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एक बच्चे के जीवन के शुरुआती वर्षों में उसका तेज विकास होता है, जिससे उसमें शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत सारे बदलाव आते हैं। ऐसा ही एक बदलाव जिससे आपका बच्चा गुजरता है और अपने आसपास की दुनिया को बेहतर ढंग से समझ पाता है, वह है अपने पेरेंट्स से दूर अकेले सोना। बच्चे के बढ़ते वर्षों में उसे विभिन्न प्रकार के खास अनुभव होते हैं, जिनमें से एक है रात में डरना।
नाइट टेरर या स्लीप टेरर जिससे बच्चा रात में डरने, कांपने या रोने लगता है, एक रुकावट है, जो कि गहरी नींद के दौरान देखी जाती है। यह तब होता है जब बच्चा गहरी नींद के नॉन-आरईएम स्टेट के दौरान आंशिक रूप से जाग जाता है और यह स्थिति कई मिनटों तक जारी रह सकती है। यह खासकर 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है।
नाइट टेरर के किसी खास कारण की जानकारी उपलब्ध नहीं है। ये नींद की कमी से या अधिक तनाव के कारण हो सकते हैं। घर में या बाहर लड़ाई-झगड़े का सामना होने से भी यह ट्रिगर हो सकता है। यह स्थिति निम्नलिखित कारणों से भी पैदा हो सकती है:
नाइट टेरर की स्थिति में आप अपने बच्चे में इस स्थिति के निम्नलिखित संकेत देख सकती हैं:
इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
आमतौर पर, बच्चे को रात में डर का अनुभव होने पर उसे आराम दिलाने का प्रयास ही उसे शांत करने के लिए और स्थिति को ठीक करने के लिए काफी है। अगर बच्चा सोए होने के दौरान प्रतिक्रिया नहीं देता है, तो आपको उसे जगाने की कोशिश नहीं करना चाहिए और स्थिति को ठीक होने के लिए समय देना चाहिए।
अगर नाइट टेरर किसी छुपी हुई स्थिति या सिर की चोट के कारण हो रही है, तो पेरेंट्स को डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए, ताकि जरूरी थेरेपी और इलाज किया जा सके। एक सर्टिफाइड प्रोफेशनल से सलाह और परामर्श लेना नाइट टेरर से जूझ रहे बच्चों के लिए सही उपचार है।
हां बिल्कुल! एक बुरे सपने का अनुभव आरईएम के दौरान होता है, जो कि आमतौर पर सुबह के समय में देखा जाता है। वहीं नाइट टेरर का अनुभव रात के शुरुआती घंटों में होता है, नॉन-आरईएम स्लीप के दौरान।
बच्चे को बुरे सपने याद रह सकते हैं और ज्यादातर मामलों में नाइट टेरर अगले दिन याद नहीं रहते हैं।
नाइट टेरर बच्चे के साथ-साथ पेरेंट्स के लिए भी परेशानी का कारण बन सकता है। इसका कोई इलाज नहीं है, पर इस स्थिति से बचने के लिए और इसमें कमी लाने के लिए कुछ सावधानियां बरती जा सकती हैं।
बच्चे के रूटीन में बदलाव करके और एक अधिक आरामदायक और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर नाइट टेरर को कम करने में मदद मिल सकती है। आप अपने बच्चे के कमरे में एक आरामदायक बेड टाइम रूटीन अपना कर भी शांत वातावरण तैयार करने की शुरुआत कर सकती हैं। सुनिश्चित करें, कि बच्चा एक ऐसे रूटीन का पालन करे, जिसमें शारीरिक गतिविधियों और अपनी किसी हॉबी को पूरा करने के लिए और रिलैक्स करने के लिए खाली समय का एक सही मिश्रण हो।
अधिक नींद लेने से भी बच्चों में तनाव से दूर रहने में और रात में डरने की घटना को कम करने में मदद मिलेगी
बच्चों में नाइट टेरर की घटनाएं आम हैं। बचपन में नाइट टेरर को हैंडल करना चुनौती भरा हो सकता है, क्योंकि इसका कोई इलाज भी उपलब्ध नहीं है। यहां पर ऐसे कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिनसे इस स्थिति से निपटने में आपको थोड़ी मदद मिल सकती है।
बच्चों में नाइट टेरर की समस्या को मैच्योरिटी, धैर्य और से प्यार के साथ डील करना जरूरी है। पेरेंट्स को पैनिक नहीं करना चाहिए और इस स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से डील करना चाहिए। अपने बच्चे के रूटीन में जरूरी बदलाव लाकर इसकी फ्रीक्वेंसी में कमी लाई जा सकती है। अगर किसी तरह का सुधर न दिखे, तो बेहतर है कि डॉक्टर से इसके बारे में परामर्श लिया जाए।
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