बच्चों की कहानियां

विक्रम बेताल की अंतिम कहानी: योगी शांतशील की कथा | Last Story of Vikram Betal: Monk Shantashil In Hindi

यह कहानी बेताल पचीसी की कहानियों में से आखिरी कहानी है। इसमें बताया गया है कि कैसे दुष्ट योगी शांतशील का अंत करने पर बेताल राजा को अपनी इच्छा अनुसार वर मांगने को कहता है। साथ ही राजा के साहस, बहादुरी और सच्ची साधना के कारण भगवान शिव उनसे प्रसन्न होकर राजा को सात द्वीपों समेत पाताल और धरती पर राज करने का वरदान देते हैं। यह कहानी बताती है कि आखिर क्यों योगी शांतशील ने राजा विक्रमादित्य को शव लाने का काम सौंपा था और कैसे विक्रम और बेताल की कहानियों की नींव पड़ी। यह बहुत ही दिलचस्प कहानी है जो बच्चों के साथ ही बड़ों को भी काफी पसंद आती है।

कहानी के पात्र (Characters Of The Story)

  • राजा विक्रमादित्य
  • बेताल
  • योगी शांतशील
  • भगवान शिव

विक्रम बेताल की अंतिम कहानी: योगी शांतशील की कथा (Last Story of Vikram Betal: Story of Monk Shantshil In Hindi)

आखिरकार राजा विक्रमादित्य लगातार 24 बार कोशिश करने और बेताल की कहानियों के अंत में प्रश्नों का उत्तर देने के बाद शव को योगी शांतशील के पास ले जाने में सफल हो गए। योगी, राजा विक्रमादित्य के कंधे पर शव को देखकर बहुत खुश हुआ और उनसे बोला –

“हे राजन, आपने इस कठिन कार्य को पूरा करके ये प्रमाणित कर दिया कि आप सभी राजाओं में सर्वश्रेष्ठ हैं।”

ऐसा कहकर शांतशील ने राजा के कंधे से शव को उतारा और अपनी तंत्र साधना की तैयारी करने लगा।

तंत्र साधना के पूरा होने बाद योगी राजा से बोला –

“हे विक्रम, आप यहां लेटकर प्रणाम करें।”

इतना सुनते ही राजा को बेताल की कही बात याद आ गई और उन्होंने योगी शांतशील से कहा –

“मुझे यह कैसे करना है समझ नहीं आ रहा। पहले आप मुझे कर के बताएं, फिर मैं वैसा ही करूंगा।”

फिर क्या जैसे ही शांतशील प्रणाम करने के नीचे लिए झुका, विक्रम ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। ये सब देखकर बेताल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और वह राजा से बोला –

“ये पाखंडी योगी विश्व के सभी विद्वानों का राजा बनना चाहता था, लेकिन अब तुम उसकी जगह विद्वानों के राजा होगे। मैंने तुम्हें बहुत तंग किया, अब तुम्हें जो चाहिए वो मुझसे मांग लो।”

बेताल की बातों को सुनते ही राजा ने कहा कि मैं तो यही चाहता हूं कि आपने मुझे जो 24 कहानियां सुनाई हैं, उसके साथ पच्चीसवी कहानी भी पूरे संसार में प्रसिद्ध हो जाए और हर कोई इन्हें सम्मान के साथ पढ़े। बेताल राजा की बात सुनकर हमेशा की हंसा और बोला कि ऐसा ही होगा। उसने आगे कहा –

“मेरे द्वारा कही गई और तुम्हारे द्वारा सुनी गई सारी कहानियां और आज की यह घटना पूरे संसार में प्रसिद्ध होंगी। जो भी इन कहानियों को मन से पढ़ेगा या सुनेगा, उसके साए पाप धूल जाएंगे।”

ये कहने के बाद बेताल वहां से चला गया और उसके बाद भगवान महादेव राजा विक्रम के सामने प्रकट हुए। शिवजी ने राजा से कहा –

“तुमने उस पाखंडी योगी को मारकर बहुत अच्छा कार्य किया है। अब तुम्हारा राज्य धरती के सात द्वीपों समेत पाताल पर भी होगा। तुम एक आदर्श राजा होगे जिसे उसकी प्रजा बहुत प्रेम और सम्मान देगी। दुनिया के सारे सुख, ऐश्वर्य और आनंद भोगने के बाद जब तुम्हें लगे कि तुम्हारा इनसे मन भर गया है तो तुम मेरे पास चले आना।”

ऐसा कहकर महादेव अंतर्धान हो गए।

राजा विक्रम भी अपने राज्य वापस लौट आए। जब उनकी प्रजा को अपने राजा के साहस और पराक्रम की कहानी पता चली तो सभी ने राजा की बहुत तारीफ की। कई सालों तक एक लोकप्रिय राजा के रूप में पृथ्वी और पाताल पर राज करने बाद विक्रमादित्य ने वही किया जो भगवान शिव ने उनसे कहा था और वह महादेव की शरण में चले गए।

विक्रम बेताल की अंतिम कहानी: योगी शांतशील से सीख (Moral of Monk Shantshil Hindi Story)

विक्रम बेताल की इस कहानी से यह सीख मिलती है कि बुराई चाहे जितनी बड़ी और ताकतवर क्यों न हो वह कभी जीत नहीं सकती। यदि व्यक्ति का मन और नीयत साफ हो और उसमें धैर्य हो तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है और सभी उसका सम्मान भी करते हैं।

विक्रम बेताल की अंतिम कहानी: योगी शांतशील का कहानी प्रकार (Story Type of Monk Shantshil Hindi Story)

यह कहानी विक्रम-बेताल की कहानियों के अंतर्गत आती है। इन्हें बेताल पचीसी के नाम से भी जाना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. विक्रमादित्य कौन थे और कहाँ के राजा थे?

विक्रमादित्य एक निडर, पराक्रमी, न्यायप्रिय, ज्ञानी और लोकप्रिय राजा थे जिनकी राजधानी उज्जयिनी नगरी थी।

2. सफलता के लिए धैर्य कितना जरूरी है ?

सफलता में धैर्य बहुत अहम भूमिका निभाता है। बिना धैर्य के व्यक्ति कभी भी सफलता का आनंद नहीं ले सकता है। अच्छी चीजें आपको मिलती हैं लेकिन उसके लिए भी थोड़ा इंतजार और बहुत सारी मेहनत की जरूरत होती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

यह कहानी विक्रम-बेताल की अन्य कहानियों जैसी ही प्रेरणादायक है, लेकिन ये उनकी आखिरी कहानी थी जिससे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। सबसे पहले की व्यक्ति को खुद के ऊपर विश्वास जरूर होना चाहिए, तभी वह अपने कार्य में सफलता पा सकता है। साथ ही व्यक्ति में इतना धैर्य और साहस हो कि जब आपकी जीत हो तो लोग आपकी तारीफ करें और आपको सम्मान दें।

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श्रेयसी चाफेकर

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