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अगर आपने किसी परिचित के गर्भाशय के फटने या टूटने के बारे में सुना होगा, तो निश्चित ही आपको समझने में थोड़ा समय लगा होगा और इसे लेकर आपके मन में उत्सुकता और सवाल उठे होंगे, कि आखिर यह होता क्या है। इसका नाम ही अपने आप में एक बुरे सपने सा लगता है और आप इसके बारे में आगे पढ़ें, इसके पहले आपको यह जान लेना चाहिए, कि हां यह डरावना है, लेकिन यह एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है। हालांकि, नीचे दिए गए कुछ खतरों के कारकों में से, एक या एक से अधिक आपको भी हो सकते हैं, पर आपको यह स्थिति हो, इसकी संभावना बहुत ही कम है। अध्ययन बताते हैं, कि पहले हो चुके सिजेरियन के बाद, बच्चे को जन्म देने वाली अधिकतर महिलाओं की डिलीवरी सुरक्षित और नॉर्मल होती है। नेशनल हेल्थ इंस्टिट्यूट के अनुसार 1000 में से 992-993 महिलाएं, यूट्रीन रप्चर की दिक्कत के बिना बच्चे को जन्म देती हैं।
आइए, इस विषय पर और गहराई से चर्चा करें और जानें, कि यूट्रीन रप्चर वास्तव में होता क्या है।
यूट्रीन रप्चर या प्रेगनेंसी के दौरान गर्भाशय की दीवार में आने वाली एक दरार, एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है, जो कि आमतौर पर गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में देखी जाती है, जिससे मां और बच्चे दोनों को गंभीर संकट हो सकता है।
गर्भाशय एक स्ट्रेचेबल बैग जैसी होती है, जो कि पेट की कैविटी में स्थित होती है और इसकी दीवार में तीन परतें होती हैं और ये परतें इस प्रकार हैं:
यूट्रीन रप्चर तब होता है, जब गर्भाशय की दीवार कुछ इस तरह से बाधित हो जाती है, कि गर्भाशय के अंदर की चीजें (जैसे फीटस, प्लेसेंटा और अंबिलिकल कॉर्ड) एबडोमिनल कैविटी में निष्कासित हो जाती हैं।
वहीं, दूसरी ओर यूट्रीन स्कार डेहिजन्स या यूट्रीन विंडो या स्कार सेपरेशन में पहले से मौजूद गर्भाशय का निशान फट कर अलग हो जाता है और इसमें सेरोसा नहीं फटता है। ऐसे में, गर्भाशय के अंदर की चीजें गर्भाशय के अंदर ही रहती हैं।
यूट्रीन स्कार डेहिजेन्स, यूट्रीन रप्चर से कहीं ज्यादा आम है और इनमें से कुछ दुर्लभ मामलों में ही माँ या शिशु को गंभीर समस्या होती है। हालांकि एक यूट्रीन स्कार, यूट्रीन रप्चर का एक जाना माना कारक है (जिनमें से अधिकतर पहले हो चुकी सिजेरियन डिलीवरी के कारण होते हैं), यूट्रीन स्कार के फटने के अधिकतर कारणों के नतीजे के तौर पर, यूट्रीन रप्चर के बजाय यूट्रीन स्कार डेहिजेन्स ही अधिक देखा जाता है। ये दोनों ही स्थितियां काफी महत्वपूर्ण हैं और इन दोनों के क्लीनिकल मैनेजमेंट और क्लीनिकल नतीजे अलग होते हैं।
यूट्रीन रप्चर, आमतौर पर पेरीपार्टम के दौरान होता है, जो कि डिलीवरी के तुरंत पहले, डिलीवरी के दौरान और उसके तुरंत बाद का समय होता है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि यही वह समय होता है, जब गर्भस्थ शिशु अपने पूरे आकार में आ चुका होता है और गर्भाशय सबसे ज्यादा खिंच रहा होता है। यह महिला में या तो गर्भाशय में बने नए निशान के कारण हो सकता है या फिर किसी कारण पहले हो चुकी सर्जरी से बने गर्भाशय के सर्जिकल स्कार के कारण हो सकता है। पहले हो चुकी सिजेरियन डिलीवरी या म्योमेक्टोमी (ओपन सर्जरी या एक लेप्रोस्कोपी के द्वारा गर्भाशय की बीमार दीवार के एक हिस्से को निकालना) जैसी कोई अन्य सर्जरी।
चाहे अधिक खतरे वाले ग्रुप ही क्यों ना हों, डिलीवरी के दौरान गर्भाशय के फटने के घटना बहुत कम ही होती है। यह 1,146 गर्भावस्थाओं में से केवल एक में देखा जाता है (0.07%)। बिना निशान वाले यूटेरस में यूट्रीन रप्चर की संभावना और भी कम होती है। लेकिन अगर आप पहले सिजेरियन सेक्शन से गुजर चुके हैं या गर्भाशय की कोई अन्य सर्जरी करवा चुके हैं, तो डिलीवरी के दौरान यूट्रीन रप्चर का खतरा दोगुना हो जाता है। साथ ही विभिन्न खतरों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, यूट्रीन रप्चर की संभावना भी उतनी ही बढ़ेगी। फिर भी ऐसी घटनाएं बहुत कम ही दिखती हैं।
एक बिना स्कार वाले यूट्रस और एक स्कार वाले यूट्रस, दोनों में यूट्रीन रप्चर के संभव कारण अलग-अलग होते हैं, जो कि अधिकतर मामलों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
बिना स्कार वाले गर्भाशय में यूट्रीन रप्चर की आशंका सबसे कम होती है। यह 8434 प्रेगनेंसी में से केवल एक में देखा जाता है, जो कि 0.012% होता है और ये मामले पहली गर्भावस्था के बजाय दूसरी या तीसरी गर्भावस्था के मामले होते हैं। इसलिए अगर यह आपकी पहली डिलीवरी है और इसके पहले आपके गर्भाशय की कोई सर्जरी नहीं हुई है, तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
एक बिना स्कार वाले गर्भाशय में खतरे के निम्नलिखित कारण होते हैं:
केवल एक सिजेरियन स्कार, यूट्रीन रप्चर की दर को 0.5% तक बढ़ा सकता है। दो या उससे अधिक सिजेरियन निशान वाली महिलाओं में यह बढ़कर 2% तक हो जाता है। मेडिकल लिटरेचर के अनुसार यूट्रीन रप्चर के कारण, वेजाइनल बर्थ आफ्टर प्रीवियस सिजेरियन सेक्शन (वीबीएसी) के बाद दिक्कतें बढ़ जाती है। इसके और मेडिको लीगल डर के कारण यूके और नॉर्थ अमेरिका में, पहले सिजेरियन डिलीवरी होने के बाद महिलाएं और डॉक्टर दोनों ही वेजाइनल डिलीवरी से कतराते हैं, यह चलन अब भारत के शहरी इलाकों में भी फैल चुका है। क्या यूट्रीन फाइब्रॉयड रप्चर हो सकते हैं? गर्भाशय पर म्योमेक्टोमी (फाइब्रॉयड को निकालने के लिए की जाने वाली सर्जरी) के निशान यूट्रीन रप्चर के लिए रास्ता बना सकते हैं। फाइब्रॉयड के कारण बिना निशान वाले गर्भाशय में यूट्रीन रप्चर होना बहुत ही दुर्लभ है।
निशान वाले गर्भाशय में खतरे के कारण:
इलेक्ट्रिक रिपीट सिजेरियन डिलीवरी की तुलना में सिजेरियन डिलीवरी से गुजर चुकी महिलाओं में यूट्रीन रप्चर का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है। पर, यहां पर एक बात गौर करने वाली है, कि अगर पहले एक सफल वीबीएसी (वेजाइनल बर्थ आफ्टर सी सेक्शन) हो चुकी है, तो वीबीएसी के दौरान गर्भाशय के फटने का खतरा काफी कम हो जाता है।
कई संभव सिद्धांत मौजूद हैं, पर उनमें से दो सबसे स्वाभाविक वे हैं, जिन्हें एक सफल वीबीएसी का प्रयास सुनिश्चित करता है, जो कि इस प्रकार हैं –
पुराने समय में जो ऊपर की ओर खड़ी सिलाई की जाती थी, वह चलन अब लगभग खत्म हो चुका है, क्योंकि उसमें गर्भाशय के फटने का सबसे ज्यादा खतरा होता था। नीचे की ओर की जाने वाली पड़ी सिलाई, आजकल सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है, क्योंकि उसमें यूट्रीन रप्चर का खतरा सबसे कम होता है।
अगर पहले हो चुकी सी-सेक्शन डिलीवरी और वर्तमान की डिलीवरी के बीच का अंतराल कम समय का हो, तो गर्भाशय के फटने का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है।
अगर मां की आयु 30 साल से अधिक हो, तो कम उम्र की मां की तुलना में गर्भाशय के फटने का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है।
एक बच्चे की प्रेगनेंसी की तुलना में जुड़वा बच्चों की गर्भावस्था में गर्भाशय के फटने के खतरे में कोई बढ़ोतरी नहीं होती है।
अगर बच्चे का वजन अधिक हो (4 किलो से अधिक) तो गर्भाशय के फटने का खतरा थोड़ा सा बढ़ जाता है।
अगर गर्भावस्था का समय 40 सप्ताह से अधिक हो, तो गर्भाशय के फटने का खतरा काफी बढ़ जाता है, क्योंकि आमतौर पर यह लेबर के पैदा होने से जुड़ा होता है।
अगर लेबर के दौरान सिलाई का निशान फटने लगे, तो क्या होता है? शुरुआती संकेत और लक्षण बिल्कुल भी विशेष नहीं होते हैं, जिससे इसकी पहचान कर पाना मुश्किल होता है और सही इलाज में देर होती है। इसके संकेत और लक्षण भिन्न हो सकते हैं। यह छोटी सी दरार जैसे मामूली या बड़े आकार में फटने जैसे खतरनाक और घातक भी हो सकते हैं, जिसमें मुख्य ब्लड वेसल शामिल होते हैं। यह मुख्य रूप से समय, जगह और गर्भाशय की खराबी पर निर्भर करता है। गर्भाशय की पुरानी सिलाई के निशान पर पड़ने वाली दरार विशेष गंभीर होती है, क्योंकि वहां पर ब्लड वेसल तुलनात्मक रूप से कम होते हैं।
लेबर के दौरान अनुभव की कमी के कारण मां को इसके लक्षणों का पता नहीं चल पाता है और इससे इसकी पहचान और इलाज में देर हो जाती है। नीचे कुछ लक्षण दिए गए हैं, जो कि गर्भाशय के फटने का संकेत दे सकते हैं:
ये संकेत केवल यूट्रीन रप्चर के लिए नहीं होते हैं। ये लक्षण केवल सांकेतिक हैं और इसमें विशेषज्ञों द्वारा सही जांच की जरूरत होती है।
गर्भाशय के फटने के नतीजे इसकी गंभीरता, इसकी पहचान और इलाज के बीच का समय और उपलब्ध मेडिकल देखरेख के स्तर के ऊपर निर्भर करते हैं।
गर्भस्थ शिशु को निओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में एडमिट करना पड़ सकता है। उसे हाइपोक्सिया (बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलना) या अनोक्सिया (बच्चे को ऑक्सीजन ना मिलना) की परेशानी हो सकती है या उसकी मृत्यु भी हो सकती है। मृत्यु की संभावना 6% से 17% के बीच कुछ भी हो सकती है। लेकिन यूट्रीन रप्चर के कारण जन्म से ठीक पहले या जन्म के ठीक बाद होने वाली मृत्यु की घटना आधुनिक युग में कम हो रही है।
माँ को होने वाली परेशानियों में भारी ब्लीडिंग, लो ब्लड प्रेशर, ब्लैडर इंजरी, हिस्टोरेक्टोमी की जरूरत और मृत्यु शामिल है।
गर्भाशय का फटना एक इमरजेंसी है और इसकी तुरंत पहचान और इलाज जरूरी होती है। इस भारी नुकसान की शुरुआत के पहले, बहुत ही कम समय उपलब्ध होने के कारण, समय लेने वाली जांच की प्रक्रियाओं और इमेजिंग के जटिल तौर-तरीकों का इस्तेमाल नहीं हो पाता है। ऐसे समय में केवल डॉक्टर के क्लीनिकल एक्सपर्ट ही होते हैं, जो संकेतों और लक्षणों को देखते हुए मदद कर सकते हैं।
ऐसे में यह विचार उठता है, कि क्या यूट्रीन रप्चर के बारे में पहले से जाना जा सकता है और इसकी तैयारी की जा सकती है? हां, लेकिन केवल कुछ चुनिंदा मामलों में ही ऐसा हो सकता है। कुछ चुनिंदा मरीजों में यूट्रीन रप्चर के खतरे को जांच की विभिन्न तकनीकों द्वारा आंकने की कोशिश की गई है। एमआरआई के द्वारा एक प्रभावित महिला में गर्भाशय के निशान की स्थिति का मूल्यांकन किया जा सकता है। अल्ट्रासोनोग्राफी के माध्यम से सिजेरियन डिलीवरी के बाद गर्भाशय की दीवारों की मोटाई को माप कर गर्भाशय के निशान की खराबी की पहचान की जा सकती है। गर्भावस्था के 36-38 हफ्तों में ट्रांस एब्डोमिनल अल्ट्रासोनोग्राफी के दौरान माप के अनुसार पहले के सिजेरियन डिलीवरी के बाद गर्भाशय के फटने का खतरा गर्भाशय के निचले हिस्से की मोटाई से सीधे-सीधे संबंधित है। अगर गर्भाशय की दीवार 3.5 एमएम से पतली हो, तो गर्भाशय के फटने का खतरा काफी बढ़ जाता है।
यूट्रीन रप्चर की स्थिति में, समय पर होने वाली पहचान और यथासंभव इलाज की शुरुआत सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। नियम के अनुसार मां और बच्चे को गंभीर परेशानियों से बचाने के लिए, मां का तुरंत स्टेबलाइजेशन (फ्लुइड रिससिटेशन और ब्लड ट्रांसफ्यूजन सहित) और यूट्रीन रप्चर के बाद 10 से 37 मिनट के अंदर बच्चे की डिलीवरी सबसे ज्यादा जरूरी है। नवजात शिशु को एनआईसीयू (न्यू नेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में भर्ती करना पड़ सकता है और उसे निगरानी की जरूरत पड़ सकती है। बाद में मां को सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है, जो कि सामान्य टांकों से लेकर गर्भाशय को निकालना (हिस्टोरेक्टोमी) तक कुछ भी हो सकता है, जो कि यूट्रीन रप्चर के प्रकार और गंभीरता, ब्लीडिंग की मात्रा, मां की स्थिति और भविष्य में मां के बच्चे जनने की इच्छा पर निर्भर करता है।
हां, यूट्रीन रप्चर मां और बच्चे को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इससे मृत्यु भी हो सकती है। पर अगर मामले को सही जांच और सुव्यवस्थित अस्पताल में इलाज के साथ अच्छी तरह से मैनेज कर लिया जाए, तो मां और बच्चा आमतौर पर सुरक्षित रह सकते हैं और मृत्यु केवल एक दुर्लभ दुर्घटना होती है। कुछ मामलों में यूट्रीन रप्चर के मामले में पूरी तरह ठीक होने में काफी समय लगता है और हॉस्पिटल में अधिक समय तक रहना पड़ सकता है, जिससे खर्चे बढ़ सकते हैं। गर्भाशय में दरार आना कम नुकसानदायक है और असल में यह नुकसान रहित भी हो सकता है।
यूट्रीन रप्चर के खतरे के कारणों को कम करके प्रेगनेंसी से संबंधित यूट्रीन रप्चर से बचा जा सकता है। खतरों को कम करने की प्रक्रिया पहले गर्भधारण के पहले से लेकर अंतिम डिलीवरी तक हो सकती है।
एक मां क्या कर सकती है?
डॉक्टर क्या कर सकते हैं?
हालांकि, यूट्रीन रप्चर के बहुत ही खतरनाक नतीजे हो सकते हैं, पर यह याद रखना बहुत जरूरी है, कि यह काफी दुर्लभ है और अगर इसकी समय पर पहचान कर ली जाए, तो यह नुकसान रहित हो सकता है। गर्भाशय के फटने से बचने के लिए सचेत और चौकन्ना रहना सबसे बेहतर है।
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