गर्भावस्था

यूट्रीन रप्चर (गर्भाशय का फटना) क्या है

अगर आपने किसी परिचित के गर्भाशय के फटने या टूटने के बारे में सुना होगा, तो निश्चित ही आपको समझने में थोड़ा समय लगा होगा और इसे लेकर आपके मन में उत्सुकता और सवाल उठे होंगे, कि आखिर यह होता क्या है। इसका नाम ही अपने आप में एक बुरे सपने सा लगता है और आप इसके बारे में आगे पढ़ें, इसके पहले आपको यह जान लेना चाहिए, कि हां यह डरावना है, लेकिन यह एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है। हालांकि, नीचे दिए गए कुछ खतरों के कारकों में से, एक या एक से अधिक आपको भी हो सकते हैं, पर आपको यह स्थिति हो, इसकी संभावना बहुत ही कम है। अध्ययन बताते हैं, कि पहले हो चुके सिजेरियन के बाद, बच्चे को जन्म देने वाली अधिकतर महिलाओं की डिलीवरी सुरक्षित और नॉर्मल होती है। नेशनल हेल्थ इंस्टिट्यूट के अनुसार 1000 में से 992-993 महिलाएं, यूट्रीन रप्चर की दिक्कत के बिना बच्चे को जन्म देती हैं। 

आइए, इस विषय पर और गहराई से चर्चा करें और जानें, कि यूट्रीन रप्चर वास्तव में होता क्या है। 

यूट्रीन रप्चर क्या होता है?

यूट्रीन रप्चर या प्रेगनेंसी के दौरान गर्भाशय की दीवार में आने वाली एक दरार, एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है, जो कि आमतौर पर गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में देखी जाती है, जिससे मां और बच्चे दोनों को गंभीर संकट हो सकता है। 

गर्भाशय एक स्ट्रेचेबल बैग जैसी होती है, जो कि पेट की कैविटी में स्थित होती है और इसकी दीवार में तीन परतें होती हैं और ये परतें इस प्रकार हैं: 

  • अंदरूनी पतली परत, जिसका नाम है एंडोमेट्रियम, जो कि सभी हॉर्मोनल बदलावों के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील परत होती है और यह काफी विशेष होती है।
  • बीच की परत, जो कि मांसपेशियों की एक मोटी परत होती है और गर्भाशय का मुख्य हिस्सा होती है। यह गर्भाशय की दीवारों को मजबूती देती है।
  • सेरोसा या पेरीटोनियम नाम की बाहरी परत, जो कि एक बहुत ही पतली परत होती है और एक कोट या लिफाफे की तरह काम करती है। यह गर्भाशय को एबडोमिनल कैविटी से अलग करती है।

यूट्रीन रप्चर तब होता है, जब गर्भाशय की दीवार कुछ इस तरह से बाधित हो जाती है, कि गर्भाशय के अंदर की चीजें (जैसे फीटस, प्लेसेंटा और अंबिलिकल कॉर्ड) एबडोमिनल कैविटी में निष्कासित हो जाती हैं। 

वहीं, दूसरी ओर यूट्रीन स्कार डेहिजन्स या यूट्रीन विंडो या स्कार सेपरेशन में पहले से मौजूद गर्भाशय का निशान फट कर अलग हो जाता है और इसमें सेरोसा नहीं फटता है। ऐसे में, गर्भाशय के अंदर की चीजें गर्भाशय के अंदर ही रहती हैं। 

यूट्रीन स्कार डेहिजेन्स, यूट्रीन रप्चर से कहीं ज्यादा आम है और इनमें से कुछ दुर्लभ मामलों में ही माँ या शिशु को गंभीर समस्या होती है। हालांकि एक यूट्रीन स्कार, यूट्रीन रप्चर का एक जाना माना कारक है (जिनमें से अधिकतर पहले हो चुकी सिजेरियन डिलीवरी के कारण होते हैं), यूट्रीन स्कार के फटने के अधिकतर कारणों के नतीजे के तौर पर, यूट्रीन रप्चर के बजाय यूट्रीन स्कार डेहिजेन्स ही अधिक देखा जाता है। ये दोनों ही स्थितियां काफी महत्वपूर्ण हैं और इन दोनों के क्लीनिकल मैनेजमेंट और क्लीनिकल नतीजे अलग होते हैं। 

यूट्रीन रप्चर और प्रेगनेंसी

यूट्रीन रप्चर, आमतौर पर पेरीपार्टम के दौरान होता है, जो कि डिलीवरी के तुरंत पहले, डिलीवरी के दौरान और उसके तुरंत बाद का समय होता है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि यही वह समय होता है, जब गर्भस्थ शिशु अपने पूरे आकार में आ चुका होता है और गर्भाशय सबसे ज्यादा खिंच रहा होता है। यह महिला में या तो गर्भाशय में बने नए निशान के कारण हो सकता है या फिर किसी कारण पहले हो चुकी सर्जरी से बने गर्भाशय के सर्जिकल स्कार के कारण हो सकता है। पहले हो चुकी सिजेरियन डिलीवरी या म्योमेक्टोमी (ओपन सर्जरी या एक लेप्रोस्कोपी के द्वारा गर्भाशय की बीमार दीवार के एक हिस्से को निकालना) जैसी कोई अन्य सर्जरी। 

यूट्रस के फटने की कितनी संभावना होती है?

चाहे अधिक खतरे वाले ग्रुप ही क्यों ना हों, डिलीवरी के दौरान गर्भाशय के फटने के घटना बहुत कम ही होती है। यह 1,146 गर्भावस्थाओं में से केवल एक में देखा जाता है (0.07%)। बिना निशान वाले यूटेरस में यूट्रीन रप्चर की संभावना और भी कम होती है। लेकिन अगर आप पहले सिजेरियन सेक्शन से गुजर चुके हैं या गर्भाशय की कोई अन्य सर्जरी करवा चुके हैं, तो डिलीवरी के दौरान यूट्रीन रप्चर का खतरा दोगुना हो जाता है। साथ ही विभिन्न खतरों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, यूट्रीन रप्चर की संभावना भी उतनी ही बढ़ेगी। फिर भी ऐसी घटनाएं बहुत कम ही दिखती हैं। 

यूट्रीन स्कार सेपरेशन के क्या खतरे होते हैं?

एक बिना स्कार वाले यूट्रस और एक स्कार वाले यूट्रस, दोनों में यूट्रीन रप्चर के संभव कारण अलग-अलग होते हैं, जो कि अधिकतर मामलों के लिए जिम्मेदार होते हैं। 

बिना निशान वाले एक गर्भाशय में यूट्रीन रप्चर के संभव कारण

बिना स्कार वाले गर्भाशय में यूट्रीन रप्चर की आशंका सबसे कम होती है। यह 8434 प्रेगनेंसी में से केवल एक में देखा जाता है, जो कि 0.012% होता है और ये मामले पहली गर्भावस्था के बजाय दूसरी या तीसरी गर्भावस्था के मामले होते हैं। इसलिए अगर यह आपकी पहली डिलीवरी है और इसके पहले आपके गर्भाशय की कोई सर्जरी नहीं हुई है, तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। 

एक बिना स्कार वाले गर्भाशय में खतरे के निम्नलिखित कारण होते हैं: 

  • कई गर्भावस्थाएं: अध्ययन बताते हैं, कि अगर पहले आपकी तीन से ज्यादा डिलीवरी हो चुकी है, तो यूट्रीन रप्चर का खतरा ज्यादा होता है। सफल डिलीवरीज में गर्भाशय की दीवार पतली होती जाती है और इसलिए यह खतरा भी बढ़ता जाता है।
  • बाधित लेबर: यह तब होता है, जब एक महिला प्राकृतिक वेजाइनल डिलीवरी के लिए लेबर में जाती है, जिसे ट्रायल ऑफ लेबर कहते हैं, लेकिन लेबर रुक जाता है और डिलीवरी करने के लिए सर्जरी की जाती है। आमतौर पर डॉक्टर यह फैसला तब लेते हैं, जब बच्चे के जन्म के लिए बर्थ कैनल बहुत छोटा होता है।
  • लेबर का नजरअंदाज किया जाना: आमतौर पर, यह मेडिकल केयर तक पहुंच ना होने की स्थिति में होता है या घर में होने वाली डिलीवरी के मामलों में ऐसा देखा जाता है।
  • मालप्रेजेंटेशन: इस मामले में जन्म के दौरान बच्चे के सिर के बजाय उसके शरीर का कोई दूसरा हिस्सा पहले दिखता है। आमतौर पर, बच्चे के जन्म के दौरान सबसे पहले उसका सिर दिखता है, लेकिन कभी-कभी सबसे पहले बच्चे का कूल्हा या कंधा या चेहरा या पैर दिख जाते हैं। इससे गर्भाशय पर असामान्य और असमान दबाव पड़ता है, जिससे यह समस्या हो सकती है।
  • मुश्किल लेबर के दौरान डॉक्टर के द्वारा फोरसेप जैसे उपकरण का इस्तेमाल करने से यूट्रीन रप्चर हो सकता है।
  • ऑक्सीटॉसिन (गर्भाशय में कॉन्ट्रक्शन को बढ़ाने वाली दवा) के इस्तेमाल से लेबर पैदा करने या ऑग्मेंटेशन से यूट्रीन रप्चर का खतरा बढ़ जाता है।
  • गर्भाशय की जन्मजात असामान्यता।

स्कार वाले गर्भाशय में यूट्रीन रप्चर के कारण

केवल एक सिजेरियन स्कार, यूट्रीन रप्चर की दर को 0.5% तक बढ़ा सकता है। दो या उससे अधिक सिजेरियन निशान वाली महिलाओं में यह बढ़कर 2% तक हो जाता है। मेडिकल लिटरेचर के अनुसार यूट्रीन रप्चर के कारण, वेजाइनल बर्थ आफ्टर प्रीवियस सिजेरियन सेक्शन (वीबीएसी) के बाद दिक्कतें बढ़ जाती है। इसके और मेडिको लीगल डर के कारण यूके और नॉर्थ अमेरिका में, पहले सिजेरियन डिलीवरी होने के बाद महिलाएं और डॉक्टर दोनों ही वेजाइनल डिलीवरी से कतराते हैं, यह चलन अब भारत के शहरी इलाकों में भी फैल चुका है। क्या यूट्रीन फाइब्रॉयड रप्चर हो सकते हैं? गर्भाशय पर म्योमेक्टोमी (फाइब्रॉयड को निकालने के लिए की जाने वाली सर्जरी) के निशान यूट्रीन रप्चर के लिए रास्ता बना सकते हैं। फाइब्रॉयड के कारण बिना निशान वाले गर्भाशय में यूट्रीन रप्चर होना बहुत ही दुर्लभ है। 

निशान वाले गर्भाशय में खतरे के कारण: 

1. ट्रायल ऑफ लेबर आफ्टर प्रीवियस सी-सेक्शन (टीओएलसी)

इलेक्ट्रिक रिपीट सिजेरियन डिलीवरी की तुलना में सिजेरियन डिलीवरी से गुजर चुकी महिलाओं में यूट्रीन रप्चर का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है। पर, यहां पर एक बात गौर करने वाली है, कि अगर पहले एक सफल वीबीएसी (वेजाइनल बर्थ आफ्टर सी सेक्शन) हो चुकी है, तो वीबीएसी के दौरान गर्भाशय के फटने का खतरा काफी कम हो जाता है। 

कई संभव सिद्धांत मौजूद हैं, पर उनमें से दो सबसे स्वाभाविक वे हैं, जिन्हें एक सफल वीबीएसी का प्रयास सुनिश्चित करता है, जो कि इस प्रकार हैं – 

  • माँ के पेलविस की जांच करना और देखना कि वह गर्भस्थ शिशु के निकास के लिए पर्याप्त है या नहीं।
  • लेबर और डिलीवरी के दौरान तनाव और दबाव भरी स्थिति में पहले से ही गर्भाशय के स्कार की मजबूती की जांच करना, कि वह गर्भाशय के फटे बिना वेजाइनल डिलीवरी के लिए पर्याप्त हो।

2. सी-सेक्शन स्कार के प्रकार

पुराने समय में जो ऊपर की ओर खड़ी सिलाई की जाती थी, वह चलन अब लगभग खत्म हो चुका है, क्योंकि उसमें गर्भाशय के फटने का सबसे ज्यादा खतरा होता था। नीचे की ओर की जाने वाली पड़ी सिलाई, आजकल सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है, क्योंकि उसमें यूट्रीन रप्चर का खतरा सबसे कम होता है। 

3. दो डिलीवरी के बीच समय का अंतराल

अगर पहले हो चुकी सी-सेक्शन डिलीवरी और वर्तमान की डिलीवरी के बीच का अंतराल कम समय का हो, तो गर्भाशय के फटने का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है। 

4. मां की उम्र

अगर मां की आयु 30 साल से अधिक हो, तो कम उम्र की मां की तुलना में गर्भाशय के फटने का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है। 

5. जुड़वा बच्चे

एक बच्चे की प्रेगनेंसी की तुलना में जुड़वा बच्चों की गर्भावस्था में गर्भाशय के फटने के खतरे में कोई बढ़ोतरी नहीं होती है। 

6. बच्चे का आकार

अगर बच्चे का वजन अधिक हो (4 किलो से अधिक) तो गर्भाशय के फटने का खतरा थोड़ा सा बढ़ जाता है। 

7. गर्भ की आयु ज्यादा होना

अगर गर्भावस्था का समय 40 सप्ताह से अधिक हो, तो गर्भाशय के फटने का खतरा काफी बढ़ जाता है, क्योंकि आमतौर पर यह लेबर के पैदा होने से जुड़ा होता है। 

यूट्रीन रप्चर के संकेत और लक्षण

अगर लेबर के दौरान सिलाई का निशान फटने लगे, तो क्या होता है? शुरुआती संकेत और लक्षण बिल्कुल भी विशेष नहीं होते हैं, जिससे इसकी पहचान कर पाना मुश्किल होता है और सही इलाज में देर होती है। इसके संकेत और लक्षण भिन्न हो सकते हैं। यह छोटी सी दरार जैसे मामूली या बड़े आकार में फटने जैसे खतरनाक और घातक भी हो सकते हैं, जिसमें मुख्य ब्लड वेसल शामिल होते हैं। यह मुख्य रूप से समय, जगह और गर्भाशय की खराबी पर निर्भर करता है। गर्भाशय की पुरानी सिलाई के निशान पर पड़ने वाली दरार विशेष गंभीर होती है, क्योंकि वहां पर ब्लड वेसल तुलनात्मक रूप से कम होते हैं। 

मां को क्या अनुभव हो सकता है?

लेबर के दौरान अनुभव की कमी के कारण मां को इसके लक्षणों का पता नहीं चल पाता है और इससे इसकी पहचान और इलाज में देर हो जाती है। नीचे कुछ लक्षण दिए गए हैं, जो कि गर्भाशय के फटने का संकेत दे सकते हैं: 

  • पेट में दर्द अचानक होने वाला दर्द या तेज दर्द, जिसे माँ नॉरमल लेबर पेन से अलग तभी समझ पाती है, जब वह काफी सतर्क और जानकार हो। यह दर्द कंट्रक्शन के बीच भी बना रहता है। जो महिला स्पाइनल एनस्थीसिया के अंदर दर्द रहित डिलीवरी से गुजर रही है, उसे इस दर्द का पता नहीं चलता है। इस प्रकार पेट में होने वाला दर्द यूट्रीन रप्चर का एक असामान्य लक्षण है, जिस पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है।
  • गर्भाशय के कॉन्ट्रक्शन का एहसास न होना या कंट्रक्शन की तीव्रता का कम हो जाना।
  • सिलाई के पुराने निशान वाली जगह पर तेज दर्द होना।
  • अत्यधिक वजाइनल ब्लीडिंग होना।
  • चक्कर और बेहोशी।

डॉक्टर इसे कैसे पहचान सकते हैं?

  • गर्भस्थ शिशु का तकलीफ में होना: यूट्रीन रप्चर का सबसे आम, और अक्सर सबसे पहला और एकमात्र संकेत होता है, बच्चे के दिल की असामान्य धड़कन, जिसे इलेक्ट्रॉनिक फीटल मॉनिटर से नापा जाता है।  आमतौर पर यह संकेत 79-87% मरीजों में मौजूद होता है। ऐसे में डॉक्टर के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है, कि जब मां लेबर से गुजर रही हो, तो बच्चे के हार्ट रेट पर नजर रखी जाए।
  • बेसलाइन यूट्रीन दबाव का खत्म हो जाना।
  • गर्भाशय के फट जाने की स्थिति में, वह बच्चे को बाहर धकेल नहीं पाता है और ऐसे में बच्चा कई बार गर्भाशय में वापस चला जाता है।
  • अत्यधिक वेजाइनल ब्लीडिंग।
  • शॉक: अत्यधिक ब्लड लॉस और ब्लड प्रेशर में गिरावट आने पर ऐसा हो सकता है।

ये संकेत केवल यूट्रीन रप्चर के लिए नहीं होते हैं। ये लक्षण केवल सांकेतिक हैं और इसमें विशेषज्ञों द्वारा सही जांच की जरूरत होती है। 

लेबर के दौरान अगर निशान फटना शुरू हो जाए तो क्या होता है?

गर्भाशय के फटने के नतीजे इसकी गंभीरता, इसकी पहचान और इलाज के बीच का समय और उपलब्ध मेडिकल देखरेख के स्तर के ऊपर निर्भर करते हैं। 

गर्भस्थ शिशु को निओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में एडमिट करना पड़ सकता है। उसे हाइपोक्सिया (बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलना) या अनोक्सिया (बच्चे को ऑक्सीजन ना मिलना) की परेशानी हो सकती है या उसकी मृत्यु भी हो सकती है। मृत्यु की संभावना 6% से 17% के बीच कुछ भी हो सकती है। लेकिन यूट्रीन रप्चर के कारण जन्म से ठीक पहले या जन्म के ठीक बाद होने वाली मृत्यु की घटना आधुनिक युग में कम हो रही है। 

माँ को होने वाली परेशानियों में भारी ब्लीडिंग, लो ब्लड प्रेशर, ब्लैडर इंजरी, हिस्टोरेक्टोमी की जरूरत और मृत्यु शामिल है। 

गर्भाशय में दरार की पहचान

गर्भाशय का फटना एक इमरजेंसी है और इसकी तुरंत पहचान और इलाज जरूरी होती है। इस भारी नुकसान की शुरुआत के पहले, बहुत ही कम समय उपलब्ध होने के कारण, समय लेने वाली जांच की प्रक्रियाओं और इमेजिंग के जटिल तौर-तरीकों का इस्तेमाल नहीं हो पाता है। ऐसे समय में केवल डॉक्टर के क्लीनिकल एक्सपर्ट ही होते हैं, जो संकेतों और लक्षणों को देखते हुए मदद कर सकते हैं। 

ऐसे में यह विचार उठता है, कि क्या यूट्रीन रप्चर के बारे में पहले से जाना जा सकता है और इसकी तैयारी की जा सकती है? हां, लेकिन केवल कुछ चुनिंदा मामलों में ही ऐसा हो सकता है। कुछ चुनिंदा मरीजों में यूट्रीन रप्चर के खतरे को जांच की विभिन्न तकनीकों द्वारा आंकने की कोशिश की गई है। एमआरआई के द्वारा एक प्रभावित महिला में गर्भाशय के निशान की स्थिति का मूल्यांकन किया जा सकता है। अल्ट्रासोनोग्राफी के माध्यम से सिजेरियन डिलीवरी के बाद गर्भाशय की दीवारों की मोटाई को माप कर गर्भाशय के निशान की खराबी की पहचान की जा सकती है। गर्भावस्था के 36-38 हफ्तों में ट्रांस एब्डोमिनल अल्ट्रासोनोग्राफी के दौरान माप के अनुसार पहले के सिजेरियन डिलीवरी के बाद गर्भाशय के फटने का खतरा गर्भाशय के निचले हिस्से की मोटाई से सीधे-सीधे संबंधित है। अगर गर्भाशय की दीवार 3.5 एमएम से पतली हो, तो गर्भाशय के फटने का खतरा काफी बढ़ जाता है। 

गर्भवती महिलाओं के लिए यूट्रीन रप्चर का इलाज

यूट्रीन रप्चर की स्थिति में, समय पर होने वाली पहचान और यथासंभव इलाज की शुरुआत सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। नियम के अनुसार मां और बच्चे को गंभीर परेशानियों से बचाने के लिए, मां का तुरंत स्टेबलाइजेशन (फ्लुइड रिससिटेशन और ब्लड ट्रांसफ्यूजन सहित) और यूट्रीन रप्चर के बाद 10 से 37 मिनट के अंदर बच्चे की डिलीवरी सबसे ज्यादा जरूरी है। नवजात शिशु को एनआईसीयू (न्यू नेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में भर्ती करना पड़ सकता है और उसे निगरानी की जरूरत पड़ सकती है। बाद में मां को सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है, जो कि सामान्य टांकों से लेकर गर्भाशय को निकालना (हिस्टोरेक्टोमी) तक कुछ भी हो सकता है, जो कि यूट्रीन रप्चर के प्रकार और गंभीरता, ब्लीडिंग की मात्रा, मां की स्थिति और भविष्य में मां के बच्चे जनने की इच्छा पर निर्भर करता है। 

क्या मां और बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है?

हां, यूट्रीन रप्चर मां और बच्चे को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इससे मृत्यु भी हो सकती है। पर अगर मामले को सही जांच और सुव्यवस्थित अस्पताल में इलाज के साथ अच्छी तरह से मैनेज कर लिया जाए, तो मां और बच्चा आमतौर पर सुरक्षित रह सकते हैं और मृत्यु केवल एक दुर्लभ दुर्घटना होती है। कुछ मामलों में यूट्रीन रप्चर के मामले में पूरी तरह ठीक होने में काफी समय लगता है और हॉस्पिटल में अधिक समय तक रहना पड़ सकता है, जिससे खर्चे बढ़ सकते हैं। गर्भाशय में दरार आना कम नुकसानदायक है और असल में यह नुकसान रहित भी हो सकता है। 

यूट्रीन रप्चर से कैसे बचा जा सकता है?

यूट्रीन रप्चर के खतरे के कारणों को कम करके प्रेगनेंसी से संबंधित यूट्रीन रप्चर से बचा जा सकता है। खतरों को कम करने की प्रक्रिया पहले गर्भधारण के पहले से लेकर अंतिम डिलीवरी तक हो सकती है। 

एक मां क्या कर सकती है? 

  • 30 साल की उम्र के पहले प्रेगनेंसी प्लान करें।
  • केवल दर्दनाक लेबर से बचने के लिए सिजेरियन डिलीवरी का चुनाव ना करें। प्राकृतिक विकल्प हमेशा सबसे बेहतर होता है। एक सी-सेक्शन स्कार प्राकृतिक नहीं है।
  • उचित अंतराल रखें। सिजेरियन डिलीवरी के बाद दूसरी प्रेगनेंसी में कम से कम 2 साल का अंतर रखें।
  • अच्छे मरीज बनें। डॉक्टर के बताए अनुसार समय पर परामर्श लें, खासकर आखिरी तिमाही और एक्सपेक्टेड तारीख के नजदीक।
  • कुछ असामान्य महसूस होने पर, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, जैसे अचानक पेट में होने वाला दर्द, कॉन्ट्रक्शन की कमी, बच्चे के मूवमेंट में कमी आदि।
  • अगर आपकी ड्यू डेट निकल चुकी है और अभी तक लेबर शुरू नहीं हुआ है, तो अपने डॉक्टर से तुरंत मिलें।

डॉक्टर क्या कर सकते हैं? 

  • यूट्रीन रप्चर के अत्यधिक खतरे वाले मरीज को पहचानें।
  • एक एमआरआई या अल्ट्रासोनोग्राफी की मदद से घटना को परखने की कोशिश करें।
  • मां को उसकी स्थिति के बारे में अच्छी तरह से समझाएं और जानकारी दें और उसे सबसे बेहतर निर्णय लेने में मदद करें।
  • खतरे की गंभीरता के अनुसार लेबर के ट्रायल या सिजेरियन सेक्शन के चुनाव को लेकर सही समय पर निर्णय लें।
  • सी-सेक्शन की सिलाई कम से कम 2 परतों में करना और एक परत वाली सिलाई से बचना।
  • बच्चे की हृदय गति पर नजर रखना और बच्चे की एक्टिविटी पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
  • यूट्रीन रप्चर का समय पर पहचान और इलाज बहुत जरूरी है।

हालांकि, यूट्रीन रप्चर के बहुत ही खतरनाक नतीजे हो सकते हैं, पर यह याद रखना बहुत जरूरी है, कि यह काफी दुर्लभ है और अगर इसकी समय पर पहचान कर ली जाए, तो यह नुकसान रहित हो सकता है। गर्भाशय के फटने से बचने के लिए सचेत और चौकन्ना रहना सबसे बेहतर है। 

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पूजा ठाकुर

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