन डिलीवरी करनी पड़ जाए या मुश्किल डिलीवरी हो, तो ऐसे में अपराधबोध, गुस्सा और तनाव जैसी भावनाएं पैदा हो जाती हैं, जो कि ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं। 

3. ब्रेस्टफीडिंग एंग्जायटी

ब्रेस्टफीडिंग में अनुभव की कमी से भी तनाव हो सकता है। एक नई माँ को यह सोचकर चिंता हो सकती है, कि बच्चे को दूध पीना कैसे सिखाए या ब्रेस्ट मिल्क का प्रोडक्शन कैसा होगा। या उसे ब्रेस्टफीडिंग का सही तरीका और ब्रेस्टफीडिंग शेड्यूल के बारे में भी चिंता हो सकती है। 

4. प्राइवेसी की फिक्र

कुछ नयी मांएं अपने ब्रेस्ट एक्सपोजर को लेकर सेल्फ-कॉन्शस हो सकती हैं, जिससे ब्रेस्टफीडिंग उनके लिए तनावपूर्ण हो सकती है। एक नई माँ पब्लिक में दूध पिलाने या ब्रेस्टफीडिंग टाइम पर घर आने वाले गेस्ट के कारण परेशान हो सकती है। उसकी प्राइवेसी पर खतरा होने से उसे तनाव हो सकता है। 

5. नींद की कमी

एक न्यूबॉर्न बेबी की देखभाल करना और दूध पिलाना, शारीरिक और भावनात्मक रूप से परेशानी भरा हो सकता है। इसमें अक्सर रात भर जाग-जाग कर दूध पिलाना पड़ सकता है। रात को इस तरह से जागने से नींद में रुकावट आती है, जिसके कारण बहुत ज्यादा थकान हो सकती है। अपर्याप्त नींद और आराम के कारण भी तनाव हो सकता है। 

6. हॉर्मोन्स

एक महिला अपनी प्रेगनेंसी के दौरान कई तरह के हॉर्मोनल और शारीरिक बदलावों से गुजरती है। डिलीवरी और ब्रेस्टफीडिंग के कारण उसकी शारीरिक बनावट पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है, – जैसे वजन बढ़ना, ब्रेस्ट के आकार में बदलाव, स्ट्रेच मार्क्स आदि। ये सभी बदलाव भी तनाव पैदा कर सकते हैं। 

7. ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली नई माँ अपने बच्चे के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध बनने की अपनी क्षमता को लेकर अक्सर तनाव में रहती हैं। इस तरह से चिंता करना तनाव का एक और कारण हो सकता है। 

8. बच्चे का स्वभाव

हर बच्चे का अपना एक अलग स्वभाव होता है। कुछ बच्चों को संभालना बहुत आसान होता है। वे ज्यादा समय के लिए सोते हैं, दूध पीने के लिए बार-बार नहीं उठते हैं, कम रोते हैं और आमतौर पर खुश रहते हैं। वहीं कुछ बच्चों को संभालना बहुत मुश्किल हो सकता है। वे कम सो सकते हैं, अधिक रोते हैं या बहुत जल्दी परेशान हो जाते हैं। ऐसे बच्चों की देखभाल करना मुश्किल हो सकता है और इससे ब्रेस्टफीडिंग तनाव पैदा हो सकता है। पर्याप्त सपोर्ट न मिलने की स्थिति में इसकी संभावना ज्यादा होती है। 

9. साथी के साथ रिश्ता

जब स्तनपान और बच्चे की देखभाल की बात आती है, तब आपके और आपके साथी के बीच एक समझदारी भरा रिश्ता होना चाहिए। विपरीत नजरिया और अलग-अलग विचार रिश्तों में तनाव पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में यह भी देखा जाता है, कि पार्टनर मदद का हाथ आगे नहीं बढ़ाता, जिससे नई माँ को तनाव हो सकता है। 

10. फाइनेंशियल परेशानियां

पैसों की कमी तनाव का एक बहुत बड़ा कारण हो सकती है। एक बच्चे के आगमन से घरेलू खर्चे बढ़ सकते हैं, जैसे – उसकी जरूरत का सामान, उसके डायपर आदि। अगर महिला पहले काम कर रही थी, लेकिन बच्चे के जन्म के बाद अगर वह एक अनपेड मैटरनिटी लीव पर है या उसने अपनी नौकरी छोड़ दी है, तो इससे परिवार की आमदनी पर असर पड़ता है। 

ब्रेस्टफीडिंग पर तनाव का प्रभाव

स्तनपान कराने वाली मांँ यह जानना चाहती होगी, कि ब्रेस्टफीडिंग पर तनाव का असर कैसे पड़ता है। ब्रेस्टफीडिंग पर तनाव निम्नलिखित तरीकों से असर डाल सकता है: 

1. ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई

तनाव और ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई एक दूसरे से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। आमतौर पर ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन इस बात पर निर्भर करता है, कि आपका बच्चा कितनी बार दूध पीता है। वह जितना ज्यादा दूध पीता है, दूध का उत्पादन उतना ही ज्यादा होता है। वहीं, अगर तनाव के कारण आप बच्चे को बार-बार दूध नहीं पिला पाती हैं, साथ ही अगर आप एक हेल्दी डाइट नहीं लेती हैं या आप पानी कम पीती हैं, तो उससे भी आपकी ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई पर असर हो सकता है। 

2. लेट-डाउन रिफ्लेक्स

ब्रेस्ट मिल्क को स्वतंत्र रूप से बच्चे तक पहुँचाना, लेट-डाउन रिफ्लेक्स या मिल्क-एजेक्सन रिफ्लेक्स की जिम्मेदारी होती है। लगातार रहने वाला तनाव ब्रेस्ट मिल्क के लेट-डाउन को धीमा कर सकता है। स्तनपान कराने वाली माँ तनाव में हो, तो उसका शरीर अधिक एड्रेनालाईन पैदा कर सकता है, जो कि प्रोलेक्टिन और ऑक्सीटॉसिन हॉर्मोंस को कम कर सकता है या रोक सकता है, जिससे ब्रेस्ट मिल्क लेट-डाउन की समस्या हो सकती है। 

3. बच्चे का व्यक्तित्व

अध्ययन बताते हैं, कि ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद कॉर्टिसोल हॉर्मोन बच्चे के विकास पर गहरा प्रभाव डालता है। तनाव के कारण माँ के शरीर में मौजूद कॉर्टिसोल उसके दूध में पहुँच जाता है और फिर ब्रेस्ट के रास्ते से बच्चे के शरीर में भी चला जाता है। शोधकर्ताओं ने पाया है, कि हाई-कोर्टिसोल ब्रेस्ट मिल्क पीने वाले बच्चे में अत्यधिक वजन की शिकायत ज्यादा होती है और उसमें नर्वस और चिंतापूर्ण स्वभाव पैदा हो सकता है। 

4. जुड़ाव

जब एक माँ अपने बच्चे को दूध पिलाती है, तो माँ और बच्चे के बीच प्यार और पोषण का एक मजबूत रिश्ता बन जाता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ में अधिक बढ़ने वाले तनाव से, उसके दूध पिलाने के तरीकों में बदलाव आता है, जिससे बच्चे के साथ उसकी बॉन्डिंग खराब हो सकती है। 

5. दूध जल्दी छोड़ना

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ में अधिक समय तक रहने वाला तनाव, उसके नर्सिंग रूटीन पर असर डाल सकता है, जिससे बच्चा प्राकृतिक समय की तुलना में बहुत जल्दी दूध पीना छोड़ सकता है। 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान तनाव से कैसे निबटें

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान तनाव से निपटने के लिए कुछ उपयोगी तरीके इस प्रकार हैं: 

1. ट्रिगर्स को पहचानना

तनाव पैदा करने वाले तत्वों को पहचानने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए अगर आपको लगता है कि समाचार देखने से आपको तनाव हो जाता है, तो इससे बचें। 

2. अच्छी नींद

जब आपका बच्चा सोता है, आप भी उसी दौरान अपनी नींद को शेड्यूल करें और कभी न खत्म होने वाले घर के कामों को कुछ समय के लिए छोड़ दें। 

3. रिलैक्सेशन तकनीकों को अपनाएं

तनाव को कम करने के लिए ध्यान, मेडिटेशन, योगा, रिलैक्सेशन तकनीक और डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज का सहारा लें। 

4.  मदद लें

अपने ऊपर पड़ने वाले स्ट्रेस को कम करने के लिए, अपने परिवार और दोस्तों से जितना संभव हो सके, मदद लें। 

5. एक्सरसाइज

जुंबा जैसी एक्सरसाइज के कुछ तरीकों को अपने रुटीन का हिस्सा बनाने से एंडोर्फिंस जैसे हैप्पी हॉर्मोन्स रिलीज होते हैं और इससे तनाव को दूर करने में मदद मिलती है। पर एक्सरसाइज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

बच्चे के जन्म के बाद, नए बदलावों के साथ तालमेल बिठाने में तनाव होना नेचुरल है, पर ज्यादा तनाव के कारण ब्रेस्टफीडिंग में मुश्किलें आ सकती हैं। अपने परिवार और दोस्तों को शामिल करके एक इमोशनल सपोर्ट सिस्टम तैयार करना, तनाव से निपटने में मददगार साबित हो सकता है। 

यह भी पढ़ें: 

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पूजा ठाकुर

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