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यह पता लगाना कि आप गर्भवती हैं, जाहिर है आपके लिए एक खुशी की खबर होगी। ऐसे कई संकेत हैं जो आपकी गर्भावस्था के बारे में आपको उसी दिन से बता सकते हैं जिस दिन आपने गर्भधारण किया था, लेकिन हो सकता है कि आपने उन संकेतों पर ध्यान न दिया हो।
यद्यपि प्रेगनेंसी टेस्ट करने से यह आपकी गर्भावस्था की पूरी तरह से पुष्टि करता है, लेकिन इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे तरीके भी हैं, जिनके जरिए आप जान सकती हैं कि आप गर्भवती हैं। इस लेख में, आपको बताया गया है कि आप बिना किसी टेस्ट के यह कैसे पता लगा सकती हैं कि आप गर्भवती हैं या नहीं ।
बिना किसी टेस्ट के गर्भावस्था की पुष्टि करने के कई तरीके हैं – कुछ संकेत आपके शरीर के फंक्शन को देख कर पता लगाए जा सकते हैं और कुछ संकेत आप कैसा महसूस कर रही हैं, उससे पता चल सकते हैं। आइए गर्भावस्था के कुछ लक्षणों पर एक नजर डालते हैं ।
ज्यादातर मामलों में, महिलाओं को पीरियड न होने के कारण यह संदेह होता है कि वो गर्भवती हैं। जब गर्भाशय में निषेचन (फर्टिलाइजेशन) होता है, तो इसकी वजह से डिंब बनना रुक जाते हैं और महिला को पीरियड नहीं होता है । तथापि ऐसा भी हो सकता है कि आपको पीरियड न आने के पीछे का कारण तनाव हो या आपके वजन में अचानक से आए बदलाव के कारण आपका पीरियड मिस हो गया हो। हालांकि अगर आप गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं, तो आपको इस संकेत पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
स्पॉटिंग का मतलब है कि यह स्थिति हैं जब 2 पीरियड के बीच के समय में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। जब फर्टिलाइज्ड डिंब गर्भाशय की दीवार (वॉल) पर खुद को प्रत्यारोपित (इम्प्लांट) करता है, तो योनि से हल्का रक्तस्राव होता है। यह आमतौर पर महिला के आखिरी पीरियड के कुछ हफ्ते बाद होता रहता है। स्पॉटिंग ज्यादातर गर्भावस्था का एक ठोस संकेत होता है, इसलिए अगर आपको स्पॉटिंग नजर आती है तो बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से परामर्श कर लें।
कभी कभी स्पॉटिंग के साथ आपको हल्की ऐंठन (क्रैम्प) भी हो सकती है, जो इस बात की ओर इशारा करती है कि डिंब खुद गर्भाशय की अंदरूनी दीवार पर प्रत्यारोपित हो गया है। चूंकि स्पॉटिंग और ऐंठन को दोबारा पीरियड आने का संकेत समझने की गलतफहमी हो सकती है, इसलिए आपको यहाँ बताया गया है कि आप कैसे पहचानेंगी कि यह ऐंठन आपके गर्भाशय में होने वाले प्रत्यारोपण का परिणाम है:
इम्प्लांटेशन क्रैम्प आपको ओव्यूलेशन होने के 6-12 दिनों बाद शुरू होते हैं, जो आमतौर पर पीरियड्स शुरू होने पर भी होते हैं, इसलिए ध्यान दें कि क्रैम्प के दौरान आपको कैसा महसूस होता है। याद रखें कि ये क्रैम्प गंभीर नहीं होते लेकिन अगर आपको पेट में बहुत ज्यादा ऐंठन महसूस हो रही है, तो बिना देर किए तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें ।
आप एक और आम संकेत से जान सकती हैं कि आप गर्भवती है और वो है मॉर्निंग सिकनेस। इसमें महिला को सुबह सोकर उठने के बाद बीमार जैसा महसूस होता है और यह किसी मामूली कारण पर भी उल्टी होने के बाद कम हो जाता है । यह महिला में हार्मोन के बढ़ते स्तर के कारण होता है और फर्टिलाइजेशन होने के लगभग तीन सप्ताह बाद शुरू होता है।
बिलकुल शुरूआती गर्भावस्था के दौरान बहुत जल्दी, महिलाओं को उनका पेट भरा हुआ महसूस होता है जबकि उन्होंने बहुत कम मात्रा में भोजन किया होता है । इसकी वजह से आपको अत्यधिक पेट फूलने और पेट में ऐंठन जैसी समस्या का अनुभव होने लगता है । जैसे–जैसे शरीर में प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ता है, यह पाचन क्रिया को प्रभावित करने लगता है और इसके परिणामस्वरूप सूजन आने लगती है।
गर्भावस्था के प्रारंभिक संकेत में से एक है स्तनों का संवेदनशील हो जाना । आपके स्तन दर्द से भर जाते हैं, इसमें सूजन आ जाती है और निपल को हल्के से भी स्पर्श करने पर सनसनाहट महसूस होती है। निपल का रंग भी गहरा हो जाता है और उस क्षेत्र के आसपास छोटे धब्बे दिखाई देने लगते हैं। ये धब्बे आमतौर पर सफेद रंग के होते हैं।
जब एक महिला गर्भवती होती है तो उसके शरीर में कई हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिसकी वजह से उसे सामान्य से बहुत ज्यादा पेशाब आने लगता है। एक गर्भवती महिला को हर आधे घंटे में वॉशरूम जाने की जरूरत पड़ सकती है, जिससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है और शरीर में वॉटर रिटेंशन का स्तर अधिक रहता है।
पीरियड्स के दौरान अक्सर आपको पीठ के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव होता है, जो गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में भी होता है। इस दर्द का कारण तनाव और हार्मोनल परिवर्तन हो सकता है, इसलिए यह आपके आराम करने और मालिश करवाने के बावजूद भी कम नहीं होता है। हालांकि, गर्भावस्था के बढ़ने के साथ साथ आप कुछ हल्के व्यायाम और योग करके, इस दर्द को कम कर सकती हैं।
केवल सिरदर्द को गर्भावस्था का संकेत नहीं माना जा सकता है, लेकिन अगर यह आपको यहाँ बताए गए अन्य लक्षणों के साथ अनुभव होता है तो आपको सतर्क रहना होगा। पहली तिमाही के दौरान सिरदर्द होना सामान्य है, यह दूसरी तिमाही में भी जारी रहता है। इसका मुख्य कारण तनाव है, इसलिए सिरदर्द का इलाज आराम करके किया जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में मूड स्विंग होना आम है। इस समय आपके मूड में अचानक से परिवर्तन आने लगता है, आप एक पल में खुश रहती हैं तो अगले ही पल चिड़चिड़ी हो जाती हैं । ये रक्त प्रवाह में हार्मोन के बढ़ते स्तर के कारण होता है और आप खुद का मूड अच्छा बनाए रखते हुए इसे कम कर सकती हैं।
यह आपके खाने की बढ़ती क्रेविंग और गर्भावस्था के दौरान रक्त में एस्ट्रोजन के स्तर में वृद्धि के कारण हो सकता है । खाने की क्रेविंग को संतुष्ट किया जा सकता है, बशर्ते कि आप जो खा रही हों वो आपके लिए पूरी तरह से सुरक्षित होना चाहिए और आप उसे बहुत ज्यादा मात्रा में न खाएं।
एक गर्भवती महिला को बहुत सारे शारीरिक परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है जिसकी वजह से वो ठीक से नहीं सो पाती है और उसे थकान महसूस होती है। यह रक्त में मौजूद प्रोजेस्टेरोन के कारण होता है और आपको लगातार मतली जैसा महसूस होता है। यह थकान ज्यादातर दूसरी तिमाही में कम होने लगती है, लेकिन तीसरी तिमाही के दौरान यह फिर से महसूस हो सकती है ।
संवेदनशील मसूड़े भी गर्भावस्था का संकेत हो सकते हैं। जब आप धीरे–धीरे ब्रश करती हैं तब आपको अपने मसूड़ों में दर्द और खून आने का अनुभव हो सकता है। अगर आपको मसूड़ों से खून आता है तो आपको अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
इस समस्या का मेडिकल नाम पामर इरिथेमा है – इसमें गर्भवती महिला की हथेली लाल पड़ जाती है। यह गर्भवती महिला के शरीर में एस्ट्रोजन के स्तर में वृद्धि के कारण होता है।
जब रक्तप्रवाह में हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, तो इसकी वजह से नाक की मेम्ब्रेन में सूजन आ जाती है और यह सूख जाती है। इसके कारण गर्भवती महिलाओं को नाक जमने जैसा महसूस होता है और आपको शायद अपनी नाक भरी हुई या बहने जैसी महसूस हो।
यदि आपका शरीर ओवुलेशन की प्रक्रिया में है तो यह जानने के आपके शरीर का तापमान बेहतर रूप से काम करता है। वो महिलाएं जो गर्भधारण का प्रयास कर रही हैं उन्हें अपने शरीर के तापमान का एक चार्ट तैयार करना चाहिए जो यह बता सके कि आप कब ओवुलेशन करने वाली हैं । अगर ओवुलेशन के बाद लगभग दो सप्ताह तक आपका तापमान अधिक रहता है, तो इसका करीब–करीब यही मतलब होता है कि आप गर्भवती है।
शरीर में हार्मोन की बड़ी मात्रा के कारण, शायद आपकी सेक्स ड्राइव गर्भधारण करने के शुरूआती चरण में कम हो जाए। महिलओं में थकान, गर्भावस्था के दौरान होने तनाव और दवाओं के कारण यौन संबंध बनाने की रुचि कम हो सकती है।
गर्भावस्था की वजह से आपके शरीर और चेहरे पर पिगमेंटेशन होने लगता है। आपके निपल गहरे रंग के हो जाते हैं और आपके माथे पर, ऊपरी होंठ और नाक वाले हिस्से में गहरे धब्बे दिखाई देने लगते हैं। इसे मेडिकल टर्म में मेलिस्मा कहते हैं, जिसे ‘मास्क ऑफ प्रेगनेंसी’ भी कहा जाता है। हालांकि, डिलीवरी के बाद आपके रंग में आया बदलाव फिर से ठीक हो जाता है।
गर्भवती महिलाओं में भी बालों की एक गहरी रेखा विकसित होती है, जो गर्भाशय के ऊपर से प्यूबिक बोन तक होती है। यदि महिला दूसरी बार गर्भवती हो रही है तो यह रेखा उसमें पहले दिखाई दे सकती है।
गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन पुबर्टी (यौवनारम्भ) के समान होते हैं, इसलिए गर्भावस्था के दौरान मुंहासों का फिर से निकलना कोई हैरानी की बात नहीं है। महिला की त्वचा तैलीय और रूखी हो जाती है और पूरे चेहरे पर मुंहासे दिखाई देने लगते हैं। यदि कॉस्मेटिक्स का उपयोग करने से स्थिति और खराब हो जाती है, तो अपने डॉक्टर से बात करें।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को उनके शरीर के कुछ हिस्सों में खुजली महसूस हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान त्वचा में पहुँचने वाले रक्त की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे त्वचा अधिक संवेदनशील हो जाती है। इस समस्या को कम करने के लिए आपको आरामदायक कपड़े पहनने चाहिए और डॉक्टर की सलाह पर आप इसके लिए क्रीम का प्रयोग कर सकती हैं, यदि यह असहनीय हो जाता है, तो आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए।
गर्भावस्था के कारण रक्त में एस्ट्रोजेन की मात्रा बढ़ जाती है, इसकी वजह से आपकी त्वचा पर स्पाइडर वेन्स
दिखाई देने लगती हैं।ज्यादातर यह बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाता है, लेकिन अगर यह नहीं जाता है तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए ।
यह तब होता है जब गर्भावस्था के दौरान होने वाले हार्मोनल परिवर्तन के कारण आपको थकान और नींद की कमी जैसे चीजें महसूस होने लगती हैं । यदि यह समस्या ज्यादा बिगड़ने लगती है तो इसका इलाज करने के लिए आपको अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए। इस बात का खयाल रखें कि हर समय हाइड्रेटेड रहें और अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज रखें ताकि यह आपको प्रभावित न करे।
अपने पीरियड मिस करने के दस दिन बाद अपनी गर्भावस्था की पुष्टि कर सकती हैं। टेस्ट में आपके मूत्र में एचसीजी हार्मोन के स्तर की जांच की जाती है, क्योंकि जब आप गर्भवती होती हैं तो इसका स्तर काफी हद तक बढ़ जाता है।
यदि आपको संदेह है कि आप गर्भवती हैं, तो आप प्रेगनेंसी टेस्ट किट खरीद सकती हैं और जांच कर सकती हैं। एक बार जब संदेह दूर हो जाता है तब आप अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकती हैं। हालांकि, यदि आपकी पिछली गर्भावस्था में कोई समस्या रही थी तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर के पास चाहिए।
गर्भावस्था की जांच करने के लिए आप कुछ घरेलू चीजों का उपयोग कर सकती हैं जैसे साबुन, सिरका, टूथपेस्ट, ब्लीच, आदि। हालांकि, इनमें से कोई भी टेस्ट 100% सटीक नहीं होते हैं, इसलिए बेहतर होगा कि आप डॉक्टर के पास जाएं ।
यदि बताए गए संकेतों में से आपको किसी एक का अनुभव होता है तो हो सकता है कि आप गर्भवती न हों। हालांकि, यदि आप उपरोक्त लक्षणों में से अधिकांश लक्षणों का अनुभव करती हैं, तो फिर काफी ज्यादा संभावना है कि आप गर्भवती हैं।
यदि महिला का बहुत ज्यादा मूड स्विंग हो रहा है और पीरियड्स नहीं चल रहे हैं तो यह आपकी गर्भावस्था का संकेत हो सकता है। हालांकि, इसे पूरी तरह से गर्भावस्था का संकेत नहीं माना जा सकता है जो गर्भवती होने की पुष्टि कर सके। बेहतर होगा कि आप इसके लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
एक गर्भवती महिला की नींद के पैटर्न में होने वाला बदलाव उसके शरीर में प्रोजेस्टेरोन के बढ़े हुए स्तर के कारण होता है। हालांकि, एक महिला को नींद न आने के अन्य कारण भी हो सकते हैं, इसलिए यह कहना गलत होगा कि केवल नींद न आने के आधार पर किसी की गर्भावस्था का पता लगाया जा सकता है।
ऊपर बताए गए संकेतों से आप अपनी गर्भावस्था की पुष्टि कर सकती हैं। यदि आपको यहाँ बताए गए एक या दो लक्षण ही नजर आते हैं तो फिर जरूरी नहीं है कि आप गर्भवती हों। हालांकि आपको सुझाव दिया जाता है कि यदि आपको उपरोक्त कई लक्षणों का अनुभव होता है तो आपको अपनी गर्भावस्था की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए ।
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